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06:08, 1 अगस्त 2010 का अवतरण
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मथुरा शहर के चारों ओर एक दीवार होने का प्रमाण मिलता है जिसका ज़िक्र एफ़ एस ग्राउज़ ने भी किया है। चारों दिशाओं में भव्य दरवाज़े भी थे, जिनके नाम थे।
- वृन्दावन दरवाज़ा
- डीग दरवाज़ा
- भरतपुर दरवाज़ा
- होली दरवाज़ा
वृन्दावन, डीग,भरतपुर दरवाज़ा तो केवल नाम ही शेष हैं। अग्रेज़ी शासन में मथुरा के ज़िलाधिकारी ब्रॅड फ़ोर्ड हार्डिंग के सम्मान में होली दरवाज़ा दोबारा सुधरवाया और बनवाया गया। नगर पालिका के एक योग्य इंजीनियर यूसुफ़ ने इसका मौजूदा नक़्शा तैयार किया। जो बेहतरी सूजबूझ दर्शाता है। हार्डिंग के सम्मान में इसका नाम हार्डिंग गेट रखा गया। किन्तु इसको पहले सिटी गेट और बाद में होली दरवाज़ा नाम से ही पुकारा गया। इसके ऊपर क्युपोला (cupola) बनाया गया।(क्युपोला एक इमारतों के शीर्ष पर बनने वाले छतरी नुमा ग़ुम्मद को कहते हैं)। ऊपर चार कियोस्क (kiosques / Kiosk) बनाये गए हैं ('कियोस्क' हवादार छतरी, बरसाती जैसे निर्माण को कहते हैं यह गोल भी हो सकता है और षटकोणीय या पंच कोणीय भी।)। इन अतिरिक्त निर्माणों में रु 3493 का ख़र्च आया था। सन 1875 में दो दुकानों सहित कुल ख़र्च रु 13731 आया।