"सी. एन. आर. राव": अवतरणों में अंतर
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'''चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Chintamani Nagesa Ramachandra Rao'', जन्म: [[30 जून]], [[1934]] [[बंगलौर]]) एक रसायन वैज्ञानिक हैं जिन्होंने घन-अवस्था और संरचनात्मक रसायन शास्त्र के क्षेत्र में मुख्य रूप से काम किया है। इन्हें सी. एन. आर. राव के नाम से अधिक जाना जाता है। वर्तमान में वह [[भारत के प्रधानमंत्री]] के वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के प्रमुख के रूप में सेवा कर रहे हैं। इन्होंने लगभग | |||
== | '''चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Chintamani Nagesa Ramachandra Rao'', जन्म: [[30 जून]], [[1934]] [[बंगलौर]]) एक रसायन वैज्ञानिक हैं जिन्होंने घन-अवस्था और संरचनात्मक रसायन शास्त्र के क्षेत्र में मुख्य रूप से काम किया है। इन्हें सी. एन. आर. राव के नाम से अधिक जाना जाता है। वर्तमान में वह [[भारत के प्रधानमंत्री]] के वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के प्रमुख के रूप में सेवा कर रहे हैं। इन्होंने लगभग 1500 शोध पत्र और 45 वैज्ञानिक पुस्तकें लिखी हैं। [[16 नवंबर]] [[2013]] को [[भारत सरकार]] ने उन्हें [[भारत]] के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार [[भारत रत्न]] से सम्मानित करने का निर्णय लिया। [[चंद्रशेखर वेंकट रामन]] और [[अब्दुल कलाम]] के बाद इस पुरस्कार से सम्मानित किये जाने वाले वे तीसरे वैज्ञानिक हैं।<ref name="amar">{{cite web |url=http://www.amarujala.com/news/samachar/national/bharat-ratna-to-cnr-rao/ |title= वैज्ञानिक सीएनआर राव को भारत रत्न|accessmonthday=17 नवम्बर |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=अमर उजाला |language=हिंदी }}</ref> | ||
==जन्म तथा शिक्षा== | |||
सी. एन. आर. राव का जन्म [[30 जून]], [[1934]] को [[बंगलौर]] के एक [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]] परिवार में हुआ था। वे अपने [[माता]]-[[पिता]] नागेश और नागम्मा राव की एकमात्र संतान हैं। उन्हें शुरू से अच्छे [[संस्कार]] और पढ़ाई का वातावरण मिला। बासवनागुडी में 'आचार्य हाईस्कूल' में पढ़ते हुए उनकी रुचि [[रसायन विज्ञान]] की ओर हुई। [[संस्कृत]] और [[अंग्रेज़ी भाषा]] पर भी उनका अच्छा अधिकार है। उन्होंने केवल सत्रह साल की उम्र में ‘मैसूर विश्वविद्यालय’ से बीएससी की डिग्री हासिल कर ली थी।<ref name="aa">नवनीत, हिन्दी डाइजेस्ट (फरवरी 2015)</ref> बीएससी के बाद एमएससी के दौरान उन्हें रसायनज्ञ पलिंग की पुस्तक, नेचर अफ दी केमिकल बांड को पहली बार पढ़ने का मौका मिला। इस पुस्तक ने राव के मन में अणुओं के संसार के प्रति गहरी उत्सुकता जगा दी।<ref name="amar"/> उन्होंने ‘[[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]]’ से एमएससी और आईआईटी, खड़गपुर से पीएचडी की। महज 24 साल की आयु में पीएचडी करने वाले वे सबसे युवा वैज्ञानिकों में से एक हैं। | |||
====विवाह==== | |||
सी. एन. आर. राव का [[विवाह]] इंदुमति राव से [[1960]] में हुआ। उनके पुत्र संजय [[बेंगलुरु]] के स्कूलों में [[विज्ञान]] को लोकप्रिय बनाने में जुटे हैं। उनकी पुत्री सुचित्रा का विवाह के. एम. गणेश से हुआ है, जो 'इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च', [[पुणे]] के निदेशक हैं। राव का सारा समय [[रसायन विज्ञान]] को समर्पित है। उनकी मेज पर कम्प्यूटर नहीं है। वे अपने ई-मेल खुद नहीं देखते। फोन पर केवल पत्नी से बात करते हैं।<ref name="aa"/> | |||
==व्यावसायिक शुरुआत== | |||
राव [[1959]] में आईआईएससी, बेंगलुरु में लेक्चरर बने। तीन साल वे आईआईटी, खड़गपुर के रसायन विभाग के प्रधान बने। वहाँ वे 13 साल तक रहे। उन्होंने [[1976]] में ‘इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस’ में आकर वहाँ ‘सॉलिड स्टेट एंड स्ट्रक्चरल केमिस्ट्री यूनिट’ बनायी। [[1984]] से [[1994]] तक वे वहाँ निदेशक रहे। सी. एन. आर. राव ऑक्सफ़ोर्ड, कैलिफ़ोर्निया, कैम्ब्रिज, सैंटा बारबरा और परड्यू विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफ़ेसर भी रहे हैं। उन्होंने ‘जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय’ में अध्यापन कार्य किया है। उन्होंने [[1989]] में बेंगलुरु में ‘जवाहरलाल नेहरू सेंटर फ़ॉर एडवांस्ड साइंटिफ़िक रिसर्च सेंटर’ की स्थापना की। | |||
राव ‘इंटरनेशनल सेंटर फ़ॉर मैटीरियल साइंस’ के भी निदेशक हैं। वे पिछले पाँच दशक से सॉलिड स्टेट और मैटीरियल केमिस्ट्री के क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में माने जाते रहे हैं। उन्होंने ट्रांजिशन मेटल ऑक्साइड्स पर काफ़ी काम किया है। इससे नोवल फेनोमिना, मटीरियल्स के गुणों के अंतर-सम्बंधों और इन मटीरियल्स की स्ट्रक्चरल केमिस्ट्री को समझने में मदद मिली है।<ref name="aa"/> | |||
==शोध क्षेत्र== | ==शोध क्षेत्र== | ||
* ट्रांजीशन मेटल ऑक्साइड सिस्टम | * ट्रांजीशन मेटल ऑक्साइड सिस्टम | ||
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* हाइब्रिड मैटेरियल | * हाइब्रिड मैटेरियल | ||
* नैनोट्यूब और ग्राफीन नैनोमैटेरियल | * नैनोट्यूब और ग्राफीन नैनोमैटेरियल | ||
राव ने ही सबसे पहले द्विआयामी ऑक्साइड मटीरियल्स का व्यवस्थित अध्ययन किया था। इससे विशाल चुम्बकीय प्रतिरोध और उच्च तापमान पर सुपर कंडक्टिविटी के इस्तेमाल में काफ़ी सहायता मिली। पिछले दो दशक में उन्होंने नैनो मटीरियल्स और हाइब्रिड मटीरियल्स पर काफ़ी शोध किया है। | |||
==शोध जगत के शतकवीर== | ==शोध जगत के शतकवीर== | ||
दुनियाभर की प्रमुख वैज्ञानिक संस्थाएं, रसायन शास्त्र के क्षेत्र में उनकी मेधा का लोहा मानती हैं। ये दुनियाभर के उन चुनिंदा वैज्ञानिकों में से एक हैं जो तमाम प्रमुख वैज्ञानिक शोध संस्थाओं के सदस्य हैं। बीते पांच दशकों में राव 'सॉलिड स्टेट' और 'मटेरियल कैमिस्ट्री' पर 45 किताबें लिख चुके हैं और इन्हीं विषयों पर उनके | दुनियाभर की प्रमुख वैज्ञानिक संस्थाएं, रसायन शास्त्र के क्षेत्र में उनकी मेधा का लोहा मानती हैं। ये दुनियाभर के उन चुनिंदा वैज्ञानिकों में से एक हैं जो तमाम प्रमुख वैज्ञानिक शोध संस्थाओं के सदस्य हैं। बीते पांच दशकों में राव 'सॉलिड स्टेट' और 'मटेरियल कैमिस्ट्री' पर 45 किताबें लिख चुके हैं और इन्हीं विषयों पर उनके 1500 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हुए हैं। वैज्ञानिकों की जमात मानती है कि राव की उपलब्धियां, [[सचिन तेंदुलकर]] के सौ अंतरराष्ट्रीय शतकों के बराबर है। राव की मेधा और लगन का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके साथ काम करने वाले अधिकतर वैज्ञानिक सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन वे 79 साल की उम्र में भी सक्रिय हैं और प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद में अध्यक्ष के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। प्रोफेसर राव सॉलिड स्टेट और मैटेरियल केमिस्ट्री में अपनी विशेषज्ञता की वजह से जाने जाते हैं। उन्होंने पदार्थ के गुणों और उनकी आणविक संरचना के बीच बुनियादी समझ विकसित करने में अहम भूमिका निभाई है।<ref name="BBC">{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/11/131116_cnr_rao_profile_sdp.shtml|title= वैज्ञानिक शोध जगत के शतकवीर हैं सीएनआर राव|accessmonthday=17 नवम्बर |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=बीबीसी हिंदी |language=हिंदी }}</ref> | ||
==नीति निर्माता== | ==नीति निर्माता== | ||
[[विज्ञान]] के क्षेत्र में भारत की नीतियों को गढ़ने में अहम भूमिका निभाने वाले राव, प्रधानमंत्री [[इंदिरा गांधी]] की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के भी सदस्य थे। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री [[राजीव गांधी]], [[एच डी देवगौड़ा|एचडी दैवेगोड़ा]] और [[इंद्र कुमार गुजराल]] के कार्यकाल में परिषद के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया था। [[अमरीका]] से अपनी डॉक्टरेट की उपाधि लेने के बाद राव ने कैलिफोर्निया और बर्कले यूनिवर्सिटी में रिसर्च एसोसिएट की हैसियत से काम किया और वर्ष [[1959]] में भारत लौटकर बंगलौर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में काम करना शुरू किया। इसके बाद वे आईआईटी [[कानपुर]] चले गए लेकिन वर्ष [[1959]] में दोबारा [[बंगलौर]] आ गए जहां उन्होंने मटेरियल साइंस सेंटर और सॉलिड स्टेट कैमिकल यूनिट स्थापित की थी। उनकी इस पहल को वैज्ञानिक जगत में महत्वपूर्ण कदम माना जाता है।<ref name="BBC"/> | [[विज्ञान]] के क्षेत्र में भारत की नीतियों को गढ़ने में अहम भूमिका निभाने वाले राव, प्रधानमंत्री [[इंदिरा गांधी]] की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के भी सदस्य थे। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री [[राजीव गांधी]], [[एच डी देवगौड़ा|एचडी दैवेगोड़ा]] और [[इंद्र कुमार गुजराल]] के कार्यकाल में परिषद के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया था। [[अमरीका]] से अपनी डॉक्टरेट की उपाधि लेने के बाद राव ने कैलिफोर्निया और बर्कले यूनिवर्सिटी में रिसर्च एसोसिएट की हैसियत से काम किया और वर्ष [[1959]] में भारत लौटकर बंगलौर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में काम करना शुरू किया। इसके बाद वे आईआईटी [[कानपुर]] चले गए लेकिन वर्ष [[1959]] में दोबारा [[बंगलौर]] आ गए जहां उन्होंने मटेरियल साइंस सेंटर और सॉलिड स्टेट कैमिकल यूनिट स्थापित की थी। उनकी इस पहल को वैज्ञानिक जगत में महत्वपूर्ण कदम माना जाता है।<ref name="BBC"/> | ||
====सदस्यता==== | |||
सी. एन. आर. राव 'नेशनल एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज', 'अमेरिकन एकेडेमी ऑफ़ आर्ट्स एंड साइंसेज', 'रॉयल सोसायटी' ([[लंदन]]), 'रॉयल सोसायटी ऑफ़ कनाडा', 'फ़्रैंच एकेडेमी', 'जापानीज एकेडेमी', 'सर्बियन एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज एंड आर्ट्स', 'पोलिश एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज', 'चेकोस्लोवाक एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज', 'स्लोवेनियन एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज', 'ब्राजीलियन एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज', 'स्पेनिश रॉयल एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज', 'नेशनल एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज ऑफ़ कोरिया', 'अफ़्रीकन एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज', 'अमेरिकन फिलॉस्फिकल सोसायटी', 'पोंटिफल एकेडेमी' और 'एकाडमिया यूरोपिया' के सदस्य हैं।<ref name="aa"/> | |||
==सम्मान और पुरस्कार== | ==सम्मान और पुरस्कार== | ||
