शोभा नायडू

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शोभा नायडू
शोभा नायडू
शोभा नायडू
पूरा नाम शोभा नायडू
जन्म 1956
जन्म भूमि अनकापल्ली, विशाखापटनम, आंध्र प्रदेश
मृत्यु 14 अक्टूबर, 2020
मृत्यु स्थान हैदराबाद
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र भारतीय शास्त्रीय नृत्य
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री, 2001

नृत्य चूडमानी पुरस्कार, 1982
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1991
नृत्यिका सरमोनी पुरस्कार, 1996

प्रसिद्धि कुचिपुड़ी नृत्यांगना
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी शोभा नायडू के कार्यक्रम को ना केवल देश में बल्कि विदेशों में भी खूब सराहा गया। उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की, हांगकांग, मैक्सिको, वैनेजुएला और क्यूबा सहित कई देशों में कार्यक्रम किए।

शोभा नायडू (अंग्रेज़ी: Shobha Naidu, जन्म- 1956; मृत्यु- 14 अक्टूबर, 2020) भारत की प्रमुख कुचिपुड़ी नर्तकियों में से एक थीं। वह प्रसिद्ध स्वामी वम्पाति चिन्ना सत्यम की एक उत्कृष्ट शिष्या थीं। एक गुरु के रूप में शोभा नायडू ने भारत और विदेशों के कई छात्रों को प्रशिक्षित किया। अपनी नृत्य कला से उन्‍होंने देश ही नहीं विदेशों में भी सराहना पाई। शोभा नायडू ने अमेरिका के कई शहरों और ब्रिटेन समेत अन्‍य देशों में भी प्रस्‍तुतियां दीं।


शोभा नायडू
  • शोभा नायडू का जन्म 1956 में आंध्र प्रदेश राज्य के विशाखापटनम में अनकापल्ली में हुआ था।
  • उनकी मुख्य उपलब्धियों में विप्र नारायण, कल्याण श्रीनिवासम और अन्य नृत्य-नटिकाओं की कोरियोग्राफी करना शामिल था। इनमें उन्‍होंने सत्यभामा, देववक्वी, पद्मावती, मोहिनी, साईं बाबा और देवी पार्वती जैसी विभिन्न भूमिकाएं निभाईं और खासी प्रशंसा पाई।
  • कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्‍हें पद्म श्री (2001) से सम्‍मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें आंध्र प्रदेश सरकार और कई प्रतिष्ठित संगठनों से भी कई पुरस्कार मिले।
  • 14 अक्तूबर, 2020 को रात डेढ़ बजे शोभा नायडू ने अंतिम सांस ली। उनके पति रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अर्जुन राव ने बताया था कि वो लंबे समय से न्यूरोलॉजी संबंधी बीमारी से जूझ रही थीं। उन्हें हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
  • शोभा नायडू के कार्यक्रम को ना केवल देश में बल्कि विदेशों में भी खूब सराहा गया। उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की, हांगकांग, मैक्सिको, वैनेजुएला और क्यूबा सहित कई देशों में कार्यक्रम किए। उन्होंने अपनी जिंदगी में भारत और विदेशों के तमाम छात्रों को प्रशिक्षण भी दिया


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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