शाज़िलिया मुस्लिम सूफ़ियों की विस्तृत बिरादरी है, जो अबू अल हसन अश-शाज़िली (मृत्यु-1258) के उपदेशों के आधार पर एलेक्ज़ेड्रिया में बनी थी।[1]
- इस बिरादरी की शिक्षाओं में पांच बिंदुओं पर ज़ोर दिया जाता है-
- ख़ुदा का ख़ौफ
- पैग़म्बर की परिपाटी में जीना
- मानव जाति की अवहेलना
- भाग्यवाद
- खुशी या दु:ख के समय अल्लाह की शरण लेना
- यह मत, जो संपूर्ण उत्तर अफ़्रीका, सूडान और अरब में फैल गया, अनुयायियों द्वारा रचित था।
- अश-शाज़िली स्वयं मठवाद के विरुद्ध थे और अपने अनुयायियों से सामान्य जीवन जीने का अग्रह करते थे। यह परंपरा आज भी जारी है।
- इस संरचना ने बहुत बड़ी संख्या में विभिन्न उप-शाखाओं को जन्म दिया, जैसे- मोरक्को में जाजुलिया और दरख़ावा तथा ईसावियाह, जो मोरक्को, अल्जीरिया तथा ट्यूनीशिया में हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत ज्ञानकोश, खण्ड-5 |लेखक: इंदु रामचंदानी |प्रकाशक: एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 287 |