"राजसमन्द झील": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 17: पंक्ति 17:
|शीर्षक 1=निर्माता
|शीर्षक 1=निर्माता
|पाठ 1=महाराणा राजसिंह  
|पाठ 1=महाराणा राजसिंह  
|शीर्षक 2=निर्माण काल
|शीर्षक 2=निर्माण काल
|पाठ 2=1660 ई.
|पाठ 2=1660 ई.
|अन्य जानकारी=
|अन्य जानकारी=
पंक्ति 28: पंक्ति 28:
*सात किलोमीटर लम्बी व तीन किलोमीटर चौडी यह झील 55 फीट गहरी है।
*सात किलोमीटर लम्बी व तीन किलोमीटर चौडी यह झील 55 फीट गहरी है।
*राजसमन्द झील की पाल, नौचौकी व इस ख़ूबसूरत झील के पाल पर बनी छतरियों की छतों, स्तम्भों तथा तोरण द्वार पर की गयी [[मूर्तिकला]] व नक़्क़ाशी देखकर स्वतः ही दिलवाड़ा के जैन मंदिरों की याद आ जाती है।
*राजसमन्द झील की पाल, नौचौकी व इस ख़ूबसूरत झील के पाल पर बनी छतरियों की छतों, स्तम्भों तथा तोरण द्वार पर की गयी [[मूर्तिकला]] व नक़्क़ाशी देखकर स्वतः ही दिलवाड़ा के जैन मंदिरों की याद आ जाती है।
*[[झील]] के किनारे की सीढ़ियों को हर तरफ़ से गिनने पर योग नौ ही होता है, इसलिए इसे 'नौचौकी' कहा जाता है। यहीं पर 25 काले संगमरमर की चट्टानों पर [[मेवाड़]] का पूरा [[इतिहास]] [[संस्कृत]] में उत्कीर्ण है। इसे 'राजप्रशस्ति' कहते हैं, जो की संसार की सबसे बड़ी प्रशस्ति है।
*[[झील]] के किनारे की सीढ़ियों को हर तरफ़ से गिनने पर योग नौ ही होता है, इसलिए इसे 'नौचौकी' कहा जाता है। यहीं पर 25 काले संगमरमर की चट्टानों पर [[मेवाड़]] का पूरा [[इतिहास]] [[संस्कृत]] में उत्कीर्ण है। इसे 'राजप्रशस्ति' कहते हैं, जो की संसार की सबसे बड़ी प्रशस्ति है।<ref>{{cite web |url=http://rajasthangyan.com/notes_explain.jsp?tid=0&nid=12 |title= राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ|accessmonthday=10 फ़रवरी |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=rajasthangyan.com |language= हिन्दी}}</ref>
*राजप्रशस्ति 'अमरकाव्य वंशावली' नामक पुस्तक पर आधारित है, जिसके लेखक रणछोड़ भट्ट तैलंग हैं।
*राजप्रशस्ति 'अमरकाव्य वंशावली' नामक पुस्तक पर आधारित है, जिसके लेखक रणछोड़ भट्ट तैलंग हैं।
*राजसमन्द झील के किनारे पर घेवर माता का मन्दिर है।
*राजसमन्द झील के किनारे पर घेवर माता का मन्दिर है।
पंक्ति 34: पंक्ति 34:


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{राजस्थान की झीलें}}{{भारत की झीलें}}{{राजस्थान के पर्यटन स्थल}}
{{राजस्थान की झीलें}}{{भारत की झीलें}}{{राजस्थान के पर्यटन स्थल}}
[[Category:राजस्थान]][[Category:राजस्थान_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:पर्यटन कोश]][[Category:राजस्थान की झीलें]][[Category:भारत की झीलें]][[Category:भूगोल कोश]]
[[Category:राजस्थान]][[Category:राजस्थान_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:पर्यटन कोश]][[Category:राजस्थान की झीलें]][[Category:भारत की झीलें]][[Category:भूगोल कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

10:27, 10 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

राजसमन्द झील
राजसमन्द झील, राजसमन्द
राजसमन्द झील, राजसमन्द
नाम राजसमन्द झील
देश भारत
राज्य राजस्थान
नगर/ज़िला राजसमन्द
निर्देशांक 25.07° उत्तर - 73.88° पूर्व
अधिकतम लंबाई 6.4 किमी (लगभग)
अधिकतम गहराई 18 मीटर (लगभग)
अधिकतम चौड़ाई 2.82 किमी (लगभग)
गूगल मानचित्र गूगल मानचित्र
निर्माता महाराणा राजसिंह
निर्माण काल 1660 ई.
बाहरी कड़ियाँ झील के किनारे की सीढियों को हर तरफ से गिनने पर योग 9 ही होता है, इसलिए इसे नौचौकी कहा जाता हैं।
अद्यतन‎

राजसमन्द झील राजस्थान के शहर राजसमन्द में स्थित है। इस झील का निर्माण मेवाड़ के राजा राजसिंह ने गोमती नदी का पानी रोककर (1662-76 ई.) करवाया था।

  • चालीस लाख रुपये की लागत से बनवाई गई राजसमन्द झील मेवाड़ की विशालतम झीलों में से एक है।
  • इस झील का निर्माण गोमती, केलवा तथा ताली नदियों पर बाँध बनाकर किया गया है।
  • सात किलोमीटर लम्बी व तीन किलोमीटर चौडी यह झील 55 फीट गहरी है।
  • राजसमन्द झील की पाल, नौचौकी व इस ख़ूबसूरत झील के पाल पर बनी छतरियों की छतों, स्तम्भों तथा तोरण द्वार पर की गयी मूर्तिकला व नक़्क़ाशी देखकर स्वतः ही दिलवाड़ा के जैन मंदिरों की याद आ जाती है।
  • झील के किनारे की सीढ़ियों को हर तरफ़ से गिनने पर योग नौ ही होता है, इसलिए इसे 'नौचौकी' कहा जाता है। यहीं पर 25 काले संगमरमर की चट्टानों पर मेवाड़ का पूरा इतिहास संस्कृत में उत्कीर्ण है। इसे 'राजप्रशस्ति' कहते हैं, जो की संसार की सबसे बड़ी प्रशस्ति है।[1]
  • राजप्रशस्ति 'अमरकाव्य वंशावली' नामक पुस्तक पर आधारित है, जिसके लेखक रणछोड़ भट्ट तैलंग हैं।
  • राजसमन्द झील के किनारे पर घेवर माता का मन्दिर है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ (हिन्दी) rajasthangyan.com। अभिगमन तिथि: 10 फ़रवरी, 2017।

संबंधित लेख