"किशोर कुमार": अवतरणों में अंतर

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{{सूचना बक्सा कलाकार
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|पूरा नाम=किशोर कुमार
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'''किशोर कुमार''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kishore Kumar'', जन्म: [[4 अगस्त]], [[1929]], [[मध्य प्रदेश]]; मृत्यु: [[13 अक्टूबर]], [[1987]]) [[संगीत|भारतीय संगीत]] के इतिहास में अमर गायक, [[अभिनेता]], निर्देशक, निर्माता और गीतकार थे। किशोर कुमार का असली नाम 'आभास कुमार गांगुली' था।
किशोर कुमार भारतीय संगीत के इतिहास में अमर गायक, अभिनेता, निर्देशक, निर्माता और संगीतकार, लेखक और गीतकार थे। (जन्म- [[4 अगस्त]] सन [[1929]] ई., [[खंडवा]] [[मध्य प्रदेश]], मृत्यु- [[13 अक्टूबर]], [[1987]], [[मुंबई]])। किशोर कुमार का असली नाम 'आभास कुमार गांगुली' था।
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त, 1929 ई. को खंडवा, मध्यप्रदेश में एक बंगाली परिवार में हुआ था। किशोर कुमार एक विलक्षण शख्सियत रहे हैं। हिन्दी सिनेमा की ओर उनका बहुत बड़ा योगदान है। किशोर कुमार के पिता कुंजीलाल खंडवा शहर के जाने माने वक़ील थे। किशोर चार भाई बहनों में सबसे छोटे थे। सबसे छोटा होने के नाते किशोर कुमार को सबका प्‍यार मिला। इसी चाहत ने किशोर को इतना हंसमुख बना दिया था कि हर हाल में मुस्कुराना उनके जीवन का अंदाज बन गया। उनके सबसे बड़े भाई [[अशोक कुमार]] मुंबई में एक अभिनेता के रूप में स्थापित हो चुके थे और उनके एक और भाई अनूप कुमार भी फ़िल्मों में काम कर रहे थे।
किशोर कुमार का जन्म [[4 अगस्त]], [[1929]] ई. को [[खंडवा]], [[मध्य प्रदेश]] में एक [[बंगाली भाषा|बंगाली]] [[परिवार]] में हुआ था। किशोर कुमार एक विलक्षण शख़्सियत रहे। [[हिन्दी सिनेमा]] की ओर उनका बहुत बड़ा योगदान है। किशोर कुमार के पिता कुंजीलाल खंडवा शहर के जाने माने वक़ील थे। किशोर चार भाई बहनों में सबसे छोटे थे। सबसे छोटा होने के नाते किशोर कुमार को सबका प्‍यार मिला। इसी चाहत ने किशोर को इतना हंसमुख बना दिया था कि हर हाल में मुस्कुराना उनके जीवन का अंदाज़बन गया। उनके सबसे बड़े भाई [[अशोक कुमार]] [[मुंबई]] में एक अभिनेता के रूप में स्थापित हो चुके थे और उनके एक और भाई अनूप कुमार भी फ़िल्मों में काम कर रहे थे। किशोर कुमार बचपन से ही एक संगीतकार बनना चाहते थे, वह अपने [[पिता]] की तरह वक़ील नहीं बनना चाहते थे। किशोर कुमार ने 81 फ़िल्मों में अभिनय किया और 18 फ़िल्मों का निर्देशन भी किया। फ़िल्म 'पड़ोसन' में उन्होंने जिस मस्त मौला आदमी के किरदार को निभाया, वही किरदार वे ज़िंदगी भर अपनी असली ज़िंदगी में निभाते रहे। [[हिन्दी सिनेमा]] में इलैक्ट्रिक संगीत लाने का श्रेय किशोर कुमार को जाता है।<ref>{{cite web |url=http://hindikhabar.com/article_details.php?NewsID=4808 |title=किशोर कुमार- कुछ अनजाने तथ्य |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=हिन्दी ख़बर |language= [[हिन्दी]]}}</ref>  
 
==फ़िल्मी सफ़र==
किशोर कुमार बचपन से ही एक संगीतकार बनना चाहते थे, वह अपने पिता की तरह वक़ील नहीं बनना चाहते थे। किशोर कुमार ने 81 फ़िल्मों में अभिनय किया और 18 फ़िल्मों का निर्देशन भी किया। फ़िल्म 'पड़ोसन' में उन्होंने जिस मस्त मौला आदमी के किरदार को निभाया वही किरदार वे जिंदगी भर अपनी असली जिंदगी में निभाते रहे। हिन्दी सिनेमा में इलैक्ट्रिक संगीत लाने का श्रेय किशोर कुमार को जाता है।<ref>{{cite web |url=http://hindikhabar.com/article_details.php?NewsID=4808 |title=किशोर कुमार- कुछ अनजाने तथ्य |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=हिन्दी ख़बर |language= हिन्दी}}</ref>  
====अभिनय====  
==अभिनेता के रूप में शुरुआत==  
किशोर कुमार [[के. एल. सहगल]] के गानों से बहुत प्रभावित थे और उनकी ही तरह गायक बनना चाहते थे। किशोर कुमार के भाई [[अशोक कुमार]] की चाहत थी कि किशोर कुमार नायक के रूप में हिन्दी फ़िल्मों के हीरो के रूप में जाने जाएं, लेकिन किशोर कुमार को अदाकारी की बजाय पा‌र्श्व गायक बनने की चाहत थी। किशोर कुमार ने [[संगीत]] की प्रारंभिक शिक्षा कभी किसी से नहीं ली थी। किशोर कुमार की शुरुआत एक अभिनेता के रूप में फ़िल्म 'शिकारी' ([[1946]]) से हुई। इस फ़िल्म में उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने प्रमुख भूमिका की थी। किशोर कुमार ने [[1951]] में फणी मजूमदार द्वारा निर्मित फ़िल्म 'आंदोलन' में हीरो के रूप में काम किया मगर फ़िल्म फ्लॉप हो गई। [[1954]] में किशोर कुमार ने [[बिमल राय]] की 'नौकरी' में एक बेरोज़गार युवक की संवेदनशील भूमिका कर अपनी अभिनय प्रतिभा से भी परिचित किया। इसके बाद [[1955]] में बनी 'बाप रे बाप', [[1956]] में 'नई दिल्ली', [[1957]] में 'मि. मेरी' और 'आशा' और [[1958]] में बनी 'चलती का नाम गाड़ी' जिस में किशोर कुमार ने अपने दोनों भाईयों अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ काम किया और उनकी अभिनेत्री [[मधुबाला]] थी।
किशोर कुमार के.एल. सहगल के गानों से बहुत प्रभावित थे, और उनकी ही तरह गायक बनना चाहते थे। किशोर कुमार के भाई अशोक कुमार की चाहत थी कि किशोर कुमार नायक के रूप में हिंदी फ़िल्मों के हीरो के रूप में जाने जाएँ, लेकिन किशोर कुमार को अदाकारी की बजाये पा‌र्श्व गायक बनने की चाहत थी किशोर कुमार ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा कभी किसी से नहीं ली थी। किशोर कुमार की शुरुआत एक अभिनेता के रूप में फ़िल्म शिकारी ([[1946]]) से हुई। इस फ़िल्म में उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने प्रमुख भूमिका की थी। किशोर कुमार ने [[1951]] में फणी मजूमदार द्वारा निर्मित फ़िल्म 'आंदोलन' में हीरो के रूप में काम किया मगर फ़िल्म फ्लॉप हो गई। [[1954]] में किशोर कुमार ने बिमल राय की 'नौकरी' में एक बेरोज़गार युवक की संवेदनशील भूमिका कर अपनी अभिनय प्रतिभा से भी परिचित किया। इसके बाद [[1955]] में बनी 'बाप रे बाप', [[1956]] में 'नई दिल्ली', [[1957]] में 'मि. मेरी' और 'आशा', और [[1958]] में बनी 'चलती का नाम गाड़ी' जिस में किशोर कुमार ने अपने दोनों भाईयों अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ काम किया और उनकी अभिनेत्री मधुबाला थी।
====पार्श्वगायन====
==गायकी की शुरुआत==
{{main|पार्श्वगायन}}
किशोर कुमार को पहली बार गाने का मौक़ा 1948 में बनी फ़िल्म जिद्दी में मिला। फ़िल्म जिद्दी में किशोर कुमार ने देव आनंद के लिए गाना गाया था। 'जिद्दी' की सफलता के बावज़ूद उन्हें न तो पहचान मिली और न कोई ख़ास काम मिला। किशोर कुमार ने गायकी का एक नया अंदाज बनाया जो उस समय के नामचीन गायक रफ़ी मुकेश और सहगल से काफ़ी अलग था। किशोर कुमार सन [[1969]] में निर्माता निर्देशक शक्ति सामंत की फ़िल्म 'आराधना' के ज़रिये गायकी के दुनिया में सबसे सफल गायक बन गये। किशोर कुमार को शुरू में एस डी बर्मन और अन्य संगीत कारों ने अधिक गंभीरता से नहीं लिया और उनसे हल्के स्तर के गीत गवाए गए, लेकिन किशोर कुमार ने 1957 में बनी फ़िल्म "फंटूस" में 'दुखी मन मेरे' गीत को गाकर अपनी ऐसी धाक जमाई कि जाने माने संगीतकारों को किशोर कुमार की प्रतिभा का लोहा मानना पड़ा। किशोर कुमार को इसके बाद एस डी बर्मन ने अपने संगीत निर्देशन में कई गीत गाने का मौक़ा दिया।  
किशोर कुमार को पहली बार गाने का मौक़ा [[1948]] में बनी फ़िल्म 'ज़िद्दी' में मिला। फ़िल्म 'ज़िद्दी' में किशोर कुमार ने [[देव आनंद]] के लिए गाना गाया था। 'जिद्दी' की सफलता के बावज़ूद उन्हें न तो पहचान मिली और न कोई ख़ास काम मिला। किशोर कुमार ने गायकी का एक नया अंदाज़ बनाया जो उस समय के नामचीन गायक [[मुहम्मद रफ़ी|रफ़ी]], [[मुकेश]] और [[के. एल. सहगल|सहगल]] से काफ़ी अलग था। किशोर कुमार सन् [[1969]] में निर्माता निर्देशक [[शक्ति सामंत]] की फ़िल्म 'आराधना' के ज़रिये गायकी के दुनिया में सबसे सफल गायक बन गये। किशोर कुमार को शुरू में [[एस डी बर्मन]] और अन्य संगीतकारों ने अधिक गंभीरता से नहीं लिया और उनसे हल्के स्तर के गीत गवाए गए, लेकिन किशोर कुमार ने [[1957]] में बनी फ़िल्म "फंटूस" में 'दुखी मन मेरे' गीत को गाकर अपनी ऐसी धाक जमाई कि जाने माने संगीतकारों को किशोर कुमार की प्रतिभा का लोहा मानना पड़ा। किशोर कुमार को इसके बाद एस डी बर्मन ने अपने [[संगीत]] निर्देशन में कई गीत गाने का मौक़ा दिया। [[लता मंगेशकर]] को किशोर कुमार गायकों में सबसे ज़्यादा अच्छे लगते थे। लता जी ने कहा कि किशोर कुमार हर तरह के गीत गा लेते थे और उन्हें ये मालूम था कि कौन सा गाना किस अंदाज़ में गाना है। किशोर कुमार लता जी की बहन [[आशा भोंसले]] के भी सबसे पसंदीदा गायक थे और उनका मानना है कि किशोर अपने गाने दिल और दिमाग़ दोनों से ही गाते थे।
====<u>आर डी बर्मन के संगीत निर्देशन में</u>====
आज भी उनकी सुनहरी आवाज़ लाखों [[संगीत]] के दीवानों के दिल में बसी हुई है और उसका जादू हमारे दिलों दिमाग़ पर छाया हुआ है।<ref>{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/2009/08/090803_kishore_kumar.shtml |title=किशोर कुमार |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=बी बी सी हिन्दी |language= [[हिन्दी]]}}</ref>
आर डी बर्मन के संगीत निर्देशन में किशोर कुमार ने मुनीम जी, टैक्सी ड्राइवर, फंटूश, नौ दो ग्यारह, पेइंग गेस्ट, गाईड, ज्वेल थीफ़, प्रेमपुजारी, तेरे मेरे सपने जैसी फ़िल्मों में अपनी जादुई आवाज़ से फ़िल्मी संगीत के दीवानों को अपना दीवाना बना लिया। एक अनुमान के किशोर कुमार ने वर्ष 1940 से वर्ष 1980 के बीच के अपने करियर के दौरान क़रीब 574 से अधिक गाने गाए।  
====आर. डी. बर्मन के संगीत निर्देशन में====
====<u>अन्य भाषओं में गीत</u>====
[[आर डी बर्मन]] के संगीत निर्देशन में किशोर कुमार ने मुनीम जी, टैक्सी ड्राइवर, फंटूश, नौ दो ग्यारह, पेइंग गेस्ट, गाईड, ज्वेल थीफ़, प्रेमपुजारी, तेरे मेरे सपने जैसी फ़िल्मों में अपनी जादुई आवाज़ से फ़िल्मी संगीत के दीवानों को अपना दीवाना बना लिया। एक अनुमान के मुताबिक़ किशोर कुमार ने वर्ष 1940 से वर्ष 1980 के बीच के अपने करियर के दौरान क़रीब 574 से अधिक गाने गाए।  
किशोर कुमार ने हिन्दी के साथ ही [[तमिल भाषा|तमिल]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[असमिया भाषा|असमी]], [[गुजराती भाषा|गुजराती]], [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]], [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]], [[मलयालम भाषा|मलयालम]] और [[उड़िया भाषा|उड़िया]] फ़िल्मों के लिए भी गीत गाए।  
====अन्य भाषाओं में गीत====
==फ़िल्म फेयर अवार्ड==
किशोर कुमार ने हिन्दी के साथ ही [[तमिल भाषा|तमिल]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[असमिया भाषा|असमी]], [[गुजराती भाषा|गुजराती]], [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]], [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]], [[मलयालम भाषा|मलयालम]] और [[उड़िया भाषा|उड़िया]] फ़िल्मों के लिए भी गीत गाए।
किशोर कुमार को आठ फ़िल्म फेयर अवार्ड मिले हैं। किशोर कुमार को पहला फ़िल्म फेयर अवार्ड 1969 में 'अराधना' फ़िल्म के गीत 'रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना' के लिए दिया गया था। किशोर कुमार की ख़ासियत यह थी कि उन्होंने देव आनंद से लेकर राजेश खन्ना, [[अमिताभ बच्चन]] के लिए अपनी आवाज़ दी और इन सभी अभिनेताओं पर उनकी आवाज़ ऐसी रची बसी मानो किशोर ख़ुद उनके अंदर मौज़ूद हों।
==वैवाहिक जीवन==
==वैवाहिक जीवन==
किशोर कुमार की पहली शादी रुमा देवी के से हुई थी, लेकिन जल्दी ही शादी टूट गई और इस के बाद उन्होंने मधुबाला के साथ विवाह किया। उस दौर में दिलीप कुमार जैसे सफल और शोहरत की बुलंदियों पर पहुँचे अभिनेता जहाँ मधुबाला जैसी रूप सुंदरी का दिल नहीं जीत पाए वही मधुबाला किशोर कुमार की दूसरी पत्नी बनी। [[1961]] में बनी फ़िल्म 'झुमरु' में दोनों एक साथ आए। यह फ़िल्म किशोर कुमार ने ही बनाई थी और उन्होंने ख़ुद ही इसका निर्देशन किया था। इस के बाद दोनों ने [[1962]] में बनी फ़िल्म 'हाफ टिकट' में एक साथ काम किया जिस में किशोर कुमार ने यादगार कॉमेडी कर अपनी एक अलग छवि पेश की। [[1976]] में उन्होंने योगिता बाली से शादी की मगर इन दोनों का यह साथ मात्र कुछ महीनों का ही रहा। इसके बाद योगिता बाली ने मिथुन चक्रवर्ती से शादी कर ली। [[1980]] में किशोर कुमार ने चौथी शादी लीना चंद्रावरकर से की जो उम्र में उनके बेटे अमित से दो साल बड़ी थीं।
किशोर कुमार की पहली [[विवाह|शादी]] रुमा देवी के से हुई थी, लेकिन जल्दी ही शादी टूट गई और इस के बाद उन्होंने [[मधुबाला]] के साथ विवाह किया। उस दौर में [[दिलीप कुमार]] जैसे सफल और शोहरत की बुलंदियों पर पहुँचे अभिनेता जहाँ मधुबाला जैसी रूप सुंदरी का दिल नहीं जीत पाए, वहीं मधुबाला किशोर कुमार की दूसरी पत्नी बनी। [[1961]] में बनी फ़िल्म 'झुमरु' में दोनों एक साथ आए। यह फ़िल्म किशोर कुमार ने ही बनाई थी और उन्होंने ख़ुद ही इसका निर्देशन किया था। इसके बाद दोनों ने [[1962]] में बनी फ़िल्म 'हाफ़ टिकट' में एक साथ काम किया, जिसमें किशोर कुमार ने यादगार कॉमेडी कर अपनी एक अलग छवि पेश की। [[1976]] में उन्होंने योगिता बाली से शादी की, मगर इन दोनों का यह साथ मात्र कुछ महीनों का ही रहा। इसके बाद योगिता बाली ने [[मिथुन चक्रवर्ती]] से शादी कर ली। [[1980]] में किशोर कुमार ने चौथी शादी लीना चंद्रावरकर से की जो उम्र में उनके बेटे अमित से दो साल बड़ी थीं।
==हिन्दी सिनेमा जगत में प्रचलित किस्से== 
[[चित्र:Kishor-Kumar-2.jpg|thumb|220px|किशोर कुमार के सम्मान में भारत सरकार द्वारा जारी डाक टिकट]]
किशोर कुमार की आवाज़ की पुरानी के साथ-साथ नई पीढ़ी भी दीवानी है। किशोर जितने उम्दा कलाकार थे, उतने ही रोचक इंसान भी थे। उनके कई किस्से हिन्दी सिनेमा जगत में प्रचलित हैं।
====<u>रशोकि रमाकु</u>====
किशोर कुमार को अटपटी बातों को अपने चटपटे अंदाज में कहने का फ़ितूर था। ख़ासकर गीतों की पंक्ति को दाएँ से बाएँ गाने में किशोर कुमार ने महारत हासिल कर ली थी। नाम पूछने पर वह कहते थे- रशोकि रमाकु।
====<u>तीन नायकों को बनाया महानायक</u>====
किशोर कुमार ने हिन्दी सिनेमा के तीन नायकों को महानायक का दर्जा दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उनकी आवाज़ के जादू से देव आनंद सदाबहार हीरो कहलाए। राजेश खन्ना को सुपर सितारा कहा जाने लगा और [[अमिताभ बच्चन]] महानायक हो गए।


