"वासिष्ठी पुत्र पुलुमावि": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) छो (Removed Category:भारत के राजवंश (using HotCat)) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति") |
||
पंक्ति 12: | पंक्ति 12: | ||
{{प्रचार}} | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= |
13:34, 10 जनवरी 2011 का अवतरण
- गौतमीपुत्र सातकर्णि के बाद उसका पुत्र वासिष्ठी पुत्र श्री पुलुमावि विशाल सातवाहन साम्राज्य का स्वामी बना।
- उसका शासन काल 44 ई. पू. के लगभग शुरू हुआ था।
- पुराणों में उसका शासन काल 36 वर्ष बताया गया है।
- उसके समय में सातवाहन राज्य की और भी वृद्ध हुई। उसने पूर्व और दक्षिण में आंन्ध्र तथा चोल देशों की विजय की।
- उसके सिक्के सुदूर दक्षिण में भी अनेक स्थानों पर उपलब्ध हुए हैं। चोल-मण्डल के तट से पुलुमावि के जो सिक्के मिले हैं, उन पर दो मस्तूलवाले जहाज़ का चित्र बना है। इससे सूचित होता है कि सुदूर दक्षिण में जारी करने के लिए जो सिक्के उसने मंगवाए थे, वे उसकी सामुद्रिक शक्ति को भी सूचित करते थे।
- आन्ध्र और चोल के समुद्र तट पर अधिकार हो जाने के कारण सातवाहन राजाओं की सामुद्रिक शक्ति भी बहुत बढ़ गई थी, और इसीलिए जहाज़ के चित्र वाले ये सिक्के प्रचलित किए गए थे। *इस युग में भारत के निवासी समुद्र को पार कर अपने उपनिवेश स्थापित करने में तत्पर थे, और पूर्वी एशिया के अनेक क्षेत्रों में भारतीय बस्तियों का सूत्रपात हो रहा था।
मगध की विजय
- पुराणों के अनुसार अन्तिम कण्व राजा सुशर्मा को मारकर आन्ध्र वंश के राजा सिमुक ने मगध पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया था। जिसे पुराणों में आन्ध्र वंश कहा गया है, वही शिलालेखों का सातवाहन वंश है। कण्व वंश के शासन का अन्त सिमुक के द्वारा नहीं हुआ था। कण्ववंशी सुशर्मा का शासन काल 38 से 28 ई. पू. तक था। *सातवाहन वंश के तिथिक्रम के अनुसार उस काल में सातवाहन वंश का राजा वासिष्ठी पुत्र श्री पुलुमावि ही थी। अतः कण्ववंश का अन्त कर मगध को अपनी अधीनता में लाने वाला सातवाहन राजा पुलुमावि ही होना चाहिए।
- इसमें सन्देह नहीं कि आन्ध्र या सातवाहन साम्राज्य में मगध भी सम्मिलित हो गया था, और उसके राजा केवल दक्षिणापथपति न रहकर उत्तरापथ के भी स्वामी बन गए थे।
- गौतमीपुत्र के समय सातवाहन वंश के जिस उत्कर्ष का प्रारम्भ हुआ था, अब उसके पुत्र पुलुमावि के समय में वह उन्नति की चरम सीमा पर पहुँच गया।
- किसी समय जो स्थिति प्रतापी मौर्य व शुंग सम्राटों की थी, वही अब सातवाहन सम्राटों की हो गई थी।
|
|
|
|
|