राधावल्लभ त्रिपाठी
राधावल्लभ त्रिपाठी (अंग्रेज़ी: Radhavallabh Tripathi, जन्म- 15 फ़रवरी, 1949, राजगढ़, मध्य प्रदेश) प्रसिद्ध साहित्यकार हैं। मुख्यत: वे संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार के रूप में जाने जाते हैं। उनके द्वारा रचित कविता-संग्रह 'संधानम्' के लिये उन्हें सन 1994 में 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था। राधावल्लभ त्रिपाठी संस्कृत को आधुनिकता का संस्कार देने वाले विद्वान और हिन्दी के प्रखर लेखक व कथाकार हैं।
प्रमुख कृतियाँ
राधावल्लभ त्रिपाठी जी की प्रमुख कृतियाँ निम्न प्रकार हैं[1]-
- सन्धानम (1989)
- लहरीदशकम (1991)
- गीतधीवरम (1996)
- सम्पलवः (2000)
राधावल्लभ त्रिपाठी हिन्दी के प्रखर लेखक व कथाकार हैं। ‘विक्रमादित्यकथा’ उनके द्वारा लिखी असाधारण कथा-कृति है। संस्कृत के महान गद्यकार महाकवि दण्डी पदलालित्य के लिए विख्यात हैं। ‘दशकुमारचरित’ उनकी चर्चित कृति है। परन्तु डॉ. राधावल्लभ त्रिपाठी को उनकी एक और संस्कृत कृति ‘विक्रमादित्यकथा’ की जीर्ण-शीर्ण पाण्डुलिपि हाथ लग गयी। इस कृति को हिन्दी में औपन्यासिक रूप देकर डॉ. त्रिपाठी ने एक ओर मूल कृति के स्वरूप की रक्षा की है और दूसरी ओर उसे एक मार्मिक कथा के रूप में अवतरित किया है। इस कृति से उस युग का नया परिदृश्य उद्घाटित होता है और पाठक का मनोलोक अनोखे सौंदर्य से भर उठता है।[2]
पुरस्कार-सम्मान
- राधावल्लभ त्रिपाठी को उनके कविता संग्रह 'सन्धानम' पर 1994 में 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था।
- बिरला फ़ाउंडेशन के 'शंकर पुरस्कार' सहित और भी अनेक पुरस्कार व सम्मान उन्हें मिल चुके हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ राधावल्लभ त्रिपाठी (हिंदी) kavitakosh.org। अभिगमन तिथि: 20 दिसम्बर, 2016।
- ↑ विक्रमादित्य कथा, राधावल्लभ त्रिपाठी (हिंदी) pustak.org। अभिगमन तिथि: 20 दिसम्बर, 2016।
बाहरी कड़ियाँ
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