====<u>मनोरंजन कर</u>====
==किशोर कुमार की प्रमुख फ़िल्में==
{| class="bharattable-pink"
|+ किशोर कुमार की प्रमुख फ़िल्में
|-
! वर्ष
! फ़िल्म
|-
| 1988
| कौन जीता कौन हारा
|-
| 1982
| चलती का नाम गाड़ी
|-
| 1974
| बढ़ती का नाम दाढ़ी
|-
| 1971
| दूर का राही
|-
| 1971
| हंगामा
|-
| 1968
| साधू और शैतान
|-
| 1968
| पड़ोसन
|-
| 1968
| हाय मेरा दिल
|-
| 1966
| प्यार किये जा
|-
| 1966
| लड़का लड़की
|-
| 1964
| दूर गगन की छाँव में  
|-
| 1964
| मिस्टर एक्स इन बॉम्बे
|-
| 1962
| हाफ टिकट
|-
| 1962
| मनमौजी
|-
| 1962
| नॉटी बॉय  
|-
| 1961
| झुमरू  
|-
| 1960
| गर्ल फ्रैंड
|-
| 1960
| महलों के ख़्वाब
|-
| 1960
| काला बाज़ार
|-
| 1959
| चाचा ज़िन्दाबाद
|-
| 1958
| चलती का नाम गाड़ी
|-
| 1958
| रागिनी  
|-
| 1957
| आशा
|-
| 1957
| मिस मैरी
|-
| 1957
| बंदी
|-
| 1956
| भाई भाई
|-
| 1956
| पैसा ही पैसा
|-
| 1956
| ढाके की मलमल
|-
| 1956
| मेम साहिब
|-
| 1955
| भगवत महिमा
|-
| 1955
| पहली झलक
|-
| 1955
| बाप रे बाप
|-
| 1954
| नौकरी
|-
| 1954
| धोबी डॉक्टर
|-
| 1953
| लड़की
|-
| 1952
| तमाशा
|-
| 1946
| शिकारी
|}
==किशोर कुमार के कुछ प्रसिद्ध गीत==
{| width="100%" class="bharattable-pink"
|+ किशोर कुमार के कुछ प्रसिद्ध गीत<ref>{{cite web |url=http://hindi-lyrics.blogspot.com/2010/07/blog-post.html |title=किशोर कुमार |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=गाना बजाना |language=[[हिन्दी]]}}</ref>  
|-
!  गीत
!  फ़िल्म
!  संगीतकार
|-
| हमें और जीने की चाहत न होती...
| अगर तुम न होते
| [[राहुल देव बर्मन]]
|-
| आदमी जो कहता है…
| मजबूर
| [[लक्ष्मीकांत प्यारेलाल]]
|-
| आने वाला पल जाने वाला है…
| गोलमाल (1979)
| [[राहुल देव बर्मन]]
|-
| ओ मेरे दिल के चैन…
| मेरे जीवन साथी
| [[राहुल देव बर्मन]]
|-
| कोई हमदम न रहा…
| झूमरू
| किशोर कुमार
|-
| खाईके पान बनारस वाला…
| डॉन (1978)
| कल्याणजी-आनंदजी
|-
| ख्वाब हो तुम या कोई हक़ीकत कौन हो तुम बतलाओ…
| तीन देवियाँ
| [[राहुल देव बर्मन]]
|-
| गीत गाता हूँ मैं…
| लाल पत्थर
| [[शंकर जयकिशन]]
|-
| घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं…
| चोर मचाये शोर
| रविन्द्र जैन
|-
| चलते चलते मेरे ये गीत…
| चलते चलते
| बप्पी लहरी
|-
| चिंगारी कोई भड़के…
| अमरप्रेम
| [[राहुल देव बर्मन]]
|-
| छूकर मेरे मन को…
| याराना
| राजेश रोशन
|-
| जीवन से भरी तेरी आँखें…
| सफ़र
| कल्याणजी-आनंदजी
|-
| तेरी दुनिया से, होके मजबूर चला…
| पवित्र पापी
| प्रेम धवन
|-
| दिल आज शायर है…
| गैम्बलर
| [[सचिन देव बर्मन]]
|-
| दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा…
| अमानुष
| श्यामल मित्रा
|-
| दीवाना लेके आया है…
| मेरे जीवन  साथी
| [[राहुल देव बर्मन]]
|-
| दुखी मन मेरे, सुन मेरा कहना…
| फंटूश
| [[सचिन देव बर्मन]]
|-
| प्यार दीवाना होता है…
| कटी पतंग
| [[राहुल देव बर्मन]]
|-
| फिर वोही रात है…
| फिर वो ही रात
| [[राहुल देव बर्मन]]
|-
| फूलों का तारों का…
| हरे रामा हरे कृष्णा
| [[राहुल देव बर्मन]]
|-
| माना जनाब ने पुकारा नहीं…
| पेइंग गेस्ट
| [[सचिन देव बर्मन]]
|-
| मुसाफ़िर हूँ यारो…
| परिचय
| [[सचिन देव बर्मन]]
|-
| मेरा जीवन कोरा काग़ज़ कोरा ही रह गया…
| कोरा काग़ज़
| कल्याणजी आनंदजी
|-
| मेरी भीगी भीगी सी…
| अनामिका
| [[राहुल देव बर्मन]]
|-
| मेरे नैना सावन भादों…
| महबूबा
| [[राहुल देव बर्मन]]
|-
| मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू…
| आराधना
| [[सचिन देव बर्मन]]
|-
| ये जीवन है…
| पिया का घर
| [[लक्ष्मीकांत प्यारेलाल]]
|-
| ये दिल न होता बेचारा…
| ज्वेल थीफ
| [[सचिन देव बर्मन]]
|-
| ये शाम मस्तानी, मदहोश किये जाये…
| कटी पतंग
| [[राहुल देव बर्मन]]
|-
| रिम झिम गिरे सावन…
| मंज़िल
| [[राहुल देव बर्मन]]
|-
| रोते हुए आते हैं सब…
| मुकद्दर का सिकंदर
| कल्याणजी आनंदजी
|-
| सागर जैसी आँखों वाली…
| सागर
| [[राहुल देव बर्मन]]
|-
| हम हैं राही प्यार के…
| नौ दो ग्यारह
| [[सचिन देव बर्मन]]
|-
|  हमें तुमसे प्यार कितना…
| कुदरत
| [[राहुल देव बर्मन]]
|-
| ज़िंदगी इक सफ़र है सुहाना…
| अंदाज़
| [[शंकर जयकिशन]]
|-
| ज़िंदगी प्यार का गीत है…
| सौतन
| ऊषा खन्ना
|}
==फ़िल्म फेयर पुरस्कार==
किशोर कुमार को आठ फ़िल्म फेयर अवार्ड मिले हैं। किशोर कुमार को पहला फ़िल्म फेयर अवार्ड [[1969]] में 'अराधना' फ़िल्म के गीत 'रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना' के लिए दिया गया था। किशोर कुमार की ख़ासियत यह थी कि उन्होंने [[देव आनंद]] से लेकर [[राजेश खन्ना]], [[अमिताभ बच्चन]] के लिए अपनी आवाज़ दी और इन सभी अभिनेताओं पर उनकी आवाज़ ऐसी रची बसी मानो किशोर ख़ुद उनके अंदर मौजूद हों।
==हिन्दी सिनेमा जगत् में प्रचलित किस्से== 
[[चित्र:Kishor-Kumar-2.jpg|thumb|220px|किशोर कुमार के सम्मान में जारी [[डाक टिकट]]]]
किशोर कुमार की आवाज़ की पुरानी के साथ-साथ नई पीढ़ी भी दीवानी है। किशोर जितने उम्दा कलाकार थे, उतने ही रोचक इंसान भी थे। उनके कई किस्से [[हिन्दी सिनेमा|हिन्दी सिनेमा जगत]] में प्रचलित हैं।
====रशोकि रमाकु====
किशोर कुमार को अटपटी बातों को अपने चटपटे अंदाज़में कहने का फ़ितूर था। ख़ासकर गीतों की पंक्ति को दाएँ से बाएँ गाने में किशोर कुमार ने महारत हासिल कर ली थी। नाम पूछने पर वह कहते थे- रशोकि रमाकु।
====तीन नायकों को बनाया महानायक====
किशोर कुमार ने हिन्दी सिनेमा के तीन नायकों को महानायक का दर्जा दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उनकी आवाज़ के जादू से देव आनंद सदाबहार हीरो कहलाए। [[राजेश खन्ना]] को सुपर सितारा कहा जाने लगा और [[अमिताभ बच्चन]] महानायक हो गए।
====मनोरंजन कर====
किशोर कुमार ने बारह साल की उम्र तक गीत-संगीत में महारत हासिल कर ली थी। किशोर कुमार रेडियो पर गाने सुनकर उनकी धुन पर थिरकते थे। किशोर कुमार फ़िल्मी गानों की किताब जमा कर उन्हें कंठस्थ करके गाते थे। घर आने वाले मेहमानों को किशोर कुमार अभिनय सहित गाने सुनाते तो 'मनोरंजन-कर' के रूप में कुछ इनाम भी माँग लेते थे।  
किशोर कुमार ने बारह साल की उम्र तक गीत-संगीत में महारत हासिल कर ली थी। किशोर कुमार रेडियो पर गाने सुनकर उनकी धुन पर थिरकते थे। किशोर कुमार फ़िल्मी गानों की किताब जमा कर उन्हें कंठस्थ करके गाते थे। घर आने वाले मेहमानों को किशोर कुमार अभिनय सहित गाने सुनाते तो 'मनोरंजन-कर' के रूप में कुछ इनाम भी माँग लेते थे।  
====<u>बाथरूम गायक</u>====
====बाथरूम गायक====
एक दिन अशोक कुमार के घर अचानक संगीतकार सचिन देव वर्मन पहुँच गए। बैठक में उन्होंने गाने की आवाज़ सुनी तो दादा मुनि से पूछा, 'कौन गा रहा है?' अशोक कुमार ने जवाब दिया- 'मेरा छोटा भाई है'। जब तक गाना नहीं गाता, उसका नहाना पूरा नहीं होता।' सचिन-दा ने बाद में किशोर कुमार को जीनियस गायक बना दिया।
एक दिन अशोक कुमार के घर अचानक संगीतकार [[सचिन देव वर्मन]] पहुँच गए। बैठक में उन्होंने गाने की आवाज़ सुनी तो दादा मुनि से पूछा, 'कौन गा रहा है?' अशोक कुमार ने जवाब दिया- 'मेरा छोटा भाई है'। जब तक गाना नहीं गाता, उसका नहाना पूरा नहीं होता।' सचिन-दा ने बाद में किशोर कुमार को जीनियस गायक बना दिया।
====<u>दो बार आवाज़ उधार ली</u>====
====दो बार आवाज़ उधार ली====
मोहम्मद रफ़ी ने पहली बार किशोर कुमार को अपनी आवाज़ फ़िल्म 'रागिनी' में गीत 'मन मोरा बावरा' के लिए उधार दी। दूसरी बार शंकर-जयकिशन की फ़िल्म 'शरारत' में रफ़ी ने किशोर के लिए-'अजब है दास्ताँ तेरी ये जिंदगी।' गीत गाया।  
[[मोहम्मद रफ़ी]] ने पहली बार किशोर कुमार को अपनी आवाज़ फ़िल्म 'रागिनी' में गीत 'मन मोरा बावरा' के लिए उधार दी। दूसरी बार [[शंकर जयकिशन|शंकर-जयकिशन]] की फ़िल्म 'शरारत' में रफ़ी ने किशोर के लिए- 'अजब है दास्ताँ तेरी ये ज़िंदगी' गीत गाया।  
====<u>मेहमूद से लिया बदला</u>====
====महमूद से लिया बदला====
मेहमूद ने फ़िल्म 'प्यार किए जा' में कॉमेडियन किशोर कुमार, शशि कपूर और ओमप्रकाश से ज़्यादा पैसे वसूले थे। किशोर को यह बात अखर गई। किशोर कुमार ने इसका बदला मेहमूद से फ़िल्म 'पड़ोसन' में दुगुना पैसा लेकर लिया।  
[[महमूद]] ने फ़िल्म 'प्यार किए जा' में कॉमेडियन किशोर कुमार, [[शशि कपूर]] और [[ओमप्रकाश]] से ज़्यादा पैसे वसूले थे। किशोर को यह बात अखर गई। किशोर कुमार ने इसका बदला महमूद से फ़िल्म 'पड़ोसन' में दुगुना पैसा लेकर लिया।  
====<u>खंडवे वाले की राम-राम</u>====
====खंडवे वाले की राम-राम====
किशोर कुमार ने जब-जब स्टेज-शो किए, हमेशा हाथ जोड़कर सबसे पहले संबोधन करते थे- 'मेरे दादा-दादियों।' मेरे नाना-नानियों। मेरे भाई-बहनों, तुम सबको खंडवे वाले किशोर कुमार का राम-राम। नमस्कार।
किशोर कुमार ने जब-जब स्टेज-शो किए, हमेशा हाथ जोड़कर सबसे पहले संबोधन करते थे- 'मेरे दादा-दादियों।' मेरे नाना-नानियों। मेरे भाई-बहनों, तुम सबको खंडवे वाले किशोर कुमार का राम-राम। नमस्कार।
====<u>हरफनमौला</u>====
====हरफनमौला====
किशोर कुमार का बचपन तो खंडवा में बीता, लेकिन जब वे किशोर हुए तो [[इंदौर]] के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ने आए। हर सोमवार सुबह खंडवा से मीटरगेज की छुक-छुक रेलगाड़ी में इंदौर आते और शनिवार शाम लौट जाते। सफर में वे हर स्टेशन पर डिब्बा बदल लेते और मुसाफ़िरों को नए-नए गाने सुनाकर मनोरंजन करते थे।
किशोर कुमार का बचपन तो खंडवा में बीता, लेकिन जब वे किशोर हुए तो [[इंदौर]] के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ने आए। हर सोमवार सुबह खंडवा से मीटरगेज की छुक-छुक रेलगाड़ी में इंदौर आते और शनिवार शाम लौट जाते। सफर में वे हर स्टेशन पर डिब्बा बदल लेते और मुसाफ़िरों को नए-नए गाने सुनाकर मनोरंजन करते थे।
====<u>खंडवा की दूध जलेबी</u>====
====खंडवा की दूध जलेबी====
किशोर कुमार जिंदगीभर कस्बाई चरित्र के भोले मानस बने रहे। मुंबई की भीड़-भाड़, पार्टियाँ और ग्लैमर के चेहरों में वे कभी शामिल नहीं हो पाए। इसलिए उनकी आख़िरी इच्छा थी कि खंडवा में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाए। इस इच्छा को पूरा किया गया, वे कहा करते थे- 'फ़िल्मों से संन्यास लेने के बाद वे खंडवा में ही बस जाएँगे और रोजाना दूध-जलेबी खाएँगे।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/entertainment/film/articles/1008/04/1100804022_1.htm |title=किशोर कुमार |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम |publisher=वेबदुनिया |language= हिन्दी}}</ref>
किशोर कुमार ज़िंदगीभर क़स्बाई चरित्र के भोले मानस बने रहे। [[मुंबई]] की भीड़-भाड़, पार्टियाँ और ग्लैमर के चेहरों में वे कभी शामिल नहीं हो पाए। इसलिए उनकी आख़िरी इच्छा थी कि खंडवा में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाए। इस इच्छा को पूरा किया गया, वे कहा करते थे- 'फ़िल्मों से सन्न्यास लेने के बाद वे खंडवा में ही बस जाएँगे और रोजाना [[दूध]]-[[जलेबी]] खाएँगे।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/entertainment/film/articles/1008/04/1100804022_1.htm |title=किशोर कुमार |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम |publisher=वेबदुनिया |language= [[हिन्दी]]}}</ref>
==प्रिय गायक==  
==मृत्यु==
[[लता मंगेशकर]] को किशोर गायकों में सबसे ज़्यादा अच्छे लगते थे। लता जी ने कहा कि किशोर हर तरह के गीत गा लेते थे और उन्हें ये मालूम था कि कौन सा गाना किस अंदाज़ में गाना है। किशोर कुमार लता जी की बहन [[आशा भोंसले]] के भी सबसे पसंदीदा गायक थे और उनका मानना है कि किशोर अपने गाने दिल और दिमाग़ दोनों से ही गाते थे।
वर्ष [[1987]] में किशोर कुमार ने मुंबई की भागम-दौड़ वाली ज़िंदगी से उब कर यह फैसला किया कि वह फ़िल्मों से सन्न्यास लेने के बाद वापस अपने गाँव खंडवा जाकर रहेंगे। लेकिन उनका यह सपना भी अधूरा ही रह गया। [[13 अक्टूबर]] [[1987]] को उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह पूरी दुनिया से विदा हो गये।<ref>{{cite web |url=http://www.hindigaurav.com/entertainment-news-0-35 |title=किशोर कुमार एक मस्तमौला इंसान |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=हिन्दी गौरव |language=[[हिन्दी]] }}</ref>भले ही वो आज हमारे बीच नहीं है। लेकिन अपनी सुरमयी आवाज़ और बेहतरीन अदायकी से वो हमेशा हमारे बीच रहेंगे।<ref>{{cite web |url=http://thatshindi.oneindia.in/movies/bollywood/news/2010/08/happy-birthday-kishor-kumar.html |title=किशोर कुमार |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=दैट्स हिन्दी |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
आज भी उनकी सुनहरी आवाज़ लाखों संगीत के दीवानों के दिल में बसी हुई है और उसका जादू हमारे दिलों दिमाग़ पर छाया हुआ है. आज अगर वे ज़िंदा होते तो अस्सी बरस के होते।<ref>{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/2009/08/090803_kishore_kumar.shtml |title=किशोर कुमार |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=बी बी सी हिन्दी |language= हिन्दी}}</ref>
==किशोर कुमार के प्रसिद्ध गाने==
<poem>
अगर तुम न होते…
आ चल के तुझे मैं लेके चलूँ…
आदमी जो कहता है…
आने वाला पल जाने वाला है…
ऐ खुदा हर फ़ैसला तेरा मुझे मंज़ूर है…
ओ मेरे दिल के चैन…
कितने सपने कितने अरमान लाया हूँ मैं…
कोई हमदम न रहा…
खाईके पान बनारस वाला…
ख्वाब हो तुम या कोई हक़ीकत कौन हो तुम बतलाओ…
गीत गाता हूँ मैं…
घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं…
चलते चलते मेरे ये गीत…
चिंगारी कोई भड़के…
छूकर मेरे मन को…
जीवन से भरी तेरी आँखें…
तेरी दुनिया से, होके मजबूर चला…
दिल आज शायर है…
दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा…
दीवाना लेके आया है…
दुखी मन मेरे, सुन मेरा कहना…
प्यार दीवाना होता है…
फिर वोही रात है…
फूलों का तारों का…
माना जनाब ने पुकारा नहीं…
मुसाफ़िर हूँ यारो…
मेरा जीवन कोरा कागज़ कोरा ही रह गया…
मेरी भीगी भीगी सी…
मेरे नैना सावन भादों…
मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू…
मैं शायर बदनाम…
ये क्या हुआ…
ये जीवन है…
ये दिल न होता बेचारा…
ये लाल रंग…
ये शाम मसतानी…
रिम झिम गिरे सावन…
रोते हुए आते हैं सब…
वो शाम कुछ अजीब थी…
सागर जैसी आँखों वाली…
हम हैं राही प्यार के…
हमें तुमसे प्यार कितना…
ज़िंदगी इक सफ़र है सुहाना…
ज़िंदगी का सफ़र…
ज़िंदगी प्यार का गीत है…<ref>{{cite web |url=http://hindi-lyrics.blogspot.com/2010/07/blog-post.html |title=किशोर कुमार |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=गाना बजाना |language=हिन्दी}}</ref> </poem>


==मृत्यु==
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
वर्ष [[1987]] में किशोर कुमार ने मुंबई की भागम-दौड़ वाली जिंदगी से उब कर यह फैसला किया कि वह फ़िल्मों से संन्यास लेने के बाद वापस अपने गाँव खंडवा जाकर रहेंगे। लेकिन उनका यह सपना भी अधूरा ही रह गया। 13 अक्टूबर 1987 को उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह पूरी दुनिया से विदा हो गये।<ref>{{cite web |url=http://www.hindigaurav.com/entertainment-news-0-35 |title=किशोर कुमार एक मस्तमौला इंसान |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=हिन्दी गौरव |language=हिन्दी }}</ref>भले ही वो आज हमारे बीच नहीं है। लेकिन अपनी सुरमयी आवाज और बेहतरीन अदायकी से वो हमेशा हमारे बीच रहेंगे।<ref>{{cite web |url=http://thatshindi.oneindia.in/movies/bollywood/news/2010/08/happy-birthday-kishor-kumar.html |title=किशोर कुमार |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=दैट्स हिन्दी |language=हिन्दी }}</ref>
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.bollango.com/cgi-bin/akf_search.tcl?key=movie&actor=kishore+kumar किशोर कुमार के गानों की सूची]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{पार्श्वगायक}}
{{फ़िल्म निर्माता और निर्देशक}}{{पार्श्वगायक}}{{अभिनेता}}{{किशोर कुमार के गीत}}
{{अभिनेता}}
__INDEX__
__NOTOC__
[[Category:गायक]]
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10:00, 11 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

किशोर कुमार
किशोर कुमार
किशोर कुमार
पूरा नाम आभास कुमार गांगुली
प्रसिद्ध नाम किशोर कुमार
जन्म 4 अगस्त 1929
जन्म भूमि खंडवा, मध्य प्रदेश
मृत्यु 13 अक्टूबर, 1987
मृत्यु स्थान मुम्बई
अभिभावक कुंजलाल गांगुली
पति/पत्नी रुमा देवी, मधुबाला, योगिता बाली, लीना चंद्रावरकर
संतान अमित कुमार
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र अभिनेता, निर्देशक, निर्माता, लेखक, गीतकार
मुख्य फ़िल्में पड़ोसन, आराधना, प्रेमपुजारी, तेरे मेरे सपने, चलती का नाम गाड़ी, हाफ़ टिकट
विद्यालय क्रिश्चियन कॉलेज, इंदौर
पुरस्कार-उपाधि आठ बार फ़िल्म फेयर पुरस्कार (पार्श्व गायन)
नागरिकता भारतीय
मुख्य गीत 'रूप तेरा मस्ताना', दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा, खाइके पान बनारस वाला
अन्य जानकारी किशोर कुमार ने 80 से अधिक फ़िल्मों में अभिनय किया और 10 से अधिक फ़िल्मों का निर्देशन भी किया। एक अनुमान के मुताबिक़ किशोर कुमार ने वर्ष 1940 से वर्ष 1980 के बीच के अपने कैरियर के दौरान क़रीब 574 से अधिक गाने गाए।

