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[[चित्र:Bhojan-Thali-Kamyavan-Kama-2.jpg|thumb|200px|भोजन थाली, [[काम्यवन]]<br />Bhojan Thali, Kamyavan]]
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{{सूचना बक्सा पर्यटन
व्योमासुर गुफ़ा से थोड़ी दूर भोजन थाली है। श्री [[कृष्ण]] ने व्योमासुर का वधकर यहीं पर इस कुण्ड में सखाओं के साथ स्नान किया था उस कुण्ड को क्षीरसागर या कृष्ण कुण्ड कहते हैं। इस कुण्ड के ऊपर कृष्ण ने सब गोप सखाओं के साथ भोजन किया था। भोजन करने के स्थल में अभी भी पहाड़ी में थाल और कटोरी के चिह्न विद्यमान हैं। पास में ही श्रीकृष्ण के बैठने का सिंहासन स्थल भी विद्यमान है। भोजन करने के पश्चात कुछ ऊपर पहाड़ी पर सखाओं के साथ क्रीड़ा कौतुक का स्थल भी विद्यमान है। सखालोग एक शिला को वाद्ययन्त्र के रूप में व्यवहार करते थे । आज भी उस शिला को बजाने से नाना प्रकार के मधुर स्वर निकलते हैं, यह बाजन शिला के नाम से प्रसिद्ध है। पास में ही शान्तु की तपस्या स्थली शान्तनु कुण्ड है, जिसमें गुप्तगंगा नैमिषतीर्थ, हरिद्वार कुण्ड, अवन्तिका कुण्ड, मत्स्य कुण्ड, [[गोविन्द कुण्ड काम्यवन|गोविन्द कुण्ड]], नृसिंह कुण्ड और प्रह्लाद कुण्ड ये एकत्र विद्यमान हैं। भोजन स्थली की पहाड़ी पर श्री [[परशुराम]] जी की तपस्या स्थली है। यहाँ पर श्री परशुराम जी ने भगवद आराधना की थी।
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06:26, 27 जुलाई 2016 का अवतरण

भोजनथाली काम्यवन
भोजनथाली काम्यवन
विवरण काम्यवन में भगवान श्री कृष्ण के भोजन करने वाले स्थल पर अभी भी पहाड़ी में थाल और कटोरी के चिह्न विद्यमान हैं। यहाँ पास में ही श्रीकृष्ण के बैठने का सिंहासन स्थल भी विद्यमान है।
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला मथुरा
प्रसिद्धि हिन्दू धार्मिक स्थल
कब जाएँ कभी भी
यातायात बस, कार, ऑटो आदि
संबंधित लेख वृन्दावन, महावन, गोकुल, ब्रह्माण्ड घाट महावन, काम्यवन, बिहारवन, गोवर्धन, ब्रज, कृष्ण


अद्यतन‎

भोजनथाली व्योमासुर गुफ़ा से थोड़ी दूरी पर स्थित है। श्रीकृष्ण ने व्योमासुर का वधकर यहीं स्थित एक कुण्ड में सखाओं के साथ स्नान किया था। इस कुण्ड को 'क्षीरसागर' या 'कृष्ण कुण्ड' कहते हैं। इस कुण्ड के ऊपर कृष्ण ने सब गोप सखाओं के साथ भोजन किया था।

  • भोजन करने वाले स्थल पर अभी भी पहाड़ी में थाल और कटोरी के चिह्न विद्यमान हैं। यहाँ पास में ही श्रीकृष्ण के बैठने का सिंहासन स्थल भी विद्यमान है। भोजन करने के पश्चात कुछ ऊपर पहाड़ी पर सखाओं के साथ क्रीड़ा कौतुक का स्थल भी विद्यमान है।
  • सखा लोग एक शिला का वाद्य यन्त्र के रूप में व्यवहार करते थे। आज भी उस शिला को बजाने से नाना प्रकार के मधुर स्वर निकलते हैं, यह 'बाजन शिला' के नाम से प्रसिद्ध है।
  • पास में ही शान्तु की तपस्या स्थली शान्तनु कुण्ड है, जिसमें गुप्तगंगा नैमिषतीर्थ, हरिद्वार कुण्ड, अवन्तिका कुण्ड, मत्स्य कुण्ड, गोविन्द कुण्ड, नृसिंह कुण्ड और प्रह्लाद कुण्ड ये एकत्र विद्यमान हैं।
  • भोजन स्थली की पहाड़ी पर परशुराम की तपस्या स्थली है। यहाँ पर परशुराम ने भगवद आराधना की थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख