एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "१"।

चरण पहाड़ी, काम्यवन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:37, 5 अप्रैल 2016 का अवतरण (''''चरण पहाड़ी''' ब्रजमण्डल के प्रसिद्ध काम्यव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

चरण पहाड़ी ब्रजमण्डल के प्रसिद्ध काम्यवन में स्थित है। इस पहाड़ी का सम्बंध भगवान श्रीकृष्ण से बताया जाता है।

गोचारण करते समय कभी श्रीकृष्ण अपने सखाओं को खेलते हुए छोड़कर कुछ समय के लिए एकान्त में इस परम रमणीय स्थान पर गोपियों से मिले। वे उन ब्रज-रमणियों के साथ यहाँ पर लुका-छिपी की क्रीड़ा करने लगे। सब गोपियों ने अपनी-अपनी आँखें मूँद लीं और कृष्ण निकट ही पर्वत की एक कन्दरा में प्रवेश कर गये। सखियाँ चारों ओर खोजने लगीं, किन्तु कृष्ण को ढूँढ़ नहीं सकीं। वे बहुत ही चिन्तित हुई कि कृष्ण हमें छोड़कर कहाँ चले गये? वे कृष्ण का ध्यान करने लगीं, जहाँ पर वे बैठकर ध्यान कर रही थीं, वह स्थल 'ध्यान कुण्ड' है। जिस कन्दरा में कृष्ण छिपे थे, उसे 'लुकलुक कन्दरा' कहते हैं।

श्रीकृष्ण कन्दरा में प्रवेशकर पहाड़ी के ऊपर प्रकट हुए और वहीं से उन्होंने मधुर वंशीध्वनि की। वंशीध्वनि सुनकर सखियों का ध्यान टूट गया और उन्होंने पहाड़ी के ऊपर प्रियतम को वंशी बजाते हुए देखा। वे दौड़कर वहाँ पर पहुँची और बड़ी आतुरता के साथ कृष्ण से मिलीं। वंशीध्वनि से पर्वत पिघल जाने के कारण उसमें श्रीकृष्ण के चरण चिह्न उभर आये। आज भी वे चरण-चिह्न स्पष्ट रूप में दर्शनीय हैं। पास में उसी पहाड़ी पर जहाँ बछडे़ चर रहे थे और सखा खेल रहे थे, उसके पत्थर भी पिघल गये, जिस पर उन बछड़ों और सखाओं के चरण-चिह्न अंकित हो गये, जो पाँच हज़ार वर्ष बाद आज भी स्पष्ट रूप से दर्शनीय हैं। लुकलुकी कुण्ड में जलक्रीड़ा हुई थी। इसलिए इसे 'जलक्रीड़ा कुण्ड' भी कहते हैं।


इन्हें भी देखें: काम्यवन, ब्रज एवं मथुरा


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख