रस्म-ए-उल्फ़त सिखा गया कोई दिल की दुनिया पे छा गया कोई। ता कयामत किसी तरह न बुझे आग ऐसी लगा गया कोई। दिल की दुनिया उजाड़ सी क्यूँ है क्या यहाँ से चला गया कोई। वक्त-ए-रुखसत गले लगा कर ‘दाग़’ हंसते हंसते रुला गया कोई।