अभिजीत भट्टाचार्य
अभिजीत भट्टाचार्य
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पूरा नाम | अभिजीत भट्टाचार्य |
जन्म | 30 अक्टूबर, 1958 |
जन्म भूमि | कानपुर, उत्तर प्रदेश |
अभिभावक | पिता- धीरेंद्रनाथ भट्टाचार्य माता- कमलादेवी भटाचार्य |
पति/पत्नी | सुमति भटाचार्य |
संतान | दो पुत्र- ध्रुव अभिजीत भट्टाचार्य और जय अभिजीत भट्टाचार्य |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | भारतीय सिनेमा |
शिक्षा | बी. कॉम |
विद्यालय | क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर |
पुरस्कार-उपाधि | फिल्मफेयर बेस्ट प्लेबैक सिंगर (1997) |
प्रसिद्धि | पार्श्वगायक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | अभिजीत ने 423 फिल्मों में 634 गाने गाये हैं। उन्होंने ना केवल हिंदी में गाने गाये बल्कि वह 18 भाषाओं में गा चुके हैं, जिसमें से प्रमुख हैं- बंगाली, उड़िया, भोजपुरी, मराठी और गुजराती। |
अद्यतन | 17:03, 31 अक्टूबर 2020 (IST)
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अभिजीत भट्टाचार्य (अंग्रेज़ी: Abhijeet Bhattacharya, जन्म- 30 अक्टूबर, 1958, कानपुर, उत्तर प्रदेश) हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध गायक हैं। 90 के दशक के मशहूर गायक अभिजीत भट्टाचार्य ने शाहरुख ख़ान, अक्षय कुमार जैसे नायकों के लिए अपनी आवाज़ दी और लोगों द्वारा खूब सराहे गए। साल 1981 में अभिजीत कानपुर के क्राइस्ट चर्च कॉलेज से स्नातक करने के बाद चार्टर्ड अकाउंटेंसी का कोर्स करने के लिए मुंबई पहुंच गए थे, लेकिन किस्मत ने उन्हें गायक बना दिया। वे कई रियलटी शो में बतौर जज नजर आए हैं। स्टूडियो में सबसे लंबा गाना गाने और रिकॉर्डिंग करने का विश्व रिकॉर्ड अभिजीत के पास है। उन्होंने स्टूडियो में 18 मिनट का एक गाना रिकॉर्ड किया था।
परिचय
अभिजीत भट्टाचार्य का जन्म 30 अक्टूबर, 1958 को कानपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम धीरेंद्रनाथ भट्टाचार्य था जो कि एक बिजनेसमैन थे। माता का नाम कमलादेवी भटाचार्य था। चार भाई-बहनों में अभिजीत सबसे छोटे हैं। अभिजीत ने फैशन डिजाइनर सुमति भटाचार्य से 1990 में शादी की। उनके दो पुत्र हैं- ध्रुव अभिजीत भट्टाचार्य और जय अभिजीत भट्टाचार्य। जिस गायिका के साथ अभिजीत ने सबसे ज्यादा डिबेट गाये हैं वो हैं, अलका याग्निक। अभिजीत ने 423 फिल्मों में 634 गाने गाये हैं। उन्होंने ना केवल हिंदी में गाने गाये बल्कि वह 18 भाषाओं में गा चुके हैं, जिसमें से प्रमुख हैं- बंगाली, उड़िया, भोजपुरी, मराठी और गुजराती।[1]
पहला ब्रेक
अभिजीत को पहला ब्रेक दिया था संगीतकार आर. डी. बर्मन ने। फिल्म थी 'आनंद और आनंद'। इस फिल्म में उन्हें अपने आदर्श और उस्ताद किशोर कुमार के साथ काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में अभिजीत ने किशोर कुमार, आशा भोंसले और लता मंगेशकर के साथ गाना गाया। लेकिन यह फिल्म फ्लॉप रही और अभिजीत का कॅरियर शुरू होने से पहले ही खत्म मान लिया गया। इसके बाद अब अभिजीत को 7 सालों तक संघर्ष करना पड़ा। 7 साल के बाद अभिजीत ने एक बार फिर से प्लेबैक सिंगर के तौर पर अपना कम बैक किया। फिल्म थी ‘बागी’। अभिजीत ने कई नॉन फिल्मी एल्बम बनाए। वॉइस ऑफ इंडिया, सा रे गा मा पा, सारेगामापा लिटिल चैंपियन जैसे कई रियलिटी शो के जज भी रहे।
संघर्ष
अभिजीत, क्राइस्ट चर्च कॉलेज से ग्रेजुएट (बीकॉम) करने के बाद प्ले बैक सिंगर बनने का सपना लिए 1981 में मुंबई आ गए। कानपुर में स्टेज शो किया करते थे और स्टेज सिंगर के रूप में काफी पॉपुलर हो गए थे। उन्होंने प्लेबैक सिंगर बनने का फैसला किया और संगीत के प्रति उनका जुनून उन्हें मुंबई खींच लाया। अभिजीत मुंबई आ तो गए लेकिन यहां का जीवन आसान नहीं था। उनका असली संघर्ष मुंबई आने पर शुरू हुआ। यह संघर्ष केवल काम पाने का नहीं था। यह संघर्ष भोजन, सर पर छत जैसे जरूरतों का भी था। मुंबई में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अभिजीत को क्लर्क जैसे छोटे-मोटी नौकरी भी करनी पड़ी।[1]
गॉडफादर
मुंबई आ जाने के 2 साल बाद भी अभिजीत भट्टाचार्य को कोई काम नहीं मिला। फिर 2 साल बाद एक दिन अभिजीत को एक फोन आया। यह फोन था बॉलीवुड के मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर राहुल देव बर्मन का। बात 1984 की है। देवानंद अपने बेटे को लॉन्च करने वाले थे। फिल्म का नाम था 'आनंद और आनंद'। फिल्म में एक नए आवाज की जरूरत थी, जिसके लिए आर डी बर्मन ने अभिजीत को कॉल किया था। इसके लिए अभिजीत हमेशा आर. डी. बर्मन को अपना गॉडफादर मानते हैं।
गुमनामी
इस तरह से एक प्लेबैक सिंगर के तौर पर अभिजीत के बॉलीवुड कॅरियर की शुरुआत हो गई। इस फिल्म में अभिजीत को तीन गाने गाने का मौका मिला, वो भी अपने आदर्श किशोर कुमार, आशा भोसले और लता मंगेशकर के साथ। फिल्म के गाने तो हिट हो गए लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली। इसके बाद अभिजीत को सात सालों तक संघर्ष करना पड़ा।
मुंबई में संघर्ष
'आनंद और आनंद' से पहले आर. डी. बर्मन ने 1982 में अभिजीत को एक बंगाली फिल्म ‘अपरूपा’ में गाने का मौका दिया था। 1983 में अभिजीत ने फिल्म ‘मुझे इंसाफ चाहिए‘ के लिए गाना गाया था, जिसके संगीतकार थे लक्ष्मीकांत प्यारेलाल। यह दोनों फिल्में ‘आनंद और आनंद’ से पहले रिलीज हुई थी। लेकिन अभिजीत को इन फिल्मों से कोई फायदा ना हुआ और वो अपनी कोई पहचान नहीं बना पाए। 1989 में अभिजीत ने ‘गूंज‘ फिल्म में भी गाना गाया था।[1]
सफलता
अंततः सात साल के लंबे इंतजार के बाद, 1991 में अभिजीत को फिर से गाने का मौका मिला। फिल्म थी 'बागी', म्यूजिक डायरेक्टर थे आनंद मिलिंद और इस फिल्म के हीरो थे सलमान ख़ान। 'बागी' के बाद अभिजीत ने कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा और अपने सुरीली आवाज और शानदार सिंगिंग के दम पर अभिजीत म्यूजिकल रॉक स्टार बन गए। 1990 से 2000 का दौर अभिजीत के लिए स्वर्णिम रहा। कुमार सानू और उदित नारायण के साथ वह बॉलीवुड के टॉप सिंगर बन गए। वो पहला गाना जिसने अभिजीत को एक नई पहचान दी वो थी- 'एक चंचल शोख हसीना' और 'हर कसम से बड़ी है कसम प्यार की' (फिल्म 'बागी')। इसके बाद अभिजीत के हिट गानों का सिलसिला शुरू हो गया।
इसके बाद अभिजीत ने फिल्म 'खिलाड़ी', 'शोला और शबनम' जैसे फिल्मों में अपनी गायकी का लोहा मनवाया। 1994 की फिल्म 'ये दिल्लगी' का गाना 'ओले ओले', 'राजा बाबू', 'मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी' ने उन्हें घर घर में पॉपुलर बना दिया।
सम्मान
सन 1997 में 'यस बॉस' के लिए अभिजीत को फिल्मफेयर बेस्ट प्लेबैक सिंगर का अवॉर्ड मिला। फिल्म 'बादशाह', 'दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे', 'धड़कन', 'राज', 'तुम बिन', 'चलते चलते', 'मैं हूं ना'- जैसी कई फिल्मों ने अभिजीत को बॉलीवुड में एक नया मुकाम दिया।
प्रसिद्ध हस्तियों के साथ कार्य
अपने दो दशक से ज्यादा लंबे करियर में अभिजीत ने जिन बड़े-बड़े बॉलीवुड सितारों को अपनी आवाज दीं, उनमें से प्रमुख हैं- सुपरस्टार शाहरुख ख़ान, सैफ अली ख़ान, सलमान ख़ान, ऋतिक रोशन, अजय देवगन, अक्षय कुमार, संजय दत्त और रणबीर कपूर इत्यादि। जिन प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ अभिजीत ने काम किया, उनमें शामिल हैं- आर. डी. बर्मन, बप्पी लहरी, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, अनु मलिक, जतिन ललित, नदीम श्रवण, ए आर रहमान और आनंद मिलिंद। जिन गायिकाओं के साथ अभिजीत ने गाया, उनमें प्रमुख नाम है- लता मंगेशकर, आशा भोंसले, साधना सरगम, अनुराधा पौडवाल, कविता कृष्णमूर्ति, चित्रा, सुनिधि चौहान, श्रेया घोषाल और आकृति कक्कर।[1]
जतिन ललित का योगदान
अभिजीत भट्टाचार्य के कॅरियर में म्यूजिक डायरेक्टर जतिन ललित का बड़ा योगदान रहा है। अभिजीत की आवाज और जतिन ललित के संगीत ने एक से बढ़कर एक हिंदी फिल्मी गानों को दिया है। जतिन ललित के संगीत निर्देशन में अभिजीत के कुछ प्रमुख गाने हैं-
- गाना वादा रहा सनम - खिलाड़ी
- ये तेरी आंखें झुकी-झुकी - फरेब
- मैं कोई ऐसा गीत गाऊं और चांद तारे तोड़ लाऊं - यस बॉस
- जरा सा झूम लूं मैं - दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे
- और क्या - फिर भी दिल है हिंदुस्तानी
- तौबा तुम्हारे ये इशारे और सुनो ना - चलते चलते
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 1.3 अभिजीत भट्टाचार्य का संक्षिप्त जीवन परिचय (हिंदी) jankaritoday.com। अभिगमन तिथि: 31 अक्टूबर, 2020।
बाहरी कड़ियाँ
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