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[[यमुना नदी]] के किनारे कालसी में [[अशोक के शिलालेख]] प्राप्त होने से इस बात की पुष्टि होती है कि यह क्षेत्र कभी | [[यमुना नदी]] के किनारे कालसी में [[अशोक के शिलालेख]] प्राप्त होने से इस बात की पुष्टि होती है कि यह क्षेत्र कभी काफ़ी संपन्न रहा होगा। सातवीं [[सदी]] में इस क्षेत्र को 'सुधनगर' के रूप में प्रसिद्ध चीनी यात्री [[ह्वेनसांग]] ने भी देखा था। यह 'सुधनगर' ही बाद में कालसी के नाम से पहचाना जाने लगा। लगभग आठ सौ [[वर्ष]] पहले दून क्षेत्र में बंजारे जाति के लोग आकर बस गये थे। तब से यह क्षेत्र गढ़वाल के राजा को कर देने लगा। कुछ समय बाद इस ओर [[महमूद गजनवी|इब्राहिम बिन महमूद गजनवी]] का हमला हुआ। | ||
10:32, 8 दिसम्बर 2011 का अवतरण
उत्तराखंड के ज़िला देहरादून की तहसील चकरौता में कालसी अवस्थित है। यहाँ पर अशोक के चतुर्दश शिलालेख एक चट्टान पर अंकित हैं। सम्भवत: यह स्थान अशोक के साम्राज्य की उत्तरी सीमा पर था।
ऐतिहासिक स्थान
महाभारत काल में देहरादून, जिसमें वर्तमान कालसी सम्मिलित है, का शासक राजा विराट था और उसकी राजधानी विराटनगर थी। अज्ञातवास के समय पांडव रूप बदलकर राजा विराट के यहां रहे थे।
अशोक का शिलालेख
यमुना नदी के किनारे कालसी में अशोक के शिलालेख प्राप्त होने से इस बात की पुष्टि होती है कि यह क्षेत्र कभी काफ़ी संपन्न रहा होगा। सातवीं सदी में इस क्षेत्र को 'सुधनगर' के रूप में प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी देखा था। यह 'सुधनगर' ही बाद में कालसी के नाम से पहचाना जाने लगा। लगभग आठ सौ वर्ष पहले दून क्षेत्र में बंजारे जाति के लोग आकर बस गये थे। तब से यह क्षेत्र गढ़वाल के राजा को कर देने लगा। कुछ समय बाद इस ओर इब्राहिम बिन महमूद गजनवी का हमला हुआ।
टीका टिप्पणी और संदर्भ