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गंधेश्वरी वन

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गंधेश्वरी वन ब्रजमण्डल के ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। इस स्थान का वर्तमान नाम 'गणेशरा गाँव' है। यह स्थान भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं से सम्बंधित है।

  • श्रीकृष्ण ने गोचारण के समय सखाओं के साथ गन्ध द्रव्यों को अपने-अपने अंगों में धारण किया था। कहते हैं कि यहाँ सहेलियों के साथ पास ही में छिपी हुई राधिका के अंगों की गन्ध से श्रीकृष्ण मोहग्रस्त हो गये-
'यस्या: कदापि वसनाञ्चलखेलनोत्थ। धन्यातिधन्य-पवनेन कृतार्थमानी। योगीन्द्र-दुर्गमगतिर्मधुसूदनोऽपि तस्या नमोऽस्तु वृषभानुभूवो दिशेऽपि।।[1]
  • राधिका को देखकर श्रीकृष्ण के हाथों से उनकी बाँसुरी गिर गई। मोर मुकुट भी श्रीराधिका के चरणों में गिर गया। यहाँ तक कि वे स्वयं मूर्छित हो गये, इसलिए यह "गन्धेश्वरी तीर्थ" कहलाता है-
वंशी करान्निपतित: स्खलितं शिखण्डं भ्रष्टञ्च पीतवसनं व्रजराजसूनो:। यस्या: कटाक्षशरघात-विमूर्च्छितस्य तां राधिकां परिचरामि कदा रसेन।।[2]
  • राधिका का दूसरा नाम 'गान्धर्वा' भी है। उन्हीं के नाम के अनुसार यहाँ 'गान्धर्वा कुण्ड' आज भी श्रीराधा-कृष्ण के विलास की ध्वजा फहरा रहा है।
  • गन्धेश्वरी का अपभ्रंश ही वर्तमान समय में 'गणेशरा' नाम से प्रसिद्ध है ।


इन्हें भी देखें: कुमुदवन

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राधारससुधानिधि–2
  2. राधारससुधानिधि–39

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