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− | '''कैप्टन नीकेझाकू केनगुरुसे''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Captain Neikezhakuo Kenguruse'', जन्म- [[15 जुलाई]], [[1974]]; मृत्यु- [[28 जून]], [[1999]]) [[भारतीय सेना]] में सैन्य अधिकारी थे जो [[नागालैंड]] से थे। उन्हें मरणोपरांत वर्ष [[1999]] में [[कारगिल युद्ध]] में ऑपरेशन के दौरान युद्ध में अनुकरणीय वीरता के लिए [[भारत]] के दूसरे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार '[[महावीर चक्र]]' से सम्मानित किया गया था। | + | {{सूचना बक्सा सैनिक |
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*कैप्टन नीकेझाकू ने करगिल युद्ध के दौरान तोलोलिंग को पाकिस्तानियों से मुक्त कराने के लिए भेजी गई टुकड़ी का नेतृत्व किया था। | *कैप्टन नीकेझाकू ने करगिल युद्ध के दौरान तोलोलिंग को पाकिस्तानियों से मुक्त कराने के लिए भेजी गई टुकड़ी का नेतृत्व किया था। |
10:47, 25 अक्टूबर 2022 का अवतरण
कैप्टन नीकेझाकू
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पूरा नाम | कैप्टन नीकेझाकू केनगुरुसे |
जन्म | 15 जुलाई, 1974 |
जन्म भूमि | नागालैंड |
बलिदान | 28 जून, 1999 |
मृत्यु | ब्लेक रॉक, कारगिल, जम्मू और कश्मीर |
अभिभावक | पिता- नीसेली केंगुरीज |
बटालियन | 2 राजपूताना राइफल्स |
रैंक | कैप्टन |
सेवा काल | 1998–1999 |
युद्ध | कारगिल युद्ध, ऑपरेशन विजय |
सम्मान | महावीर चक्र |
नागरिकता | भारतीय |
सेवा नं. | IC-58396 |
अद्यतन | 16:17, 25 अक्टूबर 2022 (IST)
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कैप्टन नीकेझाकू केनगुरुसे (अंग्रेज़ी: Captain Neikezhakuo Kenguruse, जन्म- 15 जुलाई, 1974; मृत्यु- 28 जून, 1999) भारतीय सेना में सैन्य अधिकारी थे जो नागालैंड से थे। उन्हें मरणोपरांत वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध में ऑपरेशन के दौरान युद्ध में अनुकरणीय वीरता के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार 'महावीर चक्र' से सम्मानित किया गया था।
- कैप्टन नीकेझाकू ने करगिल युद्ध के दौरान तोलोलिंग को पाकिस्तानियों से मुक्त कराने के लिए भेजी गई टुकड़ी का नेतृत्व किया था।
- सेना अधिकारी कैप्टन नीकेझाकू और उनकी टुकड़ी ने पांच दिन तक चली भीषण लड़ाई में पाकिस्तानी सैनिकों को परास्त कर तोलोलिंग रिजलाइन पर तिरंगा झंडा फहरा दिया था, लेकिन 18 जून 1999 को हुई मोर्टार गोलाबारी में उनकी जान चली गई।
- नागालैण्ड की राजधानी कोहिमा निवासी कैप्टन नीकेझाकू को 'महावीर चक्र' से सम्मानित किया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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