"कृष्ण द्वितीय": अवतरणों में अंतर
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*[[अमोघवर्ष प्रथम|अमोघवर्ष]] की मृत्यु के बाद उसका पुत्र कृष्ण द्वितीय 878 ई. में राजसिंहासन पर आरूढ़ हुआ। | *[[अमोघवर्ष प्रथम|अमोघवर्ष]] की मृत्यु के बाद उसका पुत्र कृष्ण द्वितीय 878 ई. में राजसिंहासन पर आरूढ़ हुआ। | ||
*अमोघवर्ष के इस उत्तराधिकारी को [[गुर्जर प्रतिहार वंश|प्रतिहार]] एवं चोल शासकों से परास्त होना पड़ा। | |||
*वह एक कमजोर शासक था। | |||
*उसका शासन काल मुख्यतया चालुक्यों के साथ संघर्ष में व्यतीत हुआ। | *उसका शासन काल मुख्यतया चालुक्यों के साथ संघर्ष में व्यतीत हुआ। | ||
*वेंगि और अन्हिलवाड़ा में चालुक्यों के जो दो राजवंश इस समय स्थापित हो गए थे, उन दोनों के साथ ही उसके युद्ध हुए। | *वेंगि और अन्हिलवाड़ा में चालुक्यों के जो दो राजवंश इस समय स्थापित हो गए थे, उन दोनों के साथ ही उसके युद्ध हुए। |
12:48, 28 अक्टूबर 2010 का अवतरण
- अमोघवर्ष की मृत्यु के बाद उसका पुत्र कृष्ण द्वितीय 878 ई. में राजसिंहासन पर आरूढ़ हुआ।
- अमोघवर्ष के इस उत्तराधिकारी को प्रतिहार एवं चोल शासकों से परास्त होना पड़ा।
- वह एक कमजोर शासक था।
- उसका शासन काल मुख्यतया चालुक्यों के साथ संघर्ष में व्यतीत हुआ।
- वेंगि और अन्हिलवाड़ा में चालुक्यों के जो दो राजवंश इस समय स्थापित हो गए थे, उन दोनों के साथ ही उसके युद्ध हुए।
- अब राष्ट्रकूटों में इतनी शक्ति नहीं रह गई थी, कि वे अपने प्रतिस्पर्धी चालुक्यों को पराभूत कर सकते।
- कन्नौज के गुर्जर प्रतिहारों के साथ भी कृष्ण द्वितीय के अनेक युद्ध हुए, पर न गुर्जर प्रतिहार दक्षिणापथ को अपनी अधीनता में ला सके, और न ही गोविन्द तृतीय के समान कृष्ण द्वितीय ही हिमालय तक विजय यात्रा कर सका।
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