"दिलीप कुमार": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
 
(6 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 43 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
|जन्म=[[11 दिसंबर]], [[1922]]
|जन्म=[[11 दिसंबर]], [[1922]]
|जन्म भूमि= [[पेशावर]] (अब [[पाकिस्तान]] में)
|जन्म भूमि= [[पेशावर]] (अब [[पाकिस्तान]] में)
|मृत्यु=
|मृत्यु=[[7 जुलाई]], [[2021]]
|मृत्यु स्थान=
|मृत्यु स्थान=[[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]]
|अविभावक=  
|अभिभावक=लाला ग़ुलाम सरवर (पिता)
|पति/पत्नी=[[सायरा बानो]]  
|पति/पत्नी=[[सायरा बानो]]  
|संतान=
|संतान=
|कर्म भूमि=[[मुंबई]]
|कर्म भूमि=[[मुंबई]]
|कर्म-क्षेत्र=फ़िल्म अभिनेता
|कर्म-क्षेत्र=फ़िल्म अभिनेता, फ़िल्म निर्माता, राजनीतिज्ञ
|मुख्य रचनाएँ=
|मुख्य रचनाएँ=
|मुख्य फ़िल्में=दाग (1954), आज़ाद (1956), [[देवदास (1955 फ़िल्म)|देवदास (1955)]], [[नया दौर]] (1958), [[मुग़ले आज़म|मुग़ल-ए-आज़म]] (1960), लीडर (1965), राम और श्याम (1968), शक्ति (1983) आदि
|मुख्य फ़िल्में=दाग़ (1954), आज़ाद, [[देवदास (1955 फ़िल्म)|देवदास (1955)]], [[नया दौर]], [[मुग़ले आज़म|मुग़ल-ए-आज़म]], लीडर, [[राम और श्याम (1967 फ़िल्म)|राम और श्याम]], [[शक्ति (1982 फ़िल्म)|शक्ति]] आदि
|विषय=
|विषय=
|शिक्षा=
|शिक्षा=
|विद्यालय=
|विद्यालय=
|पुरस्कार-उपाधि=[[पद्म भूषण]], [[दादा साहब फाल्के पुरस्कार]], निशान-ए-इम्तियाज<ref>'निशान-ए-इम्तियाज' [[पाकिस्तान]] का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।</ref>
|पुरस्कार-उपाधि=[[पद्म भूषण]], [[पद्म विभूषण]], [[दादा साहब फाल्के पुरस्कार]], निशान-ए-इम्तियाज<ref>'निशान-ए-इम्तियाज' [[पाकिस्तान]] का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।</ref>
|प्रसिद्धि=
|प्रसिद्धि=
|विशेष योगदान=
|विशेष योगदान=
पंक्ति 28: पंक्ति 28:
|शीर्षक 2=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=
|अन्य जानकारी=शायद यह कम लोगों को ही पता हो कि दिलीप कुमार अच्छे पटकथा लेखक भी हैं। अपनी इस प्रतिभा का प्रदर्शन उन्होंने फ़िल्म 'लीडर' में किया था।
|बाहरी कड़ियाँ=
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
|अद्यतन={{अद्यतन|14:17, 5 फ़रवरी 2015 (IST)}}
}}
}}
'''दिलीप कुमार''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Dilip Kumar'', जन्म- [[11 दिसंबर]], 1922 [[पेशावर]], [[पाकिस्तान]]) हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता और [[राज्य सभा]] के पूर्व सदस्य है। दिलीप कुमार का वास्तविक नाम 'मोहम्मद युसुफ़ ख़ान' है। दिलीप कुमार को अपने दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता है, त्रासद भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हे 'ट्रेजडी किंग' भी कहा जाता था। दिलीप कुमार को भारतीय फ़िल्मों में यादगार अभिनय करने के लिए फ़िल्मों का सर्वोच्च सम्मान [[दादा साहब फाल्के पुरस्कार]] के अलावा [[पद्म भूषण]] और पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'निशान-ए-इम्तियाज़' से सम्मानित किया गया है।
'''दिलीप कुमार''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Dilip Kumar'', जन्म- [[11 दिसंबर]], [[1922]]; मृत्यु- [[7 जुलाई]], [[2021]]) [[हिन्दी सिनेमा]] के ख्यातिप्राप्त [[अभिनेता]] थे। वह [[राज्य सभा]] के पूर्व सदस्य भी रहे। दिलीप कुमार का वास्तविक नाम 'मोहम्मद युसुफ़ ख़ान' था। उन्हें अपने दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता था, त्रासद भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हे 'ट्रेजडी किंग' भी कहा जाता था। दिलीप कुमार को भारतीय फ़िल्मों में यादगार अभिनय करने के लिए फ़िल्मों का सर्वोच्च सम्मान '[[दादा साहब फाल्के पुरस्कार]]' के अलावा [[पद्म भूषण]], [[पद्म विभूषण]] और [[पाकिस्तान]] का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'निशान-ए-इम्तियाज़' से सम्मानित किया गया था।
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
====जन्म  और बचपन====  
====जन्म  और बचपन====  
दिलीप कुमार का जन्म [[11 दिसम्बर]], [[1922]] को वर्तमान [[पाकिस्तान]] के [[पेशावर]] शहर में हुआ था। उनके बचपन का नाम 'मोहम्मद युसूफ़ ख़ान था। उनके पिता का नाम लाला ग़ुलाम सरवर था जो [[फल]] बेचकर अपने परिवार का ख़र्च चलाते थे। विभाजन के दौरान उनका परिवार [[मुंबई]] आकर बस गया। उनका शुरुआती जीवन तंगहाली में ही गुजरा। पिता के व्यापार में घाटा होने के कारण वह [[पुणे]] की एक कैंटीन में काम करने लगे थे। यहीं [[देविका रानी]] की पहली नज़र उन पर पड़ी और उन्होंने दिलीप कुमार को अभिनेता बना दिया। देविका रानी ने ही 'युसूफ़ ख़ान' की जगह उनका नया नाम 'दिलीप कुमार' रखा। पच्चीस वर्ष की उम्र में दिलीप कुमार देश के नंबर वन [[अभिनेता]] के रूप में स्थापित हो गए थे।<ref name="jgjn">{{cite web |url=http://entertainment.jagranjunction.com/2011/08/30/dilip-kumar-profile-indian-actor/ |title=बॉलिवुड के असली महानायक – दिलीप कुमार |accessmonthday=18 सितंबर |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण जंक्शन |language=हिन्दी}} </ref>
दिलीप कुमार का जन्म [[11 दिसम्बर]], [[1922]] को वर्तमान [[पाकिस्तान]] के [[पेशावर]] शहर में हुआ था। उनके बचपन का नाम 'मोहम्मद युसूफ़ ख़ान था। उनके पिता का नाम लाला ग़ुलाम सरवर था जो [[फल]] बेचकर अपने [[परिवार]] का ख़र्च चलाते थे। विभाजन के दौरान उनका परिवार [[मुंबई]] आकर बस गया। उनका शुरुआती जीवन तंगहाली में ही गुजरा। पिता के व्यापार में घाटा होने के कारण वह [[पुणे]] की एक कैंटीन में काम करने लगे थे। यहीं [[देविका रानी]] की पहली नज़र उन पर पड़ी और उन्होंने दिलीप कुमार को अभिनेता बना दिया। देविका रानी ने ही 'युसूफ़ ख़ान' की जगह उनका नया नाम 'दिलीप कुमार' रखा। पच्चीस वर्ष की उम्र में दिलीप कुमार देश के नंबर वन [[अभिनेता]] के रूप में स्थापित हो गए थे।<ref name="jgjn">{{cite web |url=http://entertainment.jagranjunction.com/2011/08/30/dilip-kumar-profile-indian-actor/ |title=बॉलिवुड के असली महानायक – दिलीप कुमार |accessmonthday=18 सितंबर |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण जंक्शन |language=हिन्दी}} </ref>
====फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत====
[[चित्र:Dilip-kumar.jpg|left|thumb|दिलीप कुमार (युवावस्था में)]]
दिलीप कुमार ने फ़िल्म “ज्वार भाटा” से अपने फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत की। हालांकि यह फ़िल्म सफल नहीं रही। उनकी पहली हिट फ़िल्म “जुगनू” थी। 1947 में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म ने बॉलिवुड में दिलीप कुमार को हिट फ़िल्मों के स्टार की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। 1949 में फ़िल्म “[[अंदाज़ (1949 फ़िल्म)|अंदाज़]]” में दिलीप कुमार ने पहली बार [[राजकपूर]] के साथ काम किया। यह फ़िल्म एक हिट साबित हुई। दीदार (1951) और देवदास (1955) जैसी फ़िल्मों में गंभीर भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हें ट्रेजडी किंग कहा जाने लगा। मुग़ले-ए-आज़म (1960) में उन्होंने मुग़ल राजकुमार जहाँगीर की भूमिका निभाई। “राम और श्याम” में दिलीप कुमार द्वारा निभाया गया दोहरी भूमिका (डबल रोल) आज भी लोगों को गुदगुदाने में सफल साबित होता है। 1970, 1980 और 1990 के दशक में उन्होंने कम फ़िल्मों में काम किया। इस समय की उनकी प्रमुख फ़िल्में थीं: क्रांति (1981), विधाता (1982), दुनिया (1984), कर्मा (1986), इज्जतदार (1990) और सौदागर (1991)। 1998 में बनी फ़िल्म “किला” उनकी आखिरी फ़िल्म थी।<ref name="jgjn"/>
====फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत====
दिलीप कुमार ने फ़िल्म “ज्वार भाटा” से अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत की। हालांकि यह फ़िल्म सफल नहीं रही। उनकी पहली हिट फ़िल्म “जुगनू” थी। [[1947]] में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म ने [[बॉलीवुड]] में दिलीप कुमार को हिट फ़िल्मों के स्टार की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। [[1949]] में फ़िल्म “[[अंदाज़ (1949 फ़िल्म)|अंदाज़]]” में दिलीप कुमार ने पहली बार [[राजकपूर]] के साथ काम किया। यह फ़िल्म एक हिट साबित हुई। [[दीदार (1951 फ़िल्म)|दीदार (1951)]] और देवदास (1955) जैसी फ़िल्मों में गंभीर भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हें ट्रेजडी किंग कहा जाने लगा। मुग़ले-ए-आज़म (1960) में उन्होंने मुग़ल राजकुमार जहाँगीर की भूमिका निभाई। “राम और श्याम” में दिलीप कुमार द्वारा निभाया गया दोहरी भूमिका (डबल रोल) आज भी लोगों को गुदगुदाने में सफल साबित होता है। 1970, 1980 और 1990 के दशक में उन्होंने कम फ़िल्मों में काम किया। इस समय की उनकी प्रमुख फ़िल्में थीं: क्रांति (1981), विधाता (1982), दुनिया (1984), कर्मा (1986), इज़्ज़तदार (1990) और [[सौदागर (1991 फ़िल्म)|सौदागर (1991)]]। 1998 में बनी फ़िल्म “क़िला” उनकी आखिरी फ़िल्म थी।<ref name="jgjn"/>
==व्यक्तित्व==
==व्यक्तित्व==
दिलीप कुमार अपने आप में सेल्फमेडमैन (स्वनिर्मित मनुष्य) की जीती-जागती मिसाल हैं। उनकी 'निजी ज़िन्दगी' हमेशा कौतुहल का विषय रही, जिसमें रोजमर्रा के सुख-दुःख, उतार-चढ़ाव, मिलना-बिछुड़ना, इकरार-तकरार सभी शामिल थे। ईश्वर-भीरू दिलीप कुमार को [[साहित्य]], [[संगीत]] और [[दर्शन]] की अभिरुचि ने गंभीर और प्रभावशाली हस्ती बना दिया।<ref name="wdh"/>  
दिलीप कुमार अपने आप में सेल्फमेडमैन (स्वनिर्मित मनुष्य) की जीती-जागती मिसाल हैं। उनकी 'निजी ज़िन्दगी' हमेशा कौतुहल का विषय रही, जिसमें रोजमर्रा के सुख-दुःख, उतार-चढ़ाव, मिलना-बिछुड़ना, इकरार-तकरार सभी शामिल थे। ईश्वर-भीरू दिलीप कुमार को [[साहित्य]], [[संगीत]] और [[दर्शन]] की अभिरुचि ने गंभीर और प्रभावशाली हस्ती बना दिया।<ref name="wdh"/>  
==अभिनय सम्राट==
==अभिनय सम्राट==
[[चित्र:Mughal-E-Azam.jpg|thumb|दिलीप कुमार (फ़िल्म- [[मुग़ले आज़म]])]]
[[चित्र:Mughal-E-Azam.jpg|thumb|दिलीप कुमार (फ़िल्म- [[मुग़ले आज़म]])]]
शहीद, अंदाज़, आन, देवदास, नया दौर, मधुमती, यहूदी, पैग़ाम, मुगल-ए-आजम, गंगा-जमना, लीडर तथा राम और श्याम जैसी फ़िल्मों के सलोने नायक दिलीप कुमार स्वतंत्र [[भारत]] के पहले दो दशकों में लाखों युवा दर्शकों के दिलों की धड़कन बन गए थे। सभ्य, सुसंस्त, कुलीन इस अभिनेता ने रंगीन और रंगहीन (श्वेत-श्याम) सिनेमा के पर्दे पर अपने आपको कई रूपों में प्रस्तुत किया। असफल प्रेमी के रूप में उन्होंने विशेष ख्याति पाई, लेकिन यह भी सिद्ध किया कि हास्य भूमिकाओं में वे किसी से कम नहीं हैं। वे ट्रेजेडी किंग भी कहलाए और ऑलराउंडर भी। उनकी गिनती अतिसंवेदनशील कलाकारों में की जाती है, लेकिन दिल और दिमाग के सामंजस्य के साथ उन्होंने अपने व्यक्तित्व और जीवन को ढाला। पच्चीस वर्ष की उम्र में दिलीप कुमार देश के नंबर वन अभिनेता के रूप में स्थापित हो गए थे। वह आज़ादी का उदयकाल था। शीघ्र ही [[राजकपूर]] और [[देव आनंद]] के आगमन से 'दिलीप-राज-देव' की प्रसिद्ध त्रिमूर्ति का निर्माण हुआ। ये नए चेहरे आम सिने दर्शकों को मोहक लगे। इनसे पूर्व के अधिकांश हीरो प्रौढ़ नजर आते थे।<ref name="wdh">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%8F%E0%A4%95/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%95-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%A5%E0%A4%BE-1091209087_1.htm |title=दिलीप कुमार : एक महानायक की गाथा |accessmonthday=18 सितंबर |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=वेब दुनिया हिन्दी |language=हिन्दी}}</ref>
शहीद, अंदाज़, आन, देवदास, नया दौर, मधुमती, यहूदी, पैग़ाम, मुग़ल-ए-आजम, गंगा-जमना, लीडर तथा राम और श्याम जैसी फ़िल्मों के सलोने नायक दिलीप कुमार स्वतंत्र [[भारत]] के पहले दो दशकों में लाखों युवा दर्शकों के दिलों की धड़कन बन गए थे। सभ्य, सुसंस्त, कुलीन इस अभिनेता ने रंगीन और रंगहीन (श्वेत-श्याम) सिनेमा के पर्दे पर अपने आपको कई रूपों में प्रस्तुत किया। असफल प्रेमी के रूप में उन्होंने विशेष ख्याति पाई, लेकिन यह भी सिद्ध किया कि हास्य भूमिकाओं में वे किसी से कम नहीं हैं। वे ट्रेजेडी किंग भी कहलाए और ऑलराउंडर भी। उनकी गिनती अतिसंवेदनशील कलाकारों में की जाती है, लेकिन दिल और दिमाग के सामंजस्य के साथ उन्होंने अपने व्यक्तित्व और जीवन को ढाला। पच्चीस वर्ष की उम्र में दिलीप कुमार देश के नंबर वन अभिनेता के रूप में स्थापित हो गए थे। वह आज़ादी का उदयकाल था। शीघ्र ही [[राजकपूर]] और [[देव आनंद]] के आगमन से 'दिलीप-राज-देव' की प्रसिद्ध त्रिमूर्ति का निर्माण हुआ। ये नए चेहरे आम सिने दर्शकों को मोहक लगे। इनसे पूर्व के अधिकांश हीरो प्रौढ़ नजर आते थे।<ref name="wdh">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%8F%E0%A4%95/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%95-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%A5%E0%A4%BE-1091209087_1.htm |title=दिलीप कुमार : एक महानायक की गाथा |accessmonthday=18 सितंबर |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=वेब दुनिया हिन्दी |language=हिन्दी}}</ref>
 
==अच्छे पटकथा लेखक==
==अच्छे पटकथा लेखक==
इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि अभिनय में सबसे ज्यादा नकल दिलीप कुमार के अभिनय की ही हुई है। शायद यह कम लोगों को ही पता हो कि दिलीप कुमार अच्छे पटकथा लेखक भी हैं। अपनी इस प्रतिभा का प्रदर्शन उन्होंने फिल्म 'लीडर' में किया था। हालांकि लीडर कामयाब फिल्म नहीं थी, लेकिन उसकी कहानी ऐसी थी, जिसमें भविष्य के संकेत छिपे थे। उसमें वोट और राजनीति के सही चेहरे को दिखाया गया था। दिलीप कुमार ने [[फ़िल्मालय स्टूडियो]] में एक पेड़ के नीचे बैठकर लीडर की पटकथा लिखी थी। पूरी कहानी वोट की राजनीति और उद्योगपति-राजनीतिज्ञों के संबंधों की थी। यह तब की बात है, जब देश को आजाद हुए डेढ़ दशक हुए थे। वह पंडित नेहरू का स्वप्न-काल था। राजनीति का आज जो स्वरूप है, वह उसी समय से गंदा होने लगा था। फिल्म में आचार्य जी (मोतीलाल) वैसे ही राजनीतिक किरदार थे, जो जनता के प्रति समर्पित थे। ईमानदारी और सेवा की राजनीति करते थे और जनता को भी उसी रास्ते पर ले जाना चाहते थे। चुनाव में वोट को बेचने को अपनी जमीर बेचने के बराबर समझते थे, लेकिन दूसरी तरफ काला करने वाले उद्योगपति दीवान महेंद्रनाथ (जयंत) थे, जो आचार्य जी के विचारों को खतरनाक मानते थे। उन्हें रुपये की ताकत पर भरोसा था और वे वोटों को खरीदने के हिमायती थे। कहानी में एक अखबार था यंग लीडर, जिसके संपादक थे विजय खन्ना यानी दिलीप कुमार। यह फिल्म छोटे बजट से शुरू हुई थी और ब्लैक एंड व्हाइट में बनाने का फैसला किया गया था। [[चित्र:Dilip-kumar.jpg|left|thumb|दिलीप कुमार (युवावस्था में)]]बाद में विचार बदलकर बजट को बड़ा कर दिया गया। फिर भी फिल्म ज्यादा चल नहीं पाई। काफी नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन फिल्म की चर्चा खूब हुई। इसी फिल्म से अमजद खान ने बतौर सहायक निर्देशक फिल्मों में प्रवेश किया था। दिलीप कुमार ने इस फिल्म में अभिनय के कई रंग दिखाए। कॉमेडी, ट्रैजिडी, चुलबुली, गंभीर, प्यार करने वाला आदि। आश्चर्य की बात तो यह है कि फिल्म न चलने के बावजूद उन्हें इस रोल के लिए श्रेष्ठ अभिनेता का फिल्म फेअर अवार्ड मिला था। इसमें [[शकील बदायूंनी]] का एक गाना था, जिसके बोल थे [[अपनी आजादी को हम|अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं]]..। इस गीत को [[मोहम्मद रफी]] ने [[पंडित नेहरू]] के समक्ष गाया था। जिस समय लीडर बननी शुरू हुई, उस समय [[भारत]]-[[चीन]] युद्ध चल रहा था। युद्ध को ध्यान में रखते हुए ही शकील बदायूंनी से यह गीत लिखने के लिए कहा गया था।<ref>{{cite web |url=http://in.jagran.yahoo.com/cinemaaza/cinema/memories/201_201_853.html |title=अच्छे स्क्रिप्ट राइटर भी है दिलीप कुमार |accessmonthday=18 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=जागरण याहू इंडिया |language= हिंदी}} </ref>
इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि अभिनय में सबसे ज़्यादा नकल दिलीप कुमार के अभिनय की ही हुई है। शायद यह कम लोगों को ही पता हो कि दिलीप कुमार अच्छे पटकथा लेखक भी हैं। अपनी इस प्रतिभा का प्रदर्शन उन्होंने फ़िल्म 'लीडर' में किया था। हालांकि लीडर कामयाब फ़िल्म नहीं थी, लेकिन उसकी कहानी ऐसी थी, जिसमें भविष्य के संकेत छिपे थे। उसमें वोट और राजनीति के सही चेहरे को दिखाया गया था। दिलीप कुमार ने [[फ़िल्मालय स्टूडियो]] में एक पेड़ के नीचे बैठकर लीडर की पटकथा लिखी थी। पूरी कहानी वोट की राजनीति और उद्योगपति-राजनीतिज्ञों के संबंधों की थी। यह तब की बात है, जब देश को आजाद हुए डेढ़ दशक हुए थे। वह पंडित नेहरू का स्वप्न-काल था। राजनीति का आज जो स्वरूप है, वह उसी समय से गंदा होने लगा था। फ़िल्म में आचार्य जी (मोतीलाल) वैसे ही राजनीतिक किरदार थे, जो जनता के प्रति समर्पित थे। ईमानदारी और सेवा की राजनीति करते थे और जनता को भी उसी रास्ते पर ले जाना चाहते थे। चुनाव में वोट को बेचने को अपनी जमीर बेचने के बराबर समझते थे, लेकिन दूसरी तरफ काला करने वाले उद्योगपति दीवान महेंद्रनाथ (जयंत) थे, जो आचार्य जी के विचारों को खतरनाक मानते थे। उन्हें रुपये की ताकत पर भरोसा था और वे वोटों को ख़रीदने के हिमायती थे। [[चित्र:Amitabh-shahrukh-dilip-kumar.jpg|left|thumb|250px|[[अमिताभ बच्चन]], शाहरुख ख़ान और दिलीप कुमार]] कहानी में एक अखबार था यंग लीडर, जिसके संपादक थे विजय खन्ना यानी दिलीप कुमार। यह फ़िल्म छोटे बजट से शुरू हुई थी और ब्लैक एंड व्हाइट में बनाने का फैसला किया गया था। बाद में विचार बदलकर बजट को बड़ा कर दिया गया। फिर भी फ़िल्म ज्यादा चल नहीं पाई। काफ़ी नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन फ़िल्म की चर्चा खूब हुई। इसी फ़िल्म से अमजद खान ने बतौर सहायक निर्देशक फ़िल्मों में प्रवेश किया था। दिलीप कुमार ने इस फ़िल्म में अभिनय के कई रंग दिखाए। कॉमेडी, ट्रैजिडी, चुलबुली, गंभीर, प्यार करने वाला आदि। आश्चर्य की बात तो यह है कि फ़िल्म न चलने के बावजूद उन्हें इस रोल के लिए श्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्म फेअर अवार्ड मिला था। इसमें [[शकील बदायूंनी]] का एक गाना था, जिसके बोल थे [[अपनी आजादी को हम|अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं]]..। इस गीत को [[मोहम्मद रफी]] ने [[पंडित नेहरू]] के समक्ष गाया था। जिस समय लीडर बननी शुरू हुई, उस समय [[भारत]]-[[चीन]] युद्ध चल रहा था। युद्ध को ध्यान में रखते हुए ही शकील बदायूंनी से यह गीत लिखने के लिए कहा गया था।<ref>{{cite web |url=http://in.jagran.yahoo.com/cinemaaza/cinema/memories/201_201_853.html |title=अच्छे स्क्रिप्ट राइटर भी है दिलीप कुमार |accessmonthday=18 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=जागरण याहू इंडिया |language= हिंदी}}</ref>
==विवाह==
==विवाह==
दिलीप कुमार ने 1966 में प्रसिद्ध अभिनेत्री [[सायरा बानो]] से शादी की थी। जिस समय दिलीप कुमार और सायरा बानो की शादी हुई थी उस समय सायरा बानो 22 साल और दिलीप साहब 44 साल के थे। आज यह जोड़ी बॉलीवुड की सबसे प्रसिद्ध जोड़ियों में से एक है। जब लोगों ने अखबारों में यह पढ़ा कि दिलीप कुमार [[अभिनेत्री]] [[सायरा बानो]] से शादी कर रहे हैं, तो वे चौंक गए। वैसे, उनका चौंकना स्वाभाविक ही था, क्योंकि शादी से पहले तक दिलीप कुमार ने सायरा बानो के साथ एक भी फिल्म नहीं की थी। दोनों में न दोस्ती थी और न ही मिलना-जुलना था। सबसे बड़ी बात यह है कि दोनों की उम्र में बहुत बड़ा फर्क था। एक और सच यह था कि उन दिनों फिल्मी पत्रिकाएं सायरा बानो का नाम भी उनके सहअभिनेता [[राजेंद्र कुमार]] से जोड़ रही थीं।
दिलीप कुमार ने [[1966]] में प्रसिद्ध अभिनेत्री [[सायरा बानो]] से शादी की थी। जिस समय दिलीप कुमार और सायरा बानो की शादी हुई थी उस समय सायरा बानो 22 साल और दिलीप साहब 44 साल के थे। आज यह जोड़ी बॉलीवुड की सबसे प्रसिद्ध जोड़ियों में से एक है। जब लोगों ने अखबारों में यह पढ़ा कि दिलीप कुमार [[अभिनेत्री]] सायरा बानो से शादी कर रहे हैं, तो वे चौंक गए। वैसे, उनका चौंकना स्वाभाविक ही था, क्योंकि शादी से पहले तक दिलीप कुमार ने सायरा बानो के साथ एक भी फ़िल्म नहीं की थी। दोनों में न दोस्ती थी और न ही मिलना-जुलना था। सबसे बड़ी बात यह है कि दोनों की उम्र में बहुत बड़ा फ़र्क़ था। एक और सच यह था कि उन दिनों फ़िल्मी पत्रिकाएं सायरा बानो का नाम भी उनके सहअभिनेता [[राजेंद्र कुमार]] से जोड़ रही थीं।
====दिलीप-सायरा की जोड़ी====
====दिलीप-सायरा की जोड़ी====
सायरा बानो उन [[नसीम बानो]] की बेटी हैं, जिन्होंने [[सोहराब मोदी]] की फिल्म पुकार में मलिका नूरजहां का किरदार निभाकर अपनी खूबसूरती से सबको चकाचौंध कर दिया था। इस फिल्म के बाद नसीम बानो के साथ परी चेहरा का विशेषण जुड़ गया। सायरा जब पढ़ाई पूरी करके [[मुंबई]] लौटीं, तो अम्मी ने सायरा को अपने कदमों पर चलाया। पुराने मित्र सुबोध मुखर्जी से कहकर जंगली की हीरोइन बनवा दिया। रातोंरात सायरा स्टार बन गई।
[[चित्र:Dilip-kumar-saira-bano.jpg|thumb|दिलीप कुमार अपनी पत्नी [[सायरा बानो]] के साथ]]
जंगली की कामयाबी के कुछ दिनों बाद एक पार्टी में सायरा ने जब दिलीप कुमार को देखा, तो मां से कहा, अम्मी दिलीप साहब से मिलाओ न। नसीम ने मिलाया, यूसुफ साहब, यह है मेरी बेटी सायरा। सायरा ने आदाब किया। कानों में धीरे से खुश रहो के लफ्ज घुल गए। इस मुलाकात के दौरान दरअसल, सायरा ने यह सोचा था कि दिलीप कुमार जंगली की कामयाबी की बधाई देंगे, लेकिन उन्होंने दो लफ्ज बोलने के बाद कोई तवज्जो नहीं दी। अलबत्ता नसीम बानो से बात जरूर करते रहे। सायरा दिलीप कुमार की जबरदस्त फैन थीं। इतनी कि जब [[लंदन]] में स्कूली पढ़ाई कर रही थीं, तो उन्होंने पत्र-पत्रिकाओं में से तस्वीरें काटकर दीवारों पर चिपका लिए थे, लेकिन वे दिलीप कुमार के साथ कभी हीरोइन बनेंगी, इसकी उन्हें कोई उम्मीद नहीं थी। वजह दोनों में उम्र का अंतर। शादी की बात तो सायरा के दिमाग में आने का सवाल ही नहीं था। हां, उनकी यह तमन्ना जरूर थी कि दिलीप साहब के साथ कम से कम एक फिल्म जरूर करूं।
सायरा बानो उन [[नसीम बानो]] की बेटी हैं, जिन्होंने [[सोहराब मोदी]] की फ़िल्म पुकार में मलिका नूरजहां का किरदार निभाकर अपनी ख़ूबसूरती से सबको चकाचौंध कर दिया था। इस फ़िल्म के बाद नसीम बानो के साथ परी चेहरा का विशेषण जुड़ गया। सायरा जब पढ़ाई पूरी करके [[मुंबई]] लौटीं, तो अम्मी ने सायरा को अपने कदमों पर चलाया। पुराने मित्र सुबोध मुखर्जी से कहकर जंगली की हिरोइन बनवा दिया। रातोंरात सायरा स्टार बन गई।
[[चित्र:Saira-bano-dilip-kumar.JPG|thumb|दिलीप कुमार अपनी पत्नी [[सायरा बानो]] के साथ]]
जंगली की कामयाबी के कुछ दिनों बाद एक पार्टी में सायरा ने जब दिलीप कुमार को देखा, तो माँ से कहा, अम्मी दिलीप साहब से मिलाओ न। नसीम ने मिलाया, यूसुफ साहब, यह है मेरी बेटी सायरा। सायरा ने आदाब किया। कानों में धीरे से खुश रहो के लफ्ज घुल गए। इस मुलाकात के दौरान दरअसल, सायरा ने यह सोचा था कि दिलीप कुमार जंगली की कामयाबी की बधाई देंगे, लेकिन उन्होंने दो लफ्ज बोलने के बाद कोई तवज्जो नहीं दी। अलबत्ता नसीम बानो से बात ज़रूर करते रहे। सायरा दिलीप कुमार की जबरदस्त फैन थीं। इतनी कि जब [[लंदन]] में स्कूली पढ़ाई कर रही थीं, तो उन्होंने पत्र-पत्रिकाओं में से तस्वीरें काटकर दीवारों पर चिपका लिए थे, लेकिन वे दिलीप कुमार के साथ कभी हिरोइन बनेंगी, इसकी उन्हें कोई उम्मीद नहीं थी। वजह दोनों में उम्र का अंतर। शादी की बात तो सायरा के दिमाग में आने का सवाल ही नहीं था। हां, उनकी यह तमन्ना ज़रूर थी कि दिलीप साहब के साथ कम से कम एक फ़िल्म ज़रूर करूं।
दिलीप साहब से बात करने के लिए एक पार्टी में सायरा ने हैंडशेक के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया, लेकिन तब तक दिलीप आदाब कह चुके थे। मजबूरन सायरा को हाथ वापस लेना पड़ा। उन दिनों कुछ लोगों का मानना यह था कि सायरा के राजेंद्र कुमार से रिश्ते जुड़ने की खबरों से उनकी मां नसीम बानो परेशान थीं। राजेंद्र कुमार जुबली कुमार के नाम से कामयाब हीरो जरूर हो गए थे, लेकिन वे शादीशुदा ही नहीं, एक बेटे के बाप भी थे। कुछ लोगों ने इस रिश्ते को सांप्रदायिक रंग देने की भी कोशिश की। इन सबसे परेशान हो नसीम बानो ने अपनी बेटी के हाथ पीले करने का फैसला किया। जाहिर है कि बेटी के लिए नसीम बानो कोई कद्दावर दामाद ढूंढतीं-एक ऐसा व्यक्ति, जिसका रुतबा हो, इज्जत हो और जो उनकी लाडली को वह सब दे सके, जो एक ऊंचे घराने की दुल्हन को मिलना चाहिए। इस नजरिए से दिलीप कुमार सही पसंद थे। वे कुंवारे थे और बॉलीवुड के सबसे कद्दावर आर्टिस्ट माने जाते थे। अगर कोई कसर थी, तो वह थी उम्र की, क्योंकि सायरा से वे काफी बड़े थे। सायरा को 'सस्ता खून महंगा पानी' की शूटिंग से बुलाया गया। मां की पसंद पर बेटी ने भी हां की मुहर तुरंत लगा दी।
[[चित्र:Amitabh-jaya-dilip-saira-abhishek.jpg|thumb|left|दिलीप कुमार, [[अमिताभ बच्चन]], [[जया बच्चन]], [[सायरा बानो]] और [[अभिषेक बच्चन]]]]
दिलीप-सायरा की शादी कराने का सारा श्रेय नसीम बानो को ही जाता है। सायरा से बात करने से पहले नसीम ने दिलीप से रिश्ते की बात की। उन्होंने कहा, पहले बेटी की रजामंदी तो ले लीजिए। नसीम बानो ने कहा, शादी! सायरा तो आपकी हीरोइन बन जाती, तो अपने को धन्य मानती। यहां तो बात हो रही है दिलीप की असली जिंदगी की हीरोइन बनने की। पहले तो सायरा को लगा कि अम्मी मजाक कर रही हैं, लेकिन जब यकीन हो गया कि बात सचमुच शादी की है और दिलीप की मंजूरी मिल चुकी है, तब तो जैसे सायरा के पंख लग गए। उन्होंने दिलीप को फोन किया। रिश्ते के लिए मुबारकबाद दी और शुक्रिया सुनकर शादी की तारीख पूछ बैठीं। जवाब मिला, सास से पूछिए। दरअसल, एक मुलाकात के दौरान नसीम बानो ने यह बताया था कि उनके मन में चार महीना पहले ही यह खयाल आया था कि सायरा के हाथ में हकीकत में शादी की मेहंदी लगे, लेकिन उन्होंने पल भर के लिए भी यह नहीं सोचा था कि उनकी तमन्ना इतनी जल्द पूरी हो जाएगी। शादी धूमधाम से हुई। दिलीप घोड़े पर सवार होकर बैंड बाजे के साथ अपने बंगले से निकल कर नसीम बानो के बंगले पर पहुंचे। काजी ने निकाह कराया। दावतें हुई सायरा के यहां और दिलीप के यहां भी। इस शादी ने सायरा बानो को अपने वक्त के सबसे बड़े अदाकार की बीवी बनने का मौका दिया। सच तो यह है कि बाद के दिनों में सायरा को अपने आइडल स्टार के साथ गोपी, सगीना, बैराग, दुनिया जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम करने का अवसर भी मिला।<ref>{{cite web |url=http://in.jagran.yahoo.com/cinemaaza/cinema/memories/201_201_873.html |title=दिलीप-सायरा: शादी से लोग चौंक गये थे |accessmonthday=18 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=जागरण याहू इंडिया |language= हिंदी}}  </ref>
दिलीप साहब से बात करने के लिए एक पार्टी में सायरा ने हैंडशेक के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया, लेकिन तब तक दिलीप आदाब कह चुके थे। मजबूरन सायरा को हाथ वापस लेना पड़ा। उन दिनों कुछ लोगों का मानना यह था कि सायरा के राजेंद्र कुमार से रिश्ते जुड़ने की खबरों से उनकी माँ नसीम बानो परेशान थीं। राजेंद्र कुमार जुबली कुमार के नाम से कामयाब हीरो ज़रूर हो गए थे, लेकिन वे शादीशुदा ही नहीं, एक बेटे के बाप भी थे। कुछ लोगों ने इस रिश्ते को सांप्रदायिक रंग देने की भी कोशिश की। इन सबसे परेशान हो नसीम बानो ने अपनी बेटी के हाथ पीले करने का फैसला किया। जाहिर है कि बेटी के लिए नसीम बानो कोई कद्दावर दामाद ढूंढतीं-एक ऐसा व्यक्ति, जिसका रुतबा हो, इज्जत हो और जो उनकी लाडली को वह सब दे सके, जो एक ऊंचे घराने की दुल्हन को मिलना चाहिए। इस नजरिए से दिलीप कुमार सही पसंद थे। वे कुंवारे थे और बॉलीवुड के सबसे कद्दावर आर्टिस्ट माने जाते थे। अगर कोई कसर थी, तो वह थी उम्र की, क्योंकि सायरा से वे काफ़ी बड़े थे। सायरा को 'सस्ता ख़ून महंगा पानी' की शूटिंग से बुलाया गया। माँ की पसंद पर बेटी ने भी हां की मुहर तुरंत लगा दी।<br />
दिलीप-सायरा की शादी कराने का सारा श्रेय नसीम बानो को ही जाता है। [[चित्र:Bollywood-with-Indira-Gandhi.jpg|thumb|350px|पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती [[इन्दिरा गाँधी]] एवं [[बॉलीवुड]] के कलाकारों के साथ दिलीप कुमार]] सायरा से बात करने से पहले नसीम ने दिलीप से रिश्ते की बात की। उन्होंने कहा, पहले बेटी की रज़ामंदी तो ले लीजिए। नसीम बानो ने कहा, शादी! सायरा तो आपकी हिरोइन बन जाती, तो अपने को धन्य मानती। यहां तो बात हो रही है दिलीप की असली ज़िंदगी की हिरोइन बनने की। पहले तो सायरा को लगा कि अम्मी मजाक कर रही हैं, लेकिन जब यकीन हो गया कि बात सचमुच शादी की है और दिलीप की मंजूरी मिल चुकी है, तब तो जैसे सायरा के पंख लग गए। उन्होंने दिलीप को फोन किया। रिश्ते के लिए मुबारकबाद दी और शुक्रिया सुनकर शादी की तारीख पूछ बैठीं। जवाब मिला, सास से पूछिए। दरअसल, एक मुलाकात के दौरान नसीम बानो ने यह बताया था कि उनके मन में चार महीना पहले ही यह खयाल आया था कि सायरा के हाथ में हकीकत में शादी की मेहंदी लगे, लेकिन उन्होंने पल भर के लिए भी यह नहीं सोचा था कि उनकी तमन्ना इतनी जल्द पूरी हो जाएगी। शादी धूमधाम से हुई। दिलीप घोड़े पर सवार होकर बैंड बाजे के साथ अपने बंगले से निकल कर नसीम बानो के बंगले पर पहुंचे। क़ाज़ीने निकाह कराया। दावतें हुई सायरा के यहां और दिलीप के यहां भी। इस शादी ने सायरा बानो को अपने वक्त के सबसे बड़े अदाकार की बीवी बनने का मौका दिया। सच तो यह है कि बाद के दिनों में सायरा को अपने आइडल स्टार के साथ गोपी, सगीना, बैराग, दुनिया जैसी सुपरहिट फ़िल्मों में काम करने का अवसर भी मिला।<ref>{{cite web |url=http://in.jagran.yahoo.com/cinemaaza/cinema/memories/201_201_873.html |title=दिलीप-सायरा: शादी से लोग चौंक गये थे |accessmonthday=18 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=जागरण याहू इंडिया |language= हिंदी}}  </ref>


