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12:35, 3 मार्च 2022 का अवतरण
एम. आर. श्रीनिवासन
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पूरा नाम | मलुर रामासामी श्रीनिवासन |
जन्म | 5 जनवरी, 1930 |
जन्म भूमि | बैंगलोर |
कर्म भूमि | भारत |
पुरस्कार-उपाधि | *पद्म श्री, 1984 |
प्रसिद्धि | परमाणु वैज्ञानिक व इंजीनियर |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | सन 1967 को एम. आर. श्रीनिवासन को मद्रास परमाणू ऊर्जा परियोजना के मुख्य निर्माण अभियंता के रूप में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। 1973 में एम. आर. श्रीनिवासन ने पावर प्रोजेक्टस के डिप्टी डायरेक्टार का पद भी संभाला। |
अद्यतन | 18:05, 3 मार्च 2022 (IST)
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मलुर रामासामी श्रीनिवासन (अंग्रेज़ी: Malur Ramasamy Srinivasan, जन्म- 5 जनवरी, 1930) भारत के परमाणु वैज्ञानिक व इंजीनियर हैं। सन 1987 में वे भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष नियुक्त किये गये थे। भारत के नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। दाबित भारी जल रिएक्टर के विकास में भी एम. आर. श्रीनिवासन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। साल 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
परिचय
एम. आर. श्रीनिवासन का पूरा नाम मलुर रामासामी श्रीनिवासन है। उनका जन्म बैंगलोर में 5 जनवरी, 1930 को हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मैसूर इंटरमीडिएट कॉलेज में विज्ञान विषय के साथ पूरी की। वहाँ अध्यायन के लिए उन्होंने संस्कृत और अंग्रेज़ी भाषा को चुना था। वह विश्वेश्वेरैया द्वारा नव आरंभ इंजिनियरिंग कॉलेज में बाद में शामिल हुए।[1]
सन 1950 में यूवीसीई बैंगलोर से मैकनिकल इंजानियीरंग में अपने पाठयाक्रम के बाद एम. आर.श्रीनिवासन ने एमसी से फलूइड मैकेनिक्सा, हीट ट्रॉसफर और एप्लाइड गणित और गैस टर्बाइन दर्शनशास्त्र में अपनी पोस्ट ग्रेजुऐशन को पूर्ण किया। इसके लिए उन्हें कनाडा द्वारा डिग्री प्रदान की गई थी।
कार्य
एम. आर. श्रीनिवासन ने ब्रिटेन में रस्टन ऍड हॉर्स्बी में काम किया। उसके बाद उन्हें भारतीय परमाणू ऊर्जा आयोग के अध्याक्ष डॉ. होमी जे द्वारा भाभा में चुना गया था। एम. आर.श्रीनिवासन सितंबर 1955 में परमाणू उर्जा विभाग में शामिल हुए। उन्होंने होमी भाभा के साथ भारत के पहले परमाणू अनुसंधान रिएकटर 'अप्सरा' के निर्माण का महत्वपूर्ण कार्य किया था। सन 1959 में जब पहले परमाणू उर्जा संयंत्र के लिए एक परियोजना समूह का गठन किया था तो उस समय एम. आर.श्रीनिवासन को प्रधान परियोजना अभियन्ता के रूप में कार्य करने के लिए नियुक्त किया गया।
सन 1967 को उन्हें मद्रास परमाणू ऊर्जा परियोजना के मुख्य निर्माण अभियंता के रूप में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। 1973 में एम. आर. श्रीनिवासन ने पावर प्रोजेक्टस के डिप्टी डायरेक्टार का पद भी संभाला। सन 1974 में पीपीईडी का निदेशक उन्हें बनाया गया। 1984 में उन्हें परमाणू ऊर्जा बोर्ड डीएई का अध्यक्ष बनाया गया था। वहाँ पर वे देश के सभी परमाणू ऊर्जा परियोजना की योजना, निष्पादन और संचालन कार्य करते थे।[1]
सन 1987 में एम. आर. श्रीनिवासन को भारतीय परमाणू ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और परमाणू उर्जा विभाग का सचिव नियुक्त किया गया। वहॉ पर भारतीय परमाणू कार्यक्रम के लिए उनकी भूमिका एवं कार्य महत्वपूर्ण रहा था। एम. आर. श्रीनिवासन 1990 से 1992 तक अंतरराष्ट्रीय परमाणू ऊर्जा एजेंसी, वियना में एक वरिष्ठ सलाहकार थे। 1996 से 1998 तक वह योजना आयोग के सदस्य भी रहे थे। श्रिनिवासन न्यूक्लियर ऑपरेटर्स ड्ब्ल्यूएएनओ के संस्थापक सदस्य रहे।
पुरस्कार व सम्मान
- पद्म श्री, भारत के राष्ट्रपति जैल सिंह द्वारा, 1984
- पद्म भूषण, राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन द्वारा, 1990
- पद्म विभूषण, 2015
- केंद्रीय सिंचाई और विद्युत बोर्ड का डायमंड जुबली पूरस्कार
- इंस्टीटयूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया का सर्वश्रेष्ठ डिजाइनर पुरस्कार
- होमी भाभा स्वर्ण पदक, भारतीय विज्ञान कांग्रेस द्वारा
- होमी भाभा लाइफ टाइम अवार्ड ऑफ इंडियन न्यूक्लियर सोसाइटी[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 एम. आर. श्रीनिवासन की जीवनी (हिंदी) jivani.org। अभिगमन तिथि: 03 मार्च, 2022।