बहराइच

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घंटाघर, बहराइच

बहराइच उत्तरी भारत के पूर्व-मध्य उत्तर प्रदेश का एक नगर और ज़िला है। यह नेपाल के नेपालगंज व लखनऊ के बीच रेलमार्ग पर स्थित है।

इतिहास

स्थानीय जनश्रुति के अनुसार बहराइच शब्द को 'ब्रह्मराइच' का अपभ्रंश माना जाता है। ऐतिहासिक पंरपरा के अनुसार इस स्थान पर, जहाँ आजकल सईद सालार मसूद की दरगाह है, प्राचीन काल में सूर्य मंदिर था। कहा जाता है कि इस मंदिर को रुदौली की अंधी कुमारी जौहरा बीवी ने बनवाया था। दरगाह के अहाते को बनवाले वाला दिल्ली का तुग़लक़ सुल्तान फ़िरोजशाह बताया जाता है।

पौराणिक उल्लेख

अत्यंत घने जंगल और तेज बहती नादियाँ बहराइच ज़िले की प्रमुख विशेषता है। यह स्थान ऐतिहासिक दृष्टि से काफ़ी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। बहराइच भगवान ब्रह्मा की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध है। पहले यह गंधर्व जंगल का एक भाग हुआ करता था। ऐसा माना जाता है कि इस क्षेत्र को ब्रह्मा जी ने विकसित किया था। यहाँ पर ऋषि और साधु-संत पूजा एवं तपस्या किया करते थे। इसी कारण इस स्थान को बहराइच के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त यह भी माना जाता है कि मध्य युग में यह स्थान भार वंश की राजधानी थी। इस कारण भी इसे बहराइच कहा जाता है। पुराणों के अनुसार श्रीराम के पुत्र लव और राजा प्रसेन्जित ने बहराइच पर शासन किया था।

व्यापार

बहराइच नेपाल के साथ होने वाले व्यापार जिनमें कृषि उत्पाद और इमारती लकड़ी प्रमुख है, का केंद्र है। यहाँ चीनी मिलें भी हैं।

कृषि

इसके आसपास के कृषि प्रदेश में धान, मक्का, गेहूँ और चना (सफ़ेद चना) उगाया जाता है।

जनसंख्या

2001 की जनगणना के अनुसार बहराइच नगर की जनसंख्या 161376 है और ज़िले की कुल जनसंख्या 23,84,2439 है।

दर्शनीय स्थल

हिन्दू-मुस्लिम यहाँ सैयद सलार ससूद के मक़बरे पर आते हैं, जो एक अफ़गानी योद्धा और पीर थे। उनकी मृत्यु यहीं 1033 में हुई थी। बहराइच के पश्चिम में एक बौद्ध विहार के अवशेष हैं। दरगाह शरीफ़, चित्तूर झील, जंगली नाथ मंदिर, सीता दोहर झील, कैलाशपुरी बांध और कतरनी अभ्यारण यहाँ के प्रमुख पयर्टन स्थलों में से हैं।


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