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'''राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''National Bank for Agriculture and Rural Development'', संक्षिप्त नाम: नाबार्ड) [[महाराष्ट्र]] राज्य के [[मुम्बई]] में स्थित [[भारत]] का एक शीर्ष बैंक है। इसे | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
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राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक
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विवरण | इसे कृषि ऋण से जुड़े क्षेत्रों में, योजना और परिचालन के नीतिगत मामलों में तथा भारत के ग्रामीण अंचल की अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए मान्यता प्रदान की गयी है। |
मुख्यालय | मुम्बई, महाराष्ट्र |
स्थापना | 12 जुलाई, 1982 |
संक्षिप्त नाम | नाबार्ड |
उद्देश्य | नाबार्ड सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कार्यों को विनियमित करने और पर्यवेक्षण के लिए उत्तरदायी है। |
अन्य जानकारी | भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रदत्त अंशपूंजी के अनुपात में संशोधन के उपरान्त 31 मार्च 2013 को प्रदत्त पूंजी 4,000 करोड़ हो गयी जिसमें 99.5% (3,980 करोड़) का अंश भारत सरकार का तथा 0.50% (20.00 करोड़) का अंश भारतीय रिज़र्व बैंक का है। |
बाहरी कड़ियाँ | आधिकारिक वेबसाइट |
अद्यतन | 11:19, 21 मार्च 2014 (IST)
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राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (अंग्रेज़ी: National Bank for Agriculture and Rural Development, संक्षिप्त नाम: नाबार्ड) महाराष्ट्र राज्य के मुम्बई में स्थित भारत का एक शीर्ष बैंक है। इसे कृषि ऋण से जुड़े क्षेत्रों में, योजना और परिचालन के नीतिगत मामलों में तथा भारत के ग्रामीण अंचल की अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए मान्यता प्रदान की गयी है।
उद्गम
भारत सरकार की पहल पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भारत सरकार, योजना आयोग, के पूर्व सदस्य श्री. बी. सिवरामन की अध्यक्षता में कृषि ग्रामीण विकास के लिए संस्थागत ऋण व्यवस्थाओं की समीक्षा हेतु समिति गठित की गयी, जिसने अपनी प्रारम्भिक रिपोर्ट 28 नवम्बर, 1979 को पेश की, समिति ने एक ऐसी संस्था की परिकल्पना की, जिसका ध्यान समग्र ग्रामीण विकास हेतु ऋण आवश्यकताओं पर केन्द्रित हो, तथा अविभक्त ध्यान के साथ बलपू्र्वक दिशा निर्देशन कर सके। समिति ने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना की सिफारिश की।[1]
स्थापना
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम (1981 का 61 वां) द्वारा 12 जुलाई 1982 को राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना हुई। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्ववर्ती कृषि ऋण विभाग, कृषि पुनर्वित्त और विकास नियम और ग्रामीण आयोजना तथा ऋण कक्ष के कार्यो को अपने हाथ में ले लिया, माननीय प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी द्वारा नाबार्ड 5 नवम्बर, 1982 को राष्ट्र को समर्पित किया गया। नाबार्ड की स्थापना अभिदत्त और प्रदत्त पूंजी 100 करोड़ से की गयी जिसका अंशदान भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक ने समान रूप से किया। भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रदत्त अंशपूंजी के अनुपात में संशोधन के उपरान्त 31 मार्च 2013 को प्रदत्त पूंजी 4,000 करोड़ हो गयी जिसमें 99.5% (3,980 करोड़) का अंश भारत सरकार का तथा 0.50% (20.00 करोड़) का अंश भारतीय रिज़र्व बैंक का है।[1]
उद्देश्य
देश में ग्रामीण वित्तीय प्रणाली में मजबूत और कुशल ऋण वितरण प्रणाली की आवश्यकता है जो कृषि और ग्रामीण विकास की बढ़ती हुई और विविध प्रकार की ऋण आवश्यकताओं की देखभाल करने में सक्षम हो। ग्रामीण ऋण के 50% से अधिक ऋण सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा संवितरित किए जाते हैं। नाबार्ड सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कार्यों को विनियमित करने और पर्यवेक्षण के लिए उत्तरदायी है। इस दिशा में नाबार्ड ने सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक के सहयोग से अनेक पहलें की हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (हिंदी) आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 20 मार्च, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
सम्बंधित लेख