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[[वल्लभ सम्प्रदाय]] की आचार्य परम्परा के प्रसिद्ध प्रचारक गोकुलनाथ अपने [[पिता]] गोस्वामी विठ्लनाथ के चौथे [[पुत्र]] और [[बल्लभाचार्य|श्रीमद बल्लभाचार्य महाप्रभु]] के पौत्र थे।  
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*इनके संप्रदाय में ठाकुर जी की मूर्ति की पूजा नहीं होती, केवल गद्दी या पीठ की पूजा होती है। इस संबंध में प्रचलित है कि इनके जन्म के समय विठ्लनाथ जी ठाकुर जी की सेवा कर रहे थे। पुत्र जन्म के समाचार से उन्हें अपनी सेवा स्थगित करनी पडी। इस पर उन्होंने कहा कि इसके जन्म के कारण मुझे सेवा स्थगित करनी पड़ी, इसलिये इसके अनुयायी ठाकुर जी की सेवा से वंचित रहेंगे।
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'''गोकुलनाथ गोस्वामी''' [[वल्लभ सम्प्रदाय]] की आचार्य परम्परा के प्रसिद्ध प्रचारक थे जो अपने [[पिता]] [[विट्ठलनाथ|गोस्वामी विट्ठलनाथ]] के चौथे [[पुत्र]] और [[बल्लभाचार्य|श्रीमद बल्लभाचार्य महाप्रभु]] के पौत्र थे।  
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*इनका जन्म अड़ैल में [[सम्वत]] 1608 और निधन 1697 में हुआ।  
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*इनके संप्रदाय में ठाकुर जी की मूर्ति की पूजा नहीं होती, केवल गद्दी या पीठ की पूजा होती है। इस संबंध में प्रचलित है कि इनके जन्म के समय विठ्लनाथ जी ठाकुर जी की सेवा कर रहे थे। पुत्र जन्म के समाचार से उन्हें अपनी सेवा स्थगित करनी पडी। इस पर उन्होंने कहा कि इसके जन्म के कारण मुझे सेवा स्थगित करनी पड़ी, इसलिये इसके अनुयायी ठाकुर जी की सेवा से वंचित रहेंगे।
 
*गोकुल नाथ जी के अनुयायी 'भढूची वैष्णव' कहलाते थे।  
 
*गोकुल नाथ जी के अनुयायी 'भढूची वैष्णव' कहलाते थे।  
 
*आपकी ख्याति संप्रदाय के प्रचारक के रूप में है।  
 
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13:24, 23 अप्रैल 2013 का अवतरण

गोकुलनाथ गोस्वामी
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पूरा नाम गोकुलनाथ गोस्वामी
जन्म संवत 1608
मृत्यु संवत 1697
प्रसिद्धि वल्लभ सम्प्रदाय की आचार्य परम्परा के प्रसिद्ध प्रचारक
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी गोकुल नाथ जी के अनुयायी 'भढूची वैष्णव' कहलाते थे।

गोकुलनाथ गोस्वामी वल्लभ सम्प्रदाय की आचार्य परम्परा के प्रसिद्ध प्रचारक थे जो अपने पिता गोस्वामी विट्ठलनाथ के चौथे पुत्र और श्रीमद बल्लभाचार्य महाप्रभु के पौत्र थे।

  • इनका जन्म अड़ैल में सम्वत 1608 और निधन 1697 में हुआ।
  • इनके संप्रदाय में ठाकुर जी की मूर्ति की पूजा नहीं होती, केवल गद्दी या पीठ की पूजा होती है। इस संबंध में प्रचलित है कि इनके जन्म के समय विठ्लनाथ जी ठाकुर जी की सेवा कर रहे थे। पुत्र जन्म के समाचार से उन्हें अपनी सेवा स्थगित करनी पडी। इस पर उन्होंने कहा कि इसके जन्म के कारण मुझे सेवा स्थगित करनी पड़ी, इसलिये इसके अनुयायी ठाकुर जी की सेवा से वंचित रहेंगे।
  • गोकुल नाथ जी के अनुयायी 'भढूची वैष्णव' कहलाते थे।
  • आपकी ख्याति संप्रदाय के प्रचारक के रूप में है।
  • आपके उपदेशों के दो संकलन प्रसिद्ध हैं-चौरासी वैष्णवन की वार्ता और दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शर्मा 'पर्वतीय', लीला धर भारतीय चरित कोश (हिंदी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, कश्मीरी गेट, दिल्ली, 242।

बाहरी कड़ियाँ

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