सी. एन. आर. राव को जब [[2013]] में महान बल्लेबाज [[सचिन तेंदुलकर]] के साथ ‘[[भारत रत्न]]’ से सम्मानित करने की घोषणा की गयी, तब शायद बहुत से लोगों ने उनका नाम पहली बार सुना था। वे फिलहाल [[प्रधानमंत्री]] की ‘विज्ञान सलाहकार परिषद’ के प्रमुख हैं। उन्हें दुनिया भर के 60 विश्वविद्यालय पीएचडी की मानद उपादि दे चुके हैं। उन्होंने विज्ञान की 45 पुस्तकें और 1500 से ज़्यादा शोध पत्र लिखे हैं। देश-विदेश के अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान उन्हें मिल चुके हैं। [[सी. वी. रमन|सी.वी. रमन]] और [[ए.पी.जे. अब्दुल कलाम]] के बाद ‘भारत रत्न’ से सम्मानित होने वाले वे देश के तीसरे वैज्ञानिक हैं। उन्हें [[राष्ट्रपति]] [[प्रणव मुखर्जी]] ने 4 फ़रवरी, 2014 को इस सम्मान से विभूषित किया था।<ref name="aa"/> | |||
* रसायन विज्ञान के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों के लिए दुनिया भर की विज्ञान अकादमियों में उनकी पहचान है और ज्यादातर उन्हें अपनी सदस्यता और फेलोशिप से नवाज चुके हैं। उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। | * रसायन विज्ञान के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों के लिए दुनिया भर की विज्ञान अकादमियों में उनकी पहचान है और ज्यादातर उन्हें अपनी सदस्यता और फेलोशिप से नवाज चुके हैं। उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। | ||
* डॉ. राव न सिर्फ न केवल बेहतरीन रसायनशास्त्री हैं बल्कि उन्होंने देश की वैज्ञानिक नीतियों को बनाने में भी अहम भूमिका निभाई है। इस समय डॉ. राव प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष हैं। वह सन [[1985]] में पहली बार और सन [[2005]] में दूसरी बार इस समिति के अध्यक्ष चुने जा चुके हैं। | * डॉ. राव न सिर्फ न केवल बेहतरीन रसायनशास्त्री हैं बल्कि उन्होंने देश की वैज्ञानिक नीतियों को बनाने में भी अहम भूमिका निभाई है। इस समय डॉ. राव प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष हैं। वह सन [[1985]] में पहली बार और सन [[2005]] में दूसरी बार इस समिति के अध्यक्ष चुने जा चुके हैं। | ||
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* भारत-चीनी विज्ञान सहयोग को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाने के लिए [[जनवरी]] [[2013]] में [[चीन]] के सर्वश्रेष्ठ विज्ञान पुरस्कार से सम्मानित हुए। | * भारत-चीनी विज्ञान सहयोग को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाने के लिए [[जनवरी]] [[2013]] में [[चीन]] के सर्वश्रेष्ठ विज्ञान पुरस्कार से सम्मानित हुए। | ||
* [[16 नवंबर]] [[2013]] को [[भारत सरकार]] ने डॉ. राव को [[भारत रत्न]] से सम्मानित करने की घोषणा की। | * [[16 नवंबर]] [[2013]] को [[भारत सरकार]] ने डॉ. राव को [[भारत रत्न]] से सम्मानित करने की घोषणा की। | ||
====‘मिस्टर साइंस’ और ‘डॉक्टर साइंस’==== | |||
राव के सहयोगी उन्हें [[भारत]] का ‘मिस्टर साइंस’ और ‘डॉक्टर साइंस’ कहते हैं। उनका मानना है कि राव को एक दिन रसायन का ‘[[नोबेल पुरस्कार]]’ अवश्य मिलेगा।<ref name="aa"/> | |||
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12:22, 1 मार्च 2015 का अवतरण
सी. एन. आर. राव
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पूरा नाम | चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव |
अन्य नाम | सीएनआर राव |
जन्म | 30 जून 1934 |
जन्म भूमि | बंगलौर, कर्नाटक |
पति/पत्नी | इन्दुमति राव |
कर्म-क्षेत्र | वैज्ञानिक |
शिक्षा | एमएससी |
विद्यालय | सेंट्रल कॉलेज बंगलुरू |
पुरस्कार-उपाधि | 'ह्युजेस पदक' (2000), 'भारत विज्ञान पुरस्कार' (2004), 'अब्दुस सलाम पदक' (2008), 'डैन डेविड पुरस्कार' (2005), 'लीजन ऑफ़ ऑनर' (2005), 'पद्म श्री', 'पद्म विभूषण' एवं 'भारत रत्न' |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | बीते पांच दशकों में राव 'सॉलिड स्टेट' और 'मटेरियल कैमिस्ट्री' पर 45 किताबें लिख चुके हैं और इन्हीं विषयों पर उनके 1500 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हुए हैं। |
चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव (अंग्रेज़ी: Chintamani Nagesa Ramachandra Rao, जन्म: 30 जून, 1934 बंगलौर) एक रसायन वैज्ञानिक हैं जिन्होंने घन-अवस्था और संरचनात्मक रसायन शास्त्र के क्षेत्र में मुख्य रूप से काम किया है। इन्हें सी. एन. आर. राव के नाम से अधिक जाना जाता है। वर्तमान में वह भारत के प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के प्रमुख के रूप में सेवा कर रहे हैं। इन्होंने लगभग 1500 शोध पत्र और 45 वैज्ञानिक पुस्तकें लिखी हैं। 16 नवंबर 2013 को भारत सरकार ने उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया। चंद्रशेखर वेंकट रामन और अब्दुल कलाम के बाद इस पुरस्कार से सम्मानित किये जाने वाले वे तीसरे वैज्ञानिक हैं।[1]
जन्म तथा शिक्षा
सी. एन. आर. राव का जन्म 30 जून, 1934 को बंगलौर के एक कन्नड़ परिवार में हुआ था। वे अपने माता-पिता नागेश और नागम्मा राव की एकमात्र संतान हैं। उन्हें शुरू से अच्छे संस्कार और पढ़ाई का वातावरण मिला। बासवनागुडी में 'आचार्य हाईस्कूल' में पढ़ते हुए उनकी रुचि रसायन विज्ञान की ओर हुई। संस्कृत और अंग्रेज़ी भाषा पर भी उनका अच्छा अधिकार है। उन्होंने केवल सत्रह साल की उम्र में ‘मैसूर विश्वविद्यालय’ से बीएससी की डिग्री हासिल कर ली थी।[2] बीएससी के बाद एमएससी के दौरान उन्हें रसायनज्ञ पलिंग की पुस्तक, नेचर अफ दी केमिकल बांड को पहली बार पढ़ने का मौका मिला। इस पुस्तक ने राव के मन में अणुओं के संसार के प्रति गहरी उत्सुकता जगा दी।[1] उन्होंने ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय’ से एमएससी और आईआईटी, खड़गपुर से पीएचडी की। महज 24 साल की आयु में पीएचडी करने वाले वे सबसे युवा वैज्ञानिकों में से एक हैं।
विवाह
सी. एन. आर. राव का विवाह इंदुमति राव से 1960 में हुआ। उनके पुत्र संजय बेंगलुरु के स्कूलों में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में जुटे हैं। उनकी पुत्री सुचित्रा का विवाह के. एम. गणेश से हुआ है, जो 'इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च', पुणे के निदेशक हैं। राव का सारा समय रसायन विज्ञान को समर्पित है। उनकी मेज पर कम्प्यूटर नहीं है। वे अपने ई-मेल खुद नहीं देखते। फोन पर केवल पत्नी से बात करते हैं।[2]
व्यावसायिक शुरुआत
राव 1959 में आईआईएससी, बेंगलुरु में लेक्चरर बने। तीन साल वे आईआईटी, खड़गपुर के रसायन विभाग के प्रधान बने। वहाँ वे 13 साल तक रहे। उन्होंने 1976 में ‘इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस’ में आकर वहाँ ‘सॉलिड स्टेट एंड स्ट्रक्चरल केमिस्ट्री यूनिट’ बनायी। 1984 से 1994 तक वे वहाँ निदेशक रहे। सी. एन. आर. राव ऑक्सफ़ोर्ड, कैलिफ़ोर्निया, कैम्ब्रिज, सैंटा बारबरा और परड्यू विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफ़ेसर भी रहे हैं। उन्होंने ‘जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय’ में अध्यापन कार्य किया है। उन्होंने 1989 में बेंगलुरु में ‘जवाहरलाल नेहरू सेंटर फ़ॉर एडवांस्ड साइंटिफ़िक रिसर्च सेंटर’ की स्थापना की।
