वाक्पति मुंज

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
आशा चौधरी (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:05, 28 अक्टूबर 2010 का अवतरण ('<u>वाक्पति मुंज (973 से 995 ई.)</u>मंज सीयक का दत्तक पुत्र एवं ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

वाक्पति मुंज (973 से 995 ई.)मंज सीयक का दत्तक पुत्र एवं उत्तराधिकारी था।

  • उसने कलचुरी शासक युवराज द्वितीय तथा चालुक्य राजा तैलप द्वितीय को युद्व में परास्त किया।
  • तैलप को मंजु ने करीब 6 बार युद्ध में परास्त किया था।
  • सातवी बार युद्ध में बन्दी बनाकर उसकी हत्या कर दी गयी।
  • इस घटना का उल्लेख अभिलेखों एवं आइना-ए-अकबरी में मिलता है।
  • उसका काल परमारों के लिए गौरव का काल था। मंजु ने श्री वल्लभ, पृथ्वी वल्लभ, अमोघवर्ष आदि उपाधियां धारण की। कौथेम दानपात्र से विदित होता है कि उसने हूणों को भी पराजित किया था।
  • मंजु एक सफल विजेता होने के साथ कवियों एवं विद्धानों का आश्रयदाता भी था।
  • उसके राजदरबार में यशोरूपावलोक के रचयिता धनिक, नवसाहसांकचरित के लेखक पद्मगुप्त, दशरूपक के लेखक धनंजय आदि रहते थे।
  • उसके बाद उसका छोटा भाई सिंधु राज शासक हुआ।
  • उसने कुमार नारायण एवं साहसांक की उपाधि धारण की।
  • मूंज ने धारा में अपने नाम से 'मुज सागर' नामक तालाब का निर्माण कराया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख