बाग़-ए-बाबर

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बाग़-ए-बाबर अफ़ग़ानिस्तान के सबसे बड़े शहर और राजधानी काबुल में स्थित है। यह मुग़ल बादशाह बाबर का मक़बरा है। बाग़-ए-बाबर काबुल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। इसी बाग़ से प्रेरित होकर भारत में मुग़ल बादशाहों ने और भी कई बाग़ों का निर्माण करवाया था।

बाग़-ए-बाबर में प्रथम मुग़ल बादशाह बाबर की कब्र है। यह बाग़ कई बगीचों को मिलाकर बनाया गया है।

  • इस बाग़ की बाहरी दीवार का पुनर्निर्माण 2005 में पुरानी शैली में ही किया गया था। इस दीवार को 19921996 ई. में युद्ध के दौरान क्षति पहुंची थी।
  • यह बाग़ काबुल के चेचलस्‍टन क्षेत्र में स्थित है।
  • बाबर की मृत्‍यु के बाद उसे आगरा में दफनाया गया था, लेकिन बाबर की यह इच्‍छा थी कि उसे काबुल में दफनाया जाए। इस कारण शेरशाह सूरी ने उसकी इच्‍छानुसार उसे काबुल लाकर इस बाग़ में दफनाया।
  • बाग़-ए-बाबर की प्रेरणा से भारत में भी मुग़ल बादशाहों ने कई बाग़ों का निर्माण करवाया।
  • इस बाग़ के बीचोंबीच एक नहर है, जिसमें जल का अनवरत प्रवाह होता रहता है। निकट ही बाबर का मक़बरा है, जहां पर गोलियों के निशान 1990 के दशक में हुए गृह युद्ध का परिणाम हैं।
  • बाग़ में बहने वाली नहर बाग़ को दो हिस्सों में बांटती है, एक तरफ का हिस्सा परिवारों के लिए है और दूसरा सिर्फ युवा पुरुषों के लिए।
  • दूसरी तरफ दरियों पर बैठे परिवारों के लिए हरी-हरी घास का ये बाग़ पिकनिक की जगह है।


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