"साथ सब ना चल सकेंगे -दिनेश रघुवंशी": अवतरणों में अंतर
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क़द किसी का नापने का भीड़ पैमाना नहीं है | क़द किसी का नापने का भीड़ पैमाना नहीं है | ||
हम तो बस उस आदमी के साथ चलना चाहते हैं | हम तो बस उस आदमी के साथ चलना चाहते हैं | ||
जो अकेले में कभी ना, | जो अकेले में कभी ना, आइने से मुँह छुपाये | ||
वो हमारे साथ आए, भीड़ चाहे लौट जाए | वो हमारे साथ आए, भीड़ चाहे लौट जाए | ||
साथ सब ना चल सकेंगे… | साथ सब ना चल सकेंगे… |
14:09, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
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साथ सब न चल सकेंगे, ये तो हम भी जानते हैं |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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