"लाल पुल लखनऊ" के अवतरणों में अंतर
कात्या सिंह (चर्चा | योगदान) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{सूचना बक्सा ऐतिहासिक इमारत | |
+ | |चित्र=Lal pul-1.jpg | ||
+ | |चित्र का नाम=लाल पुल | ||
+ | |विवरण=लाल पुल जिसे ‘पक्का पुल’ के नाम से भी जाना जाता है सन् [[1914]] में बनकर तैयार हुआ था। | ||
+ | |राज्य=[[उत्तर प्रदेश]] | ||
+ | |नगर=[[लखनऊ]] | ||
+ | |निर्माता= [[आसफ़उद्दौला]] | ||
+ | |स्वामित्व= | ||
+ | |प्रबंधक= | ||
+ | |निर्माण= | ||
+ | |वास्तुकार= | ||
+ | |वास्तु शैली= | ||
+ | |पुन: निर्माण=[[10 जनवरी]], [[1914]] | ||
+ | |स्थापना= | ||
+ | |पुन: स्थापना= | ||
+ | |भौगोलिक स्थिति= | ||
+ | |मार्ग स्थिति=अमौसी हवाई अड्डे से कानपुर रोड द्वारा लगभग 16 किमी की दूरी पर है। | ||
+ | |प्रसिद्धि= | ||
+ | |एस.टी.डी. कोड= | ||
+ | |मानचित्र लिंक=[https://maps.google.co.in/maps?saddr=Lal+Bridge,+Machchhi+Bhavan,+Lucknow,+Uttar+Pradesh&daddr=Lucknow+Airport,+Amausi,+Lucknow,+Uttar+Pradesh&hl=en&ll=26.854705,80.916367&spn=0.17704,0.338173&sll=26.852101,80.929241&sspn=0.088522,0.169086&geocode=FcoQmgEdUrDSBCl5EPLF8_2bOTE7vl5qqeC3vw%3BFVRjmAEd5TLSBCE1Zsd0DoVd0imfdpO7TvmbOTE1Zsd0DoVd0g&oq=lucknow+air&mra=ls&t=m&z=12&iwloc=ddw0 गूगल मानचित्र] | ||
+ | |संबंधित लेख= | ||
+ | |शीर्षक 1= | ||
+ | |पाठ 1= | ||
+ | |शीर्षक 2= | ||
+ | |पाठ 2= | ||
+ | |अन्य जानकारी=[[आसफ़उद्दौला]] द्वारा निर्मित पुराने शाही पुल को 1911 में कमज़ोर बता कर तोड़ दिये जाने के बाद [[अंग्रेज]] अधिकारियों ने 10 जनवरी 1914 यह पुल बनाकर लखनऊ की जनता को सौंपा था। | ||
+ | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
+ | |अद्यतन= | ||
+ | }} | ||
[[उत्तर प्रदेश]] के [[लखनऊ]] शहर का लाल पुल जिसे ‘पक्का पुल’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पुल [[10 जनवरी]] [[1914]] को बनकर तैयार हुआ था। इस पुल को बने 100 [[साल]] हो गये हैं। | [[उत्तर प्रदेश]] के [[लखनऊ]] शहर का लाल पुल जिसे ‘पक्का पुल’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पुल [[10 जनवरी]] [[1914]] को बनकर तैयार हुआ था। इस पुल को बने 100 [[साल]] हो गये हैं। | ||
==निर्माण== | ==निर्माण== | ||
− | [[अवध के नवाब]] | + | [[अवध के नवाब]] [[आसफ़उद्दौला]] द्वारा निर्मित पुराने शाही पुल को 1911 में कमज़ोर बता कर तोड़ दिये जाने के बाद [[अंग्रेज]] अधिकारियों ने 10 जनवरी 1914 यह पुल बनाकर लखनऊ की जनता को सौंपा था। |
==स्थापत्य== | ==स्थापत्य== | ||
उस समय का सबसे विशाल पुल माने जाने वाले पुल से [[गोमती नदी]] का अवलोकन करने के लिए भी लार्ड हडिंग ने इंतजाम किए थे। अधिकारियों और इंजीनियरों ने यहां पुल के दोनों ओर 6-6 नक्काशीदार अटारियां (बालकनी) भी बनवाई थीं। पुल के दोनों ओर लगभग 10 मीटर ऊंचाई के भारी भरकम कलात्मक स्तंभ भी बनवाए। इतिहासकार डॉ. योगेश प्रवीण का कहना है कि अंग्रेजों की यह कृति इस मायने में भी ख़ास है कि आज भी इसकी बनावट बेजोड़ है। ये कलात्मक रूप से मजबूत है। | उस समय का सबसे विशाल पुल माने जाने वाले पुल से [[गोमती नदी]] का अवलोकन करने के लिए भी लार्ड हडिंग ने इंतजाम किए थे। अधिकारियों और इंजीनियरों ने यहां पुल के दोनों ओर 6-6 नक्काशीदार अटारियां (बालकनी) भी बनवाई थीं। पुल के दोनों ओर लगभग 10 मीटर ऊंचाई के भारी भरकम कलात्मक स्तंभ भी बनवाए। इतिहासकार डॉ. योगेश प्रवीण का कहना है कि अंग्रेजों की यह कृति इस मायने में भी ख़ास है कि आज भी इसकी बनावट बेजोड़ है। ये कलात्मक रूप से मजबूत है। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
− | डॉ. यागेश प्रवीण का कहना है कि पक्के पुल के स्थान पर पहले पत्थर का बना पुल था, जिसे '''शाही पुल''' कहा जाता था। इसे शाही पुल इसलिए कहा जाता था क्योंकि इस पुल पर से पार जाने का टोल टैक्स नवाब आसिफुद्दौला की बेगम शमशुन निशां लेती थीं। [[1857 का स्वतंत्रता संग्राम|1857 के गदर]] के बाद जब [[ | + | डॉ. यागेश प्रवीण का कहना है कि पक्के पुल के स्थान पर पहले पत्थर का बना पुल था, जिसे '''शाही पुल''' कहा जाता था। इसे शाही पुल इसलिए कहा जाता था क्योंकि इस पुल पर से पार जाने का टोल टैक्स नवाब आसिफुद्दौला की बेगम शमशुन निशां लेती थीं। [[1857 का स्वतंत्रता संग्राम|1857 के गदर]] के बाद जब [[अंग्रेज़|अंग्रेजों]] ने [[अवध]] संभाला तो उन्होंने पुल को कमज़ोर करार दे दिया, क्योंकि उनका मानना था कि सेना, तोपों के आने-जाने के बाद से ये कमज़ोर हो गया है। तब अंग्रेजों ने इसे तोड़ने का फैसला किया। पुराना पुल 1911 में तोड़ा गया और उसी के साथ नए पुल की आधारशिला रखी गई। लार्ड हडिंग ने इसका 10 जनवरी 1914 को उद्घाटन किया। इसे चूंकि [[लाल रंग]] से रंगा पोता गया था, इसलिए इसे '''लाल पुल या पक्का पुल''' के नाम से भी जाना जाता है।[[चित्र:Lal pul.JPG|thumb|left|लाल पुल, [[लखनऊ]]]] |
==आधुनिक निर्माण== | ==आधुनिक निर्माण== | ||
− | पी.डब्ल्यू.डी. की ओर से बनाए गए इस ऐतिहासिक पक्के पुल के कॉन्ट्रैक्टर गुरप्रसाद थे। पुल के निर्माण में कई | + | पी.डब्ल्यू.डी. की ओर से बनाए गए इस ऐतिहासिक पक्के पुल के कॉन्ट्रैक्टर गुरप्रसाद थे। पुल के निर्माण में कई अंग्रेज़ अधिकारियों की टीम भी लगी हुई थी। एच.एस. विब्लुड और आर.जे. पावेल दोनों इंजीनियर, मेजर एस.डी.ए. क्रुकशैंक, ए.सी. वैरियर्स और कैप्टन जे.ए. ग्रीम तीनों एग्ज़ीक्यूटिव इंजीनियर रहे। जबकि सी.एफ. हंटर और एस.सी. एडगर्ब पुल निर्माण के समय असिस्टेंट इंजीनियर थे। अवध के नवाब वज़ीर आसफ़उद्दौला के समय में बनाए गए पुराने शाही पुल के स्थान पर इस पुल को बनाया गया। |
− | + | ==सिनेमा में योगदान== | |
− | == | + | [[लखनऊ]] में शूट होने वाली फिल्मों में पक्का पुल खूब दिखता है। सनी देओल अभिनीत गदर एक प्रेम कथा में तो बकायदा एक चेज सीन तक इस पर फिल्माया गया है। इसके अलावा हाल ही में शहर में शूट हुई यशराज बैनर की फिल्म दावत-ए-इश्क में भी कई सीन इसके आसपास फिल्माए गए। कई फिल्मों और टीवी धारावाहिकों में लखनऊ की पहचान दिखाते स्थलों में [[रूमी दरवाज़ा लखनऊ|रूमी दरवाजे]], [[घंटाघर लखनऊ|घंटाघर]] के बाद इसी पुल का दिग्दर्शन होता है। |
− | [[लखनऊ]] में शूट होने वाली फिल्मों में पक्का पुल खूब दिखता है। सनी देओल | ||
− | {{लेख प्रगति|आधार= | + | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
− | |||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
− | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
− | {{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल | + | {{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल}} |
[[Category:उत्तर प्रदेश]] | [[Category:उत्तर प्रदेश]] | ||
− | [[Category: | + | [[Category:उत्तर_प्रदेश_के_पर्यटन स्थल]] |
[[Category:उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक नगर]] | [[Category:उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक नगर]] | ||
[[Category:लखनऊ]] | [[Category:लखनऊ]] | ||
