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[[उत्तर प्रदेश]] की राजधानी [[लखनऊ]] में सुल्तान गंज बांध और बनारसी बाग के बीच में एक आलीशान चौरुखा महल है। इस महल को आज '''बटलर पैलेस''' के नाम से जाना जाता है। इस इमारत का  नाम सन् [[1907]] में सी.ई डिप्टी कमिश्नर [[अवध]] बने [[सर हारकोर्ट बटलर]] के नाम पर है।  किन्हीं काएअणों से यह महल पूरी तरह निर्मित नहीं हो सका किंतु इसका वर्तमान स्वरूप देखकर ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यदि यह बना होता, तो इसकी भव्यता देखते ही बनती।
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[[उत्तर प्रदेश]] की राजधानी [[लखनऊ]] में सुल्तान गंज बांध और बनारसी बाग के बीच में एक आलीशान चौरुखा महल है। इस महल को आज '''बटलर पैलेस''' के नाम से जाना जाता है। इस इमारत का  नाम सन् [[1907]] में सी.ई डिप्टी कमिश्नर [[अवध]] बने [[सर हारकोर्ट बटलर]] के नाम पर है।  किन्हीं कारणों से यह महल पूरी तरह निर्मित नहीं हो सका किंतु इसका वर्तमान स्वरूप देखकर ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यदि यह बना होता, तो इसकी भव्यता देखते ही बनती।
 
==निर्माण==
 
==निर्माण==
 
इस महल का नक्‍शा 'लखनऊ काउंसिल चैंबर्स' की शानदार इमारत के प्रसिद्ध वास्तुकार सरदार हीरासिंह ने बनाया था। राजा महमूदाबाद के इस राज महल की नींव [[फरवरी]] [[सन् 1915]] में बटलर साहब ने रखी थी यही वजह है‌ कि इसका नाम भी उनसे जुड़ गया। सन् 1921 में इस महल का एक सिरा बनकर तैयार हुआ तो [[गोमती]] में आई बाढ़ ने उसे तहस-नहस कर दिया जिससे राजा साहब को अपना इरादा बदलना पड़ा और इसका चौथाई हिस्सा ही बन सका।  
 
इस महल का नक्‍शा 'लखनऊ काउंसिल चैंबर्स' की शानदार इमारत के प्रसिद्ध वास्तुकार सरदार हीरासिंह ने बनाया था। राजा महमूदाबाद के इस राज महल की नींव [[फरवरी]] [[सन् 1915]] में बटलर साहब ने रखी थी यही वजह है‌ कि इसका नाम भी उनसे जुड़ गया। सन् 1921 में इस महल का एक सिरा बनकर तैयार हुआ तो [[गोमती]] में आई बाढ़ ने उसे तहस-नहस कर दिया जिससे राजा साहब को अपना इरादा बदलना पड़ा और इसका चौथाई हिस्सा ही बन सका।  

12:42, 3 मार्च 2014 का अवतरण

बटलर पैलेस, लखनऊ

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सुल्तान गंज बांध और बनारसी बाग के बीच में एक आलीशान चौरुखा महल है। इस महल को आज बटलर पैलेस के नाम से जाना जाता है। इस इमारत का नाम सन् 1907 में सी.ई डिप्टी कमिश्नर अवध बने सर हारकोर्ट बटलर के नाम पर है। किन्हीं कारणों से यह महल पूरी तरह निर्मित नहीं हो सका किंतु इसका वर्तमान स्वरूप देखकर ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यदि यह बना होता, तो इसकी भव्यता देखते ही बनती।

निर्माण

इस महल का नक्‍शा 'लखनऊ काउंसिल चैंबर्स' की शानदार इमारत के प्रसिद्ध वास्तुकार सरदार हीरासिंह ने बनाया था। राजा महमूदाबाद के इस राज महल की नींव फरवरी सन् 1915 में बटलर साहब ने रखी थी यही वजह है‌ कि इसका नाम भी उनसे जुड़ गया। सन् 1921 में इस महल का एक सिरा बनकर तैयार हुआ तो गोमती में आई बाढ़ ने उसे तहस-नहस कर दिया जिससे राजा साहब को अपना इरादा बदलना पड़ा और इसका चौथाई हिस्सा ही बन सका।

स्थापत्य

इस शानदार चौपहली कोठी को चित्ताकर्षक बनावट और इसका प्रभावशाली स्‍थापत्य राजस्‍थानी ढंग का है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले काल में ये लखनऊ का प्रसिद्ध गेस्ट हाउस बना रहा। पंडित मोतीलाल नेहरू, सर तेज बहादुर सप्रू समेत पटना के अली इमाम साहब और महाराजा नेपाल इस महल में रहे हैं। बटलर पैलेस की शान आज भूला हुआ सपना बन चुकी है।

चार कोनों पर चार बुर्जियों से सजा ये जाली मेहराबों वाला राजसी भवन जब अपने शबाब पर था, तो अति सुंदर था। इसके सामने संगमरमर की खूबसूरत छतरियों और फव्वारों का हौज है। इस महल का प्रवेश द्वार भी लखनऊ के परंपरागत शाही दरवाजों का एक शानदार नमूना है।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

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