भारत का संविधान- परिशिष्ट 1
भारत का संविधान- परिशिष्ट 1
- संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954[1]
सं. आ. 48
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राष्ट्रपति, संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, जम्मू-कश्मीर राज्य की सरकार की सहमति से, निम्नलिखित आदेश करते हैं :--
1.
(1) इस आदेश का संक्षिप्त नाम संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954 है ।
(2) यह 14 मई, 1954 को प्रवृत्त होगा, और ऐसा होने पर संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1950 को अधिक्रांत कर देगा ।
2. [2]संविधान के अनुच्छेद 1 तथा अनुच्छेद 370 के अतिरिक्त उसके 20 जून, 1964 को यथा प्रवृत्त और संविधान (उन्नीसवां संशोधन) अधिनियम, 1966, संविधान (इक्कीसवां संशोधन) अधिनियम, 1967, संविधान (तेईसवां संशोधन) अधिनियम, 1969 की धारा 5, संविधान (चौबीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971, संविधान (पच्चीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971 की धारा 2, संविधान (छब्बीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971, संविधान (तीसवां संशोधन) अधिनियम, 1972, संविधान (इकतीसवां संशोधन) अधिनियम, 1973 की धारा 2, संविधान (तैंतीसवां संशोधन) अधिनियम, 1974 की धारा 2, संविधान (अड़तीसवां संशोधन) अधिनियम, 1975 की धारा 2, 5, 6 और 7, संविधान (उनतालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1975, संविधान (चालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976, संविधान (बावनवां संशोधन) अधिनियम, 1985 की धारा 2, 3 और 6 और संविधान (इकसठवां संशोधन) अधिनियम, 1988 द्वारा यथासंशोधित, जो उपबंध जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में लागू होने और वे अपवाद और उपांतरण जिनके अधीन वे इस प्रकार लागू होंगे, निम्नलिखित होंगे :-
(1) उद्देशिका
(2) भाग 1
अनुच्छेद 3 में निम्नलिखित और परंतुक जोड़ा जाएगा, अर्थात् :--
“परंतु यह और कि जम्मू-कश्मीर राज्य के क्षेत्र को बढ़ाने या घटाने या उस राज्य के नाम या उसकी सीमा में परिवर्तन करने का उपबंध करने वाला कोई विधेयक उस राज्य के विधान-मंडल की सहमति के बिना संसद् में पुर:स्थापित नहीं किया जाएगा ।“ ।
(3) भाग 2 (क) यह भाग जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में 26 जनवरी, 1950 से लागू समझा जाएगा । (ख) अनुच्छेद 7 में निम्नलिखित और परंतुक जोड़ा जाएगा, अर्थात् :-
‘’परंतु यह और कि इस अनुच्छेद की कोई बात जम्मू-कश्मीर राज्य के ऐसे स्थायी निवासी को लागू नहीं होगी जो ऐसे राज्यक्षेत्र को जो इस समय पाकिस्तान के अंतर्गत है, प्रव्रजन करने के पश्चात् उस राज्य के क्षेत्र को ऐसी अनुज्ञा के अधीन लौट आया है जो उस राज्य में पुनर्वास के लिए या स्थायी रूप से लौटने के लिए उस राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के प्राधिकार द्वारा या उसके अधीन दी गई है, तथा ऐसा प्रत्येक व्यिक्त भारत का नागरिक समझा जाएगा ।‘’ ।
(4) भाग 3 (क) अनुच्छेद 13 में, संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इस आदेश के प्रारंभ के प्रति निर्देश है ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विधि मंत्रालय की अधिसूचना सं.का.नि.आ. 1610, तारीख 14 मई, 1954 भारत का राजपत्र, असाधारण, भाग 2, धारा 3, पृष्ठ 821 में प्रकाशित ।
- ↑ प्रारंभ में आने वाले शब्द संविधान आदेश 56, संविधान आदेश 74, संविधान आदेश 76, संविधान आदेश 79, संविधान आदेश 89, संविधान आदेश 91, संविधान आदेश 94, संविधान आदेश 98, संविधान आदेश 103, संविधान आदेश 104, संविधान आदेश 105, संविधान आदेश 108, संविधान आदेश 136 और तत्पश्चात् संविधान आदेश 141 द्वारा संशोधित होकर उपरोक्त रूप में आए ।
बाहरी कड़ियाँ
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