"सुभद्रांगी": अवतरणों में अंतर

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*उत्तरी परम्पराओं में [[अशोक]] की [[माता]] का नाम '''सुभद्रांगी''' <ref>इसका उल्लेख 'अशोकावदानमाला' में तो है, पर '[[दिव्यावदान]]' में नहीं है।</ref>मिलता है, जिसे [[चम्पा]] के एक [[ब्राह्मण]] की रूपवती कन्या बतलाया गया है।  
*इससे [[बिंदुसार]] को एक दूसरा [[पुत्र]] भी हुआ था, जिसका  नाम '''विगताशोक''' <ref>वीताशोक</ref>था ना कि तिष्य जैसा कि [[लंका]] की परम्परा में आता है।  
*इससे [[बिंदुसार]] को एक दूसरा [[पुत्र]] भी हुआ था, जिसका  नाम '''विगताशोक''' <ref>वीताशोक</ref>था ना कि तिष्य जैसा कि [[लंका]] की परम्परा में आता है।  



13:07, 26 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

  • उत्तरी परम्पराओं में अशोक की माता का नाम सुभद्रांगी [1]मिलता है, जिसे चम्पा के एक ब्राह्मण की रूपवती कन्या बतलाया गया है।
  • इससे बिंदुसार को एक दूसरा पुत्र भी हुआ था, जिसका नाम विगताशोक [2]था ना कि तिष्य जैसा कि लंका की परम्परा में आता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. इसका उल्लेख 'अशोकावदानमाला' में तो है, पर 'दिव्यावदान' में नहीं है।
  2. वीताशोक

मुखर्जी, राधाकुमुद अशोक (हिंदी)। नई दिल्ली: मोतीलाल बनारसीदास, 2।

बाहरी कड़ियाँ

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