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==अंतिम दिनों तक मोबाइल नहीं रखते थे यशपाल==
==अंतिम दिनों तक मोबाइल नहीं रखते थे यशपाल==
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प्रोफेसर यशपाल का घर हमेशा सबके लिए खुला रहता था। लैंडलाइन नंबर पर फोन करने पर वह खुद फोन उठाते थे। मोबाइल का इस्तेमाल पसंद नहीं था। वह आमतौर पर उनकी पोती के पास होता था। अगर घर से बाहर नहीं हैं तो तुरंत मिलने का समय दे देते थे। उनके पास हर उम्र के लोग आते थे। सबका मुस्कुराहट के साथ स्वागत करते थे। चूंकि बातें करना पसंद था, लिहाजा किसी को शायद कभी संवाद की दिक्कत हुई हो। उनकी यादों के पिटारे में बहुत कुछ था, विज्ञान से लेकर शिक्षा जगत और [[इंदिरा गाँधी|इंदिरा जी]] से जुड़ी हुई यादें।
प्रोफेसर यशपाल का घर हमेशा सबके लिए खुला रहता था। लैंडलाइन नंबर पर फोन करने पर वह खुद फोन उठाते थे। मोबाइल का इस्तेमाल पसंद नहीं था। वह आमतौर पर उनकी पोती के पास होता था। अगर घर से बाहर नहीं हैं तो तुरंत मिलने का समय दे देते थे। उनके पास हर उम्र के लोग आते थे। सबका मुस्कुराहट के साथ स्वागत करते थे। चूंकि बातें करना पसंद था, लिहाजा किसी को शायद कभी संवाद की दिक्कत हुई हो। उनकी यादों के पिटारे में बहुत कुछ था, विज्ञान से लेकर शिक्षा जगत और [[इंदिरा गाँधी|इंदिरा जी]] से जुड़ी हुई यादें।
 
==यादों का पिटारा==
प्रोफ़ेसर यशपाल बताते थे कि जब वह [[अहमदाबाद]] में थे तो किस तरह 'दुग्ध क्रांति' के जनक वी.जी. कुरियन और वह अच्छे दोस्त थे। किस तरह 'श्वेत क्रांति' का सपना पूरा किया गया। ये भी बताते थे कि जब एशियाड होने वाला था, तो देश में टीवी ट्रांसमीटर्स का संजाल बिछाना था, इसे किस तरह कुछ महीनों में किया गया। किस तरह [[दूरदर्शन]] रंगीन हुआ। [[इंदिरा गाँधी|इंदिरा जी]] उनसे उपाय तलाशने को कहती थीं। वह खोज भी लाते थे।
==एंकरिंग भी की==
जब उन्हें यूजीसी का चेयरमैन बनाया गया तो टीवी के लिए [[विज्ञान]] से जुड़े रोचक शैक्षिक कार्यक्रम बनाने थे। इसके लिए [[श्याम बेनेगल]] से लेकर दूसरे लोगों की मदद ली गई। कुछ कार्यक्रमों की एंकरिंग भी की। मूल रूप से वह [[भौतिक विज्ञान|भौतिक]] और अंतरिक्ष से जुड़े वैज्ञानिक थे, लिहाजा देश की सेटेलाइट क्रांति में भी उनकी अपनी एक भूमिका थी। वह विज्ञान के पैरोकार थे तो भगवान को भी मानते थे।





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यशपाल एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- यशपाल (बहुविकल्पी)
यशपाल विषय सूची
यशपाल से जुड़े संस्मरण
यशपाल
यशपाल
पूरा नाम यशपाल
जन्म 26 नवम्बर, 1926
मृत्यु 24 जुलाई, 2017
मृत्यु स्थान नोएडा, उत्तर प्रदेश
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र भौतिकी तथा शिक्षा
पुरस्कार-उपाधि 'पद्म भूषण' (1976), 'पद्म विभूषण' (2013), 'कलिंग सम्मान' (2009)
प्रसिद्धि भौतिक विज्ञानी और शिक्षाविद
विशेष योगदान यशपाल दूरदर्शन पर 'टर्निंग पाइंट' नाम के एक साइंटिफिक प्रोग्राम को भी होस्ट करते थे।
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी प्रोफ़ेसर यशपाल 2007 से 2012 तक देश के बड़े विश्व विद्यालयों में से दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के वाइस चांसलर भी रहे।


