कुलधारा

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कुलधारा राजस्थान के जैसलमेर शहर से 25 कि.मी. की दूरी पर स्थित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक ग्राम है। यह एक डरावना गांव है, जहाँ पर्यटकों को सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच ही जाने की अनुमति है। 200 वर्ष पुराने मिट्टी के घरों को यहाँ देखा जा सकता है। इतिहास के अनुसार, इस गांव में लगभग 500 वर्षों के लिए पालीवाल ब्राह्मण बसे थे। यहाँ के क्रूर शासकों द्वारा उन्हें इस गांव को छोड़ने पर मजबूर किया गया। इसलिए लोगों का मानना है कि इस गांव को पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा शाप दिया गया था।[1]

इतिहास

जैसलमेर से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर कुलधारा गाँव है। माना जाता है कि यह गांव शापित है। भानगढ़ के किले की तरह यह गांव भी अचानक ही एक रात में विरान हो गया। उसके बाद से इस गांव में कोई भी बस नहीं पाया। इस गांव के विराने में भी भानगढ़ के किले की तरह एक खूबसूरत लड़की की दास्तान छुपी हुई है। माना जाता है कि 1825 के आस-पास कुलधारा पालीवाल ब्राह्मणों का गांव हुआ करता था। पालीवाल ब्राह्मणों के पूर्वजों का संबंध भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मिणी से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि पालीवाल ब्रह्मण इनके पुरोहित हुआ करते थे। लेकिन जबकि यह घटना है, उन दिनों पालीवाल किसान हुआ करते थे। यह कृषि के अलावा भवन निर्माण कला में निपुण थे। राज्य के दूसरे गांवों से यह गांव खुशहाल और संपन्न हुआ करता था।[2]

किंवदंती

कहा जाता है कि कुलधारा गाँव के मुखिया के 18 वर्ष की बहुत ही सुन्दर कन्या थी। एक दिन गांव के दौरे के दौरान रियासत के मंत्री सलीम सिंह की नजर उस लड़की पर पड़ी। उसने मुखिया से मिलकर उससे विवाह करने की इच्छा जाहिर की। परन्तु मुखिया ने इसे ठुकरा दिया। इस पर सलीम सिंह ने गांव पर भारी टैक्स लगाने और गांव बरबाद करने की चेतावनी दी। इस घटना से क्रोधित कुलधारा तथा आसपास के 83 गांवों के निवासियों ने लड़की का सम्मान बचाने के लिए इस जगह को हमेशा के लिए छोड़ने का निश्चय किया। उन्होंने उसी रात को अपने पूरे घर-परिवार और सामान सहित गांव छोड़ दिया और कहीं चले गए। उन्हें जाते हुए न तो किसी ने देखा और न ही किसी को पता चला कि वे सब कहां गए।

यह भी कहा जाता है कि उन्होंने जाते समय गांव को श्राप दिया कि उनके जाने के बाद कुलधारा में कोई नहीं बस सकेगा। अगर किसी ने ऐसा दुस्साहस किया तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। तब से यह गांव आज तक इसी तरह सुनसान और वीरान पड़ा हुआ है। हालांकि किसी जमाने में शानदार हवेलियों के लिए मशहूर कुलधारा में अब सिर्फ खंडहर ही बचे हैं, लेकिन यहाँ जाकर रहने की किसी को इजाजत नहीं है।[3]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुलधारा (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 07 सितम्बर, 2014।
  2. 200 सालों से विरान एक गांव, जहां रात में जाना मना है (हिन्दी) अमर उजाला.कॉम। अभिगमन तिथि: 07 सितम्बर, 2014।
  3. एक लड़की की इज्जत बचाने के लिए श्मशान बने 84 गांव (हिन्दी) पत्रिका। अभिगमन तिथि: 07 सितम्बर, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

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