==फ़िल्मी सूची==
==फ़िल्मी सूची==
पंक्ति 61: पंक्ति 62:
|
|
[[चित्र:Mughal-E-Azam-3.jpg|thumb|[[मधुबाला]] और दिलीप कुमार ([[मुग़ल ए आज़म]])|200px]]
[[चित्र:Mughal-E-Azam-3.jpg|thumb|[[मधुबाला]] और दिलीप कुमार ([[मुग़ल ए आज़म]])|200px]]
[[चित्र:Dilip-kumar-amitabh-bachchan-shakti.jpg|thumb|[[अमिताभ बच्चन]] और दिलीप कुमार (फ़िल्म- शक्ति) |200px]]
[[चित्र:Dilip-kumar-amitabh-bachchan-shakti.jpg|thumb|[[अमिताभ बच्चन]] और दिलीप कुमार (फ़िल्म- [[शक्ति (1982 फ़िल्म)|शक्ति]]) |200px]]
[[चित्र:Dilip Kumar-naya-daur.jpg|thumb|दिलीप कुमार (फ़िल्म- [[नया दौर]]) |200px]]
[[चित्र:Dilip Kumar-naya-daur.jpg|thumb|दिलीप कुमार (फ़िल्म- [[नया दौर]]) |200px]]
[[चित्र:Ashok-kumar-dilip-kumar-Deedar.jpg|thumb|[[अशोक कुमार]] और दिलीप कुमार (फ़िल्म- दीदार)|200px]]
[[चित्र:Ashok-kumar-dilip-kumar-Deedar.jpg|thumb|[[अशोक कुमार]] और दिलीप कुमार (फ़िल्म- [[दीदार (1951 फ़िल्म)|दीदार]])|200px]]
[[चित्र:Dilip-kumar-raj-kapoor-nargis.jpg|thumb|[[राज कपूर]], [[नर्गिस]] और दिलीप कुमार (फ़िल्म-[[अंदाज़ (1949 फ़िल्म)|अंदाज़]])|200px]]
[[चित्र:Dilip-kumar-raj-kapoor-nargis.jpg|thumb|[[राज कपूर]], [[नर्गिस]] और दिलीप कुमार (फ़िल्म-[[अंदाज़ (1949 फ़िल्म)|अंदाज़]])|200px]]
[[चित्र:Dilip-kumar-ganga-jamuna.png|thumb|दिलीप कुमार (फ़िल्म- गंगा जमना) |200px]]
[[चित्र:Dilip-kumar-ganga-jamuna.png|thumb|दिलीप कुमार (फ़िल्म- गंगा जमना) |200px]]
[[चित्र:Dilip-kumar-karma.jpg|thumb|दिलीप कुमार (फ़िल्म- कर्मा) |200px]]
[[चित्र:Dilip-kumar-karma.jpg|thumb|दिलीप कुमार (फ़िल्म- कर्मा) |200px]]
[[चित्र:Raaj-kumar-dilip-kumar-Saudagar.jpg|thumb|राज कुमार और दिलीप कुमार (फ़िल्म- सौदागर) |200px]]
[[चित्र:Raaj-kumar-dilip-kumar-Saudagar.jpg|thumb|राज कुमार और दिलीप कुमार (फ़िल्म- [[सौदागर (1991 फ़िल्म)|सौदागर]]) |200px]]
[[चित्र:Dilip-kumar-vidhaata.jpg|thumb|दिलीप कुमार और [[अमरीश पुरी]] (फ़िल्म- विधाता) |200px]]
[[चित्र:Dilip-kumar-vidhaata.jpg|thumb|दिलीप कुमार और [[अमरीश पुरी]] (फ़िल्म- विधाता) |200px]]
[[चित्र:Mashal-film.jpg|thumb|अनिल कपूर और दिलीप कुमार (फ़िल्म- मशाल)|200px]]
[[चित्र:Mashal-film.jpg|thumb|अनिल कपूर और दिलीप कुमार (फ़िल्म- मशाल)|200px]]
पंक्ति 81: पंक्ति 82:
! फ़िल्म का नाम
! फ़िल्म का नाम
! चरित्र का नाम  
! चरित्र का नाम  
! विशेष
!विशेष
|-
|-
| 1944  
| 1944  
पंक्ति 163: पंक्ति 164:
|-
|-
| 1951
| 1951
| दीदार  
| [[दीदार (1951 फ़िल्म)|दीदार]]
| शामू
| शामू
|
|
पंक्ति 322: पंक्ति 323:
|-
|-
| 1982  
| 1982  
| शक्ति
| [[शक्ति (1982 फ़िल्म)|शक्ति]]
| अश्विनी कुमार
| अश्विनी कुमार
| फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार   
| फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार   
पंक्ति 352: पंक्ति 353:
|-
|-
| 1989
| 1989
| कानून अपना अपना  
| क़ानून अपना अपना  
| कलैक्टर जगत प्रताप सिंह
| कलैक्टर जगत् प्रताप सिंह
|
|
|-
|-
पंक्ति 366: पंक्ति 367:
|
|
|-
|-
| 1991
| [[1991]]
| सौदागर  
| [[सौदागर (1991 फ़िल्म)|सौदागर]]
| ठाकुर वीर सिंह
| ठाकुर वीर सिंह
| नामित फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार 
| नामित फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार 
पंक्ति 378: पंक्ति 379:


==दिलीप कुमार के सह-अभिनेता==
==दिलीप कुमार के सह-अभिनेता==
दिलीप कुमार के साथ काम करना हर कलाकार के लिए एक सपना होता है। ये सपना कम कलाकारों का ही पूरा हो पाया है क्योंकि दिलीप कुमार ने बेहद कम फिल्में की। साथ ही कुछ कलाकार उनके सामने आने से इसलिए बचते रहे क्योंकि वे दिलीप साहब के सामने कमजोर नहीं लगना चाहते थे। जिन प्रमुख कलाकारों ने उनके साथ काम किया है, वे इस प्रकार हैं :  
दिलीप कुमार के साथ काम करना हर कलाकार के लिए एक सपना होता है। ये सपना कम कलाकारों का ही पूरा हो पाया है क्योंकि दिलीप कुमार ने बेहद कम फ़िल्में की। साथ ही कुछ कलाकार उनके सामने आने से इसलिए बचते रहे क्योंकि वे दिलीप साहब के सामने कमज़ोर नहीं लगना चाहते थे। जिन प्रमुख कलाकारों ने उनके साथ काम किया है, वे इस प्रकार हैं :  
{| class="bharattable-pink"
{| class="bharattable-pink"
|+दिलीप कुमार के सह-अभिनेता<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A4%B9/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A4%B9-%E0%A4%85%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%BE-1091209064_1.htm |title=दिलीप कुमार : सह अभिनेता |accessmonthday=18 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=वेबदुनिया |language= हिंदी}}  </ref>
|+दिलीप कुमार के सह-अभिनेता<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A4%B9/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A4%B9-%E0%A4%85%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%BE-1091209064_1.htm |title=दिलीप कुमार : सह अभिनेता |accessmonthday=18 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=वेबदुनिया |language= हिंदी}}  </ref>
पंक्ति 386: पंक्ति 387:
|-
|-
| अजीत  
| अजीत  
| [[नया दौर]], [[मुगल-ए-आजम]]
| [[नया दौर]], [[मुग़ल-ए-आजम]]
|-
|-
| [[अमिताभ बच्चन]]
| [[अमिताभ बच्चन]]
| शक्ति  
| [[शक्ति (1982 फ़िल्म)|शक्ति]]
|-
|-
| अनिल कपूर
| अनिल कपूर
पंक्ति 395: पंक्ति 396:
|-
|-
| [[अशोक कुमार]]
| [[अशोक कुमार]]
| दीदार, शक्ति
| [[दीदार (1951 फ़िल्म)|दीदार]], शक्ति
|-
|-
| [[बलराज साहनी]]
| [[बलराज साहनी]]
पंक्ति 407: पंक्ति 408:
|-
|-
| जैकी श्रॉफ  
| जैकी श्रॉफ  
| कर्मा, सौदागर
| [[कर्मा (1986 फ़िल्म)|कर्मा]], [[सौदागर (1991 फ़िल्म)|सौदागर]]
|-
|-
| [[मनोज कुमार]]  
| [[मनोज कुमार]]  
पंक्ति 422: पंक्ति 423:
|-
|-
| [[राज कुमार]]
| [[राज कुमार]]
| पैगाम, सौदागर
| पैगाम, [[सौदागर (1991 फ़िल्म)|सौदागर]]
|-
|-
| संजय दत्त
| संजय दत्त
| विधाता, कानून अपना-अपना
| विधाता, क़ानून अपना-अपना
|-
|-
| [[संजीव कुमार]]
| [[संजीव कुमार]]
पंक्ति 440: पंक्ति 441:
|}
|}
==राज कपूर और देवानंद से दोस्ती==
==राज कपूर और देवानंद से दोस्ती==
दिलीप साहब की [[देवानंद ]] और [[राज कपूर]] दोनों से दोस्ती थी। लेकिन राज साहब के साथ उनके बड़े नज़दीकी रिश्ते थे। दोनों ही [[पाकिस्तान]] के पेशावर शहर में एक ही मोहल्ले, एक ही सड़क के रहने वाले थे। बिलकुल भाइयों जैसा रिश्ता था उनका। देव साहब थोड़ा अलग किस्म के शख़्स थे, लेकिन उनके साथ भी साहब ने बड़ी दोस्ती निभाई। [[चित्र:Dilip-raj-dev.jpg|thumb|दिलीप कुमार, [[राज कपूर]] और [[देवानंद]]|left]]एक बार देव अपनी फिल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' की शूटिंग के सिलसिले में [[मुमताज (अभिनेत्री)|मुमताज]] के साथ [[काठमांडू]] जा रहे थे, तब किसी पार्टी ने मुसीबत खड़ी कर दी और ऐलान किया कि वो इस फिल्म की शूटिंग नहीं होने देंगे। वो लोग देव को रोकने एयरपोर्ट तक पहुंच गए, तब दिलीप जी एयरपोर्ट तक गए और देव की हिफाज़त में वहां खड़े रहे। सायरो बानो और दिलीप साहब दोनों ने फिल्म इंडस्ट्री के कई लोगों को इकट्ठा किया और देव के लिए एयरपोर्ट में जाकर डट गए। तब जाकर सही सलामत देव काठमांडू रवाना हो सके।<ref name="BBC">{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/2012/12/121211_saira_on_dileep_pkp.shtml |title=दिलीप की कहानी बेगम की ज़ुबानी |accessmonthday=18 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=बी.बी.सी हिंदी |language= हिंदी}}  </ref>
दिलीप साहब की [[देवानंद ]] और [[राज कपूर]] दोनों से दोस्ती थी। लेकिन राज साहब के साथ उनके बड़े नज़दीकी रिश्ते थे। दोनों ही [[पाकिस्तान]] के पेशावर शहर में एक ही मोहल्ले, एक ही सड़क के रहने वाले थे। बिलकुल भाइयों जैसा रिश्ता था उनका। देव साहब थोड़ा अलग किस्म के शख़्स थे, लेकिन उनके साथ भी साहब ने बड़ी दोस्ती निभाई। [[चित्र:Dilip-raj-dev.jpg|thumb|दिलीप कुमार, [[राज कपूर]] और [[देवानंद]]|left]]एक बार देव अपनी फ़िल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' की शूटिंग के सिलसिले में [[मुमताज (अभिनेत्री)|मुमताज]] के साथ [[काठमांडू]] जा रहे थे, तब किसी पार्टी ने मुसीबत खड़ी कर दी और ऐलान किया कि वो इस फ़िल्म की शूटिंग नहीं होने देंगे। वो लोग देव को रोकने एयरपोर्ट तक पहुंच गए, तब दिलीप जी एयरपोर्ट तक गए और देव की हिफाज़त में वहां खड़े रहे। सायरो बानो और दिलीप साहब दोनों ने फ़िल्म इंडस्ट्री के कई लोगों को इकट्ठा किया और देव के लिए एयरपोर्ट में जाकर डट गए। तब जाकर सही सलामत देव काठमांडू रवाना हो सके।<ref name="BBC">{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/2012/12/121211_saira_on_dileep_pkp.shtml |title=दिलीप की कहानी बेगम की ज़ुबानी |accessmonthday=18 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=बी.बी.सी हिंदी |language= हिंदी}}  </ref>
==सम्मान और पुरस्कार==
==सम्मान और पुरस्कार==
आज ज़्यादातर लोगों को इस बात पर आश्चर्य होता है कि इस महानायक ने सिर्फ 54 फ़िल्में क्यों की। लेकिन इसका उत्तर है दिलीप कुमार ने अपनी छवि का सदैव ध्यान रखा और अभिनय स्तर को कभी गिरने नहीं दिया। इसलिए आज तक वे अभिनय के पारसमणि बने हुए हैं जबकि धूम-धड़ाके के साथ कई सुपर स्टार, मेगा स्टार आए और आकर चले गए। दिलीप कुमार ने अभिनय के माध्यम से राष्ट्र की जो सेवा की, उसके लिए भारत सरकार ने उन्हें [[1991]] में [[पद्म भूषण]] की उपाधि से नवाजा था और [[1995]] में फ़िल्म का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान '[[दादा साहब फालके अवॉर्ड]]' भी प्रदान किया। पाकिस्तान सरकार ने भी उन्हें [[1997]] में 'निशान-ए-इम्तियाज' से नवाजा था, जो पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। [[1997]] में ही उन्हें [[भारतीय सिनेमा]] के बहुमूल्य योगदान देने के लिए ए.नटी रामाराव पुरस्कार दिया गया, जबकि [[1998]] में समाज कल्याण के क्षेत्र में योगदान के लिए रामनाथ गोयनका पुरस्कार दिया गया।<ref name="wdh"/>दिलीप कुमार का नाम सबसे ज़्यादा पुरस्कार पाने वाले भारतीय अभिनेता के रूप में "गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स" में दर्ज़ है।<ref>[http://www.mid-day.com/entertainment/2011/mar/010311-Dilip-Kumar-Guinness-World-Records-TV-show.htm Dilip Kumar on TV show?]</ref>  
[[चित्र:Dilip-kumar-pratibha-patil.jpg|thumb|दिलीप कुमार, तत्कालीन राष्ट्रपति [[प्रतिभा पाटिल]] से सम्मानित होते हुए]]
आज ज़्यादातर लोगों को इस बात पर आश्चर्य होता है कि इस महानायक ने सिर्फ 54 फ़िल्में क्यों की। लेकिन इसका उत्तर है दिलीप कुमार ने अपनी छवि का सदैव ध्यान रखा और अभिनय स्तर को कभी गिरने नहीं दिया। इसलिए आज तक वे अभिनय के पारसमणि बने हुए हैं जबकि धूम-धड़ाके के साथ कई सुपर स्टार, मेगा स्टार आए और आकर चले गए। दिलीप कुमार ने अभिनय के माध्यम से राष्ट्र की जो सेवा की, उसके लिए [[भारत सरकार]] ने उन्हें [[1991]] में [[पद्म भूषण]], 2015 में [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित किया गया है और [[1995]] में फ़िल्म का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान '[[दादा साहब फालके अवॉर्ड]]' भी प्रदान किया। पाकिस्तान सरकार ने भी उन्हें [[1997]] में 'निशान-ए-इम्तियाज' से नवाजा था, जो पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। [[1997]] में ही उन्हें [[भारतीय सिनेमा]] के बहुमूल्य योगदान देने के लिए ए.नटी रामाराव पुरस्कार दिया गया, जबकि [[1998]] में समाज कल्याण के क्षेत्र में योगदान के लिए रामनाथ गोयनका पुरस्कार दिया गया।<ref name="wdh"/>दिलीप कुमार का नाम सबसे ज़्यादा पुरस्कार पाने वाले भारतीय अभिनेता के रूप में "गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स" में दर्ज़ है।<ref>[http://www.mid-day.com/entertainment/2011/mar/010311-Dilip-Kumar-Guinness-World-Records-TV-show.htm Dilip Kumar on TV show?]</ref>  
====फ़िल्मफेयर पुरस्कार====
====फ़िल्मफेयर पुरस्कार====
1953 में फ़िल्म फेयर पुरस्कारों के श्रीगणेश के साथ दिलीप कुमार को फ़िल्म 'दाग' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार‍ दिया था। अपने जीवनकाल में '''दिलीप कुमार कुल आठ बार फ़िल्म फेयर से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार पा चुके हैं और यह एक कीर्तिमान है जिसे अभी तक तोड़ा नहीं जा सका।''' अंतिम बार उन्हें सन् 1982 में फ़िल्म 'शक्ति' के लिए यह पुरस्कार दिया गया था, जबकि फ़िल्मफेयर ने ही उन्हें 1993 में [[राज कपूर]] की स्मृति में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया।<ref name="wdh"/>  
1953 में फ़िल्म फेयर पुरस्कारों के श्रीगणेश के साथ दिलीप कुमार को फ़िल्म 'दाग' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार‍ दिया था। अपने जीवनकाल में '''दिलीप कुमार कुल आठ बार फ़िल्म फेयर से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार पा चुके हैं और यह एक कीर्तिमान है जिसे अभी तक तोड़ा नहीं जा सका।''' अंतिम बार उन्हें सन् 1982 में फ़िल्म 'शक्ति' के लिए यह पुरस्कार दिया गया था, जबकि फ़िल्मफेयर ने ही उन्हें 1993 में [[राज कपूर]] की स्मृति में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया।<ref name="wdh"/>  
[[चित्र:With-Jawaharlal-Nehru-Dilip-Kumar-Raj-Kapoor-and-Dev-Anand.jpg|thumb|250px|[[जवाहरलाल नेहरू]] के साथ दिलीप कुमार, [[देवानंद]] और [[राज कपूर]]]]
[[चित्र:With-Jawaharlal-Nehru-Dilip-Kumar-Raj-Kapoor-and-Dev-Anand.jpg|thumb|250px|[[जवाहरलाल नेहरू]] के साथ दिलीप कुमार, [[देवानंद]] और [[राज कपूर]]]]
# [[1983]] - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - शक्ति
# [[1983]] - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - [[शक्ति (1982 फ़िल्म)|शक्ति]]
# [[1968]] - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - राम और श्याम
# [[1968]] - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - राम और श्याम
# [[1965]] - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - लीडर
# [[1965]] - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - लीडर
पंक्ति 455: पंक्ति 457:
# [[1954]] - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - दाग
# [[1954]] - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - दाग


==फ़िल्मी सफ़र पर एक नज़र==
==फ़िल्मी सफ़र पर एक नज़र<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%9F/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%9F-%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-1091209072_1.htm |title=दिलीप कुमार की हिट फ़िल्में  |accessmonthday=19 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेबदुनिया हिंदी |language= हिंदी }}</ref>==
{| class="bharattable-pink"
|-
|
;गोल्डन जुबली हिट
;गोल्डन जुबली हिट
[[जुगनू (1947 फ़िल्म)|जुगनू]], [[मेला (1948 फ़िल्म)|मेला]], [[अंदाज़ (1949 फ़िल्म)|अंदाज़]], आन, दीदार, आज़ाद, [[मुग़ल-ए-आज़म]], कोहिनूर, गंगा-जमना, राम और श्याम, गोपी, क्रांति, विधाता, कर्मा और सौदागर।
|
[[जुगनू (1947 फ़िल्म)|जुगनू]], [[मेला (1948 फ़िल्म)|मेला]], [[अंदाज़ (1949 फ़िल्म)|अंदाज़]], आन, [[दीदार (1951 फ़िल्म)|दीदार]], आज़ाद, [[मुग़ल-ए-आज़म]], कोहिनूर, गंगा-जमना, [[राम और श्याम (1967 फ़िल्म)|राम और श्याम]], [[गोपी (1970 फ़िल्म)|गोपी]], क्रांति, विधाता, [[कर्मा (1986 फ़िल्म)|कर्मा]] और [[सौदागर (1991 फ़िल्म)|सौदागर]]।
|-
|
;सिल्वर जुबली हिट
;सिल्वर जुबली हिट
|
[[शहीद (1948 फ़िल्म)|शहीद]], नदिया के पार, आरजू, जोगन, अनोखा प्यार, शबनम, तराना, बाबुल, दाग, उड़न खटोला, इंसानियत, देवदास, मधुमती, यहूदी, पैगाम, लीडर, आदमी, संघर्ष।
[[शहीद (1948 फ़िल्म)|शहीद]], नदिया के पार, आरजू, जोगन, अनोखा प्यार, शबनम, तराना, बाबुल, दाग, उड़न खटोला, इंसानियत, देवदास, मधुमती, यहूदी, पैगाम, लीडर, आदमी, संघर्ष।
|-
|
; विनोदी (हास्य) भूमिका  
; विनोदी (हास्य) भूमिका  
शबनम, आजाद, कोहिनूर, लीडर, राम और श्याम, गोपी।
| शबनम, आज़ाद, कोहिनूर, लीडर, राम और श्याम, गोपी।
; दबंग भूमिका  
|-
आन, आजाद, कोहिनूर, क्रांति।
|
;दबंग भूमिका  
| आन, आजाद, कोहिनूर, क्रांति।
|-
|
;नकारात्मक भूमिका   
;नकारात्मक भूमिका   
फुटपाथ, अमर।
| फुटपाथ, अमर।
|-
|
; अपूर्ण फ़िल्में  
; अपूर्ण फ़िल्में  
काला आदमी, जानवर, खरा-खोटा, चाणक्य-चंद्रगुप्त, आखिरी मुगल।
| काला आदमी, जानवर, खरा-खोटा, चाणक्य-चंद्रगुप्त, आखिरी मुग़ल।
|-
|
;अभिनय से इनकार  
;अभिनय से इनकार  
बैजू बावरा, प्यासा, कागज के फूल, संगम, दिल दौलत और दुनिया, नया दिन नई रात, जबरदस्त, लॉरेंस ऑफ अरेबिया, द बैंक मैनेजर।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%9F/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%9F-%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-1091209072_1.htm |title=दिलीप कुमार की हिट फिल्में  |accessmonthday=19 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेबदुनिया हिंदी |language= हिंदी }}</ref>
|
बैजू बावरा, प्यासा, कागज के फूल, संगम, दिल दौलत और दुनिया, नया दिन नई रात, जबरदस्त, लॉरेंस ऑफ अरेबिया, द बैंक मैनेजर।
|}
 
==दिलीप कुमार की नायिकाएँ==
==दिलीप कुमार की नायिकाएँ==
{| class="bharattable-pink" align="right"
{| class="bharattable-pink" align="right"
पंक्ति 487: पंक्ति 509:
* मुनव्वर सुल्ताना (बाबुल)
* मुनव्वर सुल्ताना (बाबुल)
* [[नादिरा |नादिरा]] (आन)
* [[नादिरा |नादिरा]] (आन)
* नंदा (मजदूर)
* नंदा (मज़दूर)
*  [[निरुपा राय]] (क्रांति)
*  [[निरुपा राय]] (क्रांति)
* नूरजहाँ (जुगनू)
* नूरजहाँ (जुगनू)
पंक्ति 497: पंक्ति 519:
* सिमी (आदमी)
* सिमी (आदमी)
* [[सितारा देवी]] (हलचल)
* [[सितारा देवी]] (हलचल)
* सुचित्रा सेन (देवदास)
* [[सुचित्रा सेन]] (देवदास)
* स्वर्णलता (प्रतिमा)
* स्वर्णलता (प्रतिमा)
* उषा किरण (मुसाफिर)
* उषा किरण (मुसाफिर)
पंक्ति 503: पंक्ति 525:
|}
|}
{| class="bharattable-pink"  
{| class="bharattable-pink"  
|+दिलीप कुमार के साथ नायिकाओं की जोड़ी<ref name="वेबदुनिया हिंदी">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A5-%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%80-%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%81-1091209066_1.htm |title=दिलीप कुमार के साथ फिल्म करने वाली नायिकाएँ  |accessmonthday=19 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेबदुनिया हिंदी |language= हिंदी }}</ref>
|+दिलीप कुमार के साथ नायिकाओं की जोड़ी<ref name="वेबदुनिया हिंदी">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A5-%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%80-%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%81-1091209066_1.htm |title=दिलीप कुमार के साथ फ़िल्म करने वाली नायिकाएँ  |accessmonthday=19 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेबदुनिया हिंदी |language= हिंदी }}</ref>
|-
|-
! अभिनेत्री
! अभिनेत्री
पंक्ति 511: पंक्ति 533:
| [[चित्र:Nargis-Dutt.jpg|50px|link=नर्गिस]]
| [[चित्र:Nargis-Dutt.jpg|50px|link=नर्गिस]]
| [[नर्गिस]]
| [[नर्गिस]]
| अनोखा प्यार, मेला, अंदाज़, हलचल, जोगन, दीदार, बाबुल।
| अनोखा प्यार, मेला, अंदाज़, हलचल, जोगन, [[दीदार (1951 फ़िल्म)|दीदार]], बाबुल।
|-
|-
| [[चित्र:Vaijayanti-Mala.jpg|50px|link=वैजयंती माला]]
| [[चित्र:Vaijayanti-Mala.jpg|50px|link=वैजयंती माला]]
पंक्ति 521: पंक्ति 543:
| तराना, संगदिल, अमर, मुग़ल-ए-आज़म।
| तराना, संगदिल, अमर, मुग़ल-ए-आज़म।
|-
|-
| [[चित्र:Kamini-kaushal.JPG|50px|कामिनी कौशल ]]
| [[चित्र:Kamini-kaushal.JPG|50px|कामिनी कौशल]]
| कामिनी कौशल  
| [[कामिनी कौशल]]
| शहीद, नदिया के पार, शबनम, आरजू।
| शहीद, नदिया के पार, शबनम, आरजू।
|-
|-
पंक्ति 529: पंक्ति 551:
| फुटपाथ, आज़ाद, यहूदी, कोहिनूर।
| फुटपाथ, आज़ाद, यहूदी, कोहिनूर।
|-
|-
| [[चित्र:Nimmi.jpg|50px|निम्मी]]
| [[चित्र:Nimmi.jpg|50px|link=निम्मी]]
| निम्मी  
| [[निम्मी]]
| आन, दीदार, दाग, अमर, उड़न खटोला।
| आन, [[दीदार (1951 फ़िल्म)|दीदार]], दाग, अमर, उड़न खटोला।
|-
|-
| [[चित्र:Waheeda-Rehman-1.jpg|50px|link=वहीदा रहमान]]
| [[चित्र:Waheeda-Rehman-1.jpg|50px|link=वहीदा रहमान]]
पंक्ति 542: पंक्ति 564:
|-
|-
| [[चित्र:Nalini-jaywant.jpg|50px|नलिनी जयवंत]]
| [[चित्र:Nalini-jaywant.jpg|50px|नलिनी जयवंत]]
| नलिनी जयवंत
| [[नलिनी जयवंत]]
| अनोखा प्यार, शिकस्त।
| अनोखा प्यार, शिकस्त।
|-
|-
| [[चित्र:Nutan.jpg|50px|link=नूतन]]
| [[चित्र:Nutan.jpg|50px|link=नूतन]]
| [[नूतन]]
| [[नूतन]]
| कर्मा, कानून अपना-अपना।
| कर्मा, क़ानून अपना-अपना।
|}
|}
==मृत्यु==
भारतीय [[हिन्दी सिनेमा]] के दिग्गज कलाकार दिलीप कुमार का निधन [[7 जुलाई]], [[2021]] दिन [[बुधवार]] को हुआ। बॉलीवुड के ‘ट्रेजेडी किंग’ ने [[मुंबई]] के एक अस्पताल में सुबह करीब 7.30 बजे अंतिम सांस ली। उन्हें पिछले महीने से ही सांस संबंधित समस्याएं बनी हुई थीं। जिसके चलते उन्हें हिंदुजा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहीं पर 98 वर्षीय दिलीप कुमार ने आखिरी सांस ली। दिलीप साहब के साथ उनकी पत्नी और अभिनेत्री [[सायरा बानो]] आखिरी सांस तक साथ रहीं। सायरा दिलीप कुमार का खास ख्याल रख रही थीं और फैंस से लगातार दुआ करने की अपील भी कर रही थीं। इससे पहले भी दिलीप कुमार को सांस में तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस समय उनके फेफड़ों के बाहर तरल पदार्थ एकत्र हो गया, जिसे चिकित्सकों ने सफलतापूर्वक निकाल दिया था और पांच दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।
[[प्रधानमंत्री]] [[नरेंद्र मोदी]], [[कांग्रेस]] नेता [[राहुल गांधी]], कई राज्यों के [[मुख्यमंत्री]], बॉलीवुड के दिग्गजों ने दिलीप कुमार के निधन पर शोक व्यक्त किया और इस दिग्गज को अंतिम सलाम किया। हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्‍टार दिलीप कुमार नहीं रहे। सिल्‍वर स्‍क्रीन पर अपनी अदाकारी से लोगों को रुला देने वाले दिलीप को दुनिया 'ट्रेजडी किंग' बुलाती थी। 98 साल के दिलीप कुमार ने भारतीय सिनेमा में मेथड ऐक्टिंग की शुरुआत की थी। ब्‍लैक ऐंड वाइट फिल्‍मों के दौर में दिलीप कुमार और [[देव आनंद]], हिंदी सिनेमा के दो सबसे बड़े हस्‍ताक्षर रहे। दुर्भाग्‍य से, दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं हैं।
दिलीप कुमार के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "दिलीप कुमार जी को एक सिनेमाई लीजेंड के रूप में याद किया जाएगा। उन्‍हें असामान्‍य प्रतिभा मिली थी, जिसकी वजह से उन्‍होंने कई पीढ़‍ियों के दर्शकों को रोमांचित किया। उनका जाना हमारी सांस्कृतिक दुनिया के लिए एक क्षति है। उनके [[परिवार]], दोस्तों और असंख्य प्रशंसकों के प्रति संवेदना।" राहुल गांधी ने लिखा कि "दिलीप कुमार जी ने भारतीय सिनेमा के लिए जो किया है, उसे आने वाली कई पीढ़‍ियां याद रखेंगी"। इन दो प्रमुख नेताओं के अलावा राजनीतिक जगत की कई हस्तियों ने 'मुगल-ए-आजम' अभिनेता के निधन पर शोक जताया। [[दिल्ली]] के मुख्‍यमंत्री [[अरविंद केजरीवाल]] ने दिलीप कुमार के निधन को 'बालिवुड के एक अध्‍याय की समाप्ति' बताया। [[पश्चिम बंगाल]] की मुख्‍यमंत्री [[ममता बनर्जी]] ने लिखा कि 'उनकी अदायगी का अंदाज कई पीढ़‍ियों तक फिल्‍म प्रेमियों पर छाया रहेगा।'
एनसीपी प्रमुख [[शरद पवार]] ने लिखा कि "दिलीप कुमार के रूप में हमने एक लीजेंड को खो दिया है"। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री [[डॉ. हर्षवर्धन]] ने लिखा कि 'एक शानदार अभिनेता की जिंदगी पर पर्दा भले ही गिर गया हो लेकिन उनकी बेहतरीन परफॉर्मेंसेज के जरिए किवदंती हमेशा रहेगी।' केंद्र में ही मंत्री [[मुख़्तार अब्बास नक़वी]] ने दिलीप कुमार के साथ मुलाकात की एक तस्‍वीर साझा की। [[पंजाब]] के मुख्‍यमंत्री [[अमरिंदर सिंह|कैप्‍टन अमरिंदर सिंह]] ने कहा कि दिलीप कुमार का जाना एक 'युग का खत्‍म' हो जाना है। रक्षामंत्री [[राजनाथ सिंह]] ने दिलीप कुमार से अपनी एक मुलाकात का जिक्र क‍िया। उन्‍होंने लिखा, "गंगा जमना जैसी फिल्‍मों में उनकी अदाकारी ने करोड़ों दर्शकों का दिल छू लिया। मुझे उनके निधन से बेहद तकलीफ पहुंची है। मैं दिलीप कुमार जी से एक बार मिला था जब मैं उन्‍हें [[पद्म विभूषण]] से सम्‍मानित करने [[मुंबई]] गया था। उनके जैसे म‍हान अभिनेता से बात करना मेरे लिए बेहद खास पल था। उनका निधन भारतीय सिनेमा की बहुत बड़ी क्षति है।"
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
*[https://www.youtube.com/watch?v=g9VGPL5AL4k दिलीप कुमार का फ़िल्मी सफ़र (यू-ट्यूब विडियो)]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{अभिनेता}}{{दादा साहब फाल्के पुरस्कार}}
{{अभिनेता}}{{दादा साहब फाल्के पुरस्कार}}{{दिलीप कुमार की फ़िल्में}}{{पद्म विभूषण}}
[[Category:अभिनेता]][[Category:पद्म भूषण]]
[[Category:अभिनेता]][[Category:पद्म भूषण]][[Category:पद्म विभूषण]][[Category:हिन्दी सिनेमा]][[Category:जीवनी साहित्य]]
[[Category:कला कोश]][[Category:सिनेमा कोश]]
[[Category:कला कोश]][[Category:सिनेमा कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]]
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]]
[[Category:दादा साहब फाल्के पुरस्कार]][[Category:दिलीप कुमार]]
[[Category:दादा साहब फाल्के पुरस्कार]]
__NOTOC__
__NOTOC__
__INDEX__
__INDEX__

05:41, 7 जुलाई 2021 के समय का अवतरण

दिलीप कुमार
दिलीप कुमार
दिलीप कुमार
पूरा नाम मोहम्मद युसूफ़ ख़ान
प्रसिद्ध नाम दिलीप कुमार
अन्य नाम ट्रेजडी किंग, दिलीप साहब
जन्म 11 दिसंबर, 1922
जन्म भूमि पेशावर (अब पाकिस्तान में)
मृत्यु 7 जुलाई, 2021
मृत्यु स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र
अभिभावक लाला ग़ुलाम सरवर (पिता)
पति/पत्नी सायरा बानो
कर्म भूमि मुंबई
कर्म-क्षेत्र फ़िल्म अभिनेता, फ़िल्म निर्माता, राजनीतिज्ञ
मुख्य फ़िल्में दाग़ (1954), आज़ाद, देवदास (1955), नया दौर, मुग़ल-ए-आज़म, लीडर, राम और श्याम, शक्ति आदि
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण, पद्म विभूषण, दादा साहब फाल्के पुरस्कार, निशान-ए-इम्तियाज[1]
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी शायद यह कम लोगों को ही पता हो कि दिलीप कुमार अच्छे पटकथा लेखक भी हैं। अपनी इस प्रतिभा का प्रदर्शन उन्होंने फ़िल्म 'लीडर' में किया था।
अद्यतन‎

दिलीप कुमार (अंग्रेज़ी: Dilip Kumar, जन्म- 11 दिसंबर, 1922; मृत्यु- 7 जुलाई, 2021) हिन्दी सिनेमा के ख्यातिप्राप्त अभिनेता थे। वह राज्य सभा के पूर्व सदस्य भी रहे। दिलीप कुमार का वास्तविक नाम 'मोहम्मद युसुफ़ ख़ान' था। उन्हें अपने दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता था, त्रासद भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हे 'ट्रेजडी किंग' भी कहा जाता था। दिलीप कुमार को भारतीय फ़िल्मों में यादगार अभिनय करने के लिए फ़िल्मों का सर्वोच्च सम्मान 'दादा साहब फाल्के पुरस्कार' के अलावा पद्म भूषण, पद्म विभूषण और पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'निशान-ए-इम्तियाज़' से सम्मानित किया गया था।

जीवन परिचय

जन्म और बचपन

दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसम्बर, 1922 को वर्तमान पाकिस्तान के पेशावर शहर में हुआ था। उनके बचपन का नाम 'मोहम्मद युसूफ़ ख़ान था। उनके पिता का नाम लाला ग़ुलाम सरवर था जो फल बेचकर अपने परिवार का ख़र्च चलाते थे। विभाजन के दौरान उनका परिवार मुंबई आकर बस गया। उनका शुरुआती जीवन तंगहाली में ही गुजरा। पिता के व्यापार में घाटा होने के कारण वह पुणे की एक कैंटीन में काम करने लगे थे। यहीं देविका रानी की पहली नज़र उन पर पड़ी और उन्होंने दिलीप कुमार को अभिनेता बना दिया। देविका रानी ने ही 'युसूफ़ ख़ान' की जगह उनका नया नाम 'दिलीप कुमार' रखा। पच्चीस वर्ष की उम्र में दिलीप कुमार देश के नंबर वन अभिनेता के रूप में स्थापित हो गए थे।[2]

दिलीप कुमार (युवावस्था में)

फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत

दिलीप कुमार ने फ़िल्म “ज्वार भाटा” से अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत की। हालांकि यह फ़िल्म सफल नहीं रही। उनकी पहली हिट फ़िल्म “जुगनू” थी। 1947 में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म ने बॉलीवुड में दिलीप कुमार को हिट फ़िल्मों के स्टार की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। 1949 में फ़िल्म “अंदाज़” में दिलीप कुमार ने पहली बार राजकपूर के साथ काम किया। यह फ़िल्म एक हिट साबित हुई। दीदार (1951) और देवदास (1955) जैसी फ़िल्मों में गंभीर भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हें ट्रेजडी किंग कहा जाने लगा। मुग़ले-ए-आज़म (1960) में उन्होंने मुग़ल राजकुमार जहाँगीर की भूमिका निभाई। “राम और श्याम” में दिलीप कुमार द्वारा निभाया गया दोहरी भूमिका (डबल रोल) आज भी लोगों को गुदगुदाने में सफल साबित होता है। 1970, 1980 और 1990 के दशक में उन्होंने कम फ़िल्मों में काम किया। इस समय की उनकी प्रमुख फ़िल्में थीं: क्रांति (1981), विधाता (1982), दुनिया (1984), कर्मा (1986), इज़्ज़तदार (1990) और सौदागर (1991)। 1998 में बनी फ़िल्म “क़िला” उनकी आखिरी फ़िल्म थी।[2]

व्यक्तित्व

दिलीप कुमार अपने आप में सेल्फमेडमैन (स्वनिर्मित मनुष्य) की जीती-जागती मिसाल हैं। उनकी 'निजी ज़िन्दगी' हमेशा कौतुहल का विषय रही, जिसमें रोजमर्रा के सुख-दुःख, उतार-चढ़ाव, मिलना-बिछुड़ना, इकरार-तकरार सभी शामिल थे। ईश्वर-भीरू दिलीप कुमार को साहित्य, संगीत और दर्शन की अभिरुचि ने गंभीर और प्रभावशाली हस्ती बना दिया।[3]

अभिनय सम्राट

दिलीप कुमार (फ़िल्म- मुग़ले आज़म)

शहीद, अंदाज़, आन, देवदास, नया दौर, मधुमती, यहूदी, पैग़ाम, मुग़ल-ए-आजम, गंगा-जमना, लीडर तथा राम और श्याम जैसी फ़िल्मों के सलोने नायक दिलीप कुमार स्वतंत्र भारत के पहले दो दशकों में लाखों युवा दर्शकों के दिलों की धड़कन बन गए थे। सभ्य, सुसंस्त, कुलीन इस अभिनेता ने रंगीन और रंगहीन (श्वेत-श्याम) सिनेमा के पर्दे पर अपने आपको कई रूपों में प्रस्तुत किया। असफल प्रेमी के रूप में उन्होंने विशेष ख्याति पाई, लेकिन यह भी सिद्ध किया कि हास्य भूमिकाओं में वे किसी से कम नहीं हैं। वे ट्रेजेडी किंग भी कहलाए और ऑलराउंडर भी। उनकी गिनती अतिसंवेदनशील कलाकारों में की जाती है, लेकिन दिल और दिमाग के सामंजस्य के साथ उन्होंने अपने व्यक्तित्व और जीवन को ढाला। पच्चीस वर्ष की उम्र में दिलीप कुमार देश के नंबर वन अभिनेता के रूप में स्थापित हो गए थे। वह आज़ादी का उदयकाल था। शीघ्र ही राजकपूर और देव आनंद के आगमन से 'दिलीप-राज-देव' की प्रसिद्ध त्रिमूर्ति का निर्माण हुआ। ये नए चेहरे आम सिने दर्शकों को मोहक लगे। इनसे पूर्व के अधिकांश हीरो प्रौढ़ नजर आते थे।[3]

अच्छे पटकथा लेखक

इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि अभिनय में सबसे ज़्यादा नकल दिलीप कुमार के अभिनय की ही हुई है। शायद यह कम लोगों को ही पता हो कि दिलीप कुमार अच्छे पटकथा लेखक भी हैं। अपनी इस प्रतिभा का प्रदर्शन उन्होंने फ़िल्म 'लीडर' में किया था। हालांकि लीडर कामयाब फ़िल्म नहीं थी, लेकिन उसकी कहानी ऐसी थी, जिसमें भविष्य के संकेत छिपे थे। उसमें वोट और राजनीति के सही चेहरे को दिखाया गया था। दिलीप कुमार ने फ़िल्मालय स्टूडियो में एक पेड़ के नीचे बैठकर लीडर की पटकथा लिखी थी। पूरी कहानी वोट की राजनीति और उद्योगपति-राजनीतिज्ञों के संबंधों की थी। यह तब की बात है, जब देश को आजाद हुए डेढ़ दशक हुए थे। वह पंडित नेहरू का स्वप्न-काल था। राजनीति का आज जो स्वरूप है, वह उसी समय से गंदा होने लगा था। फ़िल्म में आचार्य जी (मोतीलाल) वैसे ही राजनीतिक किरदार थे, जो जनता के प्रति समर्पित थे। ईमानदारी और सेवा की राजनीति करते थे और जनता को भी उसी रास्ते पर ले जाना चाहते थे। चुनाव में वोट को बेचने को अपनी जमीर बेचने के बराबर समझते थे, लेकिन दूसरी तरफ काला करने वाले उद्योगपति दीवान महेंद्रनाथ (जयंत) थे, जो आचार्य जी के विचारों को खतरनाक मानते थे। उन्हें रुपये की ताकत पर भरोसा था और वे वोटों को ख़रीदने के हिमायती थे।

