"सांसी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(''''सांसी''' एक ख़ानाबदोश आपराधिक जनजाति है, जो मूलत: [[भा...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''सांसी''' एक ख़ानाबदोश आपराधिक जनजाति है, जो मूलत: [[भारत]] के पश्चिमोत्तर क्षेत्र [[राजपूताना]] में केंद्रित रही, लेकिन 13वीं [[शताब्दी]] में [[मुस्लिम]] आक्रमणकारियों द्वारा खदेड़ दी गई। अब यह जनजाति मुख्यत: [[राजस्थान]] में संकेंद्रित है और शेष भारत में बिखरी हुई भी है। | '''सांसी''' एक ख़ानाबदोश आपराधिक जनजाति है, जो मूलत: [[भारत]] के पश्चिमोत्तर क्षेत्र [[राजपूताना]] में केंद्रित रही, लेकिन 13वीं [[शताब्दी]] में [[मुस्लिम]] आक्रमणकारियों द्वारा खदेड़ दी गई। अब यह जनजाति मुख्यत: [[राजस्थान]] में संकेंद्रित है और शेष भारत में बिखरी हुई भी है।<ref name="aa">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारत ज्ञानकोश, खण्ड-6|लेखक=इंदु रामचंदानी|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=5|url=}}</ref> | ||
*यह जनजाति अधिकांशत: राजस्थान के [[भरतपुर ज़िला|भरतपुर ज़िले]] में निवास करती है। | |||
*सांसी लोग [[राजपूत|राजपूतों]] से अपनी वंशोत्पत्ति का दावा करते हैं, लेकिन लोककथा के अनुसार इनके पूर्वज बेड़िया थे, जो एक अन्य आपराधिक जाति है। | *सांसी लोग [[राजपूत|राजपूतों]] से अपनी वंशोत्पत्ति का दावा करते हैं, लेकिन लोककथा के अनुसार इनके पूर्वज बेड़िया थे, जो एक अन्य आपराधिक जाति है। | ||
*एक अन्य मत के अनुसार सांसी जनजाति की उत्पति 'सांसमल' नामक व्यक्ति से मानी जाती है। | |||
*जीवन यापन के लिए पशुओं की चोरी तथा अन्य छोटे-छोटे अपराधों पर निर्भर रहने वाले सांसियों का उल्लेख अपराधी जनजाति क़ानूनों 1871, 1911 और 1924 में किया गया है, जिनमें उनके ख़ानाबदोश जीवन को ग़ैर क़ानूनी कहा गया। | *जीवन यापन के लिए पशुओं की चोरी तथा अन्य छोटे-छोटे अपराधों पर निर्भर रहने वाले सांसियों का उल्लेख अपराधी जनजाति क़ानूनों 1871, 1911 और 1924 में किया गया है, जिनमें उनके ख़ानाबदोश जीवन को ग़ैर क़ानूनी कहा गया। | ||
*'[[भारत सरकार]]' द्वारा प्रारंभ किए गए सुधारों के कार्यान्वयन में भी कठिनाई आती रही, क्योंकि इन्हें अछूत जाति में गिना जाता है और इन्हें दी गई कोई भी भूमि या पशु इनके द्वारा बेच दी जाती है या ये उसका विनिमय कर लेते हैं। | *'[[भारत सरकार]]' द्वारा प्रारंभ किए गए सुधारों के कार्यान्वयन में भी कठिनाई आती रही, क्योंकि इन्हें अछूत जाति में गिना जाता है और इन्हें दी गई कोई भी भूमि या पशु इनके द्वारा बेच दी जाती है या ये उसका विनिमय कर लेते हैं। | ||
पंक्ति 10: | पंक्ति 12: | ||
*इस जनजाति में कुछ लोग कृषक और श्रमिक हैं, यद्यपि अधिकांश लोग अभी भी घुमंतू जीवन जीते हैं। | *इस जनजाति में कुछ लोग कृषक और श्रमिक हैं, यद्यपि अधिकांश लोग अभी भी घुमंतू जीवन जीते हैं। | ||
*सांसी लोग अपनी वंश परंपरा पितृ सत्तात्मक मानते हैं और [[जाट|जाटों]] की पारिवारिक परंपरा के अनुसार चलते हैं। | *सांसी लोग अपनी वंश परंपरा पितृ सत्तात्मक मानते हैं और [[जाट|जाटों]] की पारिवारिक परंपरा के अनुसार चलते हैं।<ref name="aa"/> | ||
*इन लोगों में युवक-युवतियों के वैवाहिक संबंध उनके [[माता]]-[[पिता]] द्वारा किये जाते है। [[विवाह]] पूर्व यौन संबंध को अत्यन्त गंभीरता से लिया जाता है। | |||
*सगाई की रस्म इनमें अनोखी होती है, जब दो खानाबदोश समूह संयोग से घूमते-घूमते एक स्थान पर मिल जाते हैं, तो सगाई हो जाती है। | |||
*सांसी जनजाति में [[होली]] और [[दीपावली]] के अवसर पर देवी माता के सम्मुख बकरों की बली दी जाती है। ये लोग वृक्षों की [[पूजा]] करते हैं। | |||
*मांस और शराब इनका प्रिय भोजन है। मांस में ये लोमड़ी और सांड़ का मांस पसन्द करते हैं। | |||
*इनका [[धर्म]] सामान्य [[हिन्दू धर्म]] है, लेकिन कुछ लोग [[इस्लाम]] में धर्मान्तरित हो गए हैं। | *इनका [[धर्म]] सामान्य [[हिन्दू धर्म]] है, लेकिन कुछ लोग [[इस्लाम]] में धर्मान्तरित हो गए हैं। | ||
13:26, 8 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण
सांसी एक ख़ानाबदोश आपराधिक जनजाति है, जो मूलत: भारत के पश्चिमोत्तर क्षेत्र राजपूताना में केंद्रित रही, लेकिन 13वीं शताब्दी में मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा खदेड़ दी गई। अब यह जनजाति मुख्यत: राजस्थान में संकेंद्रित है और शेष भारत में बिखरी हुई भी है।[1]
- यह जनजाति अधिकांशत: राजस्थान के भरतपुर ज़िले में निवास करती है।
- सांसी लोग राजपूतों से अपनी वंशोत्पत्ति का दावा करते हैं, लेकिन लोककथा के अनुसार इनके पूर्वज बेड़िया थे, जो एक अन्य आपराधिक जाति है।
- एक अन्य मत के अनुसार सांसी जनजाति की उत्पति 'सांसमल' नामक व्यक्ति से मानी जाती है।
- जीवन यापन के लिए पशुओं की चोरी तथा अन्य छोटे-छोटे अपराधों पर निर्भर रहने वाले सांसियों का उल्लेख अपराधी जनजाति क़ानूनों 1871, 1911 और 1924 में किया गया है, जिनमें उनके ख़ानाबदोश जीवन को ग़ैर क़ानूनी कहा गया।
- 'भारत सरकार' द्वारा प्रारंभ किए गए सुधारों के कार्यान्वयन में भी कठिनाई आती रही, क्योंकि इन्हें अछूत जाति में गिना जाता है और इन्हें दी गई कोई भी भूमि या पशु इनके द्वारा बेच दी जाती है या ये उसका विनिमय कर लेते हैं।
- वर्ष 1961 में इनकी संख्या लगभग 59,073 थी।
- सांसी जनजाति के लोग हिन्दी भाषा बोलते हैं और स्वयं को दो वर्गों में विभाजित करते हैं-
- 'खरे' यानी शुद्ध
- अपहरणों के परिणामस्वरूप उत्पन्न 'मल्ला' यानी अर्द्ध जातीय
- इस जनजाति में कुछ लोग कृषक और श्रमिक हैं, यद्यपि अधिकांश लोग अभी भी घुमंतू जीवन जीते हैं।
- सांसी लोग अपनी वंश परंपरा पितृ सत्तात्मक मानते हैं और जाटों की पारिवारिक परंपरा के अनुसार चलते हैं।[1]
- इन लोगों में युवक-युवतियों के वैवाहिक संबंध उनके माता-पिता द्वारा किये जाते है। विवाह पूर्व यौन संबंध को अत्यन्त गंभीरता से लिया जाता है।
- सगाई की रस्म इनमें अनोखी होती है, जब दो खानाबदोश समूह संयोग से घूमते-घूमते एक स्थान पर मिल जाते हैं, तो सगाई हो जाती है।
- सांसी जनजाति में होली और दीपावली के अवसर पर देवी माता के सम्मुख बकरों की बली दी जाती है। ये लोग वृक्षों की पूजा करते हैं।
- मांस और शराब इनका प्रिय भोजन है। मांस में ये लोमड़ी और सांड़ का मांस पसन्द करते हैं।
- इनका धर्म सामान्य हिन्दू धर्म है, लेकिन कुछ लोग इस्लाम में धर्मान्तरित हो गए हैं।
|
|
|
|
|