मेइतेई एक जाति, जो पूर्वोत्तर भारत में मणिपुर राज्य में निवास करती है। राज्य में इनकी बहुसंख्यक आबादी है। इन्हें 'मणिपुरी' भी कहा जाता है। इनकी अर्थव्यवस्था का आधार सिंचित खेतों में धान की कृषि है। मेइतेई रीति-रिवाजों के मिश्रण से बड़ी कट्टरता से दूर रहते हैं और गाय को पूजनीय मानते हैं।
- मणिपुर का अधिकांश क्षेत्र कभी पूरी तरह उन लोगों से बसा हुआ था, जो नागा और मिज़ो पर्वतीय जाति से मिलते-जुलते थे। परस्पर विवाह संबंधों और अपने राजनीतिक वर्चस्व के कारण धीरे-धीरे अन्य प्रभावशाली जातियों के इनके साथ विलीन होते जाने से मेइतेई जाति बनी, जिसकी आबादी अब लगभग 7,80,000 है।[1]
- मेइतेई लोग ऐसे कुलों में बंटे हुए हैं, जिनमें परस्पर विवाह संबंध नहीं होते हैं।
- वंशागत रूप से मंगोल नस्ल के होने और तिब्बती-बर्मी भाषा बोलने के बावजूद हिन्दू परंपराओं का पालन करने के कारण मेइतेई आसपास की पहाड़ी जातियों से भिन्न हैं।
- हिन्दू धर्म में परिवर्तित होने के पूर्व वे मांसाहार करते थे, पशुबलि और नरबलि भी देते थे, लेकिन अब वे मांसाहार[2] और मदिरा पान से परहेज़ करते हैं।
- मेइतेई रीति-रिवाजों के मिश्रण से बड़ी कट्टरता से दूर रहते हैं और गाय को पूजनीय मानते हैं।
- ये लोग उच्च वर्ण का होने का दावा करते हैं। हिन्दू देवी-देवताओं, ख़ाततौर से कृष्ण के उपासक होने के अलावा, वे हिन्दू बनने से पूर्व के अपने पंथ विशेष के देवी-देवताओं और भूत-प्रेतों की पूजा भी करते हैं।
- इनकी अर्थव्यवस्था का आधार सिंचित खेतों में धान की कृषि है। वे अश्वपालन में निपुण हैं।
- पोलो इन लोगों का राजकीय खेल है। हॉकी, नौका दौड़, नाटक और भारत भर में मशहूर मणिपुरी नृत्य इनके मनोरंजन के अन्य साधन हैं।
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