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'''जटिला की हवेली''' [[नन्दगाँव]] में स्थित [[जावट ग्राम नन्दगाँव|जावट ग्राम]] के पश्चिम भाग में ऊँचे टीले पर स्थित है। इस स्थान पर [[जटिला]], कुटिला और अभिमन्यु की मूर्तियाँ हैं। यहाँ पर वर्तमान समय में श्रीराधाकान्त जी का मन्दिर है, जिसमें [[राधा]] एवं [[कृष्ण]] के दर्शन हैं। सखियाँ यहीं पर जटिला, कुटिला और अभिमन्यु को वंचित कर राधिका जी से कृष्ण का मिलन कराती थीं।

11:45, 22 जून 2017 के समय का अवतरण

जटिला की हवेली
Jatila-Haweli.png
विवरण यह नन्दगाँव के पूर्व में लगभग दो मील की दूरी पर स्थित है। कभी विलास के समय श्रीराधिका जी के चरण कमलों का महावर रसिक श्रीकृष्ण ने अपने वक्ष स्थल पर जहाँ धारण किया था, उस वटवृक्ष से सुशोभित स्थान का नाम याव गाँव या जावट गाँव प्रसिद्ध है।
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला मथुरा
प्रसिद्धि हिन्दू धार्मिक स्थल
कब जाएँ कभी भी
यातायात बस, कार, ऑटो आदि
क्या देखें नन्दगाँव, नन्द जी मंदिर, जटिला की हवेली, बरसाना, लट्ठमार होली, नंदकुण्ड, पानिहारी कुण्ड , नंद बैठक आदि।
एस.टी.डी. कोड 05622
संबंधित लेख नंदगाँव, कृष्ण, राधा, वृषभानु, जटिला, ललिता सखी, विशाखा सखी, वृन्दावन, मथुरा, गोवर्धन, आदि।


अन्य जानकारी जावट गाँव के पश्चिम भाग में ऊँचे टीले पर जटिला की हवेली है इसमें जटिला, कुटिला और अभिमन्यु की मूर्तियाँ हैं। अब यहाँ पर वर्तमान समय में श्रीराधाकान्त जी का मन्दिर है, जिसमें राधा एवं कृष्ण के दर्शन हैं।
अद्यतन‎

जटिला की हवेली नन्दगाँव में स्थित जावट ग्राम के पश्चिम भाग में ऊँचे टीले पर स्थित है। इस स्थान पर जटिला, कुटिला और अभिमन्यु की मूर्तियाँ हैं। यहाँ पर वर्तमान समय में श्रीराधाकान्त जी का मन्दिर है, जिसमें राधा एवं कृष्ण के दर्शन हैं। सखियाँ यहीं पर जटिला, कुटिला और अभिमन्यु को वंचित कर राधिका जी से कृष्ण का मिलन कराती थीं।

जटिला की हवेली पहुँचे कृष्ण

एक समय श्रीकृष्ण राधिका से मिलने के लिए अत्यन्त उत्कण्ठित हो विह्वल हो गये। वे रात के समय जावट पहुँचकर जटिला की हवेली के पास ही एक बेर के पेड़ के नीचे खड़े होकर राधिका जी से मिलने की प्रतीक्षा करने लगे तथा इसी पेड़ की डाल पर बैठकर ठीक कोयल की भाँति कुहकने लगे। राधिका और उनकी सहेलियाँ समझ गई कि यह कोकिल और कोई नहीं श्रीकृष्ण ही मिलने की उत्कण्ठा में बेर के पेड़ के नीचे प्रतीक्षा कर रहे हैं। कृष्ण जैसे ही भवन में प्रवेश के लिए चेष्टा करते सतर्क जटिला थोड़ी-सी आहट पाकर ही चिल्ला उठती 'को ऐ रे', ऐसा सुनकर कृष्ण पुन: झाड़ियों के बीच में छिप जाते। इस प्रकार कृष्ण सारी रात राधिका से मिलने की प्रतीक्षा करते रहे। किन्तु मिल नहीं सके। ज्यों ही वे हवेली के भीतर प्रवेश करना चाहते, जटिला के शब्द सुनकर पुन: छिप जाते। अन्त में हताश होकर लौट आये।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख