"भारतीय रिज़र्व बैंक": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
(6 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 10 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Seal of the Reserve Bank of India.svg|thumb|भारतीय रिज़र्व बैंक का मुहर प्रतीक]]  
{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय
'''भारतीय रिज़र्व बैंक''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Reserve Bank of India'') [[भारत]] का केन्द्रीय बैंक है। यह भारत के सभी बैंको को संचालित करता है। भारत की [[भारतीय अर्थव्यवस्था|अर्थव्यवस्था]] को रिजर्व बैंक ही नियंत्रित करता है।
|चित्र=Seal of the Reserve Bank of India.svg
|चित्र का नाम=भारतीय रिज़र्व बैंक का मुहर प्रतीक
|विवरण=[[भारत]] का केन्द्रीय बैंक है जो भारत के सभी बैंकों को संचालित करता है। भारत की [[भारतीय अर्थव्यवस्था|अर्थव्यवस्था]] को रिजर्व बैंक ही नियंत्रित करता है।
|शीर्षक 1=मुख्यालय
|पाठ 1=शहीद भगत सिंह मार्ग, [[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]]
|शीर्षक 2=स्थापना
|पाठ 2=[[1 अप्रैल]], [[1935]]
|शीर्षक 3=वर्तमान गर्वनर
|पाठ 3=[[शक्तिकांत दास]]
|शीर्षक 4=मुद्रा
|पाठ 4=[[भारतीय रुपया]]
|शीर्षक 5=क्षेत्रीय कार्यालय
|पाठ 5=भारतीय रिज़र्व बैंक के 22 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से अधिकांशत: राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं।
|शीर्षक 6=
|पाठ 6=
|शीर्षक 7=
|पाठ 7=
|शीर्षक 8=
|पाठ 8=
|शीर्षक 9=
|पाठ 9=
|शीर्षक 10=
|पाठ 10=
|संबंधित लेख=[[भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर]], [[भारतीय स्टेट बैंक]], [[काला धन]], [[विमुद्रीकरण]], [[भारतीय रुपया]], [[टकसाल]]
|अन्य जानकारी=भारतीय रिज़र्व बैंक का उद्देश्य वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड (बीएफएस) का प्राथमिक उद्देश्य वाणिज्य बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं सहित वित्तीय क्षेत्र का समेकित पर्यवेक्षण करना है।
|बाहरी कड़ियाँ=[http://www.rbi.org.in/home.aspx आधिकारिक वेबसाइट]
|अद्यतन={{अद्यतन|20:03, 17 मार्च 2015 (IST)}}
}}
'''भारतीय रिज़र्व बैंक''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Reserve Bank of India'') [[भारत]] का केन्द्रीय बैंक है। यह भारत के सभी बैंकों को संचालित करता है। भारत की [[भारतीय अर्थव्यवस्था|अर्थव्यवस्था]] को रिजर्व बैंक ही नियंत्रित करता है।
==स्थापना==
==स्थापना==
रिज़र्व बैंक की स्‍थापना के लिए सबसे पहले [[जनवरी]], [[1927]] में एक विधेयक पेश किया गया और सात वर्ष बाद [[मार्च]], [[1934]] में यह अधिनियम मूर्त रूप ले सका। विकासशील देशों के सबसे पुराने केन्‍द्रीय बैंकों में से रिज़र्व बैंक एक है। इसकी निर्माण यात्रा काफी घटनापूर्ण रही है। केन्‍द्रीय बैंक की कार्य प्रणाली अपनाने की इसकी कोशिश न तो काफी गहरी और न ही चौतरफा रही है। द्वितीय विश्‍व युद्ध छिड़ जाने की स्थिति में अपनी स्‍थापना के पहले ही दशक में रिज़र्व बैंक के कंधों पर विनिमय नियंत्रण सहित कई विशेष उत्तरदायित्व निभाने की जिम्‍मेदारी आ गई। एक निजी संस्‍थान से राष्‍ट्रीय कृत संस्‍थान के रूप में बदलाव और स्‍वतंत्रता प्राप्ति के बाद अर्थव्‍यवस्‍था में इसकी नई भूमिका दुर्जेय थी। रिज़र्व बैंक के साल-दर-साल विकास की राह पर चलते हुए कई कहानियां बनीं, जो समय के साथ इतिहास बनती चली गई। भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना [[1 अप्रैल]] सन [[1935]] को रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया एक्ट, 1934 के अनुसार की गयी थी। प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय [[कोलकाता]] में था, जिसे सन 1937 में [[मुम्बई]] स्थानांतरित कर दिया गया। प्रारम्भ में यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 में यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है।  
रिज़र्व बैंक की स्‍थापना के लिए सबसे पहले [[जनवरी]], [[1927]] में एक विधेयक पेश किया गया और सात वर्ष बाद [[मार्च]], [[1934]] में यह अधिनियम मूर्त रूप ले सका। विकासशील देशों के सबसे पुराने केन्‍द्रीय बैंकों में से रिज़र्व बैंक एक है। इसकी निर्माण यात्रा काफ़ी घटनापूर्ण रही है। केन्‍द्रीय बैंक की कार्य प्रणाली अपनाने की इसकी कोशिश न तो काफ़ी गहरी और न ही चौतरफा रही है। द्वितीय विश्‍व युद्ध छिड़ जाने की स्थिति में अपनी स्‍थापना के पहले ही दशक में रिज़र्व बैंक के कंधों पर विनिमय नियंत्रण सहित कई विशेष उत्तरदायित्व निभाने की जिम्‍मेदारी आ गई। एक निजी संस्‍थान से राष्‍ट्रीय कृत संस्‍थान के रूप में बदलाव और स्‍वतंत्रता प्राप्ति के बाद अर्थव्‍यवस्‍था में इसकी नई भूमिका दुर्जेय थी। रिज़र्व बैंक के साल-दर-साल विकास की राह पर चलते हुए कई कहानियां बनीं, जो समय के साथ इतिहास बनती चली गई। भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना [[1 अप्रैल]] सन [[1935]] को रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया एक्ट, 1934 के अनुसार की गयी थी। प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय [[कोलकाता]] में था, जिसे सन 1937 में [[मुम्बई]] स्थानांतरित कर दिया गया। प्रारम्भ में यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 में यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है।  
==कार्यालय==
==कार्यालय==
भारतीय रिजर्व बैंक के 22 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से अधिकांशत: राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक के 22 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से अधिकांशत: राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं।
==बैंक के प्रमुख कार्य==
==बैंक के प्रमुख कार्य==
भारतीय रिजर्व बैंक के प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं-
भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं-
*मौद्रिक नीति बनाकर उसका कार्यान्वयन और निगरानी करना।
*मौद्रिक नीति बनाकर उसका कार्यान्वयन और निगरानी करना।
*वित्तीय प्रणाली का विनियमन और पर्यवेक्षण करना।
*वित्तीय प्रणाली का विनियमन और पर्यवेक्षण करना।
पंक्ति 31: पंक्ति 59:
;स्थानीय बोर्ड
;स्थानीय बोर्ड
देश के चार क्षेत्रों - [[मुंबई]], [[कोलकाता]], [[चेन्नई]] और [[नई दिल्ली]] से एक-एक का चयन किया जाता है।  
देश के चार क्षेत्रों - [[मुंबई]], [[कोलकाता]], [[चेन्नई]] और [[नई दिल्ली]] से एक-एक का चयन किया जाता है।  
;सदस्यता :
;सदस्यता-
* प्रत्येक में पांच सदस्य
* प्रत्येक में पांच सदस्य
* केंद्र सरकार द्वारा नियुत्त
* केंद्र सरकार द्वारा नियुत्त
* चार वर्ष की अवधि के लिए
* चार वर्ष की अवधि के लिए
==वित्तीय पर्यवेक्षण==
==वित्तीय पर्यवेक्षण==
भारतीय रिज़र्व बैंक यह कार्य वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड (बीएफएस) के दिशानिर्देशों के अनुसार करता है। इस बोर्ड की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय निदेशक बोर्ड की एक समिति के रूप में नवंबर 1994 में की गई थी।
भारतीय रिज़र्व बैंक यह कार्य वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड (बीएफएस) के दिशानिर्देशों के अनुसार करता है। इस बोर्ड की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय निदेशक बोर्ड की एक समिति के रूप में नवंबर 1994 में की गई थी।
पंक्ति 45: पंक्ति 72:
बोर्ड की बैठक सामान्यत: महीने में एक बार आयोजित किया जाना आवश्यक है। इस बैठक के दौरान पर्यवेक्षण विभाग द्वारा प्रस्तुत निरीक्षण रिपोर्ट और पर्यवेक्षण से संबंधित अन्य मामलों पर विचार किया जाता है।
बोर्ड की बैठक सामान्यत: महीने में एक बार आयोजित किया जाना आवश्यक है। इस बैठक के दौरान पर्यवेक्षण विभाग द्वारा प्रस्तुत निरीक्षण रिपोर्ट और पर्यवेक्षण से संबंधित अन्य मामलों पर विचार किया जाता है।
लेखा-परीक्षा उप समिति के माध्यम से बैंकिंग पर्यवेक्षण बोर्ड बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की सांविधिक लेखा-परीक्षा और आंतरिक लेखा-परीक्षा कार्यों की गुणवत्ता बढ़ाने पर भी विचार करता है। इस उप लेखा- परीक्षा समिति के अध्यक्ष उप गवर्नर और केंद्रीय बोर्ड के दो निदेशक इसके सदस्य होते हैं।
लेखा-परीक्षा उप समिति के माध्यम से बैंकिंग पर्यवेक्षण बोर्ड बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की सांविधिक लेखा-परीक्षा और आंतरिक लेखा-परीक्षा कार्यों की गुणवत्ता बढ़ाने पर भी विचार करता है। इस उप लेखा- परीक्षा समिति के अध्यक्ष उप गवर्नर और केंद्रीय बोर्ड के दो निदेशक इसके सदस्य होते हैं।
===गवर्नर के हस्ताक्षर===
हर नोट पर [[भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर]] का हस्ताक्षर इसलिए ज़रूरी होता है क्योंकि बैंकिग सिस्टम पर किसी भी करंसी का महत्त्व तभी माना जाता है जब उस पर रिजर्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर हो। गवर्नर के हस्ताक्षर का मतलब होता है वह रिपब्लिक ऑफ इंडिया की सरकार की तरफ से देश की जनता को यह वचन देते हैं कि वह उस करंसी पर दर्ज वैल्‍यू के बदले उतने मूल्‍य की खरीददारी कर सकता है।
====अन्य देशों में भूमिका====
[[भारत]] के अलावा भारतीय रिज़र्व बैंक दो अन्‍य देशों [[पाकिस्तान]] और [[म्यांमार]] के सेंट्रल बैंक के रूप में अपनी भूमिका निभा चुका है। आरबीआई ने [[जुलाई]] [[1948]] तक पाकिस्तान और [[अप्रैल]] [[1947]] तक म्‍यांमार (वर्मा) के सेंट्रल बैंक के रूप में काम किया।
====बैंकिंग पर्यवेक्षण बोर्ड====
====बैंकिंग पर्यवेक्षण बोर्ड====
बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग (डीबीएस), गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग (डीएनबीएस) और वित्तीय संस्था प्रभाग (एफआईडी) के कार्य-कलापों का निरीक्षण करता है और नियमन तथा पर्यवेक्षण संबंधी मामलों पर निदेश जारी करता है।
बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग (डीबीएस), गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग (डीएनबीएस) और वित्तीय संस्था प्रभाग (एफआईडी) के कार्य-कलापों का निरीक्षण करता है और नियमन तथा पर्यवेक्षण संबंधी मामलों पर निदेश जारी करता है।
पंक्ति 53: पंक्ति 84:
# सांविधिक लेखा परीक्षकों की भूमिका को सुदृढ़ करना  
# सांविधिक लेखा परीक्षकों की भूमिका को सुदृढ़ करना  
# पर्यवटिक्षत संस्थाओं की आंतरिक प्रतिरक्षा प्रणाली का सुदृढ़ीकरण।
# पर्यवटिक्षत संस्थाओं की आंतरिक प्रतिरक्षा प्रणाली का सुदृढ़ीकरण।
==करेंसी जारी करने का अधिकार==
