कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन
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पूरा नाम | कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन |
अन्य नाम | के. कस्तूरी रंगन |
जन्म | 24 अक्टूबर, 1940 |
जन्म भूमि | एर्नाकुलम, केरल |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | अंतरिक्ष विज्ञान |
शिक्षा | एम.एससी., पीएच.डी, एफ.ए.एससी, एफ.एन.ए |
विद्यालय | मुंबई विश्वविद्यालय |
पुरस्कार-उपाधि | पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण |
प्रसिद्धि | अंतरिक्ष वैज्ञानिक |
विशेष योगदान | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष और भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के सचिव के रूप में 9 वर्षों से अधिक समय तक भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का शानदार तरीक़े से संचालन किया। |
नागरिकता | भारतीय |
अद्यतन | 19:19, 15 मार्च 2012 (IST)
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कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन अथवा के. कस्तूरी रंगन (अंग्रेज़ी: Krishnaswamy Kasturirangan, जन्म- 24 अक्टूबर, 1940, केरल) भारत के प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं। वे भौतिकविद के रूप में 'इसरो' के अध्यक्ष, अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के सचिव रह चुके हैं। डॉ. के. कस्तूरीरंगन ने 27 अगस्त, 2003 में पद छोड़ने से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष और भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के सचिव के रूप में 9 वर्षों से अधिक समय तक भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का शानदार तरीक़े से संचालन किया।
परिचय
भारत के प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. के. कस्तूरी रंगन का जन्म 24 अक्तूबर, 1940 ई. को केरल के एर्नाकुलम नगर में हुआ था।
शिक्षा
कस्तूरी रंगन की उच्च शिक्षा मुंबई विश्वविद्यालय में हुई। वहाँ से उन्होंने भौतिकी में स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्रियाँ लीं। फिर अहमदाबाद की फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी से भौतिकी में ही डॉक्टरेट किया। एस्ट्रोलॉजी और एस्ट्रोफिज़िक्स उनके अध्ययन के प्रमुख विषय थे। डॉ. कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन ने बम्बई विश्वविद्यालय से ऑनर्स के साथ विज्ञान में स्नातक डिग्री और भौतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की और भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद में कार्य करते हुए वर्ष 1971 में प्रायोगिक उच्च खगोल विज्ञान में डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की।
कार्यक्षेत्र
वर्तमान में वे नेशनल इन्स्टीटयूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज (एनआईएएस), बेंगलूर के निदेशक, भौतिकीय अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद और जवाहरलाल नेहरू सेन्टर फॉर एडवांस्ड रिसर्च, बेंगलूर में भौतिकी के अवैतनिक प्रोफेसर हैं। वे भारतीय संसद के उच्च सदन के सदस्य भी हैं। वर्ष 2003 तक 9 वर्ष की अवधि के लिए, डॉ. कस्तूरीरंगन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उनकी अध्यक्षता में, इस कार्यक्रम में कई बड़े लक्ष्य प्राप्त किए गए, जिसमें भारत के प्रतिष्ठित प्रक्षेपण यान, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान और भूसमकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान का सफल प्रक्षेपण और प्रचालन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने महासागर प्रेक्षण उपग्रहों आईआरएसपी3/पी4 के अलावा विश्व के कुछ बेहतरीन सिविल दूरसंवेदी उपग्रहों, आईआरएस 1सी तथा 1डी के विकास तथा लांचिग, नई पीढ़ी के इनसेट संचार उपग्रहों के कार्यान्वयन, का निरीक्षण भी किया। इनके इन प्रयासों से भारत पूर्व लब्धप्रतिष्ठ उन छह देशों की श्रेणी में आ गया है जिनके यहाँ बड़े अंतरिक्ष कार्यक्रम हैं।[1]
अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
डॉ. कस्तूरीरंगन अंतरराष्ट्रीय एस्ट्रोनॉमिक्स एकेडमी के सदस्य हैं और उन्होंने इसके उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। वे अंतर राष्ट्रीय खगोलीय यूनियन के सदस्य और थर्ड वर्ल्ड एकेडमी ऑफ साइन्सेज (टीडब्ल्यूएस) के फैलो हैं। वे भारतीय विज्ञान एकादमी के फैलो हैं और वर्ष 2001-03 के दौरान इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। वे भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग एकादमी के फैलो हैं और वर्ष 2005-06 के दौरान इसके अध्यक्ष थे। वे वर्ष 2002-03 के लिए भारतीय विज्ञान कांग्रेस के प्रधान अध्यक्ष भी थे। इसके अतिरिक्त वे भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान एकादमी और भारत की राष्ट्रीय विज्ञान एकादमी के फैलो हैं। वे कार्डिफ विश्वविद्यालय, यू.के. के अवैतनिक फैलोइ पान्टिफिकल विज्ञान एकादमी, वेटिकनसिटी के शिक्षाविद् और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के नेहरू ट्रस्ट के न्यासी हैं।[1]
वे वर्ष 2000-05 के दौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास के संचालन मंडल के अध्यक्ष थे। इस समय वे भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलूर की परिषद के अध्यक्ष हैं। वे रमन अनुसंधान संस्थान, भारतीय खगोल विज्ञान संस्थान, बेंगलूर और प्रेक्षण विषयक विज्ञान आर्यभट्ट अनुसंधान संस्थान, नैनीताल की शासी परिषद के अध्यक्ष भी हैं। डॉ. के. कस्तूरीरंगन भारतीय संसद के उच्च सदन के सदस्य, और संसद की। ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति तथा मानव संसाधन विकास संबंधी परामर्शी समिति के भी सदस्य थे। इस समय वे अध्यक्ष, कर्नाटक ज्ञान आयोग; सदस्य, कर्नाटक विजन 2020 हैं। वे इंडियासाइप्रस पार्लियामेंटरी फ्रेंडशिप ग्रुप के अपयक्ष और इंडियाचाइना एमीनेंट पर्सन्स ग्रुप के सदस्य हैं।[1]
विशेष योगदान
एक खगोलभौतिकीविद् के रूप में डॉ. कस्तूरीरंगन की अभिरुचियों में उच्च उर्जा एक्स-रे व गामा-रे खगोल विज्ञान तथा आप्िटकल खगोल विज्ञान में अनुसंधान करना शामिल है। उन्होंने कॉस्मिक एक्सरे व गामा-रे स्रोतों तथा निम्नतर वायुमंडल में कॉस्मिक एक्स-रे के प्रभाव संबंधी अपययन में व्यापक व महत्त्वपूर्ण योगदान किया है। डॉ. कस्तूरीरंगन ने खगोल विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान व अनुप्रयोगों के क्षेत्र में 244 से अधिक पत्र प्रकाशित किए हैं। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में 61 दीक्षांत भाषण दिए और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, अन्ना विश्वविद्यालय, आईआईटीबम्बई, कलकत्ता विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, मैसूर विश्वविद्यालय और एसआरएम विश्वविद्यालय सहित 16 विश्वविद्यालयों से उन्हें मानद डाक्टर की उपाधि भी प्राप्त हुई है। उन्होंने लगभग 304 सार्वजनिक व मेमोरियल भाषण दिए हैं। उनके हाल ही के महत्त्वपूर्ण भाषणों में एम.एन. साहा मेमोरियल लेक्चर ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ सांइसेज; जे.सी. बोस मेमोरियल लेक्चर एट दि रॉयल सोसाइंटी ऑफ लंदन; थर्ड दरबारी सेठ मेमोरियल लेक्चर, नई दिल्ली; के.आर. नारायणन ओरेशन एट द आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, केनबरा, 28वाँ विक्रम साराभाई मेमोरियल लेक्चर, अहमदाबाद प्रबंधन एसोसिएशन, अहमदाबाद; दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली में प्रोफेसर डी.एस.कोठारी मेमोरियल लेक्चर; कर्नाटक राज्योत्सव एक्सटेंशन लेक्चर, इंस्टिझयूट ऑफ सोशल एंड इकॉनॉमिक चेंज, बंगलोर; फर्स्ट मेमोरियल लेक्चर ऑफ श्री आर्थर सी क्लार्क, एसीसीआईएमटी, कोलम्बो शामिल हैं। अभी हाल ही में वे अंतरराष्ट्रीय एस्ट्रोनॉटिकल फेडरेशन व यूनेस्को द्वारा आयोजित स्पुटनिक के प्रक्षेपण के 50वें वर्षगांठ समारोह के दौरान पेरिस में यूनेस्को मुख्यालय में ‘पोटेंशियल ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी टु सर्व ह्यूमन काइंड : कमिंग 50 ईयर्स’ पर मुख्य भाषण देने वाले चार वैश्विक व्यक्तियों में से एक और एकमात्र एशियन थे।[1]
