रू-ए- अनवर नहीं देखा जाता -दाग़ देहलवी

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रू-ए- अनवर नहीं देखा जाता -दाग़ देहलवी
दाग़ देहलवी
दाग़ देहलवी
कवि दाग़ देहलवी
जन्म 25 मई, 1831
जन्म स्थान दिल्ली
मृत्यु 1905
मृत्यु स्थान हैदराबाद
मुख्य रचनाएँ 'गुलजारे दाग़', 'महताबे दाग़', 'आफ़ताबे दाग़', 'यादगारे दाग़', 'यादगारे दाग़- भाग-2'
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
दाग़ देहलवी की रचनाएँ

रू-ए- अनवर[1] नहीं देखा जाता
देखें क्योंकर नहीं देखा जाता।

    रश्के-दुश्मन[2] भी गवारा[3] लेकिन
    तुझको मुज़्तर[4] नहीं देखा जाता।

दिल में क्या ख़ाक उसे देख सके
जिसको बाहर नहीं देखा जाता।

    तौबा के बाद भी ख़ाली-ख़ाली
    कोई साग़र[5] नहीं देखा जाता।

क्या शबे-वादा हुआ हूँ बेख़ुद[6]
जानिबे-दर[7] नहीं देखा जाता।

    मुख़्तसर[8] ये है अब कि ‘दाग़’ का हाल
    बन्दापरवर नहीं देखा जाता।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. दमकता हुआ चेहरा
  2. शत्रु की ईर्ष्या
  3. स्वीकार
  4. परेशान
  5. जाम
  6. बेसुध
  7. दरवाज़े की ओर
  8. संक्षेप में

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