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*[[मेघालय]] राज्य के [[जैंतिया पहाड़ियाँ|जैंतिया पहाड़ियों]] के निवासी प्राथमिक रूप से जैंतिया जनजाति के लोग हैं। जो पश्चिम में रहने वाले खासी लोगों की तरह ही [[भारत]] के पहले मंगोल प्रवासियों के वंशज माने जाते हैं।  
*[[मेघालय]] राज्य के [[जैंतिया पहाड़ियाँ|जैंतिया पहाड़ियों]] के निवासी प्राथमिक रूप से जैंतिया जनजाति के लोग हैं। जो पश्चिम में रहने वाले ख़ासी लोगों की तरह ही [[भारत]] के पहले मंगोल प्रवासियों के वंशज माने जाते हैं।  
*19वीं शताब्दी तक इन लोगों में प्रशासन की त्रि-स्तरीय प्रणाली थी। ब्रिटिश शासन काल के दौरान यह प्रणाली ख़त्म हो गई और आज़ादी के बाद इसके स्थान पर जनजातीय मामलों की ज़िला परिषद का गठन किया गया और अन्य मामलों की देखरेख के लिए एक भारतीय अधिकारी की नियुक्ति की गई।  
*19वीं शताब्दी तक इन लोगों में प्रशासन की त्रि-स्तरीय प्रणाली थी। ब्रिटिश शासन काल के दौरान यह प्रणाली ख़त्म हो गई और आज़ादी के बाद इसके स्थान पर जनजातीय मामलों की ज़िला परिषद का गठन किया गया और अन्य मामलों की देखरेख के लिए एक भारतीय अधिकारी की नियुक्ति की गई।  
*कुछ हद तक अलगाव के कारण जैंतिया लोग अपनी मातृसत्तात्मक संस्कृति को बचाए रखने में काफ़ी हद तक सफल रहे हैं। वे अब भी झूम पद्धति से खेती करते हैं और [[आलू]] यहाँ की मुख्य फ़सल है। हालांकि भारत सरकार ने स्थायी कृषि को बढ़ाया देने का प्रयास किया है, जिसमें कुछ हद तक सफलता मिली है।  
*कुछ हद तक अलगाव के कारण जैंतिया लोग अपनी मातृसत्तात्मक संस्कृति को बचाए रखने में काफ़ी हद तक सफल रहे हैं। वे अब भी झूम पद्धति से खेती करते हैं और [[आलू]] यहाँ की मुख्य फ़सल है। हालांकि भारत सरकार ने स्थायी कृषि को बढ़ाया देने का प्रयास किया है, जिसमें कुछ हद तक सफलता मिली है।  

07:38, 2 जुलाई 2011 का अवतरण

  • मेघालय राज्य के जैंतिया पहाड़ियों के निवासी प्राथमिक रूप से जैंतिया जनजाति के लोग हैं। जो पश्चिम में रहने वाले ख़ासी लोगों की तरह ही भारत के पहले मंगोल प्रवासियों के वंशज माने जाते हैं।
  • 19वीं शताब्दी तक इन लोगों में प्रशासन की त्रि-स्तरीय प्रणाली थी। ब्रिटिश शासन काल के दौरान यह प्रणाली ख़त्म हो गई और आज़ादी के बाद इसके स्थान पर जनजातीय मामलों की ज़िला परिषद का गठन किया गया और अन्य मामलों की देखरेख के लिए एक भारतीय अधिकारी की नियुक्ति की गई।
  • कुछ हद तक अलगाव के कारण जैंतिया लोग अपनी मातृसत्तात्मक संस्कृति को बचाए रखने में काफ़ी हद तक सफल रहे हैं। वे अब भी झूम पद्धति से खेती करते हैं और आलू यहाँ की मुख्य फ़सल है। हालांकि भारत सरकार ने स्थायी कृषि को बढ़ाया देने का प्रयास किया है, जिसमें कुछ हद तक सफलता मिली है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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