इसरो के अध्यक्ष के रूप मे
इसरो के अध्यक्ष के रूप में डॉ. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में अंतरिक्ष कार्यक्रमों ने कई प्रमुख उपलब्धियाँ हासिल कीं जिनमें भारत के प्रतिष्ठित प्रक्षेपण यान, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) और अभी हाल ही में, अत्यधिक महत्त्वपूर्ण भू-तुल्यकाली उपग्रह प्रमोचन यान (जीएसएलवी) का प्रथम सफल उड़ान परीक्षण शामिल हैं।[2]
सम्मान और पुरस्कार
डॉ. कस्तूरीरंगन पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित हैं। उन्होंने खगोल-विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान, अंतरिक्ष उपयोग के क्षेत्रों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 200 से अधिक आलेख प्रकाशित किए हैं और 6 पुस्तकों को संपादित किया है।
- इंजीनियरिंग में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार
- वांतरिक्ष में श्री हरि ओम आश्रम डॉ. विक्रम साराभाई प्रेरिट पुरस्कार
- खगोल-विज्ञान में एम.पी.बिरला स्मारक पुरस्कार
- अनुप्रयुक्त विज्ञान में श्री एम.एम.छुगानी स्मारक पुरस्कार
- विज्ञान प्रौद्योगिकी में एच.के.फ़िरोदिया पुरस्कार
- विश्वभारती, शांतिनिकेतन द्वारा रतींद्र पुरस्कार
- अंतरिक्ष के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉ.एम.एन साहा जन्म शताब्दी मेडल।[2]
राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मान
- डॉ. कस्तूरीरंगन ने ब्रॉक मेडल ऑफ इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ फोटोग्रामेट्री एंड रिमोट सोन्सिंग, (2004)
- एलन डी इमिल मेमोरियल अवार्ड ऑफ द इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉटिकल फेडरेशन (2004)
- इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनोटिक्स (आईएए), फ्रांस द्वारा थिओडोर वॉन कारमन अवार्ड
- इंजीनियरिंग में शान्ति स्वरूप भटनागर अवार्ड एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया का आर्यभट्ट अवार्ड 2003
- एशियापेसिफिक सेटेलाइट कम्युनिकेशन्स काउंसिल, सिंगापुर का लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड
- भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान एकेडमी (2000) द्वारा आर्यभट्ट मेडल
- भारतीय विज्ञान कांग्रेस द्वारा आशुतोष मुखर्जी मेमोरियल अवार्ड
- रुइया कालेज एलुमनी ऐसोसिएशन, 2007 द्वारा अवार्ड ऑफ ज्वेल ऑफ रूइया
- महाराणा मेवाड़ चैरीटेबल फाउंडेशन, उदयपुर, 2008 द्वारा महाराणा उदय सिंह अवार्ड 2007-08
- राजयोगिन्द्र अवार्ड, महाराजा ऑफ मैसूर, मैसूर, 2008
- इंडियन साइंस कांग्रेस, शिलांग, 2009
- महामहिम पझहासी राजा चैरीटेबल ट्रस्ट, केरल (2005) द्वारा शास्त्र भूषण अवार्ड आदि सहित कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
शर्मा, लीलाधर भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, दिल्ली, पृष्ठ 197।
- ↑ 1.0 1.1 1.2 1.3 डॉ. कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन उपग्रह (हिन्दी) (ए.एस.पी) योजना आयोग। अभिगमन तिथि: 15 मार्च, 2012।
- ↑ 2.0 2.1 डॉ. कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन (हिन्दी) (ए.एस.पी) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन। अभिगमन तिथि: 15 मार्च, 2012।
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