पद्म विभूषण और पद्म भूषण समेत कई सम्मानों से नवाजे गए प्रोफ़ेसर यशपाल अनेक महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे। इनमें योजना आयोग में मुख्य सलाहकार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में अध्यक्ष शामिल हैं। भारत सरकार ने 1973 उन्हें स्पेस ऐप्लीकेशन सेंटर का पहला निदेशक नियुक्त किया था। 1983-1984 में वह योजना आयोग के मुख्य सलाहकार भी रहे थे। वर्ष 1986 से 1991 तक वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के चेयरमैन रहे थे।

अंतिम दिनों तक मोबाइल नहीं रखते थे यशपाल

यशपाल जी डेढ़ दशकों से कहीं ज्यादा समय से नोएडा के सेक्टर 15ए के आवास में रह रहे थे। शुरुआती सालों में तो अकेले ही रहते थे। उनके बच्चे बाहर रहते थे। बाद के सालों में उनकी पोती उनके पास आकर रहने लगी थी ताकि दादा जी का ख्याल रख सकें। उनका तीन बेडरूम का फ्लैट अामतौर पर सादगी लिए था। ड्राइंग रूम का सोफा, सेंटर टेबल भी हमेशा किताबों, काग़ज़ों से अटा रहने वाला था। आलमारियों में कितने ही तरह की किताबें थीं।[1]

प्रोफेसर यशपाल का घर हमेशा सबके लिए खुला रहता था। लैंडलाइन नंबर पर फोन करने पर वह खुद फोन उठाते थे। मोबाइल का इस्तेमाल पसंद नहीं था। वह आमतौर पर उनकी पोती के पास होता था। अगर घर से बाहर नहीं हैं तो तुरंत मिलने का समय दे देते थे। उनके पास हर उम्र के लोग आते थे। सबका मुस्कुराहट के साथ स्वागत करते थे। चूंकि बातें करना पसंद था, लिहाजा किसी को शायद कभी संवाद की दिक्कत हुई हो। उनकी यादों के पिटारे में बहुत कुछ था, विज्ञान से लेकर शिक्षा जगत और इंदिरा जी से जुड़ी हुई यादें।

यादों का पिटारा

प्रोफ़ेसर यशपाल बताते थे कि जब वह अहमदाबाद में थे तो किस तरह 'दुग्ध क्रांति' के जनक वी.जी. कुरियन और वह अच्छे दोस्त थे। किस तरह 'श्वेत क्रांति' का सपना पूरा किया गया। ये भी बताते थे कि जब एशियाड होने वाला था, तो देश में टीवी ट्रांसमीटर्स का संजाल बिछाना था, इसे किस तरह कुछ महीनों में किया गया। किस तरह दूरदर्शन रंगीन हुआ। इंदिरा जी उनसे उपाय तलाशने को कहती थीं। वह खोज भी लाते थे।

एंकरिंग भी की

जब उन्हें यूजीसी का चेयरमैन बनाया गया तो टीवी के लिए विज्ञान से जुड़े रोचक शैक्षिक कार्यक्रम बनाने थे। इसके लिए श्याम बेनेगल से लेकर दूसरे लोगों की मदद ली गई। कुछ कार्यक्रमों की एंकरिंग भी की। मूल रूप से वह भौतिक और अंतरिक्ष से जुड़े वैज्ञानिक थे, लिहाजा देश की सेटेलाइट क्रांति में भी उनकी अपनी एक भूमिका थी। वह विज्ञान के पैरोकार थे तो भगवान को भी मानते थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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