कैलाश शर्मा जी की 'श्रीमद्भगवद्गीता' (भाव पद्यानुवाद)’ पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। ब्लॉग लेखन के अतिरिक्त विभिन्न पत्र/पत्रिकाओं, काव्य-संग्रहों में भी इनकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।
मनवा न लागत है तुम बिन.
जब से श्याम गए हो बृज से, तड़पत है हिय निस दिन.
सूना लागत बंसीवट का तट, न लागत मन तुम बिन.
पीत कपोल भये हैं कारे, अश्रु बहें नयनन से निस दिन.
अटके प्रान गले में अब तक, आस दरस की निस दिन.
वृंदा सूख गयी है वन में, यमुना तट उदास है तुम बिन.