अमिताभ बच्चन, शाहरुख ख़ान और दिलीप कुमार

कहानी में एक अखबार था यंग लीडर, जिसके संपादक थे विजय खन्ना यानी दिलीप कुमार। यह फ़िल्म छोटे बजट से शुरू हुई थी और ब्लैक एंड व्हाइट में बनाने का फैसला किया गया था। बाद में विचार बदलकर बजट को बड़ा कर दिया गया। फिर भी फ़िल्म ज्यादा चल नहीं पाई। काफ़ी नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन फ़िल्म की चर्चा खूब हुई। इसी फ़िल्म से अमजद खान ने बतौर सहायक निर्देशक फ़िल्मों में प्रवेश किया था। दिलीप कुमार ने इस फ़िल्म में अभिनय के कई रंग दिखाए। कॉमेडी, ट्रैजिडी, चुलबुली, गंभीर, प्यार करने वाला आदि। आश्चर्य की बात तो यह है कि फ़िल्म न चलने के बावजूद उन्हें इस रोल के लिए श्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्म फेअर अवार्ड मिला था। इसमें शकील बदायूंनी का एक गाना था, जिसके बोल थे अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं..। इस गीत को मोहम्मद रफी ने पंडित नेहरू के समक्ष गाया था। जिस समय लीडर बननी शुरू हुई, उस समय भारत-चीन युद्ध चल रहा था। युद्ध को ध्यान में रखते हुए ही शकील बदायूंनी से यह गीत लिखने के लिए कहा गया था।[4]

विवाह

दिलीप कुमार ने 1966 में प्रसिद्ध अभिनेत्री सायरा बानो से शादी की थी। जिस समय दिलीप कुमार और सायरा बानो की शादी हुई थी उस समय सायरा बानो 22 साल और दिलीप साहब 44 साल के थे। आज यह जोड़ी बॉलीवुड की सबसे प्रसिद्ध जोड़ियों में से एक है। जब लोगों ने अखबारों में यह पढ़ा कि दिलीप कुमार अभिनेत्री सायरा बानो से शादी कर रहे हैं, तो वे चौंक गए। वैसे, उनका चौंकना स्वाभाविक ही था, क्योंकि शादी से पहले तक दिलीप कुमार ने सायरा बानो के साथ एक भी फ़िल्म नहीं की थी। दोनों में न दोस्ती थी और न ही मिलना-जुलना था। सबसे बड़ी बात यह है कि दोनों की उम्र में बहुत बड़ा फ़र्क़ था। एक और सच यह था कि उन दिनों फ़िल्मी पत्रिकाएं सायरा बानो का नाम भी उनके सहअभिनेता राजेंद्र कुमार से जोड़ रही थीं।

दिलीप-सायरा की जोड़ी

दिलीप कुमार अपनी पत्नी सायरा बानो के साथ

सायरा बानो उन नसीम बानो की बेटी हैं, जिन्होंने सोहराब मोदी की फ़िल्म पुकार में मलिका नूरजहां का किरदार निभाकर अपनी ख़ूबसूरती से सबको चकाचौंध कर दिया था। इस फ़िल्म के बाद नसीम बानो के साथ परी चेहरा का विशेषण जुड़ गया। सायरा जब पढ़ाई पूरी करके मुंबई लौटीं, तो अम्मी ने सायरा को अपने कदमों पर चलाया। पुराने मित्र सुबोध मुखर्जी से कहकर जंगली की हिरोइन बनवा दिया। रातोंरात सायरा स्टार बन गई। जंगली की कामयाबी के कुछ दिनों बाद एक पार्टी में सायरा ने जब दिलीप कुमार को देखा, तो माँ से कहा, अम्मी दिलीप साहब से मिलाओ न। नसीम ने मिलाया, यूसुफ साहब, यह है मेरी बेटी सायरा। सायरा ने आदाब किया। कानों में धीरे से खुश रहो के लफ्ज घुल गए। इस मुलाकात के दौरान दरअसल, सायरा ने यह सोचा था कि दिलीप कुमार जंगली की कामयाबी की बधाई देंगे, लेकिन उन्होंने दो लफ्ज बोलने के बाद कोई तवज्जो नहीं दी। अलबत्ता नसीम बानो से बात ज़रूर करते रहे। सायरा दिलीप कुमार की जबरदस्त फैन थीं। इतनी कि जब लंदन में स्कूली पढ़ाई कर रही थीं, तो उन्होंने पत्र-पत्रिकाओं में से तस्वीरें काटकर दीवारों पर चिपका लिए थे, लेकिन वे दिलीप कुमार के साथ कभी हिरोइन बनेंगी, इसकी उन्हें कोई उम्मीद नहीं थी। वजह दोनों में उम्र का अंतर। शादी की बात तो सायरा के दिमाग में आने का सवाल ही नहीं था। हां, उनकी यह तमन्ना ज़रूर थी कि दिलीप साहब के साथ कम से कम एक फ़िल्म ज़रूर करूं।

दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, सायरा बानो और अभिषेक बच्चन

दिलीप साहब से बात करने के लिए एक पार्टी में सायरा ने हैंडशेक के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया, लेकिन तब तक दिलीप आदाब कह चुके थे। मजबूरन सायरा को हाथ वापस लेना पड़ा। उन दिनों कुछ लोगों का मानना यह था कि सायरा के राजेंद्र कुमार से रिश्ते जुड़ने की खबरों से उनकी माँ नसीम बानो परेशान थीं। राजेंद्र कुमार जुबली कुमार के नाम से कामयाब हीरो ज़रूर हो गए थे, लेकिन वे शादीशुदा ही नहीं, एक बेटे के बाप भी थे। कुछ लोगों ने इस रिश्ते को सांप्रदायिक रंग देने की भी कोशिश की। इन सबसे परेशान हो नसीम बानो ने अपनी बेटी के हाथ पीले करने का फैसला किया। जाहिर है कि बेटी के लिए नसीम बानो कोई कद्दावर दामाद ढूंढतीं-एक ऐसा व्यक्ति, जिसका रुतबा हो, इज्जत हो और जो उनकी लाडली को वह सब दे सके, जो एक ऊंचे घराने की दुल्हन को मिलना चाहिए। इस नजरिए से दिलीप कुमार सही पसंद थे। वे कुंवारे थे और बॉलीवुड के सबसे कद्दावर आर्टिस्ट माने जाते थे। अगर कोई कसर थी, तो वह थी उम्र की, क्योंकि सायरा से वे काफ़ी बड़े थे। सायरा को 'सस्ता ख़ून महंगा पानी' की शूटिंग से बुलाया गया। माँ की पसंद पर बेटी ने भी हां की मुहर तुरंत लगा दी।

दिलीप-सायरा की शादी कराने का सारा श्रेय नसीम बानो को ही जाता है।

पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी एवं बॉलीवुड के कलाकारों के साथ दिलीप कुमार

सायरा से बात करने से पहले नसीम ने दिलीप से रिश्ते की बात की। उन्होंने कहा, पहले बेटी की रज़ामंदी तो ले लीजिए। नसीम बानो ने कहा, शादी! सायरा तो आपकी हिरोइन बन जाती, तो अपने को धन्य मानती। यहां तो बात हो रही है दिलीप की असली ज़िंदगी की हिरोइन बनने की। पहले तो सायरा को लगा कि अम्मी मजाक कर रही हैं, लेकिन जब यकीन हो गया कि बात सचमुच शादी की है और दिलीप की मंजूरी मिल चुकी है, तब तो जैसे सायरा के पंख लग गए। उन्होंने दिलीप को फोन किया। रिश्ते के लिए मुबारकबाद दी और शुक्रिया सुनकर शादी की तारीख पूछ बैठीं। जवाब मिला, सास से पूछिए। दरअसल, एक मुलाकात के दौरान नसीम बानो ने यह बताया था कि उनके मन में चार महीना पहले ही यह खयाल आया था कि सायरा के हाथ में हकीकत में शादी की मेहंदी लगे, लेकिन उन्होंने पल भर के लिए भी यह नहीं सोचा था कि उनकी तमन्ना इतनी जल्द पूरी हो जाएगी। शादी धूमधाम से हुई। दिलीप घोड़े पर सवार होकर बैंड बाजे के साथ अपने बंगले से निकल कर नसीम बानो के बंगले पर पहुंचे। क़ाज़ीने निकाह कराया। दावतें हुई सायरा के यहां और दिलीप के यहां भी। इस शादी ने सायरा बानो को अपने वक्त के सबसे बड़े अदाकार की बीवी बनने का मौका दिया। सच तो यह है कि बाद के दिनों में सायरा को अपने आइडल स्टार के साथ गोपी, सगीना, बैराग, दुनिया जैसी सुपरहिट फ़िल्मों में काम करने का अवसर भी मिला।[5]

फ़िल्मी सूची

दिलीप कुमार के अभिनय के विभिन्न रूप
मधुबाला और दिलीप कुमार (मुग़ल ए आज़म)
अमिताभ बच्चन और दिलीप कुमार (फ़िल्म- शक्ति)
दिलीप कुमार (फ़िल्म- नया दौर)
अशोक कुमार और दिलीप कुमार (फ़िल्म- दीदार)
राज कपूर, नर्गिस और दिलीप कुमार (फ़िल्म-अंदाज़)
दिलीप कुमार (फ़िल्म- गंगा जमना)
दिलीप कुमार (फ़िल्म- कर्मा)
राज कुमार और दिलीप कुमार (फ़िल्म- सौदागर)
दिलीप कुमार और अमरीश पुरी (फ़िल्म- विधाता)
अनिल कपूर और दिलीप कुमार (फ़िल्म- मशाल)
दिलीप कुमार (फ़िल्म- देवदास)
दिलीप कुमार (फ़िल्म- राम और श्याम)
वहीदा रहमान और दिलीप कुमार (फ़िल्म- दिल दिया दर्द लिया)
मनोज कुमार और दिलीप कुमार (फ़िल्म- आदमी)
दिलीप कुमार का फ़िल्मी सफ़र
वर्ष फ़िल्म का नाम चरित्र का नाम विशेष
1944 ज्वार भाटा जगदीश पहली फ़िल्म
1945 प्रतिमा
1947 मिलन रमेश
1947 जुगनू सूरज
1948 शहीद राम
1948 नदिया के पार
1948 मेला मोहन
1948 घर की इज़्ज़त चंदा
1948 अनोखा प्यार अशोक
1949 शबनम मनोज
1949 अंदाज़ दिलीप
1950 जोगन विजय
1950 बाबुल अशोक
1950 आरज़ू बादल
1951 तराना मोतीलाल
1951 हलचल किशोर
1951 दीदार शामू
1952 संगदिल शंकर
1952 दाग शंकर फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1952 आन जय तिलक
1953 शिकस्त डॉ. राम सिंह
1953 फ़ुटपाथ नोशू
1954 अमर अमरनाथ
1955 उडन खटोला
1955 इंसानियत मंगल
1955 देवदास देवदास मुखर्जी फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1955 आज़ाद फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1957 नया दौर शंकर फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1957 मुसाफिर
1958 यहूदी प्रिंस मार्क्स
1958 मधुमती आनंद / देवन नामित फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1959 पैग़ाम रतन लाल नामित फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1960 कोहिनूर फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1960 मुग़ल ए आज़म प्रिंस सलीम
1961 गंगा जमना गंगा नामित फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1964 लीडर विजय खन्ना फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1966 दिल दिया दर्द लिया शंकर / राजासाहब नामित फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1967 राम और श्याम राम और श्याम फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1968 संघर्ष नामित फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1968 आदमी राजेश / राजा साहब नामित फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1970 सगीना महतो सगीना
1970 गोपी गोपी नामित फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1972 दास्तान अनिल / सुनील
1972 अनोखा मिलन
1974 सगीना नामित फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1976 बैराग नामित फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1981 क्रांति संगा / क्रांति
1982 विधाता शमशेर सिंह
1982 शक्ति अश्विनी कुमार फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1983 मज़दूर दीनानाथ सक्सेना
1984 दुनिया मोहन कुमार
1984 मशाल विनोद कुमार नामित फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1986 धरम अधिकारी
1986 कर्मा विश्वनाथ प्रताप सिंह / राना
1989 क़ानून अपना अपना कलैक्टर जगत् प्रताप सिंह
1990 इज़्ज़तदार ब्रह्मादत्त
1990 आग का दरिया
1991 सौदागर ठाकुर वीर सिंह नामित फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1998 क़िला जगनाथ / अमरनाथ सिंह

दिलीप कुमार के सह-अभिनेता

दिलीप कुमार के साथ काम करना हर कलाकार के लिए एक सपना होता है। ये सपना कम कलाकारों का ही पूरा हो पाया है क्योंकि दिलीप कुमार ने बेहद कम फ़िल्में की। साथ ही कुछ कलाकार उनके सामने आने से इसलिए बचते रहे क्योंकि वे दिलीप साहब के सामने कमज़ोर नहीं लगना चाहते थे। जिन प्रमुख कलाकारों ने उनके साथ काम किया है, वे इस प्रकार हैं :

दिलीप कुमार के सह-अभिनेता[6]
अभिनेता फ़िल्म
अजीत नया दौर, मुग़ल-ए-आजम
अमिताभ बच्चन शक्ति
अनिल कपूर शक्ति, मशाल, कर्मा
अशोक कुमार दीदार, शक्ति
बलराज साहनी हलचल, संघर्ष
देव आनंद इंसानियत
गोविंदा इज़्ज़तदार
जैकी श्रॉफ कर्मा, सौदागर
मनोज कुमार आदमी, क्रांति
नसीरुद्दीन शाह कर्मा
पृथ्वीराज कपूर मुग़ल-ए-आज़म
राज कपूर अंदाज़
राज कुमार पैगाम, सौदागर
संजय दत्त विधाता, क़ानून अपना-अपना
संजीव कुमार संघर्ष, विधाता
शम्मी कपूर विधाता
शशि कपूर क्रांति
शत्रुघ्न सिन्हा क्रांति

राज कपूर और देवानंद से दोस्ती

दिलीप साहब की देवानंद और राज कपूर दोनों से दोस्ती थी। लेकिन राज साहब के साथ उनके बड़े नज़दीकी रिश्ते थे। दोनों ही पाकिस्तान के पेशावर शहर में एक ही मोहल्ले, एक ही सड़क के रहने वाले थे। बिलकुल भाइयों जैसा रिश्ता था उनका। देव साहब थोड़ा अलग किस्म के शख़्स थे, लेकिन उनके साथ भी साहब ने बड़ी दोस्ती निभाई।

दिलीप कुमार, राज कपूर और देवानंद

एक बार देव अपनी फ़िल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' की शूटिंग के सिलसिले में मुमताज के साथ काठमांडू जा रहे थे, तब किसी पार्टी ने मुसीबत खड़ी कर दी और ऐलान किया कि वो इस फ़िल्म की शूटिंग नहीं होने देंगे। वो लोग देव को रोकने एयरपोर्ट तक पहुंच गए, तब दिलीप जी एयरपोर्ट तक गए और देव की हिफाज़त में वहां खड़े रहे। सायरो बानो और दिलीप साहब दोनों ने फ़िल्म इंडस्ट्री के कई लोगों को इकट्ठा किया और देव के लिए एयरपोर्ट में जाकर डट गए। तब जाकर सही सलामत देव काठमांडू रवाना हो सके।[7]

सम्मान और पुरस्कार

दिलीप कुमार, तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से सम्मानित होते हुए

आज ज़्यादातर लोगों को इस बात पर आश्चर्य होता है कि इस महानायक ने सिर्फ 54 फ़िल्में क्यों की। लेकिन इसका उत्तर है दिलीप कुमार ने अपनी छवि का सदैव ध्यान रखा और अभिनय स्तर को कभी गिरने नहीं दिया। इसलिए आज तक वे अभिनय के पारसमणि बने हुए हैं जबकि धूम-धड़ाके के साथ कई सुपर स्टार, मेगा स्टार आए और आकर चले गए। दिलीप कुमार ने अभिनय के माध्यम से राष्ट्र की जो सेवा की, उसके लिए भारत सरकार ने उन्हें 1991 में पद्म भूषण, 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है और 1995 में फ़िल्म का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान 'दादा साहब फालके अवॉर्ड' भी प्रदान किया। पाकिस्तान सरकार ने भी उन्हें 1997 में 'निशान-ए-इम्तियाज' से नवाजा था, जो पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। 1997 में ही उन्हें भारतीय सिनेमा के बहुमूल्य योगदान देने के लिए ए.नटी रामाराव पुरस्कार दिया गया, जबकि 1998 में समाज कल्याण के क्षेत्र में योगदान के लिए रामनाथ गोयनका पुरस्कार दिया गया।[3]दिलीप कुमार का नाम सबसे ज़्यादा पुरस्कार पाने वाले भारतीय अभिनेता के रूप में "गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स" में दर्ज़ है।[8]

फ़िल्मफेयर पुरस्कार

1953 में फ़िल्म फेयर पुरस्कारों के श्रीगणेश के साथ दिलीप कुमार को फ़िल्म 'दाग' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार‍ दिया था। अपने जीवनकाल में दिलीप कुमार कुल आठ बार फ़िल्म फेयर से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार पा चुके हैं और यह एक कीर्तिमान है जिसे अभी तक तोड़ा नहीं जा सका। अंतिम बार उन्हें सन् 1982 में फ़िल्म 'शक्ति' के लिए यह पुरस्कार दिया गया था, जबकि फ़िल्मफेयर ने ही उन्हें 1993 में राज कपूर की स्मृति में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया।[3]

जवाहरलाल नेहरू के साथ दिलीप कुमार, देवानंद और राज कपूर
  1. 1983 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - शक्ति
  2. 1968 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - राम और श्याम
  3. 1965 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - लीडर
  4. 1961 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - कोहिनूर
  5. 1958 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - नया दौर
  6. 1957 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - देवदास
  7. 1956 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - आज़ाद
  8. 1954 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - दाग

फ़िल्मी सफ़र पर एक नज़र[9]

गोल्डन जुबली हिट

जुगनू, मेला, अंदाज़, आन, दीदार, आज़ाद, मुग़ल-ए-आज़म, कोहिनूर, गंगा-जमना, राम और श्याम, गोपी, क्रांति, विधाता, कर्मा और सौदागर

सिल्वर जुबली हिट

शहीद, नदिया के पार, आरजू, जोगन, अनोखा प्यार, शबनम, तराना, बाबुल, दाग, उड़न खटोला, इंसानियत, देवदास, मधुमती, यहूदी, पैगाम, लीडर, आदमी, संघर्ष।

विनोदी (हास्य) भूमिका
शबनम, आज़ाद, कोहिनूर, लीडर, राम और श्याम, गोपी।
दबंग भूमिका
आन, आजाद, कोहिनूर, क्रांति।
नकारात्मक भूमिका
फुटपाथ, अमर।
अपूर्ण फ़िल्में
काला आदमी, जानवर, खरा-खोटा, चाणक्य-चंद्रगुप्त, आखिरी मुग़ल।
अभिनय से इनकार

बैजू बावरा, प्यासा, कागज के फूल, संगम, दिल दौलत और दुनिया, नया दिन नई रात, जबरदस्त, लॉरेंस ऑफ अरेबिया, द बैंक मैनेजर।

दिलीप कुमार की नायिकाएँ

सिर्फ एक बार काम किया[10]
  • अपर्णा सेन (सगीन महतो)
  • बेगम पारा (शबनम)
  • बी. सरोजादेवी (पैगाम)
  • भारती (इज्जतदार)
  • बीना राय (इंसानियत)
  • कुमकुम (कोहिनूर)
  • लीना चंदावरकर (बैराग)
  • मीरा मिश्रा (मिलन)
  • मृदुला (ज्वार-भाटा)
  • मुमताज शांति (घर की इज्जत)
  • मुमताज़ (राम और श्याम)
  • मुनव्वर सुल्ताना (बाबुल)
  • नादिरा (आन)
  • नंदा (मज़दूर)
  • निरुपा राय (क्रांति)
  • नूरजहाँ (जुगनू)
  • राखी (शक्ति)
  • रोहिणी हटंगड़ी (धर्माधिकारी)
  • रूमा गांगुली (बैराग)
  • शर्मिला टैगोर (दास्तान)
  • श्यामा (तराना)
  • सिमी (आदमी)
  • सितारा देवी (हलचल)
  • सुचित्रा सेन (देवदास)
  • स्वर्णलता (प्रतिमा)
  • उषा किरण (मुसाफिर)
  • राधा सेठ (कलिंगा)
दिलीप कुमार के साथ नायिकाओं की जोड़ी[10]
अभिनेत्री नाम फ़िल्में
नर्गिस अनोखा प्यार, मेला, अंदाज़, हलचल, जोगन, दीदार, बाबुल।
वैजयंती माला देवदास, नया दौर, मधुमती, पैग़ाम, लीडर, गंगा-जमना, संघर्ष।
मधुबाला तराना, संगदिल, अमर, मुग़ल-ए-आज़म।
कामिनी कौशल कामिनी कौशल शहीद, नदिया के पार, शबनम, आरजू।
मीना कुमारी फुटपाथ, आज़ाद, यहूदी, कोहिनूर।
निम्मी आन, दीदार, दाग, अमर, उड़न खटोला।
वहीदा रहमान दिल दिया दर्द लिया, राम और श्याम, आदमी, मशाल।
सायरा बानो गोपी, सगीना महतो, बैराग, दुनिया।
नलिनी जयवंत नलिनी जयवंत अनोखा प्यार, शिकस्त।
नूतन कर्मा, क़ानून अपना-अपना।

मृत्यु

भारतीय हिन्दी सिनेमा के दिग्गज कलाकार दिलीप कुमार का निधन 7 जुलाई, 2021 दिन बुधवार को हुआ। बॉलीवुड के ‘ट्रेजेडी किंग’ ने मुंबई के एक अस्पताल में सुबह करीब 7.30 बजे अंतिम सांस ली। उन्हें पिछले महीने से ही सांस संबंधित समस्याएं बनी हुई थीं। जिसके चलते उन्हें हिंदुजा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहीं पर 98 वर्षीय दिलीप कुमार ने आखिरी सांस ली। दिलीप साहब के साथ उनकी पत्नी और अभिनेत्री सायरा बानो आखिरी सांस तक साथ रहीं। सायरा दिलीप कुमार का खास ख्याल रख रही थीं और फैंस से लगातार दुआ करने की अपील भी कर रही थीं। इससे पहले भी दिलीप कुमार को सांस में तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस समय उनके फेफड़ों के बाहर तरल पदार्थ एकत्र हो गया, जिसे चिकित्सकों ने सफलतापूर्वक निकाल दिया था और पांच दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, बॉलीवुड के दिग्गजों ने दिलीप कुमार के निधन पर शोक व्यक्त किया और इस दिग्गज को अंतिम सलाम किया। हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्‍टार दिलीप कुमार नहीं रहे। सिल्‍वर स्‍क्रीन पर अपनी अदाकारी से लोगों को रुला देने वाले दिलीप को दुनिया 'ट्रेजडी किंग' बुलाती थी। 98 साल के दिलीप कुमार ने भारतीय सिनेमा में मेथड ऐक्टिंग की शुरुआत की थी। ब्‍लैक ऐंड वाइट फिल्‍मों के दौर में दिलीप कुमार और देव आनंद, हिंदी सिनेमा के दो सबसे बड़े हस्‍ताक्षर रहे। दुर्भाग्‍य से, दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं हैं।

दिलीप कुमार के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "दिलीप कुमार जी को एक सिनेमाई लीजेंड के रूप में याद किया जाएगा। उन्‍हें असामान्‍य प्रतिभा मिली थी, जिसकी वजह से उन्‍होंने कई पीढ़‍ियों के दर्शकों को रोमांचित किया। उनका जाना हमारी सांस्कृतिक दुनिया के लिए एक क्षति है। उनके परिवार, दोस्तों और असंख्य प्रशंसकों के प्रति संवेदना।" राहुल गांधी ने लिखा कि "दिलीप कुमार जी ने भारतीय सिनेमा के लिए जो किया है, उसे आने वाली कई पीढ़‍ियां याद रखेंगी"। इन दो प्रमुख नेताओं के अलावा राजनीतिक जगत की कई हस्तियों ने 'मुगल-ए-आजम' अभिनेता के निधन पर शोक जताया। दिल्ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिलीप कुमार के निधन को 'बालिवुड के एक अध्‍याय की समाप्ति' बताया। पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने लिखा कि 'उनकी अदायगी का अंदाज कई पीढ़‍ियों तक फिल्‍म प्रेमियों पर छाया रहेगा।'

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने लिखा कि "दिलीप कुमार के रूप में हमने एक लीजेंड को खो दिया है"। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने लिखा कि 'एक शानदार अभिनेता की जिंदगी पर पर्दा भले ही गिर गया हो लेकिन उनकी बेहतरीन परफॉर्मेंसेज के जरिए किवदंती हमेशा रहेगी।' केंद्र में ही मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने दिलीप कुमार के साथ मुलाकात की एक तस्‍वीर साझा की। पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि दिलीप कुमार का जाना एक 'युग का खत्‍म' हो जाना है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिलीप कुमार से अपनी एक मुलाकात का जिक्र क‍िया। उन्‍होंने लिखा, "गंगा जमना जैसी फिल्‍मों में उनकी अदाकारी ने करोड़ों दर्शकों का दिल छू लिया। मुझे उनके निधन से बेहद तकलीफ पहुंची है। मैं दिलीप कुमार जी से एक बार मिला था जब मैं उन्‍हें पद्म विभूषण से सम्‍मानित करने मुंबई गया था। उनके जैसे म‍हान अभिनेता से बात करना मेरे लिए बेहद खास पल था। उनका निधन भारतीय सिनेमा की बहुत बड़ी क्षति है।"


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 'निशान-ए-इम्तियाज' पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
  2. 2.0 2.1 बॉलिवुड के असली महानायक – दिलीप कुमार (हिन्दी) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 18 सितंबर, 2011।
  3. 3.0 3.1 3.2 3.3 दिलीप कुमार : एक महानायक की गाथा (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) वेब दुनिया हिन्दी। अभिगमन तिथि: 18 सितंबर, 2011।
  4. अच्छे स्क्रिप्ट राइटर भी है दिलीप कुमार (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) जागरण याहू इंडिया। अभिगमन तिथि: 18 दिसम्बर, 2012।
  5. दिलीप-सायरा: शादी से लोग चौंक गये थे (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) जागरण याहू इंडिया। अभिगमन तिथि: 18 दिसम्बर, 2012।
  6. दिलीप कुमार : सह अभिनेता (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) वेबदुनिया। अभिगमन तिथि: 18 दिसम्बर, 2012।
  7. दिलीप की कहानी बेगम की ज़ुबानी (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) बी.बी.सी हिंदी। अभिगमन तिथि: 18 दिसम्बर, 2012।
  8. Dilip Kumar on TV show?
  9. दिलीप कुमार की हिट फ़िल्में (हिंदी) वेबदुनिया हिंदी। अभिगमन तिथि: 19 दिसम्बर, 2012।
  10. 10.0 10.1 दिलीप कुमार के साथ फ़िल्म करने वाली नायिकाएँ (हिंदी) वेबदुनिया हिंदी। अभिगमन तिथि: 19 दिसम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख