खटिकही नाच
- साग-सब्जी बेचने, सूअर पालने का काम करने वाली खटीक जाती अपने आनंद आल्हाद के लिए विवाह, गवना, पूजा, पालकी के अवसरों पर झंडा लेकर जुलूस निकालकर पालकी में दूल्हे को बिठाकर तेज चलते हुए बीच-बीच में रुक-रुक कर, कभी नीचे स्वर में और कभी ऊंचे स्वर में आवाज़ निकालते हुए इस नृत्य को करती है। छड़, थाली, ढोल, झाल के समवेत स्वर से आकाश गूँज उठता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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