राव ‘इंटरनेशनल सेंटर फ़ॉर मैटीरियल साइंस’ के भी निदेशक हैं। वे पिछले पाँच दशक से सॉलिड स्टेट और मैटीरियल केमिस्ट्री के क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में माने जाते रहे हैं। उन्होंने ट्रांजिशन मेटल ऑक्साइड्स पर काफ़ी काम किया है। इससे नोवल फेनोमिना, मटीरियल्स के गुणों के अंतर-सम्बंधों और इन मटीरियल्स की स्ट्रक्चरल केमिस्ट्री को समझने में मदद मिली है।[2]
शोध क्षेत्र
- ट्रांजीशन मेटल ऑक्साइड सिस्टम
- मेटल इंसुलेटर ट्रांजीशन
- सीएमआर मैटेरियल
- सुपरकंडक्टिविटी
- मल्टीफेरोक्सि
- हाइब्रिड मैटेरियल
- नैनोट्यूब और ग्राफीन नैनोमैटेरियल
राव ने ही सबसे पहले द्विआयामी ऑक्साइड मटीरियल्स का व्यवस्थित अध्ययन किया था। इससे विशाल चुम्बकीय प्रतिरोध और उच्च तापमान पर सुपर कंडक्टिविटी के इस्तेमाल में काफ़ी सहायता मिली। पिछले दो दशक में उन्होंने नैनो मटीरियल्स और हाइब्रिड मटीरियल्स पर काफ़ी शोध किया है।
शोध जगत के शतकवीर
दुनियाभर की प्रमुख वैज्ञानिक संस्थाएं, रसायन शास्त्र के क्षेत्र में उनकी मेधा का लोहा मानती हैं। ये दुनियाभर के उन चुनिंदा वैज्ञानिकों में से एक हैं जो तमाम प्रमुख वैज्ञानिक शोध संस्थाओं के सदस्य हैं। बीते पांच दशकों में राव 'सॉलिड स्टेट' और 'मटेरियल कैमिस्ट्री' पर 45 किताबें लिख चुके हैं और इन्हीं विषयों पर उनके 1500 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हुए हैं। वैज्ञानिकों की जमात मानती है कि राव की उपलब्धियां, सचिन तेंदुलकर के सौ अंतरराष्ट्रीय शतकों के बराबर है। राव की मेधा और लगन का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके साथ काम करने वाले अधिकतर वैज्ञानिक सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन वे 79 साल की उम्र में भी सक्रिय हैं और प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद में अध्यक्ष के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। प्रोफेसर राव सॉलिड स्टेट और मैटेरियल केमिस्ट्री में अपनी विशेषज्ञता की वजह से जाने जाते हैं। उन्होंने पदार्थ के गुणों और उनकी आणविक संरचना के बीच बुनियादी समझ विकसित करने में अहम भूमिका निभाई है।[3]
नीति निर्माता
विज्ञान के क्षेत्र में भारत की नीतियों को गढ़ने में अहम भूमिका निभाने वाले राव, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के भी सदस्य थे। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री राजीव गांधी, एचडी दैवेगोड़ा और इंद्र कुमार गुजराल के कार्यकाल में परिषद के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया था। अमरीका से अपनी डॉक्टरेट की उपाधि लेने के बाद राव ने कैलिफोर्निया और बर्कले यूनिवर्सिटी में रिसर्च एसोसिएट की हैसियत से काम किया और वर्ष 1959 में भारत लौटकर बंगलौर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में काम करना शुरू किया। इसके बाद वे आईआईटी कानपुर चले गए लेकिन वर्ष 1959 में दोबारा बंगलौर आ गए जहां उन्होंने मटेरियल साइंस सेंटर और सॉलिड स्टेट कैमिकल यूनिट स्थापित की थी। उनकी इस पहल को वैज्ञानिक जगत में महत्वपूर्ण कदम माना जाता है।[3]
सदस्यता
सी. एन. आर. राव 'नेशनल एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज', 'अमेरिकन एकेडेमी ऑफ़ आर्ट्स एंड साइंसेज', 'रॉयल सोसायटी' (लंदन), 'रॉयल सोसायटी ऑफ़ कनाडा', 'फ़्रैंच एकेडेमी', 'जापानीज एकेडेमी', 'सर्बियन एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज एंड आर्ट्स', 'पोलिश एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज', 'चेकोस्लोवाक एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज', 'स्लोवेनियन एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज', 'ब्राजीलियन एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज', 'स्पेनिश रॉयल एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज', 'नेशनल एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज ऑफ़ कोरिया', 'अफ़्रीकन एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज', 'अमेरिकन फिलॉस्फिकल सोसायटी', 'पोंटिफल एकेडेमी' और 'एकाडमिया यूरोपिया' के सदस्य हैं।[2]
सम्मान और पुरस्कार
सी. एन. आर. राव को जब 2013 में महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के साथ ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने की घोषणा की गयी, तब शायद बहुत से लोगों ने उनका नाम पहली बार सुना था। वे फिलहाल प्रधानमंत्री की ‘विज्ञान सलाहकार परिषद’ के प्रमुख हैं। उन्हें दुनिया भर के 60 विश्वविद्यालय पीएचडी की मानद उपादि दे चुके हैं। उन्होंने विज्ञान की 45 पुस्तकें और 1500 से ज़्यादा शोध पत्र लिखे हैं। देश-विदेश के अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान उन्हें मिल चुके हैं। सी.वी. रमन और ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के बाद ‘भारत रत्न’ से सम्मानित होने वाले वे देश के तीसरे वैज्ञानिक हैं। उन्हें राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 4 फ़रवरी, 2014 को इस सम्मान से विभूषित किया था।[2]
- रसायन विज्ञान के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों के लिए दुनिया भर की विज्ञान अकादमियों में उनकी पहचान है और ज्यादातर उन्हें अपनी सदस्यता और फेलोशिप से नवाज चुके हैं। उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
- डॉ. राव न सिर्फ न केवल बेहतरीन रसायनशास्त्री हैं बल्कि उन्होंने देश की वैज्ञानिक नीतियों को बनाने में भी अहम भूमिका निभाई है। इस समय डॉ. राव प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष हैं। वह सन 1985 में पहली बार और सन 2005 में दूसरी बार इस समिति के अध्यक्ष चुने जा चुके हैं।
- डॉ. राव को दुनिया भर के 60 विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट प्राप्त है।
- एच-इंडेक्स में पहुँचने वाले भारतीय वैज्ञानिक हैं। पद्म श्री,
- सन 1964 में उन्हें इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज का सदस्य नामित किया गया।
- सन 1967 में फैराडे सोसाइटी ऑफ इंग्लैंड ने राव को मार्लो मेडल दिया।
- सन 1968 में डॉ. राव भटनागर अवार्ड से नवाजे गए।
- भारत सरकार ने इन्हें 1974 में पद्म श्री और 1985 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया।
- सन 1988 में जवाहरलाल नेहरू अवार्ड से सम्मनित हुए।
- सन 1999 में वह इंडियन साइंस कांग्रेस के शताब्दी पुरस्कार से सम्मानित हुए।
- डॉ. राव को कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक रत्न की उपाधि दी।
- सन् 2000 में रायल सोसाइटी ने ह्युजेस पदक से सम्मानित किया।
- सन् 2004 में भारतीय विज्ञान पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय वैज्ञानिक हैं।
- भारत-चीनी विज्ञान सहयोग को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाने के लिए जनवरी 2013 में चीन के सर्वश्रेष्ठ विज्ञान पुरस्कार से सम्मानित हुए।
- 16 नवंबर 2013 को भारत सरकार ने डॉ. राव को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की।
‘मिस्टर साइंस’ और ‘डॉक्टर साइंस’
राव के सहयोगी उन्हें भारत का ‘मिस्टर साइंस’ और ‘डॉक्टर साइंस’ कहते हैं। उनका मानना है कि राव को एक दिन रसायन का ‘नोबेल पुरस्कार’ अवश्य मिलेगा।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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