थुलाल नृत्य
थुलाल नृत्य केरल के प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। यह एकल नृत्य है, जिसके तीन प्रकार हैं। इस नृत्य के उद्भव का श्रेय केरल के प्रसिद्ध कवियों में से एक 'कंचन नांबियार' को दिया जाता है। हालांकि 'नाट्यशास्त्र' के शास्त्रीय सिद्धांतों पर आधारित इस कला की तकनीक कठोर नहीं है। नृत्य के गीत सरल व सरस मलयालम भाषा में लिखे होते हैं। इन मुखर गीतों में हास्य का पुट होता है। प्रस्तुती भी सरल होती है और थुलाल में जीवन के हर दिन से सीधा संबंध इसे लोकप्रिय बनाता है। थुलाल में उपयोग होने वाले वाद्य यंत्र 'मद्दलम' और 'झांझ' हैं। झांझ बजाने वाले की धुन कलाकार नर्तकी (थुलाकरन) को गाने में सहायता करती है।
नृत्य की शुरुआत
झांझ बजाने वाला पहले मंगलाचरण गीत गाता है और तब नर्तकी सभी का अभिवादन करती है। इसके बाद वह पीठ की तरफ़ से शारीरिक गतिविधियों के साथ दर्शकों के सामने प्रस्तुत होती है। फिर धीरे धीरे दर्शकों के सामने आती है और पूरा नृत्य आरंभ होता है। पहले वह एक कविता गाती है फिर संगीत देने वाले उसे दोहराते हैं। वह गीत के भाव चेहरे पर लाती है, हाथों के इशारों से और शारीरिक मुद्राओं से उसका चित्रण कर उसे अर्थ देती है। थुलाल में इस नृत्य को काफ़ी महत्व दिया जाता है। शुरुआत से अंत तक इस नृत्य में विविधता का आभाव है। इस एक रसता की क्षतिपूर्ति के लिए कभी-कभी नर्तकी जोरदार कदमों की थाप और तालबद्ध शारीरिक भंगिमाओं से तोड़ने का काम करती है।[1]
प्रकार
थुलाल नृत्य के सभी प्रकारों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है। ये तीनों प्रकार विभिन्न प्रकार की भेष-भूषा, नृत्य और थुलाल गीतों के लय पर आधारित हैं-
- ओट्टन
- सीथंकन
- परायन
ओट्टन
थुलाल नृत्यों में 'ओट्टन थुलाल' सबसे अधिक तथा लोकप्रिय नृत्य है। इसकी पोशाक सबसे अजीब और प्रभावशाली होती है। सफ़ेद रंग और लाल रंग का लंबा टेप कमर से बंधा होता है और घुटने की लंबाई तक का घाघरा रहता है। छाती पर विभिन्न रंगों के गहनों के साथ कांच और मोती से सजाया जाता है, जो अत्यधिक चमकीला होता है। कलाई में पेंट किए हुए लकड़ी के भी गहने पहने जाते हैं। पैरों में छोटे-छोट घुंघरू बंधे होते हैं। होंठों को लाल रंग से, आंखों को काले रंग से रंगा जाता है। सिर पर रंगीन पोशाक सजाई जाती है। ओट्टम थुलाल गीतों के लय और ताल बहुत तेज होते हैं और नृत्य की गति भी काफ़ी तीव्र होती है।
सीथंकन
सीथंकन थुलाल में थुलाल गीतों की लय और ताल ओट्टम की तुलना में थोड़ी धीमी होती है और फलस्वरूप इसके नृत्य की गति भी धीमी होती है। नर्तकी ओट्टन थुलाल की तरह ही घाघरे का उपयोग करती हैं, लेकिन बांह, कलाई और सिर नारियल के लंबे पत्तों से सजे होते हैं। आंखों को काला करने के अलावा चेहरे पर कोई और सजावट नहीं की जाती है।
परायन
इसकी गति धीमी होती है। इसमें नर्तकी का रुख़भी अन्य दो से अलग होता है। यहां नर्तकी लगभग खड़ी होकर इशारों में गाने का अर्थ बताती है। इसमें नृत्य और गति बहुत कम रहती है। पोशाक भी अलग रहती है। कमर के आसपास लाल फूलों जैसा कपड़ा पहना जाता है। सिर पर काले कपड़े का मुकुट होता है। गले में हार पहनते हैं जो छाती तक आता है। चेहरे को हल्के पीले रंग से रंगा जाता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 कला और संस्कृति (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 24 जुलाई, 2012।
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