[[भारत]] में भारतीय रिज़र्व बैंक के पास करेंसी जारी करने का अधिकार है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय रिज़र्व बैंक नोट छापने के लिए मिनिमम रिजर्व सिस्टम नियम का पालन करता है। यह नियम साल [[1956]] में बना था। रिजर्व बैंक को करेंसी नोट प्रिंटिंग के विरुद्ध न्यूनतम 200 करोड़ रुपये का रिजर्व हमेशा रखना पड़ता है। इसमें 115 करोड़ रुपये गोल्ड और 85 करोड़ रुपये की विदेशी करेंसी रखनी जरूरी होती है।<ref name="ww">{{cite web |url=https://hindi.news18.com/news/business/indian-currency-how-much-does-it-cost-to-print-which-note-know-which-note-was-printed-by-rbi-for-the-first-time-pmgkp-3777478.html |title=किस नोट को छापने में कितना खर्चा आता है|accessmonthday=03 अक्टूबर|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.news18.com |language=हिंदी}}</ref>
====नोट छापने में खर्च====
भारतीय रिज़र्व बैंक के पास करेंसी जारी करने का अधिकार है। देश में मौजूदा समय में 2000, 500, 200, 100, 50, 20, 10, 5, 2 और 1 रुपये के नोट चलन में हैं। लगभग सभी लोगों के पास रंग बिरंगे नोट होते हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इन नोटों को छापने में कितना खर्चा आता है। भारतीय रिज़र्व बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया हर नोट छापने में अलग-अलग लागत आती है। 200 रुपये के नोट छापने में भारतीय रिज़र्व बैंक को 2.93 रुपये प्रति नोट खर्च करने पडते हैं। 200 रुपये के नोट पर [[सांची]] का [[स्तूप]] की तस्वीर छपी होती है। इसी तरह 500 रुपये के नोट को छापने में 2.94 रुपये प्रति नोट खर्च होते हैं। इस नोट पर लाल किले की तस्वीर छपी होती है।
====5 रुपये का पहला नोट====
भारतीय रिज़र्व बैंक स्थापना [[1 अप्रैल]], [[1935]] को हुई थी यानी की आजादी के पहले ही इसकी स्थापना हो चुकी थी। स्थापना के तीन साल बाद साल [[1938]] में [[जनवरी]] महीने में भारतीय रिज़र्व बैंक ने पहली बार 5 रुपये का करेंसी नोट जारी किया था। इस नोट पर किंग जॉर्ज VI की तस्वीर प्रिंट हुई थी। मतलब आजादी से 9 साल पहले रिजर्व बैंक ने अपनी पहली करेंसी जारी की थी। इसके बाद 10 रुपये के नोट, [[मार्च]] में 100 रुपये के नोट और [[जून]] में 1,000 रुपये और 10,000 रुपये के करेंसी नोट जारी किए थे।
==अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य==
# [[भारत]] में केंद्रीय बैंक यानी रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) की स्‍थापना हिल्टन यंग कमिशन की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी।
# भारतीय रिज़र्व बैंक के पास इतनी शक्ति है कि वह 1,000 रु. तक के सिक्के और 10,000 रु. तक के नोट छाप सकता है।
# भारतीय रिज़र्व बैंक का लोगो [[ईस्‍ट इंडिया कंपनी]] की डबल मोहर को देखकर बनाया गया था, जिसमें बस थोड़ा-सा बदलाव किया गया है।
# यह बैंक सिर्फ करंसी नोटों की छपाई करता है, जबकि सिक्‍कों को बनाने का काम [[भारत सरकार]] के द्वारा किया जाता है।
# बैंक ने 5,000 रुपए और 10,000 रुपए मूल्‍य वर्ग के नोटों की छपाई साल [[1938]] में की थी। इसके बाद [[1954]] और [[1978]] में भी इन नोटों की छपाई की गई थी।
#बैंक का नियम है, कि आप जितने मर्ज़ी सिक्के बैंक को दे सकते है वह मना नहीं कर सकता। बैंक उन सिक्कों को तोलकर या मशीन से गिनकर या तो आपके अकाउंट में जमा कर देगा या उसके बदले आपको नोट दे देगा।
# [[मनमोहन सिंह]] अकेले ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं, जो कि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर के पद पर कार्य कर चुके हैं।
#भारतीय रिज़र्व बैंक का एक नियम ये भी है कि यदि 1 से 20 रूपए तक का कोई नोट 50 फीसदी से कम फटा है तो बैंक आपको पूरे पैसे देगा लेकिन 50 फीसदी से ज़्यादा फटा है तो आपको कुछ नहीं मिलेगा। बड़े नोटों में यह सीमा 40 और 60 फीसदी हो जाती है।
# भारतीय रिज़र्व बैंक के इतिहास में 2 गवर्नर ऐसे भी रहे जो कभी नोटों पर हस्ताक्षर नहीं कर पाए। इनके नाम थे, [[के. जी. अम्बेगाओंकर]] और [[ऑसबार्न स्मिथ|ओसबोर्न आरकेल स्मिथ]]।


{{seealso|भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर}}


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}


{{seealso|भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर}}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.rbi.org.in/home.aspx आधिकारिक वेबसाइट]
*[http://www.rbi.org.in/home.aspx आधिकारिक वेबसाइट]
 
*[http://pib.nic.in/newsite/hindifeature.aspx?relid=13608 बैंकों का बैंक रिज़र्व बैंक : झलक इतिहास की]
*[http://www.gazabhindi.com/2016/11/reserve-bank-of-india-rbi-in-hindi.html भारतीय रिजर्व बैंक के बारे में रोचक तथ्य]
==सम्बंधित लेख==
==सम्बंधित लेख==
{{भारतीय बैंक}}
{{भारतीय अर्थव्यवस्था}}
[[Category:भारतीय_बैंक]]
[[Category:भारतीय_बैंक]]
[[Category:अर्थव्यवस्था]]
[[Category:अर्थव्यवस्था]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

09:32, 3 अक्टूबर 2021 के समय का अवतरण

भारतीय रिज़र्व बैंक
भारतीय रिज़र्व बैंक का मुहर प्रतीक
भारतीय रिज़र्व बैंक का मुहर प्रतीक
विवरण भारत का केन्द्रीय बैंक है जो भारत के सभी बैंकों को संचालित करता है। भारत की अर्थव्यवस्था को रिजर्व बैंक ही नियंत्रित करता है।
मुख्यालय शहीद भगत सिंह मार्ग, मुम्बई, महाराष्ट्र
स्थापना 1 अप्रैल, 1935
वर्तमान गर्वनर शक्तिकांत दास
मुद्रा भारतीय रुपया
क्षेत्रीय कार्यालय भारतीय रिज़र्व बैंक के 22 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से अधिकांशत: राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं।
संबंधित लेख भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर, भारतीय स्टेट बैंक, काला धन, विमुद्रीकरण, भारतीय रुपया, टकसाल
अन्य जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक का उद्देश्य वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड (बीएफएस) का प्राथमिक उद्देश्य वाणिज्य बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं सहित वित्तीय क्षेत्र का समेकित पर्यवेक्षण करना है।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎

भारतीय रिज़र्व बैंक (अंग्रेज़ी: Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है। यह भारत के सभी बैंकों को संचालित करता है। भारत की अर्थव्यवस्था को रिजर्व बैंक ही नियंत्रित करता है।

स्थापना

रिज़र्व बैंक की स्‍थापना के लिए सबसे पहले जनवरी, 1927 में एक विधेयक पेश किया गया और सात वर्ष बाद मार्च, 1934 में यह अधिनियम मूर्त रूप ले सका। विकासशील देशों के सबसे पुराने केन्‍द्रीय बैंकों में से रिज़र्व बैंक एक है। इसकी निर्माण यात्रा काफ़ी घटनापूर्ण रही है। केन्‍द्रीय बैंक की कार्य प्रणाली अपनाने की इसकी कोशिश न तो काफ़ी गहरी और न ही चौतरफा रही है। द्वितीय विश्‍व युद्ध छिड़ जाने की स्थिति में अपनी स्‍थापना के पहले ही दशक में रिज़र्व बैंक के कंधों पर विनिमय नियंत्रण सहित कई विशेष उत्तरदायित्व निभाने की जिम्‍मेदारी आ गई। एक निजी संस्‍थान से राष्‍ट्रीय कृत संस्‍थान के रूप में बदलाव और स्‍वतंत्रता प्राप्ति के बाद अर्थव्‍यवस्‍था में इसकी नई भूमिका दुर्जेय थी। रिज़र्व बैंक के साल-दर-साल विकास की राह पर चलते हुए कई कहानियां बनीं, जो समय के साथ इतिहास बनती चली गई। भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल सन 1935 को रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया एक्ट, 1934 के अनुसार की गयी थी। प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था, जिसे सन 1937 में मुम्बई स्थानांतरित कर दिया गया। प्रारम्भ में यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 में यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है।

कार्यालय

भारतीय रिज़र्व बैंक के 22 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से अधिकांशत: राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं।

बैंक के प्रमुख कार्य

भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं-

  • मौद्रिक नीति बनाकर उसका कार्यान्वयन और निगरानी करना।
  • वित्तीय प्रणाली का विनियमन और पर्यवेक्षण करना।
  • विदेशी मुद्रा का प्रबंधन करना।
  • मुद्रा ज़ारी कर उसका विनिमय और परिचालन करना। योग्य न रहने पर उन्हें नष्ट करना।
  • भारत सरकार का बैंकर और भारत के अन्य बैंकों के बैंकर के रुप में काम करना।
  • भारतीय मुद्रा की साख को नियन्त्रित करना।
बैंक का मूल कार्य

भारतीय रिज़र्व बैंक की प्रस्तावना में बैंक के मूल कार्य इस प्रकार निर्देशित किए गए हैं- " .......बैंक नोटों के निर्गम को नियंत्रित करना और भारत में मौद्रिक स्थायित्व प्राप्त करने की दृष्टि से प्रारक्षित निधि रखना और सामान्यत: देश के हित में मुद्रा और ऋण प्रणाली परिचालित करना।"

केंद्रीय बोर्ड द्वारा संचालित

रिज़र्व बैंक का कार्य केंद्रीय निदेशक बोर्ड द्वारा शासित होता है। भारत सरकार भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के अनुसार इस बोर्ड को नियुक्त करती है। बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति चार वर्ष के लिए होती है।

बैंक का निदेशक मंडल

रिज़र्व बैंक का कार्य केंद्रीय निदेशक बोर्ड द्वारा शासित होता है। भारत सरकार द्वारा भारतीय रिज़र्व अधिनियम के अनुसार इस बोर्ड की नियुक्ति की जाती है। बोर्ड की नियुक्ति चार वर्षों के लिए होती है।

केंद्रीय बोर्ड का गठन

सरकारी निदेशक

यह पद पूर्ण-कालिक है। गवर्नर और अधिकतम चार उपगवर्नर की नियुक्ति हो सकती है।

गैर- सरकारी निदेशक

यह निदेशक सरकार द्वारा नामित किये जाते हैं। विभिन्न क्षेत्रों से दस निदेशक और एक सरकारी अधिकारी नियुक्त किया जाता है।

अन्य

चार निदेशक नियुक्त किये जाते हैं जो चार स्थानीय बोर्डों से प्रत्येक से एक की नियुक्ति होती है।

केंद्रीय बोर्ड का कार्य

बैंक के क्रियाकलापों की देखरेख और निदेशन

स्थानीय बोर्ड

देश के चार क्षेत्रों - मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और नई दिल्ली से एक-एक का चयन किया जाता है।

सदस्यता-
  • प्रत्येक में पांच सदस्य
  • केंद्र सरकार द्वारा नियुत्त
  • चार वर्ष की अवधि के लिए

वित्तीय पर्यवेक्षण

भारतीय रिज़र्व बैंक यह कार्य वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड (बीएफएस) के दिशानिर्देशों के अनुसार करता है। इस बोर्ड की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय निदेशक बोर्ड की एक समिति के रूप में नवंबर 1994 में की गई थी।

उद्देश्य

वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड (बीएफएस) का प्राथमिक उद्देश्य वाणिज्य बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं सहित वित्तीय क्षेत्र का समेकित पर्यवेक्षण करना है।

गठन

इस बोर्ड का गठन केंद्रीय बोर्ड के चार निदेशकों को सहयोजित सदस्य के रूप में दो वर्ष की अवधि के लिए शामिल करके किया गया है तथा गवर्नर इसके अध्यक्ष हैं। रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर इसके पदेन सदस्य हैं। एक उप गवर्नर, सामान्यत: बैंकिंग नियमन और पर्यवेक्षण के प्रभारी उप गवर्नर को बोर्ड के उपाध्यक्ष के रूप में नामित किया गया है।

बीएफएस की बैठकें

बोर्ड की बैठक सामान्यत: महीने में एक बार आयोजित किया जाना आवश्यक है। इस बैठक के दौरान पर्यवेक्षण विभाग द्वारा प्रस्तुत निरीक्षण रिपोर्ट और पर्यवेक्षण से संबंधित अन्य मामलों पर विचार किया जाता है। लेखा-परीक्षा उप समिति के माध्यम से बैंकिंग पर्यवेक्षण बोर्ड बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की सांविधिक लेखा-परीक्षा और आंतरिक लेखा-परीक्षा कार्यों की गुणवत्ता बढ़ाने पर भी विचार करता है। इस उप लेखा- परीक्षा समिति के अध्यक्ष उप गवर्नर और केंद्रीय बोर्ड के दो निदेशक इसके सदस्य होते हैं।

गवर्नर के हस्ताक्षर

हर नोट पर भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर इसलिए ज़रूरी होता है क्योंकि बैंकिग सिस्टम पर किसी भी करंसी का महत्त्व तभी माना जाता है जब उस पर रिजर्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर हो। गवर्नर के हस्ताक्षर का मतलब होता है वह रिपब्लिक ऑफ इंडिया की सरकार की तरफ से देश की जनता को यह वचन देते हैं कि वह उस करंसी पर दर्ज वैल्‍यू के बदले उतने मूल्‍य की खरीददारी कर सकता है।

अन्य देशों में भूमिका

भारत के अलावा भारतीय रिज़र्व बैंक दो अन्‍य देशों पाकिस्तान और म्यांमार के सेंट्रल बैंक के रूप में अपनी भूमिका निभा चुका है। आरबीआई ने जुलाई 1948 तक पाकिस्तान और अप्रैल 1947 तक म्‍यांमार (वर्मा) के सेंट्रल बैंक के रूप में काम किया।

बैंकिंग पर्यवेक्षण बोर्ड

बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग (डीबीएस), गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग (डीएनबीएस) और वित्तीय संस्था प्रभाग (एफआईडी) के कार्य-कलापों का निरीक्षण करता है और नियमन तथा पर्यवेक्षण संबंधी मामलों पर निदेश जारी करता है।

कार्य

बैंकिंग पर्यवेक्षण बोर्ड द्वारा किये गए प्रयत्नों में निम्नलिखित शामिल हैं :

  1. बैंक निरीक्षण प्रणाली की पुनर्रचना
  2. कार्यस्थल से दूर की निगरानी को लागू करना
  3. सांविधिक लेखा परीक्षकों की भूमिका को सुदृढ़ करना
  4. पर्यवटिक्षत संस्थाओं की आंतरिक प्रतिरक्षा प्रणाली का सुदृढ़ीकरण।

करेंसी जारी करने का अधिकार

भारत में भारतीय रिज़र्व बैंक के पास करेंसी जारी करने का अधिकार है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय रिज़र्व बैंक नोट छापने के लिए मिनिमम रिजर्व सिस्टम नियम का पालन करता है। यह नियम साल 1956 में बना था। रिजर्व बैंक को करेंसी नोट प्रिंटिंग के विरुद्ध न्यूनतम 200 करोड़ रुपये का रिजर्व हमेशा रखना पड़ता है। इसमें 115 करोड़ रुपये गोल्ड और 85 करोड़ रुपये की विदेशी करेंसी रखनी जरूरी होती है।[1]

नोट छापने में खर्च

भारतीय रिज़र्व बैंक के पास करेंसी जारी करने का अधिकार है। देश में मौजूदा समय में 2000, 500, 200, 100, 50, 20, 10, 5, 2 और 1 रुपये के नोट चलन में हैं। लगभग सभी लोगों के पास रंग बिरंगे नोट होते हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इन नोटों को छापने में कितना खर्चा आता है। भारतीय रिज़र्व बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया हर नोट छापने में अलग-अलग लागत आती है। 200 रुपये के नोट छापने में भारतीय रिज़र्व बैंक को 2.93 रुपये प्रति नोट खर्च करने पडते हैं। 200 रुपये के नोट पर सांची का स्तूप की तस्वीर छपी होती है। इसी तरह 500 रुपये के नोट को छापने में 2.94 रुपये प्रति नोट खर्च होते हैं। इस नोट पर लाल किले की तस्वीर छपी होती है।

5 रुपये का पहला नोट

भारतीय रिज़र्व बैंक स्थापना 1 अप्रैल, 1935 को हुई थी यानी की आजादी के पहले ही इसकी स्थापना हो चुकी थी। स्थापना के तीन साल बाद साल 1938 में जनवरी महीने में भारतीय रिज़र्व बैंक ने पहली बार 5 रुपये का करेंसी नोट जारी किया था। इस नोट पर किंग जॉर्ज VI की तस्वीर प्रिंट हुई थी। मतलब आजादी से 9 साल पहले रिजर्व बैंक ने अपनी पहली करेंसी जारी की थी। इसके बाद 10 रुपये के नोट, मार्च में 100 रुपये के नोट और जून में 1,000 रुपये और 10,000 रुपये के करेंसी नोट जारी किए थे।

अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

  1. भारत में केंद्रीय बैंक यानी रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) की स्‍थापना हिल्टन यंग कमिशन की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी।
  2. भारतीय रिज़र्व बैंक के पास इतनी शक्ति है कि वह 1,000 रु. तक के सिक्के और 10,000 रु. तक के नोट छाप सकता है।
  3. भारतीय रिज़र्व बैंक का लोगो ईस्‍ट इंडिया कंपनी की डबल मोहर को देखकर बनाया गया था, जिसमें बस थोड़ा-सा बदलाव किया गया है।
  4. यह बैंक सिर्फ करंसी नोटों की छपाई करता है, जबकि सिक्‍कों को बनाने का काम भारत सरकार के द्वारा किया जाता है।
  5. बैंक ने 5,000 रुपए और 10,000 रुपए मूल्‍य वर्ग के नोटों की छपाई साल 1938 में की थी। इसके बाद 1954 और 1978 में भी इन नोटों की छपाई की गई थी।
  6. बैंक का नियम है, कि आप जितने मर्ज़ी सिक्के बैंक को दे सकते है वह मना नहीं कर सकता। बैंक उन सिक्कों को तोलकर या मशीन से गिनकर या तो आपके अकाउंट में जमा कर देगा या उसके बदले आपको नोट दे देगा।
  7. मनमोहन सिंह अकेले ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं, जो कि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर के पद पर कार्य कर चुके हैं।
  8. भारतीय रिज़र्व बैंक का एक नियम ये भी है कि यदि 1 से 20 रूपए तक का कोई नोट 50 फीसदी से कम फटा है तो बैंक आपको पूरे पैसे देगा लेकिन 50 फीसदी से ज़्यादा फटा है तो आपको कुछ नहीं मिलेगा। बड़े नोटों में यह सीमा 40 और 60 फीसदी हो जाती है।
  9. भारतीय रिज़र्व बैंक के इतिहास में 2 गवर्नर ऐसे भी रहे जो कभी नोटों पर हस्ताक्षर नहीं कर पाए। इनके नाम थे, के. जी. अम्बेगाओंकर और ओसबोर्न आरकेल स्मिथ



इन्हें भी देखें: भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. किस नोट को छापने में कितना खर्चा आता है (हिंदी) hindi.news18.com। अभिगमन तिथि: 03 अक्टूबर, 2021।

बाहरी कड़ियाँ

सम्बंधित लेख