"कालसी": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "काफी " to "काफ़ी ") |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
[[उत्तराखंड]] के [[देहरादून ज़िला|ज़िला देहरादून]] की तहसील चकरौता में | {{tocright}} | ||
'''कालसी''' [[उत्तराखंड]] के [[देहरादून ज़िला|ज़िला देहरादून]] की तहसील चकरौता में स्थित है। यहाँ पर [[अशोक]] के [[अशोक के शिलालेख|चतुर्दश शिलालेख]] एक चट्टान पर अंकित हैं। सम्भवत: यह स्थान अशोक के साम्राज्य की उत्तरी सीमा पर था। | |||
==ऐतिहासिक स्थान== | ==ऐतिहासिक स्थान== | ||
[[महाभारत]] काल में [[देहरादून]], जिसमें वर्तमान कालसी सम्मिलित है, का शासक [[विराट|राजा विराट]] था और उसकी राजधानी [[विराटनगर]] थी। [[अज्ञातवास]] के समय [[पांडव]] रूप बदलकर राजा विराट के यहां रहे थे। | [[महाभारत]] काल में [[देहरादून]], जिसमें वर्तमान कालसी सम्मिलित है, का शासक [[विराट|राजा विराट]] था और उसकी राजधानी [[विराटनगर]] थी। [[अज्ञातवास]] के समय [[पांडव]] रूप बदलकर राजा विराट के यहां रहे थे। | ||
==अशोक का शिलालेख== | ==अशोक का शिलालेख== | ||
[[यमुना नदी]] के किनारे कालसी में [[अशोक के शिलालेख]] प्राप्त होने से इस बात की पुष्टि होती है कि यह क्षेत्र कभी काफ़ी संपन्न रहा होगा। सातवीं [[सदी]] में इस क्षेत्र को 'सुधनगर' के रूप में प्रसिद्ध चीनी यात्री [[ह्वेनसांग]] ने भी देखा था। यह 'सुधनगर' ही बाद में कालसी के नाम से पहचाना जाने लगा। लगभग आठ सौ [[वर्ष]] पहले दून क्षेत्र में बंजारे जाति के लोग आकर बस गये थे। तब से यह क्षेत्र गढ़वाल के राजा को कर देने लगा। कुछ समय बाद इस ओर [[महमूद गजनवी|इब्राहिम बिन महमूद गजनवी]] का हमला हुआ। | [[यमुना नदी]] के किनारे कालसी में [[अशोक के शिलालेख]] प्राप्त होने से इस बात की पुष्टि होती है कि यह क्षेत्र कभी काफ़ी संपन्न रहा होगा। सातवीं [[सदी]] में इस क्षेत्र को 'सुधनगर' के रूप में प्रसिद्ध चीनी यात्री [[ह्वेनसांग]] ने भी देखा था। यह 'सुधनगर' ही बाद में कालसी के नाम से पहचाना जाने लगा। लगभग आठ सौ [[वर्ष]] पहले दून क्षेत्र में बंजारे जाति के लोग आकर बस गये थे। तब से यह क्षेत्र गढ़वाल के राजा को कर देने लगा। कुछ समय बाद इस ओर [[महमूद गजनवी|इब्राहिम बिन महमूद गजनवी]] का हमला हुआ। | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{ | {{उत्तराखण्ड के ऐतिहासिक स्थान}}{{अशोक}} | ||
[[Category:उत्तराखंड]][[Category:उत्तराखंड_के_ऐतिहासिक_स्थान]][[Category:ऐतिहासिक_स्थान_कोश | [[Category:उत्तराखंड]][[Category:उत्तराखंड_के_ऐतिहासिक_स्थान]][[Category:ऐतिहासिक_स्थान_कोश]] | ||
[[Category:अशोक]] | [[Category:अशोक]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
11:38, 2 फ़रवरी 2012 का अवतरण
कालसी उत्तराखंड के ज़िला देहरादून की तहसील चकरौता में स्थित है। यहाँ पर अशोक के चतुर्दश शिलालेख एक चट्टान पर अंकित हैं। सम्भवत: यह स्थान अशोक के साम्राज्य की उत्तरी सीमा पर था।
ऐतिहासिक स्थान
महाभारत काल में देहरादून, जिसमें वर्तमान कालसी सम्मिलित है, का शासक राजा विराट था और उसकी राजधानी विराटनगर थी। अज्ञातवास के समय पांडव रूप बदलकर राजा विराट के यहां रहे थे।
अशोक का शिलालेख
यमुना नदी के किनारे कालसी में अशोक के शिलालेख प्राप्त होने से इस बात की पुष्टि होती है कि यह क्षेत्र कभी काफ़ी संपन्न रहा होगा। सातवीं सदी में इस क्षेत्र को 'सुधनगर' के रूप में प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी देखा था। यह 'सुधनगर' ही बाद में कालसी के नाम से पहचाना जाने लगा। लगभग आठ सौ वर्ष पहले दून क्षेत्र में बंजारे जाति के लोग आकर बस गये थे। तब से यह क्षेत्र गढ़वाल के राजा को कर देने लगा। कुछ समय बाद इस ओर इब्राहिम बिन महमूद गजनवी का हमला हुआ।