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गोरखपुर नगर [[राप्ती नदी]] के बाँए किनारे पर बसा हुआ है।
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गोरखपुर नगर, [[उत्तर प्रदेश]] राज्य की [[राप्ती नदी]] के बाँए किनारे पर बसा हुआ है।
 
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शहर और गोरखपुर ज़िले का नाम एक प्रसिद्ध तपस्वी तप संत गोरक्षनाथ के नाम पर पङा था, प्राचीन समय में गोरखपुर के भौगोलिक क्षेत्र मे बस्ती, देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़ के आधुनिक ज़िले शामिल थे।  
 
शहर और गोरखपुर ज़िले का नाम एक प्रसिद्ध तपस्वी तप संत गोरक्षनाथ के नाम पर पङा था, प्राचीन समय में गोरखपुर के भौगोलिक क्षेत्र मे बस्ती, देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़ के आधुनिक ज़िले शामिल थे।  
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विश्व में जितना अनोखा और सुन्दर [[भारत]] है, भारत में उतना ही अनोखा व आकर्षक उत्तर प्रदेश है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में गोरखपुर पर्यटन परिक्षेत्र एक विस्तृत भू-भाग में फैला हुआ है। इसके अंतर्गत गोरखपुर- मण्डल, बस्ती-मण्डल एवं आजमगढ़-मण्डल के कुल दस जनपद है। अनेक पुरातात्विक, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहरों को समेटे हुए इस [[पर्यटन]] परिक्षेत्र की अपनी विशिष्ट परम्पराए है। [[सरयू नदी|सरयू]], राप्ती, [[गंगा]], [[गण्डक नदी|गण्डक]], [[तमसा नदी|तमसा]], रोहिणी जैसी पावन नदियों के वरदान से अभिसंचित, भगवान बुद्ध, तीर्थकर [[महावीर]], संत कबीर, गुरु गोरखनाथ की तपःस्थली, सर्वधर्म-सम्भाव के संदेश देने वाले विभिन्न धर्मावलम्बियों के देवालयों और प्रकृति द्वारा सजाये-संवारे नयनाभिराम पक्षी-विहार एवं अभ्यारण्यों से परिपूर्ण यह परिक्षेत्र सभी वर्ग के पर्यटकों का आकर्षण-केन्द्र है।
 
विश्व में जितना अनोखा और सुन्दर [[भारत]] है, भारत में उतना ही अनोखा व आकर्षक उत्तर प्रदेश है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में गोरखपुर पर्यटन परिक्षेत्र एक विस्तृत भू-भाग में फैला हुआ है। इसके अंतर्गत गोरखपुर- मण्डल, बस्ती-मण्डल एवं आजमगढ़-मण्डल के कुल दस जनपद है। अनेक पुरातात्विक, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहरों को समेटे हुए इस [[पर्यटन]] परिक्षेत्र की अपनी विशिष्ट परम्पराए है। [[सरयू नदी|सरयू]], राप्ती, [[गंगा]], [[गण्डक नदी|गण्डक]], [[तमसा नदी|तमसा]], रोहिणी जैसी पावन नदियों के वरदान से अभिसंचित, भगवान बुद्ध, तीर्थकर [[महावीर]], संत कबीर, गुरु गोरखनाथ की तपःस्थली, सर्वधर्म-सम्भाव के संदेश देने वाले विभिन्न धर्मावलम्बियों के देवालयों और प्रकृति द्वारा सजाये-संवारे नयनाभिराम पक्षी-विहार एवं अभ्यारण्यों से परिपूर्ण यह परिक्षेत्र सभी वर्ग के पर्यटकों का आकर्षण-केन्द्र है।
 
;गोरखपुर नगर के दर्शनीय पर्यटक स्थल निम्न हैं : --
 
 
 
;गोरखनाथ मन्दिर
 
;गोरखनाथ मन्दिर
 
गोरखपुर रेलवे स्टेशन से 4 कि० मी० दूरी पर नेपाल रोड पर स्थित नाथ सम्प्रदाय के संस्थापक परम सिद्ध गुरु गोरखनाथ का अत्यन्त सुन्दर भव्य मन्दिर स्थित है। यहां प्रतिवर्ष मकर संईद्भांति के अवसर पर खिचड़ी-मेला का आयोजन होता है, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु/पर्यटक सम्मिलित होते हैं। यह एक माह तक चलता है। यह मेडिकल कॉलेज रोड पर रेलवे स्टेशन से 3 कि० मी० की दूरी पर स्थित है। इस मन्दिर में 12वीं शताब्दी की पालकालीन काले कसौटी पत्थर से निर्मित [[विष्णु|भगवान विष्णु]] की विशाल प्रतिमा स्थापित है। यहां दशहरा के अवसर पर पारम्परिक ईत्त्रामलीलाई का आयोजन होता है।
 
गोरखपुर रेलवे स्टेशन से 4 कि० मी० दूरी पर नेपाल रोड पर स्थित नाथ सम्प्रदाय के संस्थापक परम सिद्ध गुरु गोरखनाथ का अत्यन्त सुन्दर भव्य मन्दिर स्थित है। यहां प्रतिवर्ष मकर संईद्भांति के अवसर पर खिचड़ी-मेला का आयोजन होता है, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु/पर्यटक सम्मिलित होते हैं। यह एक माह तक चलता है। यह मेडिकल कॉलेज रोड पर रेलवे स्टेशन से 3 कि० मी० की दूरी पर स्थित है। इस मन्दिर में 12वीं शताब्दी की पालकालीन काले कसौटी पत्थर से निर्मित [[विष्णु|भगवान विष्णु]] की विशाल प्रतिमा स्थापित है। यहां दशहरा के अवसर पर पारम्परिक ईत्त्रामलीलाई का आयोजन होता है।
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;सुर्यकुण्ड मन्दिर  
 
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गोरखपुर नगर के एक कोने में रेलवे स्टेशन से 4 कि० मी० दूरी पर स्थित ताल के मध्य में स्थित इस स्थान में के बारे में यह विख्यात है कि भगवान श्री राम ने यहाँ पर विश्राम किया था जो कि कालान्तर में भव्य सुर्यकुण्ड मन्दिर बना।
 
गोरखपुर नगर के एक कोने में रेलवे स्टेशन से 4 कि० मी० दूरी पर स्थित ताल के मध्य में स्थित इस स्थान में के बारे में यह विख्यात है कि भगवान श्री राम ने यहाँ पर विश्राम किया था जो कि कालान्तर में भव्य सुर्यकुण्ड मन्दिर बना।
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09:50, 12 फ़रवरी 2011 का अवतरण

गोरखपुर नगर, उत्तर प्रदेश राज्य की राप्ती नदी के बाँए किनारे पर बसा हुआ है।

इतिहास

शहर और गोरखपुर ज़िले का नाम एक प्रसिद्ध तपस्वी तप संत गोरक्षनाथ के नाम पर पङा था, प्राचीन समय में गोरखपुर के भौगोलिक क्षेत्र मे बस्ती, देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़ के आधुनिक ज़िले शामिल थे।

कृषि

गोरखपुर में लकड़ी और चीनी के व्यापार की प्रमुख मण्डी है।

उद्योग

यहाँ पर क्रैप तथा रौयेंदार तौलिए, सूत और ऊन के मिले हुए धुस्से तथा चीनी बहुत बनाई जाती है। हस्तशिल्प = हैण्डलूम, टेक्सटाइल, टेराकोटा और पाटरी

गीता प्रेस

यहीं से भारत का प्रमुख धार्मिक मासिक पत्र 'कल्याण' प्रकाशित होता है। जो धार्मिक पुस्तकों के प्रसिद्ध प्रकाशन 'गीता प्रेस गोरखपुर' का प्रकाशन है।

परिवहन

रेल : गोरखपुर देश के सभी बड़े नगरों/पर्यटन स्थलों से रेल-सेवा से जूड़ा हुआ है। यहां कम्प्यूटर आरक्षण सुविधा उपलब्ध है। रेल-सूचना हेतु फोन 131, 1331, 1335, 201854, 201273, 201657, 200658, से सम्पर्क किया जा सकता है।

बस : सभी महत्त्वपूर्ण नगरों के लिए गोरखपुर से उ० प्र० रा० स० प० निगम की बस-सेवा उपलब्ध है। फोन 20093 (रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड), 333658, (राप्ती नगर बस स्टेशन, निकट कचहरी)।

हवाई-सेवाः गोरखपुर नगर से 8 कि० मी० पर हवाई अड्डा स्थित है। भारतीय वायु सेना की अनुमति से वायुयानों की यातायात सुविधा उपलब्ध है। अन्य हवाई-पट्टी : गोरखपुर से 55 कि० मी० दूरी पर कसया (जनपद-कुशीनगर) में उ० प्र० नागरिक उड्डयन की हवाई पट्टी उपलब्ध है।

स्थानीय यातायात: गोरखपुर पर्यटन परिक्षेत्र के सभी नगरों एवं पर्यटन स्थलों पर टैक्सी, रिक्शा और कहीं-कहीं पर आटो रिक्शा एवं सिटी बस सेवा उपलब्ध है।

दर्शनीय स्थल

विश्व में जितना अनोखा और सुन्दर भारत है, भारत में उतना ही अनोखा व आकर्षक उत्तर प्रदेश है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में गोरखपुर पर्यटन परिक्षेत्र एक विस्तृत भू-भाग में फैला हुआ है। इसके अंतर्गत गोरखपुर- मण्डल, बस्ती-मण्डल एवं आजमगढ़-मण्डल के कुल दस जनपद है। अनेक पुरातात्विक, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहरों को समेटे हुए इस पर्यटन परिक्षेत्र की अपनी विशिष्ट परम्पराए है। सरयू, राप्ती, गंगा, गण्डक, तमसा, रोहिणी जैसी पावन नदियों के वरदान से अभिसंचित, भगवान बुद्ध, तीर्थकर महावीर, संत कबीर, गुरु गोरखनाथ की तपःस्थली, सर्वधर्म-सम्भाव के संदेश देने वाले विभिन्न धर्मावलम्बियों के देवालयों और प्रकृति द्वारा सजाये-संवारे नयनाभिराम पक्षी-विहार एवं अभ्यारण्यों से परिपूर्ण यह परिक्षेत्र सभी वर्ग के पर्यटकों का आकर्षण-केन्द्र है।

गोरखनाथ मन्दिर

गोरखपुर रेलवे स्टेशन से 4 कि० मी० दूरी पर नेपाल रोड पर स्थित नाथ सम्प्रदाय के संस्थापक परम सिद्ध गुरु गोरखनाथ का अत्यन्त सुन्दर भव्य मन्दिर स्थित है। यहां प्रतिवर्ष मकर संईद्भांति के अवसर पर खिचड़ी-मेला का आयोजन होता है, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु/पर्यटक सम्मिलित होते हैं। यह एक माह तक चलता है। यह मेडिकल कॉलेज रोड पर रेलवे स्टेशन से 3 कि० मी० की दूरी पर स्थित है। इस मन्दिर में 12वीं शताब्दी की पालकालीन काले कसौटी पत्थर से निर्मित भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा स्थापित है। यहां दशहरा के अवसर पर पारम्परिक ईत्त्रामलीलाई का आयोजन होता है।

गीताप्रेस

रेलवे स्टेशन से 4 कि० मी० दूरी पर रेती चौक के पास स्थित गीताप्रेस में सफेद संगमरमर की दीवालों पर सम्पूर्ण श्रीमद्भागवत्‌ गीता के 18 अध्याय के श्लोक उत्कीर्ण है। ईत्त्लीलाधामई की दीवालों पर मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम एवं भगवान श्रीकृष्ण् के जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं की 'चित्रकला' प्रदर्शित हैं। यहां पर हिन्दू धर्म की दुलर्भ पुस्तकें, हैण्डलूम एवं टेक्सटाइल्स वस्त्र सस्ते दर पर बेचे जाते है। विश्व प्रसिद्ध पत्रिका ईत्त्कल्याणई का प्रकाशन यहीं से किया जाता है।

पिकनिक स्पाट

रेलवे स्टेशन से 9 कि० मी दूर गोरखपुर-कुशीनगर मार्ग पर अत्यन्त सुन्दर एवं मनोहारी छटा से पूर्ण यह मनोरंजन केन्द्र (पिकनिक स्पाट) स्थित है।

गीतावाटिका

गोरखपुर-पिपराइच मार्ग पर रेलवे स्टेशन से 3 कि० मी० दूरी पर स्थित गीतावाटिका में राधा-कृष्ण का भव्य मनमोहक मन्दिर स्थित है।

रामगढ़ ताल

रेलवे स्टेशन से 3 कि० मी० पर 1700 एकड़ के विस्तृत भू-भाग मे रामगढ़ ताल स्थित है। यह पर्यटकों के लिए अत्यन्त आकर्षक केन्द्र है। यहां पर जल क्रीड़ा केन्द्र, बौद्ध संग्रहालय, तारा मण्डल, चम्पादेवी पार्क एवं अम्बेडकर उद्यान आदि दर्शनीय स्थल हैं।

इमामबाड़ा

गोरखपुर नगर के मध्य में रेलवे स्टेशन से 2 कि० मी० दूरी पर स्थित इस इमामबाड़ा का निर्माण हजरत बाबा रोशन अलीशाह की अनुमति से सन्‌ 1717 ई० में नवाब आसफुद्दौला ने करवाया। उसी समय से यहां पर दो बहुमूल्य ताजियां एक स्वर्ण और दूसरा चांदी का रखा हुआ है। यहां से मुहर्रम का जुलूस निकलता है।

प्राचीन शिव मन्दिर

गोरखपुर शहर से देवरिया मार्ग पर कूड़ाघाट बाज़ार के निकट शहर से 4 कि० मी० पर यह प्राचीन शिव स्थल रामगढ़ ताल के पूर्वी भाग में स्थित है।

मुन्शी प्रेमचन्द्र उद्यान

गोरखपुर नगर के मध्य में रेलवे स्टेशन से 3 किमी० की दूरी पर स्थित यह मनोरम उद्यान प्रख्यात साहित्यकार मुन्शी प्रेमचन्द्र के नाम पर बना है। इसमें प्रेमचन्द्र के साहित्य से सम्बन्धित एक विशाल पुस्तकालय निहित है तथा यह उन दिनों का द्योतक है जब मुन्शी प्रेमचन्द्र गोरखपुर में एक स्कूल टीचर थे।

सुर्यकुण्ड मन्दिर

गोरखपुर नगर के एक कोने में रेलवे स्टेशन से 4 कि० मी० दूरी पर स्थित ताल के मध्य में स्थित इस स्थान में के बारे में यह विख्यात है कि भगवान श्री राम ने यहाँ पर विश्राम किया था जो कि कालान्तर में भव्य सुर्यकुण्ड मन्दिर बना।


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