भुंजिया छत्तीसगढ़ में पाई जाने वाली एक जनजाति है। यह ऐसी आदिवासी जनजाति है, जिसके बनाये मंदिरों में ब्राह्मणों तक का प्रवेश वर्जित है।
अनूठी परंपरा
छत्तीसगढ़ के वनांचल में रहने वाले कमार भुंजिया जनजातियों की एक अनूठी परंपरा आज भी कायम है। इसमें वे अपने आवास के भीतर एक विशेष प्रकार की झोपड़ी बनाते है। इस झोपड़ी को वे 'लाल बंगला' कहते हैं। बंगले को यदि कोई दूसरी जाति का व्यक्ति छू दे तो बंगले को वे आग के हवाले कर देते है और नया लाल बंगला बनने तक अन्न, जल ग्रहण नहीं करते। यह लाल बंगला उनकी इष्ट देवी और देवता का निवास होता है, जिसे किसी अन्य व्यक्ति को नहीं छूने दिया जाता।[1]
लाल बंगले को जलाने के बाद छूने वाले व्यक्ति द्वारा लाल बंगले का निर्माण कराया जाता है। यदि वह तैयार नहीं होता तो भुंजिया स्वयं इसे तैयार करते हैं। जब तक बंगला दोबारा नहीं बन जाता, तब तक उनके परिवार का खाना-पीना बंद रहता है। वे लोग लाल बंगला में देवी-देवताओं को बिठाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। पूर्वजों की परंपरा के अनुसार कमार भुंजियों की बेटियों के विवाह के बाद उनका लाल बंगले में प्रवेश निषेध है। विवाह के बाद जब वह मायके आती है, तब उसका विशेष ख्याल रखती है। किसी कमार भुंजिया की शादी ब्याह पर बेटी लाल बंगले में नहीं जाती। वे इस परंपरा का निर्वाह जीवन भर करेंगे। साथ ही उनकी आने वाली पीढ़ी भी इस परंपरा को निभाएगी। परिवार में किसी भी महिला को माहवारी आने पर वह बंगले को किसी प्रकार छू नहीं सकती। उस लाल बंगले के सामने अलग से बने हुए एक मकान में वे गुजारा करते है।
जल का उपयोग
भुंजिया परिवार के लोग अपने निजी उपयोग में पीने अथवा उपयोग किए जाने वाले पानी को नहर या नदियों या फिर कछार में छरिया बनाकर पानी निकालकर पानी उपयोग में लाते है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कमार का लाल बंगला जहाँ ब्राह्मणों का प्रवेश वर्जि है (हिन्दी) द सिविलियन। अभिगमन तिथि: 18 फरवरी, 2015।
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