विजय सेन
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
- सामंतसेन का पुत्र एवं उत्तराधिकारी विजयसेन सेन वंश का पराक्रमी शासक हुआ।
- उसने बंगाल को पुनः पूर्ण राजनीतिक एकता प्रदान की।
- कलिंग, कामरूप एवं मगध को जीत कर विजयसेन ने अपने राज्य की सीमाओं का विस्तार किया।
- उसका सबसे महत्वपूर्ण अभिलेख 'देवपाड़ा अभिलेख' है जिसमे उसके सीमा विस्तार तथा विजयों का उल्लेख मिलता है।
- विजय सेन की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि गौड़राज (पाल शासक) मदनपाल को परास्त करना था। उसने मदनपाल को बंगाल से खदेड़ कर उत्तरी बंगाल में अपनी सत्ता स्थापित कर ली।
- विजय सेन ने विजयपुरी एवं विक्रमपुरी नामक दो राजधानियां स्थापित की।
- उसने परमेश्वर, परमभट्टारक तथा महाराजधिराज की उपाधि धारण की।
- विजय सेन शैव धर्म का अनुयायी था जिसकी पुष्टि उसे 'अरिराज वृषशंकर' की उपाधि से स्पष्ट होता है।
- उसकी रानी ने 'कनकतुलापुरुषमहादान' यज्ञ करवाया था।
- विजयसेन की उपलब्धियों से प्रभावित होकर श्री हर्ष ने उसकी प्रशंसा में विजयप्रशस्ति तथा गौड़ोविर्श प्रशस्ति काव्यों की रचना की।
|
|
|
|
|