किशोर कुमार (अंग्रेज़ी: Kishore Kumar, जन्म: 4 अगस्त, 1929, मध्य प्रदेश; मृत्यु: 13 अक्टूबर, 1987) भारतीय संगीत के इतिहास में अमर गायक, अभिनेता, निर्देशक, निर्माता और गीतकार थे। किशोर कुमार का असली नाम 'आभास कुमार गांगुली' था।

जीवन परिचय

किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त, 1929 ई. को खंडवा, मध्य प्रदेश में एक बंगाली परिवार में हुआ था। किशोर कुमार एक विलक्षण शख़्सियत रहे। हिन्दी सिनेमा की ओर उनका बहुत बड़ा योगदान है। किशोर कुमार के पिता कुंजीलाल खंडवा शहर के जाने माने वक़ील थे। किशोर चार भाई बहनों में सबसे छोटे थे। सबसे छोटा होने के नाते किशोर कुमार को सबका प्‍यार मिला। इसी चाहत ने किशोर को इतना हंसमुख बना दिया था कि हर हाल में मुस्कुराना उनके जीवन का अंदाज़बन गया। उनके सबसे बड़े भाई अशोक कुमार मुंबई में एक अभिनेता के रूप में स्थापित हो चुके थे और उनके एक और भाई अनूप कुमार भी फ़िल्मों में काम कर रहे थे। किशोर कुमार बचपन से ही एक संगीतकार बनना चाहते थे, वह अपने पिता की तरह वक़ील नहीं बनना चाहते थे। किशोर कुमार ने 81 फ़िल्मों में अभिनय किया और 18 फ़िल्मों का निर्देशन भी किया। फ़िल्म 'पड़ोसन' में उन्होंने जिस मस्त मौला आदमी के किरदार को निभाया, वही किरदार वे ज़िंदगी भर अपनी असली ज़िंदगी में निभाते रहे। हिन्दी सिनेमा में इलैक्ट्रिक संगीत लाने का श्रेय किशोर कुमार को जाता है।[1]

फ़िल्मी सफ़र

अभिनय

किशोर कुमार के. एल. सहगल के गानों से बहुत प्रभावित थे और उनकी ही तरह गायक बनना चाहते थे। किशोर कुमार के भाई अशोक कुमार की चाहत थी कि किशोर कुमार नायक के रूप में हिन्दी फ़िल्मों के हीरो के रूप में जाने जाएं, लेकिन किशोर कुमार को अदाकारी की बजाय पा‌र्श्व गायक बनने की चाहत थी। किशोर कुमार ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा कभी किसी से नहीं ली थी। किशोर कुमार की शुरुआत एक अभिनेता के रूप में फ़िल्म 'शिकारी' (1946) से हुई। इस फ़िल्म में उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने प्रमुख भूमिका की थी। किशोर कुमार ने 1951 में फणी मजूमदार द्वारा निर्मित फ़िल्म 'आंदोलन' में हीरो के रूप में काम किया मगर फ़िल्म फ्लॉप हो गई। 1954 में किशोर कुमार ने बिमल राय की 'नौकरी' में एक बेरोज़गार युवक की संवेदनशील भूमिका कर अपनी अभिनय प्रतिभा से भी परिचित किया। इसके बाद 1955 में बनी 'बाप रे बाप', 1956 में 'नई दिल्ली', 1957 में 'मि. मेरी' और 'आशा' और 1958 में बनी 'चलती का नाम गाड़ी' जिस में किशोर कुमार ने अपने दोनों भाईयों अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ काम किया और उनकी अभिनेत्री मधुबाला थी।

पार्श्वगायन

किशोर कुमार को पहली बार गाने का मौक़ा 1948 में बनी फ़िल्म 'ज़िद्दी' में मिला। फ़िल्म 'ज़िद्दी' में किशोर कुमार ने देव आनंद के लिए गाना गाया था। 'जिद्दी' की सफलता के बावज़ूद उन्हें न तो पहचान मिली और न कोई ख़ास काम मिला। किशोर कुमार ने गायकी का एक नया अंदाज़ बनाया जो उस समय के नामचीन गायक रफ़ी, मुकेश और सहगल से काफ़ी अलग था। किशोर कुमार सन् 1969 में निर्माता निर्देशक शक्ति सामंत की फ़िल्म 'आराधना' के ज़रिये गायकी के दुनिया में सबसे सफल गायक बन गये। किशोर कुमार को शुरू में एस डी बर्मन और अन्य संगीतकारों ने अधिक गंभीरता से नहीं लिया और उनसे हल्के स्तर के गीत गवाए गए, लेकिन किशोर कुमार ने 1957 में बनी फ़िल्म "फंटूस" में 'दुखी मन मेरे' गीत को गाकर अपनी ऐसी धाक जमाई कि जाने माने संगीतकारों को किशोर कुमार की प्रतिभा का लोहा मानना पड़ा। किशोर कुमार को इसके बाद एस डी बर्मन ने अपने संगीत निर्देशन में कई गीत गाने का मौक़ा दिया। लता मंगेशकर को किशोर कुमार गायकों में सबसे ज़्यादा अच्छे लगते थे। लता जी ने कहा कि किशोर कुमार हर तरह के गीत गा लेते थे और उन्हें ये मालूम था कि कौन सा गाना किस अंदाज़ में गाना है। किशोर कुमार लता जी की बहन आशा भोंसले के भी सबसे पसंदीदा गायक थे और उनका मानना है कि किशोर अपने गाने दिल और दिमाग़ दोनों से ही गाते थे। आज भी उनकी सुनहरी आवाज़ लाखों संगीत के दीवानों के दिल में बसी हुई है और उसका जादू हमारे दिलों दिमाग़ पर छाया हुआ है।[2]

आर. डी. बर्मन के संगीत निर्देशन में

आर डी बर्मन के संगीत निर्देशन में किशोर कुमार ने मुनीम जी, टैक्सी ड्राइवर, फंटूश, नौ दो ग्यारह, पेइंग गेस्ट, गाईड, ज्वेल थीफ़, प्रेमपुजारी, तेरे मेरे सपने जैसी फ़िल्मों में अपनी जादुई आवाज़ से फ़िल्मी संगीत के दीवानों को अपना दीवाना बना लिया। एक अनुमान के मुताबिक़ किशोर कुमार ने वर्ष 1940 से वर्ष 1980 के बीच के अपने करियर के दौरान क़रीब 574 से अधिक गाने गाए।

अन्य भाषाओं में गीत

किशोर कुमार ने हिन्दी के साथ ही तमिल, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उड़िया फ़िल्मों के लिए भी गीत गाए।

वैवाहिक जीवन

किशोर कुमार की पहली शादी रुमा देवी के से हुई थी, लेकिन जल्दी ही शादी टूट गई और इस के बाद उन्होंने मधुबाला के साथ विवाह किया। उस दौर में दिलीप कुमार जैसे सफल और शोहरत की बुलंदियों पर पहुँचे अभिनेता जहाँ मधुबाला जैसी रूप सुंदरी का दिल नहीं जीत पाए, वहीं मधुबाला किशोर कुमार की दूसरी पत्नी बनी। 1961 में बनी फ़िल्म 'झुमरु' में दोनों एक साथ आए। यह फ़िल्म किशोर कुमार ने ही बनाई थी और उन्होंने ख़ुद ही इसका निर्देशन किया था। इसके बाद दोनों ने 1962 में बनी फ़िल्म 'हाफ़ टिकट' में एक साथ काम किया, जिसमें किशोर कुमार ने यादगार कॉमेडी कर अपनी एक अलग छवि पेश की। 1976 में उन्होंने योगिता बाली से शादी की, मगर इन दोनों का यह साथ मात्र कुछ महीनों का ही रहा। इसके बाद योगिता बाली ने मिथुन चक्रवर्ती से शादी कर ली। 1980 में किशोर कुमार ने चौथी शादी लीना चंद्रावरकर से की जो उम्र में उनके बेटे अमित से दो साल बड़ी थीं।

किशोर कुमार की प्रमुख फ़िल्में

किशोर कुमार की प्रमुख फ़िल्में
वर्ष फ़िल्म
1988 कौन जीता कौन हारा
1982 चलती का नाम गाड़ी
1974 बढ़ती का नाम दाढ़ी
1971 दूर का राही
1971 हंगामा
1968 साधू और शैतान
1968 पड़ोसन
1968 हाय मेरा दिल
1966 प्यार किये जा
1966 लड़का लड़की
1964 दूर गगन की छाँव में
1964 मिस्टर एक्स इन बॉम्बे
1962 हाफ टिकट
1962 मनमौजी
1962 नॉटी बॉय
1961 झुमरू
1960 गर्ल फ्रैंड
1960 महलों के ख़्वाब
1960 काला बाज़ार
1959 चाचा ज़िन्दाबाद
1958 चलती का नाम गाड़ी
1958 रागिनी
1957 आशा
1957 मिस मैरी
1957 बंदी
1956 भाई भाई
1956 पैसा ही पैसा
1956 ढाके की मलमल
1956 मेम साहिब
1955 भगवत महिमा
1955 पहली झलक
1955 बाप रे बाप
1954 नौकरी
1954 धोबी डॉक्टर
1953 लड़की
1952 तमाशा
1946 शिकारी

किशोर कुमार के कुछ प्रसिद्ध गीत

किशोर कुमार के कुछ प्रसिद्ध गीत[3]
गीत फ़िल्म संगीतकार
हमें और जीने की चाहत न होती... अगर तुम न होते राहुल देव बर्मन
आदमी जो कहता है… मजबूर लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
आने वाला पल जाने वाला है… गोलमाल (1979) राहुल देव बर्मन
ओ मेरे दिल के चैन… मेरे जीवन साथी राहुल देव बर्मन
कोई हमदम न रहा… झूमरू किशोर कुमार
खाईके पान बनारस वाला… डॉन (1978) कल्याणजी-आनंदजी
ख्वाब हो तुम या कोई हक़ीकत कौन हो तुम बतलाओ… तीन देवियाँ राहुल देव बर्मन
गीत गाता हूँ मैं… लाल पत्थर शंकर जयकिशन
घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं… चोर मचाये शोर रविन्द्र जैन
चलते चलते मेरे ये गीत… चलते चलते बप्पी लहरी
चिंगारी कोई भड़के… अमरप्रेम राहुल देव बर्मन
छूकर मेरे मन को… याराना राजेश रोशन
जीवन से भरी तेरी आँखें… सफ़र कल्याणजी-आनंदजी
तेरी दुनिया से, होके मजबूर चला… पवित्र पापी प्रेम धवन
दिल आज शायर है… गैम्बलर सचिन देव बर्मन
दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा… अमानुष श्यामल मित्रा
दीवाना लेके आया है… मेरे जीवन साथी राहुल देव बर्मन
दुखी मन मेरे, सुन मेरा कहना… फंटूश सचिन देव बर्मन
प्यार दीवाना होता है… कटी पतंग राहुल देव बर्मन
फिर वोही रात है… फिर वो ही रात राहुल देव बर्मन
फूलों का तारों का… हरे रामा हरे कृष्णा राहुल देव बर्मन
माना जनाब ने पुकारा नहीं… पेइंग गेस्ट सचिन देव बर्मन
मुसाफ़िर हूँ यारो… परिचय सचिन देव बर्मन
मेरा जीवन कोरा काग़ज़ कोरा ही रह गया… कोरा काग़ज़ कल्याणजी आनंदजी
मेरी भीगी भीगी सी… अनामिका राहुल देव बर्मन
मेरे नैना सावन भादों… महबूबा राहुल देव बर्मन
मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू… आराधना सचिन देव बर्मन
ये जीवन है… पिया का घर लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
ये दिल न होता बेचारा… ज्वेल थीफ सचिन देव बर्मन
ये शाम मस्तानी, मदहोश किये जाये… कटी पतंग राहुल देव बर्मन
रिम झिम गिरे सावन… मंज़िल राहुल देव बर्मन
रोते हुए आते हैं सब… मुकद्दर का सिकंदर कल्याणजी आनंदजी
सागर जैसी आँखों वाली… सागर राहुल देव बर्मन
हम हैं राही प्यार के… नौ दो ग्यारह सचिन देव बर्मन
हमें तुमसे प्यार कितना… कुदरत राहुल देव बर्मन
ज़िंदगी इक सफ़र है सुहाना… अंदाज़ शंकर जयकिशन
ज़िंदगी प्यार का गीत है… सौतन ऊषा खन्ना

फ़िल्म फेयर पुरस्कार

किशोर कुमार को आठ फ़िल्म फेयर अवार्ड मिले हैं। किशोर कुमार को पहला फ़िल्म फेयर अवार्ड 1969 में 'अराधना' फ़िल्म के गीत 'रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना' के लिए दिया गया था। किशोर कुमार की ख़ासियत यह थी कि उन्होंने देव आनंद से लेकर राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन के लिए अपनी आवाज़ दी और इन सभी अभिनेताओं पर उनकी आवाज़ ऐसी रची बसी मानो किशोर ख़ुद उनके अंदर मौजूद हों।

हिन्दी सिनेमा जगत् में प्रचलित किस्से

किशोर कुमार के सम्मान में जारी डाक टिकट

किशोर कुमार की आवाज़ की पुरानी के साथ-साथ नई पीढ़ी भी दीवानी है। किशोर जितने उम्दा कलाकार थे, उतने ही रोचक इंसान भी थे। उनके कई किस्से हिन्दी सिनेमा जगत में प्रचलित हैं।

रशोकि रमाकु

किशोर कुमार को अटपटी बातों को अपने चटपटे अंदाज़में कहने का फ़ितूर था। ख़ासकर गीतों की पंक्ति को दाएँ से बाएँ गाने में किशोर कुमार ने महारत हासिल कर ली थी। नाम पूछने पर वह कहते थे- रशोकि रमाकु।

तीन नायकों को बनाया महानायक

किशोर कुमार ने हिन्दी सिनेमा के तीन नायकों को महानायक का दर्जा दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उनकी आवाज़ के जादू से देव आनंद सदाबहार हीरो कहलाए। राजेश खन्ना को सुपर सितारा कहा जाने लगा और अमिताभ बच्चन महानायक हो गए।

मनोरंजन कर

किशोर कुमार ने बारह साल की उम्र तक गीत-संगीत में महारत हासिल कर ली थी। किशोर कुमार रेडियो पर गाने सुनकर उनकी धुन पर थिरकते थे। किशोर कुमार फ़िल्मी गानों की किताब जमा कर उन्हें कंठस्थ करके गाते थे। घर आने वाले मेहमानों को किशोर कुमार अभिनय सहित गाने सुनाते तो 'मनोरंजन-कर' के रूप में कुछ इनाम भी माँग लेते थे।

बाथरूम गायक

एक दिन अशोक कुमार के घर अचानक संगीतकार सचिन देव वर्मन पहुँच गए। बैठक में उन्होंने गाने की आवाज़ सुनी तो दादा मुनि से पूछा, 'कौन गा रहा है?' अशोक कुमार ने जवाब दिया- 'मेरा छोटा भाई है'। जब तक गाना नहीं गाता, उसका नहाना पूरा नहीं होता।' सचिन-दा ने बाद में किशोर कुमार को जीनियस गायक बना दिया।

दो बार आवाज़ उधार ली

मोहम्मद रफ़ी ने पहली बार किशोर कुमार को अपनी आवाज़ फ़िल्म 'रागिनी' में गीत 'मन मोरा बावरा' के लिए उधार दी। दूसरी बार शंकर-जयकिशन की फ़िल्म 'शरारत' में रफ़ी ने किशोर के लिए- 'अजब है दास्ताँ तेरी ये ज़िंदगी' गीत गाया।

महमूद से लिया बदला

महमूद ने फ़िल्म 'प्यार किए जा' में कॉमेडियन किशोर कुमार, शशि कपूर और ओमप्रकाश से ज़्यादा पैसे वसूले थे। किशोर को यह बात अखर गई। किशोर कुमार ने इसका बदला महमूद से फ़िल्म 'पड़ोसन' में दुगुना पैसा लेकर लिया।

खंडवे वाले की राम-राम

किशोर कुमार ने जब-जब स्टेज-शो किए, हमेशा हाथ जोड़कर सबसे पहले संबोधन करते थे- 'मेरे दादा-दादियों।' मेरे नाना-नानियों। मेरे भाई-बहनों, तुम सबको खंडवे वाले किशोर कुमार का राम-राम। नमस्कार।

हरफनमौला

किशोर कुमार का बचपन तो खंडवा में बीता, लेकिन जब वे किशोर हुए तो इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ने आए। हर सोमवार सुबह खंडवा से मीटरगेज की छुक-छुक रेलगाड़ी में इंदौर आते और शनिवार शाम लौट जाते। सफर में वे हर स्टेशन पर डिब्बा बदल लेते और मुसाफ़िरों को नए-नए गाने सुनाकर मनोरंजन करते थे।

खंडवा की दूध जलेबी

किशोर कुमार ज़िंदगीभर क़स्बाई चरित्र के भोले मानस बने रहे। मुंबई की भीड़-भाड़, पार्टियाँ और ग्लैमर के चेहरों में वे कभी शामिल नहीं हो पाए। इसलिए उनकी आख़िरी इच्छा थी कि खंडवा में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाए। इस इच्छा को पूरा किया गया, वे कहा करते थे- 'फ़िल्मों से सन्न्यास लेने के बाद वे खंडवा में ही बस जाएँगे और रोजाना दूध-जलेबी खाएँगे।[4]

मृत्यु

वर्ष 1987 में किशोर कुमार ने मुंबई की भागम-दौड़ वाली ज़िंदगी से उब कर यह फैसला किया कि वह फ़िल्मों से सन्न्यास लेने के बाद वापस अपने गाँव खंडवा जाकर रहेंगे। लेकिन उनका यह सपना भी अधूरा ही रह गया। 13 अक्टूबर 1987 को उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह पूरी दुनिया से विदा हो गये।[5]भले ही वो आज हमारे बीच नहीं है। लेकिन अपनी सुरमयी आवाज़ और बेहतरीन अदायकी से वो हमेशा हमारे बीच रहेंगे।[6]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. किशोर कुमार- कुछ अनजाने तथ्य (हिन्दी) हिन्दी ख़बर। अभिगमन तिथि: 10 अक्तूबर, 2010
  2. किशोर कुमार (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) बी बी सी हिन्दी। अभिगमन तिथि: 10 अक्तूबर, 2010
  3. किशोर कुमार (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) गाना बजाना। अभिगमन तिथि: 10 अक्तूबर, 2010
  4. किशोर कुमार (हिन्दी) (एच.टी.एम) वेबदुनिया। अभिगमन तिथि: 10 अक्तूबर, 2010
  5. किशोर कुमार एक मस्तमौला इंसान (हिन्दी) हिन्दी गौरव। अभिगमन तिथि: 10 अक्तूबर, 2010
  6. किशोर कुमार (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) दैट्स हिन्दी। अभिगमन तिथि: 10 अक्तूबर, 2010

बाहरी कड़ियाँ

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