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यद्यपि अन्नपूर्णा देवी ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को कभी भी अपने पेशे के रूप में नहीं लिया और न कोई संगीत का एलबम ही बनाया, फिर भी अभी तक इन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत से प्रेम करने वाले प्रत्येक भारतीय से पर्याप्त आदर और सम्मान मिलता रहा है।
'''अन्नपूर्णा देवी''' भारतीय शास्त्रीय संगीत शैली में सुरबहार वाद्ययंत्र (बास का [[सितार]]) बजाने वाली एकमात्र महिला उस्ताद हैं। ये विश्व प्रसिद्ध [[सितार वादक]] [[रवि शंकर|पंडित रवि शंकर]] की पूर्व पत्नी हैं।
==संगीत शिक्षा==
==संगीत शिक्षा==
अन्नपूर्णा देवी की की बड़ी बहन शारिजा का अल्पायु में ही निधन हो गया था, दूसरी बहन जहानारा की शादी हुई परंतु उसकी सासु माँ ने संगीत से द्वेषवश उसके तानपुरे को जला दिया। इस घटना से दु:खी होकर इनके पिता ने निश्चय किया कि वे अपनी छोटी बेटी (अन्नपूर्णा) को [[संगीत]] की शिक्षा नहीं देंगे। एक दिन जब इनके पिता घर वापस आये तो उन्होंने देखा कि अन्नपूर्णा अपने भाई अली अकबर ख़ान को संगीत की शिक्षा दे रही है, इनकी यह कुशलता देखकर पिता का मन बदल गया। आगे चलकर अन्नपूर्णा देवी ने शास्त्रीय संगीत, सितार और सुरबहार (बांस का सितार) बजाना अपने पिता से सीखा। मैहर में इनके पिता [[अलाउद्दीन ख़ान]] यहां के तत्कालीन महाराजा बृजनाथ सिंह के दरबारी संगीतकार थे। इनके पिता ने जब महाराजा बृजनाथ सिंह को दरबार में यह बताया कि उनको लड़की हुई है तो महाराजा ने स्वयं ही नवजात लड़की का नाम ‘अन्नपूर्णा’ रखा था।
अन्नपूर्णा देवी की बड़ी बहन शारिजा का अल्पायु में ही निधन हो गया था, दूसरी बहन जहानारा की शादी हुई परंतु उसकी सासु माँ ने संगीत से द्वेषवश उसके तानपुरे को जला दिया। इस घटना से दु:खी होकर इनके पिता ने निश्चय किया कि वे अपनी छोटी बेटी (अन्नपूर्णा) को [[संगीत]] की शिक्षा नहीं देंगे। एक दिन जब इनके पिता घर वापस आये तो उन्होंने देखा कि अन्नपूर्णा अपने भाई [[अली अकबर ख़ान]] को संगीत की शिक्षा दे रही है, इनकी यह कुशलता देखकर पिता का मन बदल गया। आगे चलकर अन्नपूर्णा देवी ने [[शास्त्रीय संगीत]], [[सितार]] और सुरबहार (बांस का सितार) बजाना अपने पिता से सीखा। मैहर में इनके पिता [[अलाउद्दीन ख़ान]] यहां के तत्कालीन महाराजा बृजनाथ सिंह के दरबारी संगीतकार थे। इनके पिता ने जब महाराजा बृजनाथ सिंह को दरबार में यह बताया कि उनको लड़की हुई है तो महाराजा ने स्वयं ही नवजात लड़की का नाम ‘अन्नपूर्णा’ रखा था।
;संगीत इनके परिवार के रग-रग में
;संगीत इनके परिवार के रग-रग में
अन्नपूर्णा देवी के पिता अलाउद्दीन ख़ान मैहर महाराज के यहां स्वयं तो एक दरबारी संगीतकार थे साथ ही इनके चाचा फ़क़ीर अफ्ताबुद्दीन ख़ान और अयेत अली ख़ान अपने पैतृक जन्म स्थान (वर्तमान [[बांग्लादेश]]) के प्रसिद्ध संगीतकार थे। इनके भाई [[अली अकबर ख़ान]] प्रसिद्ध और सम्मानित सरोद वादक थे, जिन्होंने [[भारत]] और [[अमेरिका]] में संगीत के अनेकों यादगार कार्यक्रमों में भाग लिया। इनके पूर्व पति और विश्व प्रसिद्ध सितार वादक पंडित रवि शंकर भारतीय शास्त्रीय संगीत के भारत तथा विश्व में सबसे बड़े संगीतकार माने जाते हैं। इनके एकमात्र पुत्र शुभेन्द्र शंकर (सुभो) सितार वादन में माहिर थे। सुभो ने सितार वादन में अपनी माता से गहन प्रशिक्षण लिया था। बाद में सुभो को उनके पिता रवि शंकर संगीत में पारंगत करने के लिए अपने साथ लेकर अमेरिका चले गए। शुभेन्द्र शंकर ने भी भारतीय शास्त्रीय संगीतकार के रूप में देश-विदेश में अपनी प्रस्तुति दी।
अन्नपूर्णा देवी के पिता अलाउद्दीन ख़ान मैहर महाराज के यहां स्वयं तो एक दरबारी संगीतकार थे साथ ही इनके चाचा फ़क़ीर अफ्ताबुद्दीन ख़ान और अयेत अली ख़ान अपने पैतृक जन्म स्थान (वर्तमान [[बांग्लादेश]]) के प्रसिद्ध संगीतकार थे। इनके भाई [[अली अकबर ख़ान]] प्रसिद्ध और सम्मानित सरोद वादक थे, जिन्होंने [[भारत]] और [[अमेरिका]] में संगीत के अनेकों यादगार कार्यक्रमों में भाग लिया। इनके पूर्व पति और विश्व प्रसिद्ध सितार वादक पंडित रवि शंकर भारतीय शास्त्रीय संगीत के भारत तथा विश्व में सबसे बड़े संगीतकार माने जाते हैं। इनके एकमात्र पुत्र शुभेन्द्र शंकर (सुभो) सितार वादन में माहिर थे। सुभो ने सितार वादन में अपनी माता से गहन प्रशिक्षण लिया था। बाद में सुभो को उनके पिता रवि शंकर संगीत में पारंगत करने के लिए अपने साथ लेकर अमेरिका चले गए। शुभेन्द्र शंकर ने भी भारतीय शास्त्रीय संगीतकार के रूप में देश-विदेश में अपनी प्रस्तुति दी।
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अन्नपूर्णा देवी विषय सूची
अन्नपूर्णा देवी की संगीत शिक्षा
अन्नपूर्णा देवी
अन्नपूर्णा देवी
पूरा नाम अन्नपूर्णा देवी
अन्य नाम रोशनआरा ख़ान
जन्म 23 अप्रैल, 1927
जन्म भूमि मध्य प्रदेश
अभिभावक पित- अलाउद्दीन ख़ान और माता- मदनमंजरी देवी
पति/पत्नी पंडित रवि शंकर और रूशी कुमार पंड्या
संतान शुभेन्द्र शंकर
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र संगीत कला
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण, 'संगीत नाटक अकादमी अवार्ड’
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी अन्नपूर्णा देवी ने आजीवन कोई म्यूजिक एल्बम नहीं बनाया। कहा जाता है कि उनके कुछ संगीत कार्यक्रमों को गुप्त रूप से रिकॉर्ड कर लिया गया था, जो आजकल देखने को मिल जाता है।
अद्यतन‎

अन्नपूर्णा देवी भारतीय शास्त्रीय संगीत शैली में सुरबहार वाद्ययंत्र (बास का सितार) बजाने वाली एकमात्र महिला उस्ताद हैं। ये विश्व प्रसिद्ध सितार वादक पंडित रवि शंकर की पूर्व पत्नी हैं।

संगीत शिक्षा

अन्नपूर्णा देवी की बड़ी बहन शारिजा का अल्पायु में ही निधन हो गया था, दूसरी बहन जहानारा की शादी हुई परंतु उसकी सासु माँ ने संगीत से द्वेषवश उसके तानपुरे को जला दिया। इस घटना से दु:खी होकर इनके पिता ने निश्चय किया कि वे अपनी छोटी बेटी (अन्नपूर्णा) को संगीत की शिक्षा नहीं देंगे। एक दिन जब इनके पिता घर वापस आये तो उन्होंने देखा कि अन्नपूर्णा अपने भाई अली अकबर ख़ान को संगीत की शिक्षा दे रही है, इनकी यह कुशलता देखकर पिता का मन बदल गया। आगे चलकर अन्नपूर्णा देवी ने शास्त्रीय संगीत, सितार और सुरबहार (बांस का सितार) बजाना अपने पिता से सीखा। मैहर में इनके पिता अलाउद्दीन ख़ान यहां के तत्कालीन महाराजा बृजनाथ सिंह के दरबारी संगीतकार थे। इनके पिता ने जब महाराजा बृजनाथ सिंह को दरबार में यह बताया कि उनको लड़की हुई है तो महाराजा ने स्वयं ही नवजात लड़की का नाम ‘अन्नपूर्णा’ रखा था।

संगीत इनके परिवार के रग-रग में

अन्नपूर्णा देवी के पिता अलाउद्दीन ख़ान मैहर महाराज के यहां स्वयं तो एक दरबारी संगीतकार थे साथ ही इनके चाचा फ़क़ीर अफ्ताबुद्दीन ख़ान और अयेत अली ख़ान अपने पैतृक जन्म स्थान (वर्तमान बांग्लादेश) के प्रसिद्ध संगीतकार थे। इनके भाई अली अकबर ख़ान प्रसिद्ध और सम्मानित सरोद वादक थे, जिन्होंने भारत और अमेरिका में संगीत के अनेकों यादगार कार्यक्रमों में भाग लिया। इनके पूर्व पति और विश्व प्रसिद्ध सितार वादक पंडित रवि शंकर भारतीय शास्त्रीय संगीत के भारत तथा विश्व में सबसे बड़े संगीतकार माने जाते हैं। इनके एकमात्र पुत्र शुभेन्द्र शंकर (सुभो) सितार वादन में माहिर थे। सुभो ने सितार वादन में अपनी माता से गहन प्रशिक्षण लिया था। बाद में सुभो को उनके पिता रवि शंकर संगीत में पारंगत करने के लिए अपने साथ लेकर अमेरिका चले गए। शुभेन्द्र शंकर ने भी भारतीय शास्त्रीय संगीतकार के रूप में देश-विदेश में अपनी प्रस्तुति दी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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