"प्रयोग:कविता बघेल": अवतरणों में अंतर
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-डिस्कस (चक्का), भाला (जेवलिन) व गोला (शॉट पुट) | -डिस्कस (चक्का), भाला (जेवलिन) व गोला (शॉट पुट) | ||
-भाला (जेवलिन), गोला (शॉट पुट) व डिस्कस (चक्का) | -भाला (जेवलिन), गोला (शॉट पुट) व डिस्कस (चक्का) | ||
- | -गोला (शॉट पुट), भाला (जेवलिन) व डिस्कस (चक्का) | ||
||डिस्कस थ्रो (चक्का फेंक) प्रतियोगिता के चक्के का वज़न 2 किलोग्राम, गोला फेंक (शॉट पुट) प्रतियोगिता के गोले का वज़न 7.260 किलोग्राम तथा भाला फेंक प्रतियोगिता के भाले की लंबाई 260 सेमी. और वज़न 800 ग्राम होता है। तीनों खेल सामग्री का वज़न पुरुष खिलाड़ियों से संबंधित है। | ||डिस्कस थ्रो (चक्का फेंक) प्रतियोगिता के चक्के का वज़न 2 किलोग्राम, गोला फेंक (शॉट पुट) प्रतियोगिता के गोले का वज़न 7.260 किलोग्राम तथा भाला फेंक प्रतियोगिता के भाले की लंबाई 260 सेमी. और वज़न 800 ग्राम होता है। तीनों खेल सामग्री का वज़न पुरुष खिलाड़ियों से संबंधित है। | ||
{ | {श्वास लेते समय [[वायु]] में [[ऑक्सीजन]] की मात्रा 20% है तो श्वास छोड़ने पर निकलने वाले वायु में ऑक्सीजन की मात्रा होती है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-93 | ||
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+16% | +16% | ||
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+उज्जायी | +उज्जायी | ||
-उड्डियान | -उड्डियान | ||
||प्राणायाम श्वसन प्रक्रिया का नियंत्रक होता है। इसका अर्थ है श्वास को अंदर ले जाने व बाहर निकालने पर उचित नियंत्रण रखना। मूल रूप से प्राणायाम के तीन घटक अर्थात पूरक, कुंभक व रेचक | ||प्राणायाम श्वसन प्रक्रिया का नियंत्रक होता है। इसका अर्थ है श्वास को अंदर ले जाने व बाहर निकालने पर उचित नियंत्रण रखना। मूल रूप से प्राणायाम के तीन घटक अर्थात पूरक, कुंभक व रेचक होते हैं। प्राणायाम के विभिन्न प्रकार होते हैं। जैसे-उज्जायी, सूर्यभेदी, शीतकारी, शीलती, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्च्छा, प्लाविनी। यह उपापचय क्रियाओं में सहायता करता है तथा [[हृदय]] व [[फेफड़ा|फेफड़ों]] की क्रियाओं में वृद्धि करता है। यह जीवन को दीर्घायु भी बनाता है। | ||
{शारीरिक शिक्षा के क्रिया-कलापों के चयन करते समय किस बात का ध्यान रखना आवश्यक है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-93 | {शारीरिक शिक्षा के क्रिया-कलापों के चयन करते समय किस बात का ध्यान रखना आवश्यक है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-93 | ||
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-बच्चों की [[जाति]] एवं [[धर्म]] | -बच्चों की [[जाति]] एवं [[धर्म]] | ||
-बच्चों की लंबाई एवं | -बच्चों की लंबाई एवं वज़न | ||
-बच्चों का ग्रामीण एवं शहरी परिवेश | -बच्चों का ग्रामीण एवं शहरी परिवेश | ||
+बच्चों की शारीरिक दक्षता एवं आवश्यकता। | +बच्चों की शारीरिक दक्षता एवं आवश्यकता। | ||
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-[[मस्तिष्क]] को | -[[मस्तिष्क]] को | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||रक्त नलिकाओं को तीन प्रकार से बांटा जा सकता है-1.[[धमनियाँ | ||रक्त नलिकाओं को तीन प्रकार से बांटा जा सकता है- 1.[[धमनियाँ]] जो [[हृदय]] से [[रक्त]] ले जाती हैं। 2.[[शिरा|शिराएं]] जो हृदय की ओर रक्त लाती हैं। 3.धमनियों एवं शिराओं को जोड़ने वाली केपलरिज (कोशिकाएं) हृदय के बाएं स्थित अरोटा से रक्त बाहर निकलता है। यह सबसे बड़ी धमनी है। अरोटा से कई मुख्य धमनियों की शाखाएं निकलती हैं जो आगे छोटी-छोटी नलिकाओं में विभक्त हो जाती हैं। | ||
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||"कुंभक" का संबंध प्राणायाम से है। श्वास को अंदर रोकने की क्रिया को आंतरिक कुंभक और बाहर रोकने की क्रिया को बाहरी कुंभक कहते हैं। | ||"कुंभक" का संबंध प्राणायाम से है। श्वास को अंदर रोकने की क्रिया को आंतरिक कुंभक और बाहर रोकने की क्रिया को बाहरी कुंभक कहते हैं। | ||
{वाई.एम.सी.ए. शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय का सर्वप्रथम आचार्य कौन था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-27 | {वाई. एम. सी. ए. शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय का सर्वप्रथम आचार्य कौन था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-27 | ||
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-जी.डी. सोंढी | -जी. डी. सोंढी | ||
-जे.पी.एस. थॉमस | -जे. पी. एस. थॉमस | ||
+एच.सी. | +एच. सी. बक | ||
-एम. रोबसन | -एम. रोबसन | ||
||एच.सी. बक ने वर्ष [[1920]] में [[मद्रास]] (अब [[चेन्नई]]) में वाई.एम.सी.ए. कॉलेज | ||एच. सी. बक ने वर्ष [[1920]] में [[मद्रास]] (अब [[चेन्नई]]) में वाई. एम. सी. ए. कॉलेज ऑफ़ फिजिकल एजुकेशन की स्थापना की थी। वे इसके प्रथम आचार्य बने। इस संस्था ने [[भारत]] में शारीरिक शिक्षा को अपने पैरों पर खड़ा करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। | ||
{"डिस्मीसल" भाग है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-199 प्रश्न-114 | {"डिस्मीसल" भाग है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-199 प्रश्न-114 | ||
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-प्रतियोगिता | -प्रतियोगिता | ||
+पाठ योजना | +पाठ योजना | ||
{किसी व्यक्ति (शोधकर्ता) के लिए सबसे अच्छी शोध समस्या होती है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-6 प्रश्न-14 | {किसी व्यक्ति (शोधकर्ता) के लिए सबसे अच्छी शोध समस्या होती है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-6 प्रश्न-14 | ||
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-वह एक जो उसके शोध निदेशक द्वारा सुझाया गया | -वह एक जो उसके शोध निदेशक (Supervisor) द्वारा सुझाया गया | ||
-वह एक जो दूसरे द्वारा प्रयास किया गया हो दूसरे संदर्भ में | -वह एक जो दूसरे द्वारा प्रयास किया गया हो दूसरे संदर्भ में | ||
-उसके स्वयं की समस्या | -उसके स्वयं की समस्या | ||
+उपर्युक्त में कोई नहीं | +उपर्युक्त में कोई नहीं | ||
{पुरुष त्रिकूद में टेक ऑफ और [[अखाड़ा|अखाड़े]] के बीच की दूरी होती है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-94 | {पुरुष त्रिकूद में टेक ऑफ और [[अखाड़ा|अखाड़े]] के बीच की दूरी कितनी होती है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-94 | ||