− | [[Category: | + | [[Category:पर्यटन कोश]] |
− | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
11:30, 4 मार्च 2014 का अवतरण
लाल पुल लखनऊ
| |
विवरण | लाल पुल जिसे ‘पक्का पुल’ के नाम से भी जाना जाता है सन् 1914 में बनकर तैयार हुआ था। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
नगर | लखनऊ |
निर्माता | आसफ़उद्दौला |
पुन: निर्माण | 10 जनवरी, 1914 |
मार्ग स्थिति | अमौसी हवाई अड्डे से कानपुर रोड द्वारा लगभग 16 किमी की दूरी पर है। |
गूगल मानचित्र | |
अन्य जानकारी | आसफ़उद्दौला द्वारा निर्मित पुराने शाही पुल को 1911 में कमज़ोर बता कर तोड़ दिये जाने के बाद अंग्रेज अधिकारियों ने 10 जनवरी 1914 यह पुल बनाकर लखनऊ की जनता को सौंपा था। |
उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर का लाल पुल जिसे ‘पक्का पुल’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पुल 10 जनवरी 1914 को बनकर तैयार हुआ था। इस पुल को बने 100 साल हो गये हैं।
निर्माण
अवध के नवाब आसफ़उद्दौला द्वारा निर्मित पुराने शाही पुल को 1911 में कमज़ोर बता कर तोड़ दिये जाने के बाद अंग्रेज अधिकारियों ने 10 जनवरी 1914 यह पुल बनाकर लखनऊ की जनता को सौंपा था।
स्थापत्य
उस समय का सबसे विशाल पुल माने जाने वाले पुल से गोमती नदी का अवलोकन करने के लिए भी लार्ड हडिंग ने इंतजाम किए थे। अधिकारियों और इंजीनियरों ने यहां पुल के दोनों ओर 6-6 नक्काशीदार अटारियां (बालकनी) भी बनवाई थीं। पुल के दोनों ओर लगभग 10 मीटर ऊंचाई के भारी भरकम कलात्मक स्तंभ भी बनवाए। इतिहासकार डॉ. योगेश प्रवीण का कहना है कि अंग्रेजों की यह कृति इस मायने में भी ख़ास है कि आज भी इसकी बनावट बेजोड़ है। ये कलात्मक रूप से मजबूत है।
इतिहास
डॉ. यागेश प्रवीण का कहना है कि पक्के पुल के स्थान पर पहले पत्थर का बना पुल था, जिसे शाही पुल कहा जाता था। इसे शाही पुल इसलिए कहा जाता था क्योंकि इस पुल पर से पार जाने का टोल टैक्स नवाब आसिफुद्दौला की बेगम शमशुन निशां लेती थीं। 1857 के गदर के बाद जब अंग्रेजों ने अवध संभाला तो उन्होंने पुल को कमज़ोर करार दे दिया, क्योंकि उनका मानना था कि सेना, तोपों के आने-जाने के बाद से ये कमज़ोर हो गया है। तब अंग्रेजों ने इसे तोड़ने का फैसला किया। पुराना पुल 1911 में तोड़ा गया और उसी के साथ नए पुल की आधारशिला रखी गई। लार्ड हडिंग ने इसका 10 जनवरी 1914 को उद्घाटन किया। इसे चूंकि लाल रंग से रंगा पोता गया था, इसलिए इसे लाल पुल या पक्का पुल के नाम से भी जाना जाता है।
आधुनिक निर्माण
पी.डब्ल्यू.डी. की ओर से बनाए गए इस ऐतिहासिक पक्के पुल के कॉन्ट्रैक्टर गुरप्रसाद थे। पुल के निर्माण में कई अंग्रेज़ अधिकारियों की टीम भी लगी हुई थी। एच.एस. विब्लुड और आर.जे. पावेल दोनों इंजीनियर, मेजर एस.डी.ए. क्रुकशैंक, ए.सी. वैरियर्स और कैप्टन जे.ए. ग्रीम तीनों एग्ज़ीक्यूटिव इंजीनियर रहे। जबकि सी.एफ. हंटर और एस.सी. एडगर्ब पुल निर्माण के समय असिस्टेंट इंजीनियर थे। अवध के नवाब वज़ीर आसफ़उद्दौला के समय में बनाए गए पुराने शाही पुल के स्थान पर इस पुल को बनाया गया।
सिनेमा में योगदान
लखनऊ में शूट होने वाली फिल्मों में पक्का पुल खूब दिखता है। सनी देओल अभिनीत गदर एक प्रेम कथा में तो बकायदा एक चेज सीन तक इस पर फिल्माया गया है। इसके अलावा हाल ही में शहर में शूट हुई यशराज बैनर की फिल्म दावत-ए-इश्क में भी कई सीन इसके आसपास फिल्माए गए। कई फिल्मों और टीवी धारावाहिकों में लखनऊ की पहचान दिखाते स्थलों में रूमी दरवाजे, घंटाघर के बाद इसी पुल का दिग्दर्शन होता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख