"एम. आर. श्रीनिवासन": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''मलुर रामासामी श्रीनिवासन''' (अंग्रेज़ी: ''Malur Ramasamy Srinivas...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''मलुर रामासामी श्रीनिवासन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Malur Ramasamy Srinivasan'', जन्म- [[5 जनवरी]], [[1930]]) [[भारत]] के [[परमाणु]] वैज्ञानिक व इंजीनियर हैं। सन [[1987]] में वे भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष नियुक्त किये गये थे। भारत के नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। दाबित भारी जल रिएक्टर के विकास में भी एम. आर. श्रीनिवासन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। साल [[2015]] में [[भारत सरकार]] ने उन्हें [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित किया गया था।
{{सूचना बक्सा वैज्ञानिक
|चित्र=M-R-Srinivasan.jpg
|चित्र का नाम=एम. आर. श्रीनिवासन
|पूरा नाम=मलुर रामासामी श्रीनिवासन
|अन्य नाम=
|जन्म=[[5 जनवरी]], [[1930]]
|जन्म भूमि=[[बैंगलोर]]
|मृत्यु=
|मृत्यु स्थान=
|अभिभावक=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|कर्म भूमि=[[भारत]]
|कर्म-क्षेत्र=
|मुख्य रचनाएँ=
|विषय=
|खोज=
|भाषा=
|शिक्षा=
|विद्यालय=
|पुरस्कार-उपाधि=*[[पद्म श्री]], [[1984]]<br />
*[[पद्म भूषण]], [[1990]]<br />
*[[पद्म विभूषण]], [[2015]]
|प्रसिद्धि=[[परमाणु]] वैज्ञानिक व इंजीनियर
|विशेष योगदान=
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=सन [[1967]] को एम. आर. श्रीनिवासन को मद्रास परमाणू ऊर्जा परियोजना के मुख्य निर्माण अभियंता के रूप में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। [[1973]] में एम. आर. श्रीनिवासन ने पावर प्रोजेक्टस के डिप्टी डायरेक्टार का पद भी संभाला।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन={{अद्यतन|18:05, 3 मार्च 2022 (IST)}}
}}'''मलुर रामासामी श्रीनिवासन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Malur Ramasamy Srinivasan'', जन्म- [[5 जनवरी]], [[1930]]) [[भारत]] के [[परमाणु]] वैज्ञानिक व इंजीनियर हैं। सन [[1987]] में वे भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष नियुक्त किये गये थे। भारत के नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। दाबित भारी जल रिएक्टर के विकास में भी एम. आर. श्रीनिवासन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। साल [[2015]] में [[भारत सरकार]] ने उन्हें [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित किया गया था।
==परिचय==
==परिचय==
एम. आर.श्रीनिवासन का पूरा नाम मलुर रामासामी श्रीनिवासन है। उनका जन्म [[बैंगलोर]] में 5 जनवरी, 1930 को हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मैसूर इंटरमीडिएट कॉलेज में [[विज्ञान]] विषय के साथ पूरी की। वहाँ अध्यायन के लिए उन्होंने [[संस्कृत]] और [[अंग्रेज़ी]] [[भाषा]] को चुना था। वह विश्वेश्वेरैया द्वारा नव आरंभ इंजिनियरिंग कॉलेज में बाद में शामिल हुए।<ref name="pp">{{cite web |url= https://jivani.org/Biography/2432/%E0%A4%8F%E0%A4%AE--%E0%A4%86%E0%A4%B0--%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%A8--%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A5%80---biography-of--m--r--srinivasan-in-hindi-jivani|title=एम. आर. श्रीनिवासन की जीवनी|accessmonthday=03 मार्च|accessyear=2022 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=jivani.org |language=हिंदी}}</ref>
एम. आर. श्रीनिवासन का पूरा नाम मलुर रामासामी श्रीनिवासन है। उनका जन्म [[बैंगलोर]] में 5 जनवरी, 1930 को हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मैसूर इंटरमीडिएट कॉलेज में [[विज्ञान]] विषय के साथ पूरी की। वहाँ अध्यायन के लिए उन्होंने [[संस्कृत]] और [[अंग्रेज़ी]] [[भाषा]] को चुना था। वह विश्वेश्वेरैया द्वारा नव आरंभ इंजिनियरिंग कॉलेज में बाद में शामिल हुए।<ref name="pp">{{cite web |url= https://jivani.org/Biography/2432/%E0%A4%8F%E0%A4%AE--%E0%A4%86%E0%A4%B0--%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%A8--%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A5%80---biography-of--m--r--srinivasan-in-hindi-jivani|title=एम. आर. श्रीनिवासन की जीवनी|accessmonthday=03 मार्च|accessyear=2022 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=jivani.org |language=हिंदी}}</ref>


सन [[1950]] में यूवीसीई बैंगलोर से मैकनिकल इंजानियीरंग में अपने पाठयाक्रम के बाद एम. आर.श्रीनिवासन ने एमसी से फलूइड मैकेनिक्सा, हीट ट्रॉसफर और एप्लाइड गणित और गैस टर्बाइन दर्शनशास्त्र में अपनी पोस्ट ग्रेजुऐशन को पूर्ण किया। इसके लिए उन्हें कनाडा द्वारा डिग्री प्रदान की गई थी।  
सन [[1950]] में यूवीसीई बैंगलोर से मैकनिकल इंजानियीरंग में अपने पाठयाक्रम के बाद एम. आर.श्रीनिवासन ने एमसी से फलूइड मैकेनिक्सा, हीट ट्रॉसफर और एप्लाइड गणित और गैस टर्बाइन दर्शनशास्त्र में अपनी पोस्ट ग्रेजुऐशन को पूर्ण किया। इसके लिए उन्हें कनाडा द्वारा डिग्री प्रदान की गई थी।  
==कार्य==
==कार्य==
एम. आर. श्रीनिवासन ने [[ब्रिेटेन]] में रस्टन ऍड हॉर्स्बी में काम किया। उसके बाद उन्हें भारतीय परमाणू ऊर्जा आयोग के अध्याक्ष डॉ. होमी जे द्वारा भाभा में चुना गया था। एम. आर.श्रीनिवासन [[सितंबर]] [[1955]] में परमाणू उर्जा विभाग में शामिल हुए। उन्होंने होमी भाभा के साथ [[भारत]] के पहले परमाणू अनुसंधान रिएकटर 'अप्सरा' के निर्माण का महत्वपूर्ण कार्य किया था। सन [[1959]] में जब पहले परमाणू उर्जा संयंत्र के लिए एक परियोजना समूह का गठन किया था तो उस समय एम. आर.श्रीनिवासन को प्रधान परियोजना अभियन्ता के रूप में कार्य करने के लिए नियुक्त किया गया।
एम. आर. श्रीनिवासन ने [[ब्रिटेन ]] में रस्टन ऍड हॉर्स्बी में काम किया। उसके बाद उन्हें भारतीय परमाणू ऊर्जा आयोग के अध्याक्ष डॉ. होमी जे द्वारा भाभा में चुना गया था। एम. आर.श्रीनिवासन [[सितंबर]] [[1955]] में परमाणू उर्जा विभाग में शामिल हुए। उन्होंने होमी भाभा के साथ [[भारत]] के पहले परमाणू अनुसंधान रिएकटर 'अप्सरा' के निर्माण का महत्वपूर्ण कार्य किया था। सन [[1959]] में जब पहले परमाणू उर्जा संयंत्र के लिए एक परियोजना समूह का गठन किया था तो उस समय एम. आर.श्रीनिवासन को प्रधान परियोजना अभियन्ता के रूप में कार्य करने के लिए नियुक्त किया गया।


सन [[1967]] को उन्हें मद्रास परमाणू ऊर्जा परियोजना के मुख्य निर्माण अभियंता के रूप में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। [[1973]] में एम. आर. श्रीनिवासन ने पावर प्रोजेक्टस के डिप्टी डायरेक्टार का पद भी संभाला। सन [[1974]] में पीपीईडी का निदेशक उन्हें बनाया गया। [[1984]] में उन्हें परमाणू ऊर्जा बोर्ड डीएई का अध्यक्ष बनाया गया था। वहाँ पर वे देश के सभी परमाणू ऊर्जा परियोजना की योजना, निष्पादन और संचालन कार्य करते थे।<ref name="pp"/>
सन [[1967]] को उन्हें मद्रास परमाणू ऊर्जा परियोजना के मुख्य निर्माण अभियंता के रूप में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। [[1973]] में एम. आर. श्रीनिवासन ने पावर प्रोजेक्टस के डिप्टी डायरेक्टार का पद भी संभाला। सन [[1974]] में पीपीईडी का निदेशक उन्हें बनाया गया। [[1984]] में उन्हें परमाणू ऊर्जा बोर्ड डीएई का अध्यक्ष बनाया गया था। वहाँ पर वे देश के सभी परमाणू ऊर्जा परियोजना की योजना, निष्पादन और संचालन कार्य करते थे।<ref name="pp"/>
पंक्ति 23: पंक्ति 57:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{वैज्ञानिक}}{{पद्म विभूषण}}{{पद्म भूषण}}{{पद्म श्री}}
{{वैज्ञानिक}}{{पद्म विभूषण}}{{पद्म भूषण}}{{पद्मश्री}}
[[Category:वैज्ञानिक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]]
[[Category:वैज्ञानिक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]]
[[Category:पद्म श्री]][[Category:पद्म श्री (1984)]][[Category:पद्म भूषण]][[Category:पद्म भूषण (1990)]][[Category:पद्म विभूषण]][[Category:पद्म विभूषण (2015)]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:विज्ञान कोश]]
[[Category:पद्म श्री]][[Category:पद्म श्री (1984)]][[Category:पद्म भूषण]][[Category:पद्म भूषण (1990)]][[Category:पद्म विभूषण]][[Category:पद्म विभूषण (2015)]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:विज्ञान कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

12:35, 3 मार्च 2022 का अवतरण

एम. आर. श्रीनिवासन
एम. आर. श्रीनिवासन
एम. आर. श्रीनिवासन
पूरा नाम मलुर रामासामी श्रीनिवासन
जन्म 5 जनवरी, 1930
जन्म भूमि बैंगलोर
कर्म भूमि भारत
पुरस्कार-उपाधि *पद्म श्री, 1984
प्रसिद्धि परमाणु वैज्ञानिक व इंजीनियर
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी सन 1967 को एम. आर. श्रीनिवासन को मद्रास परमाणू ऊर्जा परियोजना के मुख्य निर्माण अभियंता के रूप में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। 1973 में एम. आर. श्रीनिवासन ने पावर प्रोजेक्टस के डिप्टी डायरेक्टार का पद भी संभाला।
अद्यतन‎

मलुर रामासामी श्रीनिवासन (अंग्रेज़ी: Malur Ramasamy Srinivasan, जन्म- 5 जनवरी, 1930) भारत के परमाणु वैज्ञानिक व इंजीनियर हैं। सन 1987 में वे भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष नियुक्त किये गये थे। भारत के नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। दाबित भारी जल रिएक्टर के विकास में भी एम. आर. श्रीनिवासन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। साल 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

परिचय

एम. आर. श्रीनिवासन का पूरा नाम मलुर रामासामी श्रीनिवासन है। उनका जन्म बैंगलोर में 5 जनवरी, 1930 को हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मैसूर इंटरमीडिएट कॉलेज में विज्ञान विषय के साथ पूरी की। वहाँ अध्यायन के लिए उन्होंने संस्कृत और अंग्रेज़ी भाषा को चुना था। वह विश्वेश्वेरैया द्वारा नव आरंभ इंजिनियरिंग कॉलेज में बाद में शामिल हुए।[1]

सन 1950 में यूवीसीई बैंगलोर से मैकनिकल इंजानियीरंग में अपने पाठयाक्रम के बाद एम. आर.श्रीनिवासन ने एमसी से फलूइड मैकेनिक्सा, हीट ट्रॉसफर और एप्लाइड गणित और गैस टर्बाइन दर्शनशास्त्र में अपनी पोस्ट ग्रेजुऐशन को पूर्ण किया। इसके लिए उन्हें कनाडा द्वारा डिग्री प्रदान की गई थी।

कार्य

एम. आर. श्रीनिवासन ने ब्रिटेन में रस्टन ऍड हॉर्स्बी में काम किया। उसके बाद उन्हें भारतीय परमाणू ऊर्जा आयोग के अध्याक्ष डॉ. होमी जे द्वारा भाभा में चुना गया था। एम. आर.श्रीनिवासन सितंबर 1955 में परमाणू उर्जा विभाग में शामिल हुए। उन्होंने होमी भाभा के साथ भारत के पहले परमाणू अनुसंधान रिएकटर 'अप्सरा' के निर्माण का महत्वपूर्ण कार्य किया था। सन 1959 में जब पहले परमाणू उर्जा संयंत्र के लिए एक परियोजना समूह का गठन किया था तो उस समय एम. आर.श्रीनिवासन को प्रधान परियोजना अभियन्ता के रूप में कार्य करने के लिए नियुक्त किया गया।

सन 1967 को उन्हें मद्रास परमाणू ऊर्जा परियोजना के मुख्य निर्माण अभियंता के रूप में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। 1973 में एम. आर. श्रीनिवासन ने पावर प्रोजेक्टस के डिप्टी डायरेक्टार का पद भी संभाला। सन 1974 में पीपीईडी का निदेशक उन्हें बनाया गया। 1984 में उन्हें परमाणू ऊर्जा बोर्ड डीएई का अध्यक्ष बनाया गया था। वहाँ पर वे देश के सभी परमाणू ऊर्जा परियोजना की योजना, निष्पादन और संचालन कार्य करते थे।[1]

सन 1987 में एम. आर. श्रीनिवासन को भारतीय परमाणू ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और परमाणू उर्जा विभाग का सचिव नियुक्त किया गया। वहॉ पर भारतीय परमाणू कार्यक्रम के लिए उनकी भूमिका एवं कार्य महत्वपूर्ण रहा था। एम. आर. श्रीनिवासन 1990 से 1992 तक अंतरराष्ट्रीय परमाणू ऊर्जा एजेंसी, वियना में एक वरिष्ठ सलाहकार थे। 1996 से 1998 तक वह योजना आयोग के सदस्य भी रहे थे। श्रिनिवासन न्यूक्लियर ऑपरेटर्स ड्ब्ल्यूएएनओ के संस्थापक सदस्य रहे।

पुरस्कार व सम्मान


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 एम. आर. श्रीनिवासन की जीवनी (हिंदी) jivani.org। अभिगमन तिथि: 03 मार्च, 2022।

संबंधित लेख