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-8 मी. | -8 मी. | ||
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-11मी. | -11मी. | ||
+13मी. | +13मी. | ||
|| | ||[[एथलेटिक्स]] प्रतियोगियाओं के अंतर्राष्ट्रीय मानव IAAF (International Association of Athletic Federation) द्वारा तय किए जाते हैं और इसी संस्था द्वारा पुरुष त्रिकूद (Triple jump) के लिए टेक ऑफ बोर्ड से अखाड़े की दूरी 13 मी. तय की गई है। | ||
{जर्मन खेल का नाम बताइए जिस पर आधुनिक [[बास्केटबॉल]] आधारित है | {जर्मन खेल का नाम बताइए जिस पर आधुनिक [[बास्केटबॉल]] आधारित है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-38 प्रश्न-29 | ||
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-हैंडबॉल | -हैंडबॉल | ||
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-[[हॉकी]] | -[[हॉकी]] | ||
-वॉलीबॉल | -वॉलीबॉल | ||
||हैंडबॉल खेल को 19वीं शताब्दी के अंत में उत्तरी यूरोप और [[जर्मनी]] में संहिताबद्ध किया गया था। इसके आधुनिक नियम वर्ष [[1917]] में जर्मनी में प्रकाशित किए गए थे। [[बास्केटबॉल|बास्केटबॉल खेल]] [[1891]] ई. में कैनेडियन डॉ. जेम्स नैशमिथ द्वारा अमेरिका YMCA स्कूल में ईजाद किया गया था। कोर्फबॉल खेल स्कूल टीचर निको ब्रेवोखुइसेन द्वारा वर्ष [[1902]] में | ||हैंडबॉल खेल को 19वीं शताब्दी के अंत में उत्तरी यूरोप और [[जर्मनी]] में संहिताबद्ध किया गया था। इसके आधुनिक नियम वर्ष [[1917]] में जर्मनी में प्रकाशित किए गए थे। [[बास्केटबॉल|बास्केटबॉल खेल]] [[1891]] ई. में कैनेडियन डॉ. जेम्स नैशमिथ द्वारा अमेरिका YMCA स्कूल में ईजाद किया गया था। कोर्फबॉल खेल स्कूल टीचर निको ब्रेवोखुइसेन द्वारा वर्ष [[1902]] में ईजाद किया गया था। हालांकि कोर्फबॉल नामक खेल का जन्म [[जर्मनी]] में हुआ, जो बास्केटबॉल से मिलता-जुलता खेल है। वॉलीबॉल खेल अमेरिकी शारीरिक शिक्षा निदेशक विलियम जी. मॉर्गन द्वारा [[1895]] ई. में मिंटोनेट्टे नाम से ईजाद किया गया जिसे जल्द ही वॉलीबॉल के नाम से जाने जाना लगा। [[हॉकी|हॉकी खेल]] की उत्पत्ति का निश्चित समय ज्ञात नहीं है। | ||
{पेनाल्टी स्ट्रोक लेते समय किस कौशल का खिलाड़ी प्रयोग नहीं कर सकता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-51 प्रश्न-16 | {पेनाल्टी स्ट्रोक लेते समय किस कौशल का खिलाड़ी प्रयोग नहीं कर सकता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-51 प्रश्न-16 | ||
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-फ्लिक | -फ्लिक | ||
-स्कूप | -स्कूप | ||
||फील्ड [[हॉकी]] के खेल में पेनाल्टी स्ट्रोक को पेनाल्टी फ्लिक भी कहते | ||फील्ड [[हॉकी]] के खेल में पेनाल्टी स्ट्रोक को पेनाल्टी फ्लिक भी कहते हैं। पेनाल्टी स्ट्रोक, आक्रमण करने वाले खिलाड़ी द्वारा गोल रेखा के मध्य से 7 गज की दूरी से लिया जाता है। पेनाल्टी स्ट्रोक, पुश, फ्लिक अथवा स्कूप हो सकता है। इस स्ट्रोक से केवल गोलरक्षक ही बचाव कर सकता है। गोल का बचाव करते समय गोलरक्षक अपने दस्ताने तथा हेल्मेट आदि उतार सकता है। | ||
