"राजसमन्द झील": अवतरणों में अंतर
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{{सूचना बक्सा झील | |||
*राजसमन्द झील महाराणा राजसिंह द्वारा सन् | |चित्र=Rajsamand-Lake.jpg | ||
*चालीस लाख रुपये की लागत की राजसमन्द झील [[मेवाड़]] की विशालतम झीलों में से एक हैं। | |चित्र का नाम=राजसमन्द झील, अलवर | ||
|नाम=राजसमन्द झील | |||
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|अन्य जानकारी= | |||
|बाहरी कड़ियाँ=झील के किनारे की सीढियों को हर तरफ से गिनने पर योग 9 ही होता है, इसलिए इसे नौचौकी कहा जाता हैं। | |||
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'''राजसमन्द झील''' [[राजस्थान]] के शहर [[अलवर]] में स्थित है। | |||
*राजसमन्द झील महाराणा राजसिंह द्वारा सन् 1660 ई. में बनवायी गयी थी। | |||
*चालीस लाख रुपये की लागत की राजसमन्द झील [[मेवाड़]] की विशालतम [[झील|झीलों]] में से एक हैं। | |||
*7 किलोमीटर लम्बी व 3 किलोमीटर चौडी यह झील 55 फीट गहरी हैं। | *7 किलोमीटर लम्बी व 3 किलोमीटर चौडी यह झील 55 फीट गहरी हैं। | ||
*राजसमन्द झील की पाल, नौचौकी व इस ख़ूबसूरत झील के पाल पर बनी छतरियों की छतों, स्तम्भों तथा तोरण द्वार पर की गयी मूर्तिकला व नक़्क़ाशी देखकर स्वतः ही देलवाडा के जैन मंदिरों की याद आ जाती है। | *राजसमन्द झील की पाल, नौचौकी व इस ख़ूबसूरत झील के पाल पर बनी छतरियों की छतों, स्तम्भों तथा तोरण द्वार पर की गयी मूर्तिकला व नक़्क़ाशी देखकर स्वतः ही देलवाडा के जैन मंदिरों की याद आ जाती है। |
08:00, 7 जनवरी 2012 का अवतरण
राजसमन्द झील
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नाम | राजसमन्द झील |
देश | भारत |
राज्य | राजस्थान |
नगर/ज़िला | अलवर |
निर्देशांक | 25.07° उत्तर - 73.88° पूर्व |
अधिकतम लंबाई | 6.4 किमी (लगभग) |
अधिकतम गहराई | 18 मीटर (लगभग) |
अधिकतम चौड़ाई | 2.82 किमी (लगभग) |
निर्माता | महाराणा राजसिंह |
निर्माण काल | 1660 ई. |
बाहरी कड़ियाँ | झील के किनारे की सीढियों को हर तरफ से गिनने पर योग 9 ही होता है, इसलिए इसे नौचौकी कहा जाता हैं। |
अद्यतन | 13:30, 7 जनवरी 2012 (IST)
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राजसमन्द झील राजस्थान के शहर अलवर में स्थित है।
- राजसमन्द झील महाराणा राजसिंह द्वारा सन् 1660 ई. में बनवायी गयी थी।
- चालीस लाख रुपये की लागत की राजसमन्द झील मेवाड़ की विशालतम झीलों में से एक हैं।
- 7 किलोमीटर लम्बी व 3 किलोमीटर चौडी यह झील 55 फीट गहरी हैं।
- राजसमन्द झील की पाल, नौचौकी व इस ख़ूबसूरत झील के पाल पर बनी छतरियों की छतों, स्तम्भों तथा तोरण द्वार पर की गयी मूर्तिकला व नक़्क़ाशी देखकर स्वतः ही देलवाडा के जैन मंदिरों की याद आ जाती है।
- झील के किनारे की सीढियों को हर तरफ से गिनने पर योग 9 ही होता है, इसलिए इसे नौचौकी कहा जाता हैं।
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