{वाई.एम.सी.ए. (Y.M.C.A.) के संस्थापक कौन थे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न- 94 | {वाई.एम.सी.ए. (Y.M.C.A.) के संस्थापक कौन थे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न- 94 | ||
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-जी.बी. नैश | -जी. बी. नैश | ||
-डॉ. डी. एस. कठारी | -डॉ. डी. एस. कठारी | ||
+एच.सी. बक | +एच. सी. बक | ||
-आर. कैसिडी | -आर. कैसिडी | ||
||वाई.एम.सी.ए. के संस्थापक एच.सी. बक थे। इन्होंने वर्ष [[1920]] में [[मद्रास]] में वाई.एम.सी.ए. कॉलेज | ||वाई.एम.सी.ए. के संस्थापक एच. सी. बक थे। इन्होंने वर्ष [[1920]] में [[मद्रास]] में वाई. एम. सी. ए. कॉलेज ऑफ़ फिजिकल एजुकेशन की स्थापना की। | ||
{प्रौढ़ [[हृदय]] का | {प्रौढ़ [[हृदय]] का वज़न होता है लगभग- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-14 | ||
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+260 ग्राम से 300 ग्राम | +260 ग्राम से 300 ग्राम | ||
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-150 ग्राम से 200 ग्राम | -150 ग्राम से 200 ग्राम | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||मानव हृदय छाती के मध्य थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है। यह एक दिन में लगभग 1 लाख बार धड़कता है। [[हृदय]] चार प्रमुख कक्षों में विभाजित होता है। एक वयस्क मनुष्य के [[हृदय]] का | ||मानव हृदय छाती के मध्य थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है। यह एक दिन में लगभग 1 लाख बार धड़कता है। [[हृदय]] चार प्रमुख कक्षों में विभाजित होता है। एक वयस्क मनुष्य के [[हृदय]] का वज़न लगभग 260 ग्राम से 300 ग्राम होता है। | ||
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||फार्टलेक एक स्वीडिया शब्द है जिसका अर्थ है 'गतिखेल' अर्थात स्पीड प्ले (Speed play)। फार्टलेक प्रशिक्षण विधि का प्रयोग व्यक्ति की सहन क्षमता को बढ़ाने के लिए की जाती है और इस विधि में विधि में गति व स्थान पहले से नियोजित नहीं होता है। इसका निर्णय व्यक्तिगत होता है तथा खिलाड़ी अपनी गति पहाड़ियों, जंगल, कीचड़ तथा घास के मैदान अर्थात स्थान के अनुरूप रखता है। इस प्रकार फार्टलेक प्रशिक्षण विधि द्वारा व्यक्ति के सहन क्षमता या दमखम (Endurance) का परीक्षण कर उसका विकास किया जाता है। | ||फार्टलेक एक स्वीडिया शब्द है जिसका अर्थ है 'गतिखेल' अर्थात स्पीड प्ले (Speed play)। फार्टलेक प्रशिक्षण विधि का प्रयोग व्यक्ति की सहन क्षमता को बढ़ाने के लिए की जाती है और इस विधि में विधि में गति व स्थान पहले से नियोजित नहीं होता है। इसका निर्णय व्यक्तिगत होता है तथा खिलाड़ी अपनी गति पहाड़ियों, जंगल, कीचड़ तथा घास के मैदान अर्थात स्थान के अनुरूप रखता है। इस प्रकार फार्टलेक प्रशिक्षण विधि द्वारा व्यक्ति के सहन क्षमता या दमखम (Endurance) का परीक्षण कर उसका विकास किया जाता है। | ||
{[[खो-खो]] में डाइविंग के समय बेहतरीन टाइमिग और गति के साथ आवश्यकता होती है | {[[खो-खो]] में डाइविंग के समय बेहतरीन टाइमिग और गति के साथ निम्न में से किसकी आवश्यकता होती है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-7 प्रश्न-15 | ||
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-[[मांसपेशी]] ज्ञान | -[[मांसपेशी]] ज्ञान | ||
-निर्णय क्षमता | -निर्णय क्षमता | ||
+अचूकता (एक्यूरेसी) | +अचूकता (एक्यूरेसी) | ||
-संतुलन | -संतुलन | ||
||[[खो-खो|खो-खो खेल]] में डाइविंग के समय बेहतरीन टाइमिंग और गति के साथ अचूकता (एक्यूरेसी) की आवश्यकता होती है। | ||[[खो-खो|खो-खो खेल]] में डाइविंग के समय बेहतरीन टाइमिंग और गति के साथ अचूकता (एक्यूरेसी) की आवश्यकता होती है। | ||
{'माइलो' जिसने प्राचीन ओलंपिक में रिकॉर्ड छ: बार भाग लिया, खिलाड़ी था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-95 | {'माइलो' जिसने प्राचीन ओलंपिक में रिकॉर्ड छ: बार भाग लिया, किस खेल से सम्बंधित खिलाड़ी था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-95 | ||
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- | -मुक्केबाज़ी | ||
+[[कुश्ती]] | +[[कुश्ती]] | ||
-धावन | -धावन | ||
-ग्लेडियटर | -ग्लेडियटर | ||
||प्राचीन ओलंपिक में रिकॉर्ड छ: बार लगातार भाग लेने वाला खिलाड़ी 'माइलो' (Milo) था जिसने [[कुश्ती]] की प्रतियोगिता में भाग लेकर छ: बार लगातार शीर्ष स्थान प्राप्त किया था। | ||प्राचीन ओलंपिक में रिकॉर्ड छ: बार लगातार भाग लेने वाला खिलाड़ी 'माइलो' (Milo) था, जिसने [[कुश्ती]] की प्रतियोगिता में भाग लेकर छ: बार लगातार शीर्ष स्थान प्राप्त किया था। | ||
{स्टेडियम जो इरविन एम्फीथियेटर के नाम से जाना जाता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-39 प्रश्न-30 | {स्टेडियम जो इरविन एम्फीथियेटर के नाम से जाना जाता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-39 प्रश्न-30 | ||
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-[[कर्णम मल्लेश्वरी]] | -[[कर्णम मल्लेश्वरी]] | ||
+[[मिल्खा सिंह]] | +[[मिल्खा सिंह]] | ||
-[[अभिनव बिन्द्रा | -[[अभिनव बिन्द्रा]] | ||
||[[लिएंडर पेस]], [[कर्णम मल्लेश्वरी]], [[अभिनव बिन्द्रा|अभिनव बिंद्रा]] [[ओलंपिक खेल]] के पदक विजेताओं में सम्मिलित हैं। वर्ष [[2012]] के ओलंपिक में [[भारत]] के पदक विजेता विजय कुमार, [[सुशील कुमार पहलवान|सुशील कुमार]], गगन नारंग, [[मैरी कॉम]], [[साइना नेहवाल]] और [[योगेश्वर दत्त]] थे। | ||[[लिएंडर पेस]], [[कर्णम मल्लेश्वरी]], [[अभिनव बिन्द्रा|अभिनव बिंद्रा]] [[ओलंपिक खेल]] के पदक विजेताओं में सम्मिलित हैं। वर्ष [[2012]] के ओलंपिक में [[भारत]] के पदक विजेता विजय कुमार, [[सुशील कुमार पहलवान|सुशील कुमार]], गगन नारंग, [[मैरी कॉम]], [[साइना नेहवाल]] और [[योगेश्वर दत्त]] थे। | ||
{लक्ष्मीबाई शारीरिक शिक्षा कॉलेज के प्रथम प्रधानाचार्य कौन थे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-95 | {लक्ष्मीबाई शारीरिक शिक्षा कॉलेज के प्रथम प्रधानाचार्य कौन थे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-95 | ||
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-डॉ. डी.एस. कोठारी | -डॉ. डी. एस. कोठारी | ||
-श्री जे.एफ. विलियम | -श्री जे. एफ. विलियम | ||
-चार्ल्स ए. वियूकर | -चार्ल्स ए. वियूकर | ||
+श्री पी.एम. जोसफ | +श्री पी. एम. जोसफ | ||
||लक्ष्मीबाई शारीरिक शिक्षा के प्रथम प्रधानाचार्य श्री पी.एस. जोसफ थे। वर्ष [[1995]] में शारीरिक शिक्षा की अग्रणी संस्था जो केंद्र सरकार द्वारा एल.एन.सी.पी.ई. के नाम से चलाई जा रही थी को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया, जिसे 'लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन' के रूप में जाना जाता है। | ||लक्ष्मीबाई शारीरिक शिक्षा के प्रथम प्रधानाचार्य श्री पी. एस. जोसफ थे। वर्ष [[1995]] में शारीरिक शिक्षा की अग्रणी संस्था जो केंद्र सरकार द्वारा एल. एन. सी. पी. ई. के नाम से चलाई जा रही थी को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया, जिसे 'लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन' के रूप में जाना जाता है। | ||
{[[लाल रक्त कणिका|लाल रक्त कणिकाओं]] का जीवनकाल है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-15 | {[[लाल रक्त कणिका|लाल रक्त कणिकाओं]] का जीवनकाल है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-15 | ||
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+120 दिन | +120 दिन | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||प्रत्येक निर्मित तत्त्व विशेष अवधि तक जीवित रहते हैं। अत: हमारे [[मानव शरीर|शरीर]] को इन टूटी-फूटी कोशिकाओं को बदलते रहना चाहिए। [[लाल रक्त कोशिका|लाल रक्त कोशिकाएं]] 120 दिन जीवित रहती हैं तथा प्लेटलेट्स 10 दिन। | ||प्रत्येक निर्मित तत्त्व विशेष अवधि तक जीवित रहते हैं। अत: हमारे [[मानव शरीर|शरीर]] को इन टूटी-फूटी कोशिकाओं को बदलते रहना चाहिए। [[लाल रक्त कोशिका|लाल रक्त कोशिकाएं]] 120 दिन जीवित रहती हैं तथा प्लेटलेट्स 10 दिन। [[श्वेत रक्त कोशिका|सफ़ेद रक्त कोशिकाओं]] का जीवन कुछ घंटों से लेकर कई वर्षों तक होता है। | ||
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+शिविर से | +शिविर से | ||
-[[खेल]] से | -[[खेल]] से | ||
{[[भारत]] ने दूसरी बार एशियन खेल कौन-से वर्ष में कराए थे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-29 | {[[भारत]] ने दूसरी बार एशियन खेल कौन-से वर्ष में कराए थे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-29 | ||
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+[[1982]] | +[[1982]] | ||
-[[2010]] | -[[2010]] | ||
||[[भारत]] ने वर्ष [[1951]] में सर्वप्रथम [[नई दिल्ली]] में एशियन खेल का आयोजन किया। वर्ष [[1982]] में नई दिल्ली में दूसरी बार एशियन खेलों का आयोजन हुआ। वर्ष [[2014]] के एशियाई खेल दक्षिण कोरिया के इंचियोन नामक शहर में संपन्न हुए जबकि वर्ष [[2018]] में आगामी एशियाई खेलों का आयोजन जकार्ता में होगा। | ||[[भारत]] ने वर्ष [[1951]] में सर्वप्रथम [[नई दिल्ली]] में एशियन खेल का आयोजन किया। वर्ष [[1982]] में [[नई दिल्ली]] में दूसरी बार एशियन खेलों का आयोजन हुआ। वर्ष [[2014]] के एशियाई खेल दक्षिण कोरिया के इंचियोन नामक शहर में संपन्न हुए जबकि वर्ष [[2018]] में आगामी एशियाई खेलों का आयोजन जकार्ता में होगा। | ||
{"स्पीड प्ले" का संबंध है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-200 प्रश्न-116 | {"स्पीड प्ले" का संबंध है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-200 प्रश्न-116 | ||
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-निरंतर ट्रेनिंग | -निरंतर ट्रेनिंग | ||
-इंटरवेल ट्रेनिग | -इंटरवेल ट्रेनिग | ||
{बायोमेकेनिक्स के शब्दों में गुरुत्वाकर्षण का हमारे ऊपर क्या असर होता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-7 प्रश्न-16 | {बायोमेकेनिक्स के शब्दों में गुरुत्वाकर्षण का हमारे ऊपर क्या असर होता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-7 प्रश्न-16 | ||
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-संतुलन | -संतुलन | ||
-आयतन | -आयतन | ||
||बायोमेकेनिक्स के शब्दों में | ||बायोमेकेनिक्स के शब्दों में गुरुत्वाकर्षण का हमारे भार पर असर होता है। गुरुत्वाकर्षण केंद्र वह बिंदु होता है जिस पर किसी वस्तु या व्यक्ति का प्रभावी भार केंद्रित होता है। | ||
{इनमें से किस व्यायाम के दौरान मांसपेशीय संकुचन नहीं होता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-96 | {इनमें से किस व्यायाम के दौरान मांसपेशीय संकुचन नहीं होता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-96 | ||
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-हड्डियों का | -हड्डियों का | ||
- | -तंत्रिका तंत्र का | ||
-[[मांसपेशी|मांसपेशियों]] का | -[[मांसपेशी|मांसपेशियों]] का | ||
+जोड़ों का | +जोड़ों का | ||
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+[[टेनिस]] | +[[टेनिस]] | ||
-[[टेबल | -[[टेबल टेनिस]] | ||
-[[क्रिकेट]] | -[[क्रिकेट]] | ||
-[[फुटबॉल]] | -[[फुटबॉल]] | ||
||विम्बलडन चैंपियनशिप [[टेनिस|टेनिस खेल]] से संबंधित है। लॉन टेनिस के महत्त्वपूर्ण कप एवं ट्रॉफियां-डेविस कप, फेडरेशन कप, फ्रेंच ओपन, यू.एस. ओपन व ग्रांड प्रिक्स आदि। | ||विम्बलडन चैंपियनशिप [[टेनिस|टेनिस खेल]] से संबंधित है। लॉन टेनिस के महत्त्वपूर्ण कप एवं ट्रॉफियां- डेविस कप, फेडरेशन कप, फ्रेंच ओपन, यू. एस. ओपन व ग्रांड प्रिक्स आदि। | ||
{[[भारतीय खेल प्राधिकरण]] का गठन किस वर्ष हुआ था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-16 | {[[भारतीय खेल प्राधिकरण]] का गठन किस वर्ष हुआ था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-16 | ||
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-[[1994]] | -[[1994]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||[[भारतीय खेल प्राधिकरण]] यानी स्पोर्ट्स अथॉरिटी | ||[[भारतीय खेल प्राधिकरण]] यानी स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया वर्ष [[1982]] में [[नई दिल्ली]] में हुई नौवें एशियाई खेलों का उत्तरवर्ती संगठन है। [[भारत सरकार]] के खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय ने [[25 जनवरी]], [[1984]] को इसका गठन किया। | ||
{[[रेबीज़|रेबीज]] या हाइड्रोफोबिया रोग होता है | {[[रेबीज़|रेबीज]] या हाइड्रोफोबिया रोग किससे होता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-110 प्रश्न-37 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+[[वायरस]] | +[[वायरस]] | ||
-[[जीवाणु]] | -[[जीवाणु]] | ||
-[[कवक]] | -[[कवक]] | ||
-[[कृमि]] | -[[कृमि]] | ||
13:00, 11 जनवरी 